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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच के ब्लॉक आज दिनांक 308 2022 को प्रदत्त विषय ***"गणपति की स्थापना ******पर रचनाकारों की लघु कथाएं पढ़ें ********"""डॉ अलका पांडे


लघु कथा 
गणपति की स्थापना
 कांति के चेहरे पर काफी उदासी छाई हुई थी ।उसका नाम तो कांति था , पर चेहरे पर कहीं भी कांति दिखाई नहीं देती थी । वाह झटके में उठी रसोई में गई  सब डब्बे खोला देखा सारे डब्बे खाली पड़े से उनमें फकीरी झांक रही थी वह सोच  में पड़ गई, कल गणेश चतुर्थी है मुझे गणपति की पूजा करनी है । कैसे होगा क्या होगा ।
और बाहर बगीचे की तरफ चल पड़ी, बगीचे में पहुंच कर क्यारी से मिट्टी निकली सुंदर गणपति की प्रतिमा बनाई और सूखने रख कर फूल तोड़े घर आकर प्रतिमा को रंग किया  प्रतिमा मुस्कराने लगी 
अब कांति को सकुन मिला ,उसने प्रतिमा के सामने खड़े होकर ,
आंसू बहाकर प्रार्थना करने लगी 
भगवान तो दे दिए तेरी पूजा अर्चना को सको आज सुबह देखने कुछ नहीं है मैं कैसे तेजस्व भूल भव आपके साथ आकर रही थी दीवानी चल रहा था कि जो कुछ भी घर में है उसी से मैं साफ बना कर स्थापना कब लूंगी सभी दरवाजे पर एक लड़का आकर बोला , माजी आपके लिए यह सामान लेकर  आया हूं ।
कांति  अचंभित हो गई वह बोली मैने कोई सामान नहीं मंगाया है ।
तब वह लड़का बोला या नीलू मैंने दिया है कल उन्होंने एक पार्टी रखी थी और उसमें सबको कुछ न कुछ सामान दिया या कल आप उनके घर काम करने नहीं आई थी इसलिए उन्होंने आपका सामान भेजा है । कांति ने गणेश प्रतिमा को प्रणाम किया और कहा ईश्वर तू बड़ा दयालु है । तूने मेरी सारी परेशानी एक झटके में दूर कर दिया । अब मैं धूमधाम से तेरी स्थापना करूंगी और 11 दिन तक तेरी सेवा करूंगी।
तू ऐसे ही हम दुखियों की सुनते रहना ।
और कांति ने उस लड़के को पानी दिया सामान लेकर अंदर रखा और आंखों से झर झर आंसू निकल रहे थे उनको  छिपा कर बड़े प्यार से भगवान को देखा और कहा तेरी लीला अपरम्पार है। सुबह की तैयारी मे लग गई।

अलका पाण्डेय मुम्बई

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[30/08, 8:25 am] रामेश्वर गुप्ता के के: ।अग्नि शिखा मंच। 
विषय :गणपति की स्थापना - लघुकथा।
दिनांक : 30-08-2022 

गीता की शादी के आठ साल हो गये है। भगवान की कृपा से उसके घर एक बेटी चार साल एवं एक पुत्र पांच महीने का है। 
एक दिन उसने दिन दर्शिका देखा और अपने पति सुरेश से कहा:
सुनते हो! 
इस बार हमलोग डेढ़ दिन का गणपति रख रहे है, ठीक है न? 
सुरेश ने सहमति में अपना सर हिलाकर सहमति दी और गीता से कहा :
इस पूजा लगने वाले सामान की सूची मुझे दे दो। 
गीता ने तुरंत सामान की सूची सुरेश को दे दी और कहा:
यह सामान आज ही ले आइए। हां! 
गणपति की मूर्ति मै घर पर ही बनाऊंगी। सुरेश ने ठीक है कहकर, सामान लेने बाजार पहुंच गया। 
सब सामान लाने के बाद, वह गीता से बोला:
तुम गणपति की मूर्ति बनाओ और मै उनका सिहासन एवं मंदिर बनाता हूं। 
खुशी खुशी दोनों लोग अपने काम में लग गये। 
आज गणपति पूजा का दिन है। गीता और सुरेश की मेहनत रंग लाई। गणपति जी सिहासन के साथ मंदिर में विराजमान है। 
पूजा की सभी तैयारियां हो जाने के बाद, सुरेश ने पीछे मुडकर देखा! 
सुरेश के पुराने मित्र महेश पंडित जी, उसके घर में पूजा करने के लिए पधारे हैं। सुरेश ने गीता की तरफ आश्चर्य से देखा! 
गीता ने कहा:
हां पंडित जी को मैंने पूजा करने के लिए बुलाया है। 
पंडित जी ने गणपति बप्पा मोर्या कहा और पूजा शुरू कर दी। 
स्वरचित, 
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[30/08, 10:58 am] Anita  झा /रायपुर: विषय -गणपति की स्थापना
विधा -लघुकथा 
*बालमन गन्नु की पुकार* 
कुम्हार कुम्हारिन सुबह उठते चाक पर मिट्टी के बर्तन गढ़ने बैठते ,बेटा गन्नु माता पिता को इतनी लगन मेहनत देख जब बाज़ार में बैठ देखता ! अवलोकन करता जितनी मेहनत माता पिता करते उसका मूल्य उतना नही मिलता ।गन्नु जैसा जैसा बड़ा होता गया माता पिता कहते अच्छी शिक्षा दे तुम ख़ूब आगे बढ़ो , 
तुम्हें हमारी तरह निराश ना होना पड़े ! पर जन्म से देखते आया था उसी मिट्टी से खेल तरह तरह के खिलौने बनाता माता पिता ख़ुश तो बहुत होते पर पढ़ने शहर में नौकरी करने प्रोत्साहित करते ।गन्नु पढ़ लिख शहर नौकरी करने आया ,कोरोना काल में नौकरी छूट गई गाँव वापस आया ।माता पिता का हाथ बटाते और मिट्टी की मूर्तियाँ गढ़ने लगा । दो साल में अपनी दुकान स्वरोज़गार योजना के तहत गौरी गणपति स्थापना कर अपना कार्य आरंभ किया । आज वह  गाँव के युवाओं को रोज़गार दे शहर के ताम झाम मायाजाल से मुक्त ख़ुशहाल गाँव के रूप में सरकार द्वारा सम्मानित गन्नु आसपास के गाँव के लिए प्रेरणाश्रोत बना काव्य रचना कर कहता है ।
कलाकार की कलाकृति 
से सज़ा बाज़ार है 
माया मनमोहनी देख खड़ी मुस्काये 
बालमन की आस नयनों से पुकारें 
पिता की अद्भुत कलाकृति 
नहीं किसी की मोहताज हैं 
हाँथों में ये हुनर दिया 
अनमोल रंगो से सज़ा रहे हैं 
देख मुस्कानो का मोल है 
जीवन आधार बना हाँथों का खेल 
आस बना ममता ने छोड़ दिया 
कर्म पथ पर 
बाट निहारे पूँजीपतियों की क्रय कर जाये 
ले आऊँ मुस्कानो में जीवन की गाड़ीं पथ पर 
माया का जाल बिछा है 
झूँठ की माया झूँठ की दुनिया
विघ्नहर्ता बन कर जाऊँ 
करत जगत कल्याण 
बाल मन की व्यथा 
हमारी देख रही दुनिया सारी 
माता पिता का अभिमान बन गौरवपथ बन जाऊँ 
सिद्धिविनायक साथ रहूँ 
अनमोल रतन कहलाऊ 
श्रीमती अनिता झा 
रायपुर -छत्तीसगढ़
[30/08, 11:46 am] रवि शंकर कोलते क: मंगलवार दिनांक ३०/८/२२
विधा****लघुकथा 
विषय  #*गणपति की स्थापना*#
                  ^^^^^^^^^^^

         राकेश रश्मि की शादी बड़ी धूमधाम से हो गई और 1 साल के बाद उन्हें एक छोटा बालक हुआ जिसका नाम रखा गया नीलमणि ।
           राकेश के यहां ना गणपति बैठता था ना कृष्ण भगवान की जन्माष्टमी होती थी । एक दिन रश्मि के मन में आया कि अपने यहां गणपति बिठाया जाए। उसने अपनी पती से चर्चा की और कहां हम इस साल गणपति बिठाएंगे । राकेश ने अपने पिताजी से बात कही । राकेश के पिताजी ने कहां ठीक है । पिताजी ने कहा हमने भी यह सोचा था कि हमारी बहू घर में आएगी और जब इस घर में बच्चे की किलकारी गूंजेगी तब हम भी गणपति उठाएंगे आज ये मन्नत पूरी हो जाएगी ।
             घर में गणपति बाप्पा आएंगे तो10 दिन गणपति की आराधना होगी तो घर का वातावरण पवित्र हो जाएगा आनंद की झड़ी लगी रहेगी और भक्ति प्रेम की गंगा में सब लोग नहाएंगे । 
         गणपति बाप्पा की स्थापना की गई । घर में मंगलमय  वातावरण तैयार हुआ । पांचवे दिन भजन रखा गया । सब हर्षोल्लासित हुए ।
                  महाराष्ट्र में गणपति की स्थापना की शुरुआत भारत को आजाद कराने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने इसकी शुरुआत की थी । 
        और इस प्रकार से गणराया का आगमन हुआ ।
गणपति  बाप्पा मोरया ।।
पुढच्या वर्षी लौकर या ।।
         इस जयघोष के भक्ति रंग में सब रंग जाते हैं ।

प्रा रविशंकर कोलते
     नागपुर
[30/08, 12:02 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: मंगल वार - 30/8/2022
विषय//गणपति की स्थापना, विधा - लघुकथा 

एक तीन वर्ष का बच्चा था सोनू। जब भी कोई ट्रक गुज़रता तो बहुत जोर-जोर से चिल्लाने लगता-"उसे रोको! मत जाने दो! मैं इसको मार डालूँगा। ड्राइवर को कुचल कर मार डालूँगा। धीरे-धीरे यह गुस्सा और भी बढ़ाता गया। घर वाले बड़े परेशान थे। समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है?  

थोड़ा बड़ा हुआ तो उसके घर वालों ने बैठा कर पूछा कि बेटा क्या बात है? ऐसा क्यों करते हो? 
तब वह बोला "ट्रक वाले ने मुझे पिछले जन्म में कुचला था इस कारण मैं भी इसे कुचल कर मारूँगा। 

उसके घरवालों ने डॉक्टर और पहचान वालों को इस परेशानी के बारे में बताया। तब एक पहचान वाले ने कहा कि आप घर में गणेश जी की मूर्ति बनाओ और उनकी घर में पूजा करो। देखना आपका बेटा पिछली बातें भूल कर नॉर्मल बच्चों जैसा व्यवहार करने लगेगा।

घर वालों ने गणेश की मूर्ति को अपने हाथों से बनाया और बड़े प्यार से उनको स्थापित किया। रोज़ श्रद्धा से पूजा की, प्रसाद चढ़ाया और आरती की।

पूजा करते धीरे-धीरे वह बच्चा अपनी पुरानी बातें भूल कर वर्तमान में जीने लगा।

जैसे उनकी मनोकामना को पूर्ण की वैसे ही भगवान सबकी मनोकामना को पूर्ण करे।

वैष्णोखत्रीवेदिका
[30/08, 12:27 pm] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
*मांँ शारदे को नमन*
विधा:-- *लघु कथा*
शीर्षक:-- *गणपति की स्थापना*

बोकारो स्टील प्लांट के एरिया के आसपास छोटे-छोटे गाँव है। बोकारो स्टील अपने टाउनशिप को विकास करने लगे तो स्वाभाविक रूप से छोटे-छोटे गांव भी विकास होने लगा। उसी में एक गांव के एक नौजवान बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम शुरू किया। अपनें पूर्वजों के जमीन पर ही बिल्डर्स का काम करने लगे। कंपनी का नामकरण में ध्यान रखा अपने पूर्वजों के नाम को। नामकरण किया श्री गणेश बिल्डर और
उसने पहले मंदिर बनाकर श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना किए उसके बाद कार्यालय बनाया मंदिर की पूजा स्थानीय पंडित से कराने लगा गणपति बप्पा के कृपा से पीछे मुड़कर नहीं देख रहा है। हमारे सनातन धर्म में प्रथम पूज्य गणपति बप्पा है। अतः यह ध्यान में रखते हुए,जो भी व्यक्ति डुप्लेक्स या फ्लैट खरीदते हैं उनके गृह प्रवेश के समय में गणेश की मूर्ति भेंट करते हैं कहते हैं प्रथम पूज्य गणपति बप्पा है।इनकी पूजा अर्चना करें, इसी शर्त पर मैं अपना व्यापार करता हूं।अगर आप सहमत हैं तब मैं देंगे। खरीदार  *हाँ* कहते हैं उन्हें ही देते हैं।
कल से हमारे प्रोजेक्ट जहां मेरा निवास स्थान है। वहां पर 10 दिन तक गणपति बप्पा की पूजा अर्चना में सभी नगर वासियों सम्मिलित होते हैं पूरा आनन्द मय होते हैं।सभी खर्चा हमारे बिल्डर उठाते हैं।
*जहा गणपति बब्बा होंगे वहाँ कोई विध्न नही होगा।।* 

यह सत्य पर आधारित लघु कथा है।।

विजयेन्द्र मोहन।
[30/08, 3:13 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: (लघुकथा)
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गणपति जी की स्थापना
🙏🙏🙏🙏🙏🙏 
        मनोहर दौड़ा-दौड़ा अपनी मां के पास आया और हांफता हुआ ,मां से बोला , "मां इस बार अपन भी गणेश जी को घर लाएंगे, उनकी धूमधाम से पूजा करेंगे ,तुम रोज प्रसाद बनाना ,मेरे सारे मित्र आरती में आएंगे और आरती गागा कर पूजा करेंगे ,सब आनंद से प्रसाद खाएंगे।
          गणपति बप्पा    मोर्या ,मंगलमूर्ति मोर्या, बोलो गजानन महाराज की जय, की गूंज से अपना घर गूंज उठेगा ।मां बेटा बहुत खुश हुए।
          मनोहर और उसके मित्रों ने मिलकर, घर पर ही गणेश जी की 1 फुट ऊंची मिट्टी की सुंदर  सी मूर्ति बनाई ।उसे सुंदर रंगों से रंगा, साथ में उनका वाहन चूहा भी बनाया ।गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित कर प्रतिदिन सुबह-शाम श्रद्धा से पूजा अर्चना करते रहे। अडोसी - पड़ोसी आरती में आ जाते थे । बड़ी रौनक हो जाती थी। घर  जयजय कार से गूंज उठता था। आलोकित हो जाता था। 
        गणेश जी तो हैं, ही, विघ्न विनाशक ।दुखों को हरने वाले। सुख शांति और आनंद देने वाले ।मां अच्छा-अच्छा प्रसाद बनाती सब आनंद से खाते ।पूरे 10 दिन सब ने मिलकर गणेश जी की खूब सेवा की ।सबको बहुत आनंद आया ।दसवे दिन सब बच्चों ने मिलकर घर के बड़े से टब में गणेश जी को विसर्जित किया। गणपति बप्पा मोर्या ,पुढच्या वर्षी लौवकर या ,के जोर-जोर से नारे लगाए और हर साल गणेश जी की स्थापना करने का सब ने मिलकर संकल्प ले लिया। तो ऐसी हुई मनोहर के घर में गणेश जी की स्थापना और पूजा अर्चना।
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डॉ.आशालता नायडू.
मुंबई.महाराष्ट्र.
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[30/08, 5:21 pm] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: विषय//गणपति की स्थापना
🌺विधा - लघुकथा 

दो दिन पूर्व शाम को कॉलबेल बजी। दरबाजे पर गया। देखा राजेश के साथ एक लम्बा सांवला सा लड़का। कुछ कुछ पहचाना सा किन्तु नाम याद नहीं आ रहा। उत्साह के साथ वेलकम किया और बैठाया। पत्नी को आवाज दी – अरे देखो कौन आया है। सोचा शायद पत्नी को याद आ जाय। वह बाहर आई बोली -अरे ब्रज किशोर। क्या हुआ रास्ता भूल गये क्या। नहीं आंटी जी रास्ता भूला नहीं, रास्ता खोजा हूँ। कल, राजेश भैया से आपके बारे बात हो रही थी। इसी ने बताया- वे तो यहीं रहते हैं, चलना हो तो चलो मिलवा दूँ। बस आप लोगों के दर्शन की आकांक्षा मुझे खींच लाई। 
कुछ इधर उधर की बातें होने लगीं। पिताजी कैसे हैं, मम्मी कैसी है। बहनों का क्या हाल है। तुम्हारे बाल बच्चे कैसे हैं। उसने सब कुछ बताया। 
बात बात में उसने कहा- सर जी, आंटी जी, 31 अगस्त को मेरे नये घर पर गणेश पूजा है। आपको सपरिवार आना है। मैं हर साल पूजा करता हूँ। मुझे पता नहीं था कि आपने यहीं घर बना लिया है नहीं तो मैं बहुत पहले ही आपको बुलाता। आज राजेश से पता चला है। राजेश मेरे बड़े बेटे का जिगरी दोस्त है। दोनों ही मेरे छात्र हैं। 
ब्रज किशोर एक प्लम्बर का लड़का है। बहुत सुशील, मिलनसार और धर्म परायाण। एक प्राइवेट कम्पनी में मार्केटिंग का काम देखता है। 
स्कूल में गणेश पूजा होती थी । मैं पूजा की सारी जिम्मेदारियाँ संभालता था। मूर्ति मंगाने, स्थापित करने, पूजा करवाने से लेकर विसर्जन तक का सारा काम। ब्रज उसमें बढ़ चढ़कर भाग लेता था। एक बार मैंने बच्चों को बताया - गणेश जी विद्या और बुद्धि के देवता हैं। तुमने चित्रों में देखा होगा लिखने के लिए कागज उनके सामने रखे रहते हैं। वे सबसे तेज लिखने में माहिर हैं।  वेद व्यास ने महाभारत लिखने के लिए उन्ही को नियत किया था। वैसे भी किसी काम को प्रारंभ करने को श्रीगणेश करना कहा जाता है। पूजा चाहे किसी की भी हो गणेश जी को सर्व प्रथम स्थापित करके उनकी स्तुति की जाती है। 
वक्र तुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।।
तब से ब्रज ऐसा प्रभावित हुआ कि गणेश की पूजा हर वर्ष अपने घर पर करने लगा। और अब तक करता आ रहा है। उसका कहना है कि उनकी कृपा से मेरा कोई कार्य कभी नहीं रुका। मैंने जो मांगा वही मिला। 
और कल यानी 31 अगस्त को उसके यहाँ गणेश जी की स्थापना है। मुझे सपरिवार कल उसके यहां जाना भी है। मैं व्यस्त रहते हुए भी उसके अनुरोध को टाल नहीं सका। 

© कुंवर वीर सिंह मार्तंड , कोलकाता
[30/08, 5:30 pm] Chandrika Vyash Kavi: नमन मंच 🙏
दिनांक -30/8/2022
 गणपति स्थापना 
 बाल गणपति (लघुकथा) 

अनु ने प्यार से कहा- "बाबा इस समय बाल गणपति स्थापित करेंगे! दोनों गाल में डिंपल वाले ...कहते हुए वह बाबा की तरफ देखने लगी " !
"पिता ने 7-8 साल की अनु को प्यार से कहा ठीक है... रात हो गई  है जल्दी सो जाओ, सुबह गणपति लाना है ना! 

 कल गणपति है! अनू बहुत खुश थी!  देर रात तक वह सोई नहीं! नींद आते ही उसने सपने में देखा! 
शिवनंदन पिता की गोद से उतर नहीं  रहे हैं! कहने लगे... 

"पिताजी मैं पृथ्वी  लोक में बड़े  रुप में नहीं  जाना चाहता " ! 
भोलेनाथ  ने कहा... "हे देवी सुत , हे विघनेश्वर ....आखिर तुम एैसा क्यों कह रहे हो" ?

"पिताजी मैं  बडा नहीं  बनना चाहता...... वहां पृथ्वी लोक में सभी मेरी पूजा अर्चना करते हैं! मुझे और मेरे मूषक राज को रोज खाने को लड्डू देते हैं! यह सब तो ठीक है कितुं मेरे यहाँ आने के दिन पूरे होते ही बडी बडी मूर्ति के रुप में जब मुझे विसर्जित करते हैं ... मुझे जोर से पानी में  गिराते हैं... मुझे बहुत डर लगता है साथ ही दर्द भी होता है , और लोगों की बातें भी सुनने को मिलती है की  गणेश जी के विसर्जन से पूरा तालाब प्रदूषित हो गया ! मुझे बहुत बुरा लगता है ! मै तो विघ्नहर्ता  हूं न पिताजी? 
तो ....भला मैं कैसे किसी को नुकसान पहुंचा सकता हूं " !
"पिताजी मैं  अब से बाल रूप में  ही रहना चाहता हूं! 
गणेश जी ने अपनी बात जारी ही रखी! 
पता है पिताजी पृथ्वी लोक में  तो अब गोलगप्पे से गणपति बनाकर मुझे बच्चे का रूप दिया है! और तो और फिटकरी से भी मुझे बनाया है!  मूर्ति में इतना सौंदर्य...... मेरे दोनों गालों पे डिम्पल  भी है!  सभी मेरा सौंदर्य देख मुझे गोद में  लेकर घर आते हैं! विसर्जन के वक्त भी मुझे गोद में  लेकर विसर्जित  करते हैं!  मुझे  कोई दर्द नहीं  होता और पानी भी स्वच्छ रहता है" !
'हां पिताजी इस वक्त तो मैने देखा पेड़ों पर भी  मुझे आंका गया है! न तो खाने को मोदक और न ही विसर्जन..... 
मोदक की जगह भोग में  पानी दिया जा रहा था! 
मैं बडा खुश था... जो कार्य मैं बडा बनकर न कर सका वह मैने बाल्य रूप में कर दिया !
सभी  कह रहे थे इस समय बप्पा ने हमें बुद्धि  देकर पर्यावरण को दूषित होने से बचाया है' !
सभी तरफ से आवाजें आ रही थी.... गणपति बप्पा मौर्या.... मंगल मूर्ति मौर्या
आवाज सुनते ही अनु की नींद खुल गई  उसने देखा डिंपल वाले गणपति घर पर स्थापित थे! 

चन्द्रिका व्यास 
खारघर नवीमुंबई
 मोबाइल -8108383964
[30/08, 5:38 pm] रागनि मित्तल: जय मां शारदे
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 अग्निशिखा मंच
 दिन- मंगलवार दिनांक ग30/8/2022 लघु कथा 
प्रदत्त विषय- *गणपति की स्थापना*

 राधा ने बचपन से ही गणपति के उत्सव को देखा था। वह हमेशा यह बोलती कि जब मेरा भी बेटा होगा तो वो गणपति स्थापना के दिन ही होगा। उसकी बात को सभी ने अनसुना कर दिया। सोचा कि यह बालपन में बात कह रही है।
            समय बीतता गया उसकी शादी हो गई। अब राधा के दो बेटे है। जब वह गर्भवती होती तब भी यही कहती थी कि मेरे यहां तो गणेश चतुर्थी के दिन ही गणपति आएंगे।
          पहली बार उसके मां बनने का समय पास आ गया।  अभी गणेश चतुर्थी आने में 15 दिन थे। सभी ने कहा 15 दिन अभी बहुत दूर है। इसका समय पूरा हो गया है ।इसलिए अब इसे अस्पताल ले जाना चाहिए। उसको काफी तकलीफ हुई। अस्पताल लाया गया। तीन-चार दिन तक वह परेशान रही, लेकिन डिलीवरी नहीं हुई। तब परेशान होकर डॉक्टर बोले- अब इसका ऑपरेशन करना होगा।
             डॉक्टर के यह निर्णय लेते ही थोड़ी देर बाद उसके पेट का दर्द समाप्त हो गया। और वह बिल्कुल सामान्य महसूस करने लगी। फिर करीब दस दिन बाद फिर से दर्द हुआ। जब वह अस्पताल पहुंची तब भी एक दिन जूझने के बाद ठीक गणेश चतुर्थी गणेश स्थापना के दिन उसके यहां बेटे का जन्म हुआ ।
         ऐसा ही दूसरे बेटे में हुआ दूसरे बेटे के समय आठ में माह में ही *गणेश स्थापना* का दिन आ गया और उसका दूसरा बेटा आठमाह मे ही गणेश चतुर्थी के दिन हो गया।
             यह राधा की विश्वास और भक्ति का ही फल था कि उसे दोनों बेटे गणेश जी के रूप में *गणेश स्थापना* के दिन ही प्राप्त हुए।
 
रागिनी मित्तल 
कटनी ,मध्य प्रदेश
[30/08, 5:54 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: गणपति की स्थापना ( लघुकथा) --- ओमप्रकाश पाण्डेय
अरे गोपाल तुम्हारे शरीर में इतना मिट्टी कैसे लगा है? तिवारी जी ने अपने बेटे गोपाल को मिट्टी लगे कपड़े में  देख कर पूछा. पापा मैं अगले सप्ताह  गणपति बप्पा बैठने वाला हूँ . तो मैं अपने दोस्तों के साथ स्वयं मिट्टी से गणेश जी बना कर घर में स्थापित करुंगा. तिवारी जी बोले इतना मेहनत क्यों कर रहे हो, बाजार में एक से एक बढ़िया गणेश जी की मूर्ति तो मिल ही जाता है. मुझसे पैसा ले लो और जा कर खरीद लेना.
तिवारी जी की बात सुन कर गोपाल बोला नहीं पापा. इस वर्ष हम सब दोस्तों ने निश्चय किया है कि हम सब गणपति बप्पा की पूजा पूरी तरह घर में ही बने वस्तुओं एवं प्रसाद से करेंगे. फूल और कुछ अन्य चीजों को छोड़कर , सब कुछ घर का ही होगा. माँ रोज प्रसाद बना देगी. गणपति बप्पा की पूजा में कोई  दिखावा नहीं. केवल श्रद्धा और भक्ति से हम सब गणपति बप्पा की पूजा करेंगे.
( यह मेरी मौलिक रचना है ----- ओमप्रकाश पाण्डेय) 
30.08.2022
[30/08, 6:39 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: अग्निशिखा मंच 
विषय- गणपति की स्थापना (लघुकथा)

 मिट्टी के गणपति हैं सात्विक 

" मां चलो जल्दी से, गणपति जी खरीद लाएं। गणेश चतुर्थी आने वाली है ।"चुन्नू ने खुश होते हुए कहा।
"नहीं बेटा, इस बार मैंने घर पर ही गणेश जी बनाए हैं। अपने बगीचे की मिट्टी से तैयार किया है। देखोगे?"
 "हाँ माँ दिखाइए।यह तो बहुत सुंदर गणेश जी हैं।आपने कब बनाए?"
" बेटा, इस बार किटी में गणेश बनाने का प्रशिक्षण दिया गया था, वह मैंने सीख लिया। घर में छोटे-छोटे कपड़े पड़े थे, उनसे गणेश जी की पोषाक बना दी है, और देख यह गणेश जी का मुकुट।"
" मां अपने इतने सुंदर गणेश जी बनाए, अब हम बाजार से नहीं लाएंगे। माँ गणेश जी का मूषक कहां है?"
" देख, वह भी बनाया है। अब गणेश जी को पाटे पर बिठा देंगे, और रोज घर का बना नैवेद्य प्रसाद में चढ़ाएंगे।"
       माँ,यह तो बहुत अच्छी बात है।"
 मां ने बहुत प्यार से चुन्नू को समझाया-" बेटा अपनी मेहनत से बनाए गणेश जी से विशेष प्यार हो जाता है। घर की मिट्टी, घर का कपड़ा, गोटा- सितारा भी घर का।"
 चुन्नू खुशी से उछलता हुआ बोला-" मेहनत हम सबकी।"
" हां बेटा, गणेश जी हम पर कोई विघ्न आने ही नहीं देंगे। चलो पूजा का समय हो गया है।"

डॉक्टर अंजुल कंसल "कनुप्रिया"
30-8-22
[30/08, 6:55 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन

आज की विधा *लघुकथा*

शीर्षक  *गणपति की स्थापना*

     "अरे रमेश इस साल अपने शिवाजी गणेश मंडल का (सिल्वर जुबली)रौप्यमहोत्सव है सभी सदस्यों की बैठक हुई गणेश की मूर्ति आर्डर दे दिया। हिराचंद सेठ ने पंच्चीस हजार का चंदा दे दिया। चंदा भी अच्छा हुआ सभी कार्यकर्ताओं ने बडा सा पेडांल में गणेशजी की मुर्ति की स्थापना की गणेशजी गाणे बज रहे थे। तिसरे दिन में गणेशजी रंगबिरंगे लाईटिंग चल रही सजावट कर मंडल कार्यकर्ता अरविंद को जोर बिजली का झटका लगा दस फीट सिढी  से धड़ाम से गिर गया।
       अरविंद को अस्पताल ले गया, कोमा में चला गया सभी कार्यकर्ता खुशियों की धुन में थे।
बाप्पा को सब लोग मन्नतें मांग रहे थे। बाप्पा का चमत्कार हुआ अरे, अरविंद को होश आया अरविंद की जान बच गयी यही है बाप्पा का चमत्कार सभी ने कहा " जाको राखे साइयां ,मार सके ना कोई इसको बोलते आज वह घटना दस साल हूए। बाप्पा की कृपा से अरविंद को पाच साल बच्चा है उसका नाम गणेश है। अरविंद के घर में गणेशजी स्थापना होती है मंडल के कार्यक्रम दस दिन अरविंद बाप्पा की सेवा करता है।

सुरेंद्र हरडे
नागपुर
दिनांक ३०/०८/२०२२

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