बुद्ध देव प्यारे
बुद्धदेव प्यारे किनारा दिखा दे
आ चुके हैं तेरे द्वारे राह दिखा दे।।
मेरी जिंदगी में निराशा छा गई
है ।
चमका दे तकदीर वो सितारा दिखा दे।।
तुम ही हो हमारे दुखहर्ता हो।
हमें आज तेरा नजारा दिखा दे।।
तुम्हें ढूंढते हैं हम सुबह ,शाम है। बुद्धदेव अगर तुम छुपे हो तो सामने आकर हमें मुकड़ा दिखा दो।।
कहां तक सुनाएं फसाना हमारा । तुम्हें तो मालूम है सारी कहानी हमारी ।।
व्यापार में हो रहा घाटा कुछ तो चमत्कार दिखा दो ।
हमें कुछ तो उपाय बता दो । ।
कहीं तो कोई इशारा कर दो बुद्धदेव हमारे
व्यापार ने बरकत भर दो ।।
बुद्धदेव प्यारे किनारा दिखा दे
आ चुके हैं तेरे द्वारे राह दिखा दे।।
अलका पाण्डेय मुम्बई
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[20/05, 10:13 am] 😇ब्रीज किशोर: बृजकिशोरी त्रिपाठी
सिद्धार्थ से बुद्ध बनना।
सिद्धार्थ से बुद्ध बनना इतना
आसान नही था।
माता पिता को हमेसा सिद्धार्थ को संन्यासी बनने का डर था
इसी लिए कम उमर मे यशोधरा से शादी करा दिया था।
लेकिन एक दिन राज्य मे टहल रहे थे।
देखें एक बुजुर्ग को राह में बैठ कर खाँसते हुए।
सोचे इस दुःख से कैस मिले छुटकारा तब तप उनके समझ में आया।
सोचे महल को त्यागो तजो पुत्र पत्नी का मोह माया।
संसार से विरक्त हो कर उनका मन तप करने को मन
मे ठान लिया।
और अर्ध रात्री मे पुत्र राहुल पत्नी यशोधरा को छोड़।
माता पिता महल से नाता तोड़ तप पथ को अपना लिया।
राज पाट छोड़ कर संन्यासी का चोला पहन कर संन्यासी
का रुप धारण किये।
पाटलीपुत्र छोड़ गया मे बट नीचे ज्ञान के खोज में आसन
जमा लिए।
कुछ बालाओ के बात सुने विणा का तार न ढीला और न कसा होना चाहिए।
स्वर सही और मधुर करने के
लिए तार सामान्य रहना चहिये।
सिद्धार्थ को सत्य का ज्ञान जब अनुभव हुआ तब सोचे
नेकी पथ पर चलना चाहिए।
सुजाता के हाथ का खीर खाँ
कर ऊँच नीच का भेद मिटाये।
जिस बृक्ष नीचे ज्ञान मिला बोधि बृक्ष नाम पडा़।
उस दिन से सिद्धार्थ गौतमबुद्ध कहलाये
तब से गौतम बुद्ध जन कल्याण का अलख जगाये।
उनके धर्म चर्चा में रहता
शान्ति का सन्देश और महात्मा बुद्ध कहलाये।
बैशाख पूर्णिमा को उनका हुआ था अवतरण सिद्धार्थ
से तप कर शान्ति बने।
विष्णु के अंस से नवे रुप मे जन्म लेकर भारत मे सबको
सत्य अहिंसा का पाठ पढा़ये।
गौतम बुद्ध के बचनो पर चलने वाले बौद्ध कहलाये।
विश्व मे श्री लंका नेपाल थाई
लैडं आदि देश बौद्ध धर्म अप
नाये।
हम भी बुद्ध के बताये बचनो
को अपनाये ।
भारत में शान्ति का गंगा फिर
से बहाये।
विश्व मे फिर से विश्व गुरू बन भारत का मान बढ़ाये।
स्वरचित
बृजकिशोरी त्रिपाठी उर्फ भानुजा गोरखपुर यू.पी
[20/05, 11:21 am] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: चलो बुद्ध की ओर चलें*
कष्ट बढ़ रहे दुनिया में, चारों ओर महामारी।
ऐसे में हम जाएं कहाँ, बढ़ती जाती लाचारी।
एक उपाय यही है बस, आओ वही उपाय करें।
चलो बुद्ध की ओर चलें, चलो धर्म की ओर चलें
🙏🙏
दुख ही दुख है जीवन में तृष्णा इसका कारण है
अष्टांगिक जो मारग है वो ही एक निवारण है।
इसीलिए प्यारे मित्रो अष्टांगिक मारग पकड़ें।
चलो बुद्ध की ओर चलें, चलो मोक्ष की ओर चलो।
🙏🙏
सम्यक दृष्टि कर्म वचन सम्यक हो संकल्प सदा
स्मृति औ व्यायाम समाधि सम्यक हो आजीविका
सब कुछ सम्यक रखना है तो बस इतना सा काम करें
चलो बुद्ध की ओर चलें चलो शान्ति की ओर चलें।
🙏🙏
यहाँ अहिंसा परम धर्म है हिंसा पाप पहाड़ है
किसी जीव के भक्षक पर बस रक्षक का अधिकार है.
यही बताया था गौतम ने हिंसा का परित्याग करें।
चलो बुद्ध की ओर चलें नहीं युद्ध की ओर चलें।
🙏🙏
मुक्ति खोजता है मानव किंतु कहां वह पाता है
जन्म जन्म शुभ कर्म करे बुद्ध तभी बन पता है
यदि पाना है मोक्ष तुम्हें तो केवल यह शुभ कर्म करें।
चलो बुद्ध की ओर चलें, नहीं युद्ध की ओर चलें।
© डॉ. कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड,
कोलकाता
000
[20/05, 11:24 am] शेभा रानी तिवारी इंदौर: महात्मा बुद्ध
बुद्ध ने शांतिदूत बनकर जन्म लिया,
अज्ञान को मिटा ज्ञान का प्रकाश दिया,
नि:स्वार्थ उन्होंने मानवता की सेवा की,
अहिंसा परमो धर्म का उपदेश दिया।
भगवान बुद्ध अहिंसा के पुजारी थे ,
सत्य, अहिंसा को ताकत बनाकर,
अंगुलीमार का किया हृदय परिवर्तन ,
निश्छल ,पवित्र था उनका तन -मन।
आज जग में फैला अंधियारा है ,
लालच ,भ्रष्टाचार का बोलबाला है,
गौतम बुद्ध जी फिर से आ जाइए ,
और इस भूमि से पाप को मिटाइए।
श्रीमती शोभा रानी तिवारी इंदौर मध्य प्रदेश
[20/05, 11:58 am] Nirja 🌺🌺Takur: तिथि - 20--5-2022
विषय- भगवान बुद्ध
लुंबिनी के शाक्य कुल में
राजा शुद्धोधन के घर पैदा हुए
बहुत सरल चित्त थे वह
सिद्धार्थ था नाम उनका
यशोधरा के साथ विवाह कर
राहुल के पिता बने।
बुढ़ापा मृत्यु बीमारी देख कर
मन बहुत विचलित हुआ उनका
यह सब देख वो सोच में पड़ गये
एक दिन सोती यशोधरा और राहुल को छोड़,उत्तर खोजने निकल गये।
कई तपस्वियों का साथ किया
फिर ज्ञान मिला पीपल पेड़ के नीचे
वह वृक्ष फिर बोधि वृक्ष कहलाया।
उन्होंने बुद्ध धर्म बनाया
जिसमें सभी थे एक समान
न कोई ज्यादा ना ही कोई कम
उन्होंने देश विदेश में धर्म और अहिंसा का प्रचार किया।सब जीव एक हैं।
और सभी को जीने का हक है
यह समझाया
अहिंसा परमो धर्म
यह सब को सिखलाया
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा मुंबई
महाराष्ट्र
[20/05, 11:59 am] साधना तोमर: महात्मा बुद्ध
हे महात्मा बुद्ध!
शान्ति दूत बनकर
आओ फिर से
इस धरा पर।
दो शान्ति
सौहार्द की शिक्षा
मानव को आकर।
मानव के हृदय में
मानव के प्रति
प्रेम की ज्योति जला दो।
ईर्ष्या, द्वेष नफरत के
सभी विकारों को
हमेशा के लिए गला दो।
अहिंसा ही धर्म हो
अब इंसान का।
हर प्राणी में रूप दिखे
उसे भगवान का।
कष्ट दूसरों के देख
उसका हृदय करुणा से
आप्लावित हो जाये।
परहित के अंकुर
हिय भूमि पर
प्रस्फुटित हो आये।
शक्तिशाली होने का मनुष्य
दम्भ न भरे।
प्रकृति पर विजय का स्वप्न
चित्त न धरे।
प्रकृति के कहर से डरे।
सन्तुलन उसका
छिन्न भिन्न न करे।
रिश्ते न बंटे सीमाओं में
विस्तार अति विस्तार हो जाये।
सारा जग ही एक सुन्दर सा
हो जाये।
असंख्य रत्नों की प्रसूता
यह धरा फिर से
उन अनमोल रत्नों को
जन्म दे।
बुद्ध जैसे महापुरुष
मेरी मातृभूमि का
सब तिमिर मिटा उसे
नई रोशनी से भर दें।
डा. साधना तोमर
बड़ौत (बागपत)
उत्तर प्रदेश
[20/05, 2:01 pm] निहारिका 🍇झा: नमन अग्निशिखा मंच
विषय;-बुद्ध
दिनाँक-20/5/2022
शांति का प्रतीक बुद्ध
अहिंसा का पर्याय बुद्ध।
जन की पीड़ा देख कर
संसार से विरक्त बुद्ध।
छोड़ दिया राज पाट
और छोड़ा पत्नी पुत्र
दुनिया के कष्ट हरने
बन गए तथागत बुद्ध।
माह था बैसाख
और तिथि पूर्णिमा
हुए अवतरित इस जगत में बुद्ध।
उनकी सीखों से चला
दुनिया में धर्म बुद्ध(बौद्ध)।
निहारिका झा
खैरागढ़ राज.(36गढ़)🙏🙏
[20/05, 2:35 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन
आज की विधा *भक्ति गीत*
विषय *बुद्ध भगवान*
हे बुद्ध देव भगवान
तुमको कोटी कोटी प्रणाम ।।
शुद्धोधन महामाया के पुत्र थे तुम
तप साधन से बने गौतम बुद्ध तुम
वैशाख पूर्णिमाको जन्मे तुम भगवान ।।१
सारे जग को शांति अहिंसाका
संदेश दिया ।
तुमने मानवका हृदय
परिवर्तन किया ।
जीवन जीने का अनमोल दिया दान ।।२
बालपन में ही सब राजपाट
छोड़ा ।
मोह माया से तुम ने नाता ही
तोडा ।
अनासक्त थे तुम बचपन से भगवान ।।३
महामानव बाबासाहेब ने बुद्ध
धर्म अपनाया ।
दुष्टों को तुमने अहिंसा का
मार्ग दिखलाया
जगत में बुद्ध धर्म का है मान सम्मान ।।४
सुरेंद्र हरडे
नागपुर
दिनांक २०/०५/२०२२
[20/05, 2:53 pm] Dravinasi🏆🏆: अग्नि शिखा मंच दिनांक 20 मई 2022 विषय बुद्ध भगवान भक्ति गीत। बुद्ध हुये भगवान यहां पर, जाने सकल जहान। शांति,सत्य,मानवता की, शिक्षा दी सबको समान।।भेद भाव सब यहां हटा दिए,सुखी रहें सब मिलकर। उनके पद चिन्हों पे चले जो,होये उन्हीं समान।। बुद्ध हुये भगवान यहां पर, जाने सकल जहान,,,डां अविनाशी
[20/05, 3:17 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: शुक्रवार -20//5/ 2022
विषय / भक्ति गीत/ बुध देव भगवान
बुद्ध बैठे थे पीपल नीचे।
ध्यानमग्न थे अखियाँ भींचे।।
कई दिन से तपस्या जारी।
दिन हो या फिर रजनी कारी।
व्रत में समय उनका गुजरा।
बदन उनका हो गया पिंजरा।।
गांव में रहती थी सुजाता।
वो बन गई लाल की माता।
पीपल विनती उसने की थी।
पुत्र की माता वो बनी थी।।
खीर चढ़ाने वह थीं आई थी।
उसने आकृति नर की पाई।
ईश ने रूप धार लिया है।
प्रभु ने मुझको पार किया है।।
सुजाता थाली लेकर आती।
आरती उतार टीका लगाती।
खीर बुद्ध को भेंट करती।
खीर से उनका पेट भरती।
खुश होकर वो गाती नाचती।
मनोकामना पूर्ण वांचती।
उस रात वो बुद्ध कहलाए।
बैठे बोधिवृक्ष के साए।।
वैष्णो खत्री वेदिका
[20/05, 3:27 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: बुद्धदेव भगवान --- ओमप्रकाश पाण्डेय
संसार के जीवन चक्र को
समझने व सुलझाने इसके
रहस्यों को चुपके से एक दिन
तुमने छोड़ दिया सुख राजमहल का....... 1
गलीयों में घूमें गाँव गाँव घूमें
पता लगाने को कि इस दुनिया में
क्यों पड़ता कोई बीमार यहाँ पर
जन्म कोई लेता क्यों बार बार यहाँ ........ 2
बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे
एक दिन जब तुम ध्यानमग्न बैठे थे
चिन्तन कर रहे थे इसी रहस्य का
जीवन चक्र का ज्ञान हुआ तुम्हें तब......... 3
अपूर्ण इच्छा से ही होता मनुष्य का
पुर्नजन्म इस संसार में बारम्बार
कम से कम इच्छा अगर रक्खोगे
पुर्नजन्म का कभी कष्ट नहीं होगा.... .. 4
अधिक इच्छा रखने से मानव को
कष्ट बहुत होता जीवन में उसको
अधूरी इच्छाऐं जब रह जाती उसकी
जीवन मृत्यु के चक्र में वह फंस जाता........ 5
( यह मेरी मौलिक रचना है ---- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[20/05, 3:31 pm] रवि शंकर कोलते क: शुक्रवार दिनांक २०/५/२२
विधा****भक्ति गीत
विषय****#***बुद्धदेव***#
,********
बुद्ध के धम्म बिना किसी का उद्धार नहीं ।।
पंचशील जैसा जग में दूजा उपहार नहीं ।।
कैसे दिखेगा तुम्हें
प्रेम रूप करुणाकर का ।
जब तक मन चक्षूके
खोलेगे द्वार नहीं ।।१
पाने मनकी शांति धम्म का
पालन करें ।
सुखमय लफ्ज़के सिवा और
उदगार नहीं ।।२
तथागत सिखाते दुखियों की
मदद करना ।
जगमे जिनको किसीका भी
आधार नहीं ।।३
बुद्ध तत्व अपनाकर
हरो मन की बेचैनी ।
फिर से इस जमींपर बुद्धसा
होगा अवतार नहीं ।।४
वीर बहुत है पर इंद्रियों पर
विजय पानेवाला ।
रवि बुद्ध सा विश्वमें कोई
और सरदार नहीं ।।५
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[20/05, 3:46 pm] कुम कुम वेद सेन: विषय भक्ति गीत गौतम बुद्ध
बुद्धम शरणम गच्छामि
संघम शरणम गच्छामि
गौतम बुद्ध के अनुयायियों
सदा इन मंत्रों का उच्चारण किया
था एक सिद्धार्थ नामक बालक
राजा शुद्धोधन का एकमात्र पुत्र
परवरिश हुई राजकुमार की भांति
जिज्ञासा वर्ष पत्नी यशोधरा
पुत्र राहुल को छोड़ सत्य की खोज में निकले
जीवन में उन्हें कुछ घटनाएं बहुत तड़पाती
वृद्ध शरीर लाचार काया
मृत्यु पश्चात चार कंधों पर सवार होकर जाना
इन घटनाओं को देख ह्रदय बेचैन हो गया
जीवन की सच्चाई क्या है
इस जिज्ञासा को लेकर घर का त्याग किया
पीपल बट वृक्ष के नीचे उनकी जिज्ञासा में
एक ज्ञान की प्राप्ति हुई
संसार माया नगरी है इसकी
जानकारी ज्ञान तपस्या के पश्चात मिला
सत्य की खोज में यह महसूस किया
जीवन का सुख दुख एक क्रम है
सभी को किसी न किसी रूप में भोगना है
कर्म का फल ही जीवन है
पदयात्रा के दौरान एक डाकू से
मुलाकात हो गई
इस मुलाकात में डाकू गौतम बुद्ध से
प्रभावित होकर अपनी जीवन धारा को ही बदल दिया
उनके जीवन की तपस्या के पश्चात जो आभामंडल पर तेज विद्यमान था
वह अतुलनीय था
आगे चलकर सम्राट अशोक बुद्धम शरणम गच्छामि संघम शरणम गच्छामि के अनुयाई बन गए
कुमकुम वेद सेन
[20/05, 3:48 pm] 😇ब्रीज किशोर: बृजकिशोरी त्रिपाठी
सिद्धार्थ से बुद्ध बनना।
सिद्धार्थ से बुद्ध बनना इतना
आसान नही था।
माता पिता को हमेसा सिद्धार्थ को संन्यासी बनने का डर था
इसी लिए कम उमर मे यशोधरा से शादी करा दिया था।
लेकिन एक दिन राज्य मे टहल रहे थे।
देखें एक बुजुर्ग को राह में बैठ कर खाँसते हुए।
सोचे इस दुःख से कैस मिले छुटकारा तब तप उनके समझ में आया।
सोचे महल को त्यागो तजो पुत्र पत्नी का मोह माया।
संसार से विरक्त हो कर उनका मन तप करने को मन
मे ठान लिया।
और अर्ध रात्री मे पुत्र राहुल पत्नी यशोधरा को छोड़।
माता पिता महल से नाता तोड़ तप पथ को अपना लिया।
राज पाट छोड़ कर संन्यासी का चोला पहन कर संन्यासी
का रुप धारण किये।
पाटलीपुत्र छोड़ गया मे बट नीचे ज्ञान के खोज में आसन
जमा लिए।
कुछ बालाओ के बात सुने विणा का तार न ढीला और न कसा होना चाहिए।
स्वर सही और मधुर करने के
लिए तार सामान्य रहना चहिये।
सिद्धार्थ को सत्य का ज्ञान जब अनुभव हुआ तब सोचे
नेकी पथ पर चलना चाहिए।
सुजाता के हाथ का खीर खाँ
कर ऊँच नीच का भेद मिटाये।
जिस बृक्ष नीचे ज्ञान मिला बोधि बृक्ष नाम पडा़।
उस दिन से सिद्धार्थ गौतमबुद्ध कहलाये
तब से गौतम बुद्ध जन कल्याण का अलख जगाये।
उनके धर्म चर्चा में रहता
शान्ति का सन्देश और महात्मा बुद्ध कहलाये।
बैशाख पूर्णिमा को उनका हुआ था अवतरण सिद्धार्थ
से तप कर शान्ति बने।
विष्णु के अंस से नवे रुप मे जन्म लेकर भारत मे सबको
सत्य अहिंसा का पाठ पढा़ये।
गौतम बुद्ध के बचनो पर चलने वाले बौद्ध कहलाये।
विश्व मे श्री लंका नेपाल थाई
लैडं आदि देश बौद्ध धर्म अप
नाये।
हम भी बुद्ध के बताये बचनो
को अपनाये ।
भारत में शान्ति का गंगा फिर
से बहाये।
विश्व मे फिर से विश्व गुरू बन भारत का मान बढ़ाये।
स्वरचित
बृजकिशोरी त्रिपाठी उर्फ भानुजा गोरखपुर यू.पी
[20/05, 4:08 pm] Anita 👅झा: नमन मंच
भक्ति -रचना बुद्ध देव
बोधि वृक्ष
हम कुदरत के अंश हैं
ऐ धरा तु मौन खड़ी हैं
कैसी कैसी विपदाओं ने जन्म लिया हैं
प्रकृति के घेरे में भय से आतंकित जनमानस हैं
युगों युगों की पहचान बताते हैं ।
अहिंसा परमोधर्म का लक्ष्य बताते है
मानवता ने फिर आख़िर जन्म लिया हैं
ज्ञान विद्या अथाह सागर जन्म लिया हैं
पूनम उजयारी में चमत्कृत ज्ञान वाणी हैं
सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध कहलाये थे ।
ऐ धरा दूर मौन खड़ी हैं ।
प्रकृति की विपदाओं से क्यों दूर खड़ी है ।
आत्मनिर्भर बन उत्साह जगाना है
ये जग सारा उजियारा हो जाये ।
जनमन विश्वास जगाना हैं
अपने ईमान धरम से खुद को बचाना हैं
प्रकृति स्वरुप जीवन संतुलन बनाना हैं ।
जन जीवन के सारे भेद मिटाना हैं
कर्म ही पूजा कर्म ही ईश्वर ,
राह जीवन की सफल बनाना हैं ।
आओ मिलकर आत्मनिर्भरता ,
की नई सीख जगायें ।
कुदरत के अंश हो ,
काम ऐसा कर जाये ।
जिसकी ख़ुशबुओं से ,
संसार महक जाये ।
घर मधुबन में फूल ऐसे खिलाओं ।
जिसकी सीख से ,
माली मन जनमन गूँजती हो जाय ।
बोधिवृक्ष बन पेड़ ऐसा लगायें।
मधुर स्वाद संवाद लक्ष्य बन जाय
जिसकी सुगंध सीख बन जाय ।
ये जग सारा उजियारा बन जाये ।
अनिता शरद झा आद्या
रायपुर-छतीसगड़
[20/05, 4:08 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: 🌷 बुध्द देव 🌷
********************
गरीबों के देव , बने बुद्धदेव ।
न ऊंच-नीच , न अमीर गरीब ।
न छोटे बड़े , न छूत अछूत ।
सबके लिए है, समान भावना ।
सबके लिए है,
समान स्थान ।
सबके लिए है , समान स्नेह प्यार ।
न कोई अपना, न कोई पराया ।
रंक से लेकर , राजा तक ।
राजा से लेकर, रंक तक ।
सबके लिए , एक जैसी भावना ।
तभी तो, समस्त संसार में , छा गए भगवान बुध्द।
अहिंसा और प्रेम की, भाव की भावना में, डूबा गए संसार ।
नमन उन्हें , शत शत नमन।
*******************
डॉ. आशालता नायडू .
मुंबई . महाराष्ट्र .
********************
[20/05, 5:37 pm] मीना कुमारी परिहारmeenakumari6102: गौतम बुद्ध
**************
"बुद्धं शरणम् गच्छामि
धम्मं शरणम् गच्छामि
संघम् शरणम् गच्छामि"
आओ सुनाएं गौतम बुद्ध की
अमर कहानी
लुंबिनी में जिनका जन्म हुआ
कपिलवस्तु था इनका घर
नाम था सिद्धार्थ शुद्धोधन प्यारा
माता महामाया का राजदुलारा
बनी गौतमी थी धारा
राजवैभव जिसको
कभी रास न आया
यशोधरा भी लगे मायावी
पिता ने सौ-सौ जतन किए
फिर भी अपने दुलारे को सांसारिक मोहपाश में
बांध नहीं पाते
एक दिन उन्होंने देखा
एक बीमार
अपाहिज वृद्ध लाचार को
मृत देह को अर्थी पर पाया
देख यह दृश्य उनके
मन में वैराग्य समाया
ऐसी है उनकी गाथा
कोटि-कोटि नमन उनको!!!
डॉ मीना कुमारी परिहार
[20/05, 6:52 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: अग्निशिखा मंच
विषय- भगवान बुद्ध
आ जाओ यहां शांति दूत बनकर
मिटा दो अंधकार सर्व उजियारा बन कर
आनंद शक्ति भर दो जन-जन मानस मन
प्रेम ज्योति जला दो जीवन के उपवन ।
शांति का विस्तार कर दो गृहस्थ जीवन
प्रकाश पुंज समा जाए निश्चल अंतर्मन
मोहमाया लोभ ईर्ष्या मिट जाए मन
निस्वार्थ भाव जागृत हो जाएं तन।
बुद्ध सत्य का बोध जागृत कर मानव में
प्रेम करुणा मैत्री से आल्हादित भाव भर दो
प्रकृति संतुलन का विनाश ना करें कोई जन
बुद्ध पीपल पूर्णिमा है ऑक्सीजन का स्रोत।
डॉक्टर अंजुल कंसल" कनुप्रिया"
20-5-22
[20/05, 7:53 pm] राम Ram राय: बुद्ध भगवान
@ श्रीराम राय
चला सिद्धार्थ सत्य की खोज में
छोड़ घर परिवार।।
क्यों दुखी इस धरती पर रहते नर और नार।।
कपिलवस्तु में छाई वीरानी, था राज महल खामोश।
पिता शुद्धोधन रो रहे,महामाया हो रही थी बेहोश।
राजकुमार ने घर त्यागा, सुना सुना सा संसार।।
क्यों दुखी इस धरती पर रहते नर और नार।।
पत्नी यशोधरा बिलख रही , क्यों छोड़ प्रिय भाग गए।
लेकिन क्या गलती हुई मुझसे जो सोते हुए भाग गए।
पता चला जब माता को,आई मां भदुली के द्वार।।
क्यों दुखी इस धरती पर रहते नर और नार।।
पा आहत माता आने की, सिद्धार्थ बोधगया पहुंचे ।
सत्य की समाधि में बैठ गए वहीं पीपल के नीचे।
आज जिसे कहती है उस पीपल को महाबोधी संसार।।
क्यों दुखी इस धरती पर रहते नर और नार।।
जहां मिला ज्ञान खजाना, बोध गया कहलाया।
सिद्धार्थ बने बुद्ध और अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
आज नमन उस बुद्ध भगवान को , मेरा भी बारंबार।।
क्यों दुखी इस धरती पर रहते नर और नार।।