जय कन्हाया लाल की
जय कन्हैया लाल की
हाथी घोड़ा पालकी।।
घनघोर घटा छाई
रात अंधियारी आई।।
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया काली काली घटाएं उमड़े।।
माता देवकी छटपटाई
गोदी में आया कान्हा राजा ।।
कारागृह के ताले टूटे
खुश हो गई मां की देवीकी ।।
रो-रो कर बोली मेरे बेटे को बचाना दूर ।।
यहां से ले जाना वासुदेव ने उठाया कान्हा।।
रखा शीश पर कारागृह के बाहर आए।।
यमुना ने लिया उफान वासुदेव के नंदन का करने लगी वह वंदन।।
गोकुल को आए जब
माता यशोदा के बाजू में नंदलाला लिटाया
लोरी मीठी सुनकर मंद मंद मुस्काए कन्हा ।।
शीश पर सुंदर मुकुट सोहे
पाव बजे पैजनिया
ठुमक ठुमक कर कदम जब रखे कान्हा ।।
मां यशोदा हर्षित हो जाय
डाला तब डाली पर झूला नंद बाबा को झुलाया।।
कान्हा ने अपनी लीला दिखाई
ग्वाल बाल के संग में गईया चराए ।।
गोप गोपियों को खूब सताया शेषनाग को नाथा
शेषनाग के शीश पर करते ता,था, थैया ।।
सारे लोग हुए खुशहाल
शीश पर उनके मोरपंख सोहे।। बाकी चितवन सबको मोहे कहलाते माखन चोर।।
कहलाते राधा के कान्हा
दोनों हाथ माखन
चोरी कर माखन खाते चटकारे लेकर
माखन मिश्री उनको बहुत भाता।।
गोपियां जब उलाहना लेकर आती
माता के पल्लू में छुपते।।
मैया पकड़ती जब कलाई
मोहन तब भोली सूरत बनाते।। मैया से कहते मुझे फांस रही है गोरी
मां यशोदा हंसती कान्हा को प्यार करती ।।
नाना रूप धरा कृष्ण ने
अर्जुन को दिया उपदेश ।।
द्रौपदी की लाज बचाई
बोलो हाथी घोड़ा पालकी
जय कन्हैया लाल की।।
अलका पाण्डेय
ब्रज किशोरी त्रिपाठी: *श्याम प्रेम सांचा*
***************
मैं श्याम संग रम जाती हूं।
मैं कान्हा को गीत सुनाती हूं।
जहां ले जाते कान्हा मेरे,
वहीं वहीं चली जाती हूं।
सबके मन में कान्हा बैठे,
सब को शीश झूकाती हूं
मै कान्हा।।।।
जितने है जिव जन्तु मैं सब,
से प्रेम निभाती हूं।
नहीं नफरत किया किसी से,
प्यार के गीत ही गाती हूं
मैं कान्हा ।।।।।
जैसा करोगे वैसा भरोगे,
जगत की यह रीत है।
कुंए में झाक के बोलो,
शब्द लौट के आता है।
इसी से मैं सब से प्रेम से
मिलती सबसे प्रेम ही पाती हूं
,मै कान्हा को।।।।
दर्पण में भी शक्ल तुम्हारी,
जैसा है वैसा ही दिखाता है।
सरल स्वभाव करो तुम सब, से कभी किसी का अपकार
न कर।
प्रेम दिवानी सारी दुनिया,
अपने मन में प्रेम बसाती हूं।
मैं कान्हा।।।।
स्वरचित
बृज किशोरी त्रिपाठी
गोरखपुर यू,पी
[26/08, 8:32 am] रामेश्वर गुप्ता के के: ।जय कनैइहा लाल की।
जन्म अष्टमी का दिन है,
गूंज कनैइहा लाल की है।
आधी रात जन्म लिया है,
घर में गूंज लाल की है।।
जन्म....................... 1
नंदबाबा के लाल भये है,
घर में गूंज लाल की है।
यह नंदलाल अनोखा है,
देवकी जाये यह लाल है।।
जन्म....................... 2
द्वापर युग के कृष्ण कनैइहा,
प्रेम की लीला अवतार है।
राधा कृष्ण की जोड़ी साजे,
बृज का हो गया उद्धार है।।
जन्म........................ 3
पवित्र भूमि यह वृंदावन है,
कृष्ण लिया यहां अवतार है।
संग गोपी के संग लीला करें,
नाम से हुआ बेड़ा पार है।।
जन्म........................4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[26/08, 9:04 am] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
*मांँ शारदे को नमन*
विधा:-- *भक्ति गीत*
शीर्षक:-- *जय कन्हैया लाल की!!*
काली अंधेरी रात थी,
सब ओर था अंधकार ।
माँ देवकी पिता वासुदेव,
प्रतिक्षा कर रहे थे ।।
प्रकट हुआ जगत विधाता,
निराकार ने साकार रूप धराया।
टूट गई दोनों की हथकड़ी बेड़ियाँ,
माता-पिता को विराट रूप दिखाया।।
अगले ही पल शिशु बन गए,
बच्चे के रुदन से देवकी घबराई।
माया का पर्दा डाल दिया,
द्वारपाल को बेसुध सुला दिया।।
आकाशवाणी हुई बालक को ले जाओ,
नंद यशोदा के घर गोकुल में पहुँचा दो।
मूसलाधार बरसात अंधेरी रात थी,
टोकरी में लेटा कान्हा को चल दिए।।
कालिंदी उफान पर आ गई ,
चरण छूने के लिए अकुला गई।
चरण स्पर्श कर रास्ता बना दिया,
शेषनाग ने फन से छाता बना दिया।
सबके ऊपर निद्रा का पहरा था,
भयानक रात और अंधेरा गहरा था।
माता यशोदा के पास पालने में सुला दिया,
और वहाँ से बच्ची माया को उठा लिया।।
लौट आए वासुदेव जेल में,
बेड़ियाँ हाथों में पड़ गई।
जेल के फाटक बंद हो गए,
पहरेदार जाग गए।।
तीनों लोकों का स्वामी है,
जग का है ये पालनहार।
इनकी लीला ये ही जाने,
ये तो है जग का करतार ।।
कैसा -कैसा रूप दिखाया,
लीला है इनकी अपरंपार।
भाद्रपद की अष्टमी की रात,
धारण किया मनुज अवतार।।
विजयेन्द्र मोहन।
[26/08, 9:24 am] Nirja 🌺🌺Takur: अग्नि शिखा मंच
तिथि- २५-८-२०२२
विषय - भक्ति गीत कृष्ण
भाद्रपद महीना रोहणी नक्षत्र,अष्टमी थी तिथि,दिन बुधवार घनघोर अंधेरा छाया था ,उजाले से भर गई जेल, जब जन्म मोहन ने लिया था
हो रही थी बारिश मूसलाधार
चारों ओर जल थल हो रहा था
चमत्कार हुआ खुलीं बेड़ियां खुले दरवाजे पहरेदारों को नींद तो आना ही था
पिता चले गोकुल की ओर
टोकरे में कृष्ण को सुलाया था
किसी भी तरह निर्दयी कंस से
लल्ला की जान बचाना था
यमुना ने पैर छुए और दिया रास्ता
शेषनाग को फन से छत्र बनाना था
यशोदा ने सुंदर सी बेटी जाई
कन्हैया को उसकी जगह सुलाना था
सर्वत्र खुशियॉं छाईं, नंदलाल के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
घर घर गाॅंव गॉंव में गूंज उठा ये जयकारा था
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा मुंबई महाराष्ट्र
[26/08, 10:58 am] वैष्णवी Khatri वेदिका: अंगना में खेले रे कन्हाई।
अंगना में खेले रे कन्हाई।
बलैयां ले कान्हा की माई।
हर रूप की लीला अद्भुत।
प्रेम को करते परिभाषित।
कीर्तिमान किये स्थापित।
जग तेरे रंग डूबा कन्हाई।
यशोदा माँ दुलारे कान्हा।
भोलेपन से भरे हैं कान्हा।
माँ का लाडला है कान्हा।
ईश्वर का अवतार कान्हा।
श्याम रंग विचारे कन्हाई।
हर ओर दृष्टव्य है कान्हा।
तेरी प्रीत न मिले कान्हा।
मन-पावन कर दे कान्हा।
नाम जपूँ मैं तेरा कान्हा।
वहीं चारों धाम कन्हाई।
नन्द रानी के हो दुलारे।
नन्द की आँखों के तारे।
ग्वाल बाल सब पुकारे।
राधा रानी के हो प्यारे।
चाँद-सी हँसी कन्हाई।
राधा-सा तेरा हो जाऊँ।
मीरा जैसे मैं रम जाऊँ।
तुम पर मैं वारी जाऊँ।
हर अदा पे बलि जाऊँ।
जन्माष्टमी मेरे कन्हाई।
वैष्णो खत्री वेदिका
[26/08, 12:16 pm] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: 🌺विषय / भक्ति गीत/कृष्ण या
हाथी घोड़ा पालकी
जय कन्हैया लाल की।
जय हो मां जशोदा की, जय हो बाबा नंद की
गोकुल में धूम मची, जय हो आनंद की।
जय हो तात मात की जय हो बृज भाल की।
हाथी घोड़ा पालकी। जय कन्हैया लाल की।
बाज रहे ढोल और नाच रहे लोग हैं।
दे रहे दुहाई लोग बांट रहे भोग हैं
जय हो बृज धाम की, जय हो ग्वाल बाल की।
हाथी घोड़ा पालकी। जय कन्हैया लाल की।
हाथी नाचें घोड़ा नाचे नाच रही गाएं भी
बछड़े भी नाच रहे, खुशियों से रंभायें भी।
नाचते कहार खूब नाच रही पालकी।
हाथी घोड़ा पालकी। जय कन्हैया लाल की।
© कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता
[26/08, 12:43 pm] रवि शंकर कोलते क: शुक्रवार दिनांक २६/८/२२
विधा****भक्ति गीत
विषय***#***कृष्ण भजन***#
^^^^^^^
ओ कान्हा तूने सुधबुध मोरी हरली ।।
जैसे राधा हुई बावरिया
सुन सुन के मधुर तेरी मुरली।।धृ
तेरा सहारा मिल जाए तो ।
आत्मानंद का धन पाय वो ।।
शरण तुम्हारे जो आया,
उसकी झोली भरली ।।१
हाथ जो रखा तूने सर पे ।
चैन मिला बस तेरे दर पे ।।
मैं हूं किस्मत वाला ,
मुझपे किरपा करली।।२
शबरी अहिल्या गणिका नारी ।
सबको तुमने उस पार उतारी ।।
गीता में जो राह बताई,
वो राह मैंने पकड़ली है।।३
मोर मुकुट हे पीतांबर धारी ।
तू गोकुल का बांके बिहारी ।।
बेड़ा पार किया उसका,
जिसने बिनती करली ।।४
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[26/08, 1:43 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: जय कन्हैया लाल की
जय बोलो भगवान की, जय कन्हैया लाल की ।
भाद्रपद के महीने में, रोहिणी नक्षत्र में, अष्टमी की तिथि में , कंस के जेल में
जन्मे थे श्री कृष्ण, लिया अवतार करने, सकल सृष्टि का कल्याण।
जन्म दिया, देवकी मैया ने, पाला पोसा , यशोदा माता ने, वासुदेव ने पहुंचाया गोकुल , और वे बन गए नंदकिशोर।
अन्याय पर , न्याय की विजय , दिलाते रहे, जनकल्याण कर, जन-जन के मन में, बसते रहे ।
गोपियों संग, रास रचाते रहे , राधा को, हृदयासन पर बिठाते रहे, ग्वाल बाल संग, खेलकूद कर, खूब माखन चुरा चुरा कर, खाते रहे।
सबका मन बहलाते रहे,
सबका मन हर्षाते रहे,
जय बोलो भगवान की जय कन्हैया लाल की।
********************
डॉ. आशालता नायडू.
मुंबई. महाराष्ट्र.
********************
[26/08, 1:50 pm] रागनि मित्तल: जय माँ शारदे
अग्नि शिखा मंच।************
कृष्ण-राधा गीत
**********
सावन का महीना घटाएं घनघोर।
आजा कृष्ण मुरारी राधा ढूंढ चारों ओर ।
सावन आया,तुम नहीं आए ,
झूले पड़े कौन झूला झुलाए,
सूना पड़ा है झूला और सूनी उसकी डोर ।
आजा कृष्ण मुरारी राधा ढूंढे चारों ओर।
सावन का महीना--------
नथनी बिंदिया मन नहीं भाऐ,
तब ही सजू कान्हा जब तू सजाए ,
याद आ रहा मुझको तू कितना नंदकिशोर ।
आजा कृष्ण मुरारी राधा ढूंढ चारों ओर।
सावन का महीना-------
तुझ बिन है ये गऊएं प्यासी,
चारों तरफ कान्हा छाई उदासी,
चैन चुरा कर मेरा कहां छुप गया है चित चोर ।
आजा कृष्ण मुरारी राधा ढूंढे चारों ओर।
सावन का महीना----
सुनकर के राधा की बत्तियां ,
फाटन लागी कान्हा की छतियां,
छोड़ के मुरली बंसी दौड़े नंदकिशोर ।
कहां हो राधा रानी तेरा आया है चित् चोर।
सावन का महीना घटाएं घनघोरआ गए कृष्ण मुरारी राधा ढूंढ राधा झूमे चारों ओर।
रागिनी मित्तल,
कटनी,
मध्य प्रदेश।
[26/08, 1:59 pm] मीना कुमारी परिहारmeenakumari6102: राधे कृष्णा
*****************
कान्हा कान्हा रटते-रटते
हो गयी रे बावरिया
सिर मोर मुकुट पे बलिहारी जाऊं
तेरी मुरली की धुन सुन नाचूं गाऊं
सुनो मेरी प्यारी राधा रानी
करता हूं तुमसे आज ये वादा
तेरा साथ कभी ना छोड़ूंगा
तुझे छोड़ दूर नहीं जाउंगा
तेरे बिना ओ राधा रानी
मोहे लागे सारी दुनियां बेगानी
वृन्दावन की पुष्प बन जाऊं
प्रेम की माला में सज जाऊं
खुशबू ऐसी बिखराऊं कि मैं मधुवन बन जाऊं
ओ मेरी राधिके! अमर हमारा प्यार
देख हमारे प्यार को दुनियां याद करेगी
मेरे रोम -रोम में बस जाओ कान्हा
मेरे जीवन की बगिया को चंदन सा महकाओ
डॉ मीना कुमारी परिहार
[26/08, 2:49 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: मेरे कान्हा --- ओमप्रकाश पाण्डेय
देवकिनन्दन वासुदेव पुत्र मेरे
कारागार तो था तेरा पहला घर
धन्य कियो जमुना माँ को
स्पर्श करके जल को उसके
तूं तो है दयानिधान
मेरे प्रभु....... 1
दियो सुख पुत्र का मईया यशोदा को
नन्द को धन्य कियो उनके गोद में खेल के
गोपन संग की बाल लीला कन्हैया
राधा संग रास रचायो बृन्दावन में
धन्य हुआ गोकुल
जय कन्हैया लाल की ........ 2
गोपिन संग गाय चरायो गोकुल में
झूला झूल्यो कदम की डाली पर
माखन खायो चुरा चुरा कर गोकुल में
नाग कालिया को नाथ्यो जमुना में
मैं तो जय जयकार करूँ
अपने राधेश्याम की ........... 3
गोकुल की रक्षा करने हेतु कन्हैया
उठाय लियो गोवर्धन पर्वत को
अपनी कानी ऊंगली पर हंसते हंसते
देवराज इन्द्र का घंमड कियो चूर चूर
जय जय हो
गोवर्धनधारी की......... 4
( यह मेरी मौलिक रचना है ----- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[26/08, 3:10 pm] निहारिका 🍇झा: नमन अग्निशिखा मंच
विषय;-कृष्ण जन्मोत्सव
विधा;-भक्ति आराधना
घर घर बजे बधाई जन्मे किसन कन्हाई।
झूम रहे हैं गोपी ग्वाले
खुशियों के दिन आने वाले।
दैत्य राज का होगा अंत
घर घर छायेगा आंनद।
हुई मगन हैं यशोदा मैया
झूमें नँद बाबा।।
भीड़ लगी है नँद के घर में
देते सभी बधाई
ग्वाल बाल सँग झूम रहें
गोकुल के नर नारी।।
घर घर बजे बधाई
प्रगट हुए जो कन्हाई।।
निहारिका झा
खैरागढ़ राज.(36 गढ़)
[26/08, 4:23 pm] 💃💃sunitaअग्रवाल: शीर्षक__ब्रज की होली
विषय ___ब्रज मै होली खेलत नंदलाल
ब्रज में होली खेलत नन्दलाल
गोकुल में मच रहा धमाल,
बरसाने वाली राधारानी दिखा रहीं कमाल
राधा संग सखीयन उड़ाए रही गुलाल
कान्हा भी संग ग्वाल बाल हिल मिल गाए रहे फाग ___२
ब्रज में होली खेलत नंदलाल
हर चेहरा नजर आए रहा लाल लाल
ब्रज में मचा है होली का धमाल
ब्रज में होली खेलत नंदलाल
देखो कैसा सरस रंग बरस रहा
कान्हा डाल रहे जो रंग
बरसाने वाली राधारानी वृषभानु की दुलारी
झूम झूम के नाच रही दिवानी
स्नेह, प्यार वात्सलय सद्भावना समर्पण इन्ही रंगों से भीगा सारा ब्रज महान
ब्रज में होली खेलत नंदलाल
केसर चंदन सा होली का त्यौहार
रंग बिरंगी सतरंगी वसुन्धरा का गजब निखार ,
फागुन की मस्ती में उड़ रहा गगोपियों की ले पिचकारी
मतवारि राधा को भिगो दिया
नही छुपी राधा, ना भागी राधा
भीगती रही राधा , भिगोते रहे कान्हा
प्रेम रस मे डूबे राधा और कान्हा
ब्रज में होली खेलत ____
कारे कारे कान्हा गौरी गौरी राधा
राधा रानी ने कर दिया लालम लाल
ब्रज में होली खेलत नंदलाल
गोकुल में मच रहा धमाल
फाग की मस्ती में उड़ रहा गुलाल____२
सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश स्वरचित 🙏🙏
धन्यवाद
[26/08, 5:03 pm] पुष्पा गुप्ता / मुजफ्फरपुर: 🌹🙏अग्नि शिखा मंच
विषय: चित्र आधारित रचना
दिनांक:26/8/22
========================
जय कन्हैया लाल की
गोकुल के ग्वाल की,,,,,
भोला - भाला नंद का लाला
माखन मिश्री खाए रे ,,,,,
बाँसुरी की मधुर तान पर
मंद- मंद मुस्काए रे ,,,,
जय कन्हैया लाल की
गोकुल के ग्वाल की ,,,,,
सिर पर सोहे मोर मुकुट
और गले गुंजन की माल रे,,,,
ग्वाल- गोपिन संग मधुवन जाये
मिल जुल रास रचाए रे ,,,,,,
जय कन्हैया लाल की
गोकुल के ग्वाल की ,,,,,,,,
जब- जब आए विपदा भारी
रूप विराट दिखलाए रे ,,,,,
कुरुक्षेत्र के महा समर में
गीता मर्म बतलाए रे ,,,,,,,
जय कन्हैया लाल की
गोकुल के ग्वाल की ,,,,,,
हे गिरिधर तेरा रूप सलोना
नटवर नागर कहलाए रे,,,,,
बारंबार विनती करूँ तेरी
तुझ बिन,रहा न जाए रे ,,,,,,,
जय कन्हैया लाल की
गोकुल के ग्वाल की,,,,,,
=========================
स्वरचित एवं मौलिक रचना
डॉ पुष्पा गुप्ता
मुजफ्फरपुर
बिहार
🌹🙏
[26/08, 5:23 pm] रानी अग्रवाल: बांके बिहारी,छवि प्यारी___
२६_८_२०२२,शुक्रवार।
विधा_ भक्ति गीत।
[Image 847.jpg]
शीर्षक_ बांके बिहारी,छवि प्यारी
बड़भागिनी मैं,आ गई तुमरे दर पे
बड़ी आस ले चली अपने घर से।
बांके मैने आवाज लगाई,
और तुमने ली मोहे बुलाई।
चाहे कितनी विपदा आईं,
पर मोहे कोई रोक न पाई।
आके दर्शन पाए तुम्हारे,
तृप्त हो गए नयन हमारे।
कान्हा,तुमसे लग गयौ योग,
मैने चढ़ायौ छप्पन भोग।
तुमने आरोगौ मेरौ प्रसाद,
और कर दिन्हौं अमृत सो स्वाद।
कान्हा हमने उतारी तेरी आरती,
पंडत जी से पाई जरी भई बाती।
हमने उसे ललाट पे लगाया,
और अपना भाग्य जगाया।
आपने भरी भावना त्याग की,
हाथ से छूटी डोरी अनुराग की।
मेरे खुल गए दोनों हाथ,
मैं हो ली भक्तन के साथ।
हमने पायौ तुमरो चखो प्रशाद,
संतुष्टि से मन है गयौ आबाद।
अब मन में वैराग है जागौ,
मोह_ माया का भूत भागौ।
अब आपकी धूनी लगाई,
कछु और न देत सुनाई।
तन _ मन_ धन तोमै लागा,
बंधा एक प्रीत का धागा।
नाम तिहारौ बांके बिहारी,
मेरौ जीवन तुम पर वारि।
कछु ऐसी बुद्धि फेरो हमारी,
वृंदावन बस जाए ये नारी।
मिटे दुनिया से लगन सारी,
जोड़ी बनी रहे मेरी तुम्हारी।
नित आऊं चौखट तुम्हारी,
" रानी" नहीं,बन चाकर तुम्हारी।
अब छायो रंग वैराग,
दिन_ रात तुम्हारो राग।
अब तुम्ही माता_पिता हो,
अपना जन्म_ जन्म का नाता हो।
स्वरचित मौलिक भक्तिगीत____
रानी अग्रवाल,मुंबई।
[26/08, 5:24 pm] Chandrika Vyash Kavi: दिनांक :- 26/8/2022
विषय -: भक्ति गीत (कान्हा का आगमन)
मथुरा की हवा कुछ कुछ,,
मदहोश करने लगी है,,
वृंदावन की गलियों मे,,
संगीत पल पल खनकने,,
लगी है,,
मधुबन मे ये फूलो की कतारे,,
हर अदा से महकने लगी है,,
यौवना बन गोपियाँ,,
श्रृंगार लिये सजने लगी है,,
कोई तो आ रहा है बन के सावरियाँ,,
थामे हाथ मे मुरली,,
सबको लुभा रहा है,,
एक झलक पाने को,,
हर कोई झूम रहा है,,
हर कदम थिरक रहे है,,
तेरे चरणो मे कान्हा,,
समा रहा है,,
मनमोहक मोरमुकुट माथे मे शोभित,
और अधरो पे बंशी बजैयाँ,
एक दर्श को व्याकुल,,
तु भवसागर का है खिवैयाँ,
अब न तु तरसा मेरी इन आँखो को,,
नन्हे नन्हे पग लिये,,
आ जा कान्हा मेरे तु आँगन,
महक रही हवाये महक रही फिजाये,,
दो घडी़ के लिये तु बन जा,
महकता हुवा चंदन,,
मेरे हर ख्वाहिशों को तु,,
एक राह दिखा रहा है,,
मेरे मधुसूदन मेरे बांकेबिहारी,,
मेरे हर सपनो को,,
पूरा करने को आ रहा है।
चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
[26/08, 6:19 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: अग्निशिखा मंच
भक्ति गीत-जय कन्हैया लाल की
भादों की अंधयारी रात
कारागार में लिया जन्म
देवकी-वासुदेव हुए निराश
घोर अंधकार छाया नभ में।
प्रहरी गहरी नीँद सो गए
खुल गईं सबकी बेडि़याँ
वासुदेव हुए बहुत अचंभित
देवकी जागती हैं सारी रतियां।
वासुदेव ने देखी जन्मी बाला
कारागार में टूटी हथकड़ियां
अब चल दिए नंद गांव की ओर
खुल गया कारागार का ताला।
यमुना जी वेग से उफनतीं जा रहीं
अम्बर से घनघोर घटाएं बरस रहीं
चरण छू लिए अब यमुना जल ने
सब बोलो जय कन्हैया लाल की।
नंद भवन में उत्सव मना भारी
नाचत गावत हंसत सब नर नारी
बृजधाम छा गई खुशियों की लहर
टोकरी- थाली भरकर मिठाई बंटी ।
रिद्धि सिद्धि ब्रजधाम आंई
हंसत बतियावत बैठीं पालकी
धूमधाम से मना रहे जन्माष्टमी
प्रेम से बोलो जय कन्हैया लाल की।
डॉक्टर अंजुल कंसल "कनुप्रिया"
26-8-22
[26/08, 6:31 pm] कुम कुम वेद सेन: विषय कृष्ण भक्ति
भादो अष्टमी का रात
देवकी वासुदेव के घर
जन्म लिए कृष्ण कन्हैया
बासुदेव लेकर चले मथुरा
कारावास के दरवाजे खुल गए
नींद से पहरेदार सब सो गए
कैसी लीला दिखाएं कृष्ण कन्हैया
जमुना का पानी हो गया उफान
छूकर कृष्ण के पांव नदिया हो गई शांत
चलिए बासुदेव यशोदा नंद के घर
दीया कृष्ण कन्हैया को उनके आंगन
घर-घर बाज रही है बधाइयां
कृष्ण कन्हैया आई यशोदा मैया
जन्म लेते दिखलाई अपनी कृपा सब पर
यहीं से समझ में आई प्रभु इस जगह को आ गए
राम अवतार कृष्ण कन्हैया
खुश हो रही है यशोदा मैया
नंद भवन में उत्सव हो रहा
घर आए हैं लल्ला बसुरी बजैया
चलो सखी सब सोहर गायन चले
नंद भवन में आए कृष्ण कन्हैया
कुमकुम वेद सेन
[26/08, 9:22 pm] पल्लवी झा ( रायपुर ) सांझा: दोहा-कृष्णा
भाद्र मास की अष्टमी,कृष्ण पक्ष की रात।
काले मेघा छा गये, हुई खूब बरसात।
जन्म बाल कान्हा लिए,ले कृष्णा अवतार।
सारे संकट हरण को ,आये तारणहार ।
माता उनकी देवकी,पिता बने वसुदेव।
यमुना पांव पखारती,हर्षित हैं सब देव।
आये आधी रात को,कृष्ण नंद के ग्राम,
गोकुल पावन हो गया,आते ही घनश्याम।
पल-पल मुख को देखतीं,भाल यशोदा चूम,
सखियां सोहर गा रहीं,मची हुई है धूम।
पल्लवी झा (रूमा)
रायपुर छत्तीसगढ़
[26/08, 10:10 pm] 👑मीना त्रिपाठी: *. कृष्ण जन्मोत्सव*
भाव विभोर हुआ नंद ग्राम
ले ले कान्हा की बलैयां
रूप देख देख ललना का
हो रही निहाल यशोदा मैया
धूम मची थी कान्हा जनम की
चहुंओर खुशी के बादल छाए
देने आशीष देवियां भी आईं
संग आये इन्द्र..महादेव भी आए
हो गई धन्य आज नगरी
जग के तारणहार आए
भयमुक्त कराने जन जन को
आए खेवनहार .. आए
धरा रूप विष्णु ने धरा पर
कृष्ण बन जग में आए
अपनी बाल लीलाओं से
यशोदा मैया को हर्षाए
*मीना गोपाल त्रिपाठी*
[27/08, 8:36 am] रामेश्वर गुप्ता के के: अग्नि शिखा मंच ।
विषय :जय कनैइहा लाल की।
दिनांक :26-08-2022
।जय कनैइहा लाल की।
जन्म अष्टमी का दिन है,
गूंज कनैइहा लाल की है।
आधी रात जन्म लिया है,
घर में गूंज लाल की है।।
जन्म....................... 1
नंदबाबा के लाल भये है,
घर में गूंज लाल की है।
यह नंदलाल अनोखा है,
देवकी जाये यह लाल है।।
जन्म....................... 2
द्वापर युग के कृष्ण कनैइहा,
प्रेम की लीला अवतार है।
राधा कृष्ण की जोड़ी साजे,
बृज का हो गया उद्धार है।।
जन्म........................ 3
पवित्र भूमि यह वृंदावन है,
कृष्ण लिया यहां अवतार है।
संग गोपी के संग लीला करें,
नाम से हुआ बेड़ा पार है।।
जन्म........................4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।