बालगीत
झूला
सावन आया हरियाली छाई
झूले पड़ गये अमराई
काली काली छटाए छा गई
टिप टुप टिप टुप बारिस आई
सखी सहेलियो के संग झूले
सावन के गीत गुनगुनायें
गाते गाते पैग बढाये
नील गगन से मिल कर आये
बादल को मुट्ठी में भर लायें !!
सावन की ख़ुशियाँ पा जायें
झूला झूलू सखीयां झूलाए
मन में खुशी की तरंग उठे
बच्चे मिलकर गाते हैं
सावन के महीने में मन भी झूले झूलना
बच्चे मिलकर झूला झूले
सखियां गाए गीत प्यार के
और झूला झूले झूला
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈
[03/01, 10:15 am] 😇ब्रीज किशोर: झूला।अंग्नि शिखा मंच
जय माँ शारदे
३-१-२०२२
बाल गीत झूला
आज १४-१-२२ को लगा खीचडी़ का मेला।
सोहन मोहन रानु भानु आओ
चले मेला।
शानु बोले चुन्नी मुन्नी सबको लेलो साथ चलेगें मेला।
श्रेय बोले भैया क्यों लगता खीचडी़ का मेला।
यह गौरक्ष नाथ बाबा की नगरीऔर तपो भूमि है।
बाकी कहानी बाद में पहले मेला चलते है।
एक बात याद रखना हाथ छोड़ कर कही न जाना।
मेला मे भीड़़ बहुत होती भीड़
देख घबडा़ न जाना।
देखो देखो कितना बडा़ है झूला दूर से ही पडा़ दिखाई।
अरे ओ देखो जादूगर का खेमा पडा़ दिखाई।
पहले हम झूला झुलेगें
बडे झूले पर तुम्हे डर लगेगें।
चलो तुम सब छोटे झूले पर
चढ़ कर मजा उठाओ।
आँख मूदं कर डर को भगाओ।
हम और रानू बडे़ झूले से बहुत ऊँचे से मेले का मजा
उठायें।
सन सन करता झूला चला मेरा मन किया उतर जायें।
सारे बच्चे झूले से उतर कर खडे़ खडे़ झुमते जायें।
चलो सब लोग बहुत देर पापा खडे़ हम बच्चो को बुलायें।
हम सब खीचडी़ का मेल घूम देख कर लौट आयें।
भानुजा गोरखपुर यू.पी
[03/01, 10:51 am] आशा 🌺नायडू बोरीबली: (बालगीत)
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🌹 🌷गोलगप्पे🌷🌹
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आया गोल गप्पे वाला आया, गोल गोल, गोल गप्पे लाया, देखते ही मुंह में पानी आया , हम सबका मन बहुत ललचाया ।
घेर कर खड़े हो गए हम, एक एक कर सबको दो तुम , और भैया पानी मत देना कम , वरना लड़ पड़ेंगे तुमसे हम ।
आया बहुत मजा आया, गोल गप्पे मन को बहुत भाया , हम सब ने जमकर खाया, तुमने भी बहुत पैसा पाया।
हम भी हुए हैं बहुत खुश, तुम भी हुए हो बहुत खुश, रोज रोज आना भैया ,गोल गप्पे खिला जाना भैया ।
करते हम सब सदा इंतजार, गोलगप्पे वाले को हर शाम , दूर से ही दिख जाता है , उछल कूद मत जाता है।
खाकर प्यारे गोल गप्पे, मन बहुत खुश हो जाता है , पर मन नहीं भर पाता है, और और खाने को मन ललचाता है ।
गोल गप्पे खा कर जब हम, अपने घर आते हैं , मम्मी पापा को सारी कहानी सुनाते हैं।
ताली बजा बजाकर,
खुद ही बहुत खुश हो जाते हैं,
कल भी फिर से गोलगप्पे खाने की योजना बनाते हैं।
********************
स्वरचित रचना .
डॉ . आशा लता नायडू .
मुंबई . महाराष्ट्र .
********************
[03/01, 11:00 am] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
विधा:-- *बाल गीत*
शब्द:-- *झूला*
झूला तो पड़ गए
अम्बुआ डार में जी
एजी कोई राधा को
गोपाल बिन राधा को
झूलावे झूला कौन
झूला पड़ गए
अम्बुआ डार मे जी
धीरज धर ले
मन समझा ले रे
एजी अगले सावन में
राधा जी अगले सावन
झूलेंगे कान्हा संग
धीरज धर ले
मन समझा ले रे
ये राधा का जीवन
श्याम बिना अधूरा
धीरज धर ले मन
समझा ले रे
झूला तो पड़ गए
अम्बुजा डार मे जी।।
विजयेन्द्र मोहन।
[03/01, 11:03 am] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: 3 जनवरी 2022
बालगीत
झूला
झूला झूल रहा है मुन्ना
धीरे धीरे रहा गुनगुना।
मम्मी खुश है, पापा खुश हैं
दादी खुश है, दादा खुश हैं
एक कदम आगे जाता है
एक कदम पीछे जाता है।
दीदी पेंग बढ़ाने आई।
दादी ने तब डांट लगाई।
खबरदार जो पेंग बढ़ाई
जाकर अपनी करो पढ़ाई।
अगर पेंग ज्यादा खाएगा
मुन्ना नीचे गिर जाएगा।
तुम अपने झूले पर जाओ।
चाहे जितनी पेंग बढ़ाओ।
लेकिन टूट गया यदि झूला।
गिरकर टूट जायेगा कुल्हा।
अस्पताल फिर जाना होगा
प्लास्टर भी बंधवाना होगा
बच्चो जब झूले पर जाना
धीरे धीरे पेंग बढ़ाना।
डा. कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
[03/01, 11:15 am] रामेश्वर गुप्ता के के: ।झूला।
झूला झूलने का मजा,
कुछ और ही होता है।
ठंडी हवा के झोको से,
मन पुलकित होता है।।
झूला..................... 1
अबवा की डाली पे पड़ा,
चुर मुर आवाज करता है।
मन प्रसन्न होकर बस,
सावन गीत गाता रहता है।।
झूला..................... 2
पेग जैसे मारा जाता है,
झूला भी दूर तक जाता है।
प्रीतम संग झूलने का मजा,
कुछ और ही हो जाता है।।
झूला....................... 3
राधा कृष्ण जब झूलते है,
उनकी छवि दिल चुराता है।
इसीलिये अपने मनमोहन को,
श्याम सुंदर कहा जाता है।।
झूला.........................4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[03/01, 12:28 pm] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर: झूला
चुन्नू,मुन्नू ने मां से बोला,
हम भी मेले में जाएंगे,
नहीं करेंगें लड़ाई झगड़ा,
मस्ती में समय बिताएंगे ।
खेलेंगे कूदेंगे ,मेले में हम,
भेलपुरी पकौड़े भी खाएंगे,
झूला झूलेंगे बारी-बारी से,
खिलौनों से मन बहलाएंगे।
हवा के झोंको संग जब झूला,
जब-जब आगे को जाता है,
आसमान छू लेने को तब-तब,
मेरा भी दिल ललचाता है ।
एक-दूसरे को हम झूलाएंगे ,
मिलकर आनंद मनाएंगे,
लेकिन धीरे-धीरे झूलेंगे,
वर्ना झूले से गिर जाएंगे।
शोभा रानी तिवारी, इन्दौर
[03/01, 12:31 pm] वीना अडवानी 👩: झूला
*****
झूला झूल राधा कान्हा
गोपियां रास रचाएं
मुरली की मधुर तान कान्हा
राधा को सुनाए।।
चांद दरस भी राधा को
झूले पर ही कराए
झूला बांध अंबुआ की डारी पर
आनंद खूब उठाए।।
सावन भादो फाग चौमासा
हर ऋतु झूला भाए
झूल झूल संग राधा कृष्णा
पवित्र प्रेम समझाए।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
*******************
[03/01, 1:39 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: सोमवार /3/1/2022
आज का विषय_झूला
बाल गीत
सावन की बहार है आई,
बूंद की बौछार है लाई।
देख इसे मन मेरा झूला,
मैं अपना विद्यालय भूला।
पास ऊँचे पेड़ के आना,
यहीं पर है झूला लगाना।
झूले डाल लगाओ पींगे।
मार न पाता कोई डींगें।।
धैर्य मोनू जोड़ी बनाना,
सोम आकर धक्का लगाना।
तभी ऊँचे हुलारे लूँगा,
गगन से मैं बातें करूँगा।
छटा इंद्रधनुषी फूलों की,
सबको मोहे छवि झूलों की।
धीमी धीमी मारुत बहती,
मेलों में कदमताल करती।
झूला जितना आगे जाता,
उतना ही पीछे भी आता।
जीवन भी ऐसे ही चलता,
दुख का काल सुख में बदलता।
बड़ों का है चित्त ललचाता,
सँग अपने ये खुशियाँ लाता।
काल कितनी उदासी लाते
लड़कपन देख हम न अघाते।
वैष्णोखत्रीवेदिका
[03/01, 1:57 pm] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: वीना अचतानी
अग्नि शिखा मंच को नमन
विषय*** झूला****
पापा लगा दो झूला
आया सावन का महीना
धानी चूनर ओढ़
मेहन्दी रचे कोमल हाथ
खनकती चूड़ियों से
झूले पे बैठ हवा संग
पेंग लगाऊँगी
ठंडी हवा का झोंका
जब छू कर जाएगा
मन प्रसन्न हो जाऐगा
पंछी भी चहक उठे
आयी जब बारिश की फुहार
सावन का महीना
दिल को है भाता
बीत न जाऐ सावन का महीना
पापा जल्दी से लगा दो झूला ।।।
वीना अचतानी
जोधपुर ।।।
[03/01, 2:42 pm] सरोज दुगड गोहाटी: * अग्नि शिखा काव्य मंच *
* सोमवार /३/ १/ २०२२ /
* आज का बिषय :- झूला *
* विधा :- लघुकथा *
उम्र हो गई पचपन अब तक नहीं भूली
बीम से बंधा हुआ मोटी रस्सी का झूला !
बहन भाई में होती थी घक्का - मुक्की
अब पहले मैं झूलूंगी मेरी बारी पक्की !
एक झुलता तीन झुलाते जोर लगाते ,
मेरी बारी कब आयेगी हाँक लगाते !
स्कुल में लौहे की चैन और काठ का पटड़ा ,
सहेलियों के झूंड में होता हल्ला गुल्ला !
सावन में जब ताल मैदान में मेला लगता ,
बिजली से चलने वाला बड़ा झूला लगता !
मुझे पसंद है बना काठ का डोलर हिंडा ,
बड़े से पलनें में होता सखियों का जमावड़ा !
धीमें से हिचकोले खाता उपर नीचे होता ,
हँसी कहेकहे सखियों का शोर होता !
उम्र बचपन, जवानी से बुढ़ापे में आई ,
झूले की यादें अब तक मन में समाई !
सरोज दुगड़
खारुपेटिया
असम
🙏🙏🙏
[03/01, 3:07 pm] रवि शंकर कोलते क: सोमवार दि***०३/०१/२२
विद्या ****बाल गीत
विषय***#****झूला****#
^^^^^^^^
आओ दोस्तों झूलेंगे हम झूला ।
गांव हमारे आज लगा है मेला ।।
मेले में लगे हैं रंग बिरंगे झूले ।
नीचे हरी धर्ती उपर आस्मां नीला ।।१
साल में एक बार लगता है मेला ।
एक बार झूलने मिलता है झूला ।।
एक दूजेको पकड़ कर बैठेंगे हम ।
होगा हवाओंका मस्त झोंका रेला ।।२
दो साल हुए हम न खेले हिले डूले ।
दूर रहकर हम हर चीज है भूले ।।
झूलने का मौका ना जाने देंगे हम ।
करेंगे सैर आस्मांकी झूलकर झूले ।।३
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[03/01, 3:15 pm] 💃rani: अग्निशिखा मंच
विषय--- झूला
विधा---कविता
दिनांक---3-1-2022
झूला
लगा शहर में मेला, तो बच्चों का शोर हुआ,
चलो देखने मेला तुम, साथ हमारे बुआ ।
पिंकी बबलू मचलने लगे हम तो झूला झूलेंगे
छोटे-बड़े जितने भी झूले, हम सब पर झूलेंगे ।
लिया बुआ को साथ अपने, निकल पड़े मेले
जगह-जगह दिख रहे थे, तरह-तरह के खेले ।
कहीं कठपुतली और कहीं बंदर था नाच रहा
बाँस बंधी रस्सी पर चढ़, एक बच्चा करतब दिखा रहा।
देख-देख खुश हो रहे थे, बच्चे मस्ती में झूमे
बुआ का संग पाकर बच्चे थे पूरा मेला घूमे ।
झूला झूलने में आनंद उन्हें बहुत था आ रहा
नीचे, ऊपर जाता जब मजा उन्हें था आ रहा ।
हर झूले पर पिंकी बबलू झूल चुके थे
और झूलना चाहें, चाहे वह थक चुके थे ।
फिर बुआ ने कहा उन्हें चलो कुछ खाते पीते हैं
झूला झूला, देखे खेल अब पेट पूजा भी करते हैं । सारा दिन मेले में कर मस्ती शाम को घर आए
पड़े बिस्तर पर ऐसे 'रानी' जाने कितनी मेहनत कर आए ।
रानी नारंग
[03/01, 4:30 pm] मीना कुमारी परिहारmeenakumari6102: झूला झूलें
**************
आओ हम मिलकर झूला झूलें
मम्मी ने है झूला लगाया
इसे देख मन हरषाया
अब तो खूब झूलेंगे
आसमां को भी छूलेंगे
मस्ती आज करेंगे
सोनू , मोनू और टीनू जल्दी आओ
तेज पेंग मारो , और ऊपर
टीनू पीछे से धक्का दो
वाह कभी उपर कभी नीचे
मजा आ रहा है बहुत ऊंचा
देखो सावन की बहार है आई
काले -कारे बदरा है छाई
झम -झमाझम पानी बरसा
इसमें नाव चलाने को मन तरसा
फिर मां ने है आवाज लगाई
जल्दी आ जा खाना खा ले
आया मां पहले थोड़ा झूला झूल लें
आओ हम गाना गायें
झूला झूले कदम की डाली
झूमे कृष्ण मुरारी
डॉ मीना कुमारी परिहार
[03/01, 4:31 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: झूला ( बालगीत) --- ओमप्रकाश पाण्डेय
चलो आज सब मिल झूले झूला
ठंडी ठंडी बह रही प्यारी हवा
आसमान में भी है बादल छाया
बंटी बबलू रामू राधा व श्यामा
सब कोई निकलो अपने अपने घर से........ 1
खूब झूला झूलेगें मिल हम सब
बारी बारी से हर कोई झूलेगा अब
कोई झगड़ा नहीं करेगा आपस में
छुट्टी है आज हम सब के स्कूलों में
जल्दी जल्दी आओ दौड़ कर बाग में......... 2
पानी बरसे या चले आंधी झूम कर
हम सब झूला झूलेगें खूब मिल कर
पानी में झूलने का तो है मज़ा निराला
गाना भी गायेगें आज तो हम सब
लम्बी लम्बी पेगें मारेगें हम सब........ 3
रंग बिरंगे गुब्बारे बाधेंगे झूले में
रंग बिरंगे गुब्बारे उड़ायेंगे हम
चाहे आज वर्षा भी हो झूम कर
झूला तो हम सब खूब झूलेगें ही
चलो आज हम सब झूले झूला......... 4
( यह मेरी मौलिक रचना है ---- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[03/01, 4:48 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन
आज की विधा :- बालकविता
विषय *झुला*
चिंटू पिंकी दशहरे की छुट्टियों में
मामा- मामी के गांव गए
मामा -मामी के बडे लाडले
गरमा गरम पकौड़े खाते।।१।।
मामा के गांव में आया मेला
वहां पर था ऊंचा झुला
चिंटू , पिंकी ने जीद पकडी
मामा के साथ देखने गए झुला।२।
दशहरे के मेले में था ऊंचा झूला
बैठे कोई उन पर तो अंबर को
छूले दशहरे के मेले में रौनक लगी थी गांव का दिखता सुंदर नजारा।
चिंटू पिंकी झुले मे बैठे
नीचे मामा मामी को हाथ हिलाते
जब झूला नीचे उतरता
तब पेट में कैसा कैसा लगता।४।
पिंकी जब झूला नीचे
उतरता पिंकी बडी,
घबराती थी चिंटू ने कहा मत घबराओ चिंकी झुला उपर जाने का यही है असली मजा।।5।।
झूला हवाई जहाज का मजा
दिलाता मामा मामी के साथ
मेले में घुमे गोलगप्पे खाए,
नानी को झूले की मजा बताते।6।
सुरेंद्र हरडे
नागपुर
दिनांक 03/01/2022
[03/01, 4:55 pm] Anita 👅झा: विषय -बाल गीत
* डिजनीलैंड बना झूला घर है *
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें
डिजनीलैंड बना झूला घर है
माया नगरी मीना बाज़ार है
भेष बदल कर आते जाते है
जहाँ इंसान जानवर बन जाते है
गाँव शहर लगा मीना बाज़ार है
फुलझड़ियों खेले आँखमिचोली है
डिजनीलैंड बना झूलों की बहार है
बच्चों को लुभायें हप्पी मेरी क्रिसमस है ।
नया साल आया ख़ुशियों भरा त्योहार है ।
झूम झूम हँसते गाते रंग रंगीला बाज़ार है ।
चिंटू मिंटू बबली पिंकी मिलकर झूला झूले
रोज़ी राकी ,जाकी टाकी करतब देखें
कही डमरू के झूले ,झूलते भालू बंदर है ।
देख जब मुनिया रोती पापा उसे झूलाते है।
जम्प कराते डायनाशोर कैटरपिलर लड़ जाते है ।
झूलों बैठे रंगा सियार और डागी की आवाज़ें है ।
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें ये मीना बाज़ार है
माया नगरी भेष बदल आते जाते है
अनिता शरद झा रायपुर
[03/01, 4:56 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: ( बालगीत)
***********
🌹 झूला 🌹
* ******************
झूला झूले कृष्ण कन्हाई राधा संग लाग लगाई राधा भी संग झूला झूले सब अपने सारे दुःख भूले।
सावन का महीना आया पेड़ों पर लटके झूले ऊंची ऊंची तान लेकर मनमोहन के संग सब झूमे ।
बागों में आई बहार , फूलों ने किया श्रृंगार, सबके मन झूम उठे , झूलों में सब झूल रहे ।
राधा संग झूले कान्हा कान्हा संग झूले राधा पूरा गोकुल झूला झूले
पूरी दुनिया भी झूल रही है।
आओ मिलकर झूमे गाएं
मिलजुल कर धूम मचाएं
झूले का त्यौहार मनाए,, झूल झूल कर मन बहलाएं।
खुशियों का सागर लहराए
सागर के लहऱों में सब डूबे
इन झूलों ने लाई बहार
सकल जग जन इसमें झूले।
********************
स्वरचित रचना .
डॉ. आशालता नायडू .
मुंबई . महाराष्ट्र .
********************
[03/01, 5:09 pm] कुम कुम वेद सेन: विषय झूला
वृंदावन मथुरा है गांव
आम आमराई कदम का है गाछ
श्री कृष्ण झूले झूला
संग में झूले बाल गोपाल
गोपी संघ की है यह टोली
झूला झूले कृष्ण मुरारी
आम की है यह बगिया
बगिया में लटके हैं झूला
सुबह हो या शाम का बेला
बच्चे झूल रहे हैं झूला
दो बैठे हैं दो झुलाए झूला
शहर का है या झूला
हर पार्क में बने हैं झूला
झूले की सजावट है प्यारी
बच्चों की लगी है क्यारी
रिमझिम वर्षा की है फुहारे
सखियां सब झूले झूला
गीत मनोरम मनभावन सब गाए
दूसरे का मन ललचाए
कुमकुम वेद सेन
[03/01, 5:53 pm] Anshu Tiwari Patna: झूला (बालगीत)
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मैंने कहा ,पिंकी बबलू गुनगुन
सब बच्चों साथ में आओ
चलो तुम सबको ले चलो
मैं झूला झुलाने,
जमा हो गई टोली उनकी
सब बच्चे मास्क पहन कर आये
देख उनकी समझदारी
खुश हो गया मेरा मन।
समझाया मुझे बच्चों ने
मास्क और डिस्टेंसिंग जरूरी है
इसीलिए हम सब बारी-बारी झूलेंगे।
रौनक देख उनके मुख मंडल पर
दिल खुश हो गया मेरा,
बातें सुन उनकी, लगा बड़ों से
ज्यादा समझदार हो गए बच्चे,
कभी एक झूलाता दूजा बैठे
तीजा झुलाये चौथा झूले
उनका ताल देख मन हर्षाया,
समझाया बच्चों को मैंने
ना कोई बड़ा ना कोई छोटा
झूले जैसा ही जीवन है
कभी झूला ऊपर तो कभी नीचे
यह सीख जरूरी है।
सबक सीखा बच्चों ने
पुलकित हो गया मेरा मन
मस्ती मजाक में उन्होंने
बड़ी-बड़ी बातें सीखी
जीवन में तालमेल जरूरी है
झूला हमें सिखाता है।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
[03/01, 6:03 pm] रानी अग्रवाल: झूला
३_१_२०२२,सोमवार।
विधा_ बालगीत,विषय_ झूला।
आओ हम झूला झूलें, झुलाई,
नभ को छूने झूले की पेंग बढ़ाई,
है बहार सावन की आई,
ठंडी मस्त चले पुरवाई।१।
संग साथी_ सहेली आई,
सब झूला के गीत हैं गाई,
अमवा डारी लदी बौराई,
कोयल कूहु कुहू गाई।२।
एक सखी मोहे झूला झुलाई,
दूजी संग मैंने होड़ लगाई,
झूला ऊपर_ नीचे जाई,
आंखें मीचूं, मैं घबराई।३।
बागों में हमने धूम मचाई,
धमा_ चौकड़ी खूब मचाई,
हमें देख प्रकृति हर्षायी,
बोली_"हरदम आना भाई"।४।
मैं छोटी सी गुड़िया कहलाई,
क्या जानूं प्रीत वा लड़ाई,
अपनी मौज में गुनगुनाई,
अब चलें घर, माई बुलाई।५।
स्वरचित मौलिक रचना____
रानी अग्रवाल,मुंबई।३_१_२०२२.
[03/01, 6:34 pm] Nirja 🌺🌺Takur: अग्निशिखा मंच
तिथि -3,,1,,2022
विषय - झूला- बाल गीत
घटा काली उमड़ने लगी
अहा बारिश की बूंदे़ भी पड़ने लगी
चुन्नू मुन्नू जल्दी आओ
,रस्सी में तुम गांठ लगाओ
आओ हम सब झूलें झूला
आम की डाल पर डालो झूला।
कहा बाबा से मैने, गले में डाल बहियॉं
कमला बिमला और आयेंगी सारी सखियॉं
हम सब हैं छोटे बच्चे कैसे डालें झूला
बाबा आम के पेड़ पर डाल दो झूला
कमला ,बिमला झूलें, लेती ऊंची पेंग
मुझे डर लगता बाबा तुम रहना मेरे पीछे
बाबा आम के पेड़ पर डाल दो झूला
अम्मा के जैसे मैं भी सावन के गीत गाऊॅ॓ंगी।
झूले में बैठ मैं ऊॅंची पेंग बढ़ाऊॅंगी
बाबा जब मैं बड़ी हो जाऊॅंगी
अपनी ससुराल चली जाऊॅंगी
हर सावन में आ कर झूला झूल
बूंदों से बतियाऊॅंगी
बाबा आम के पेड़ पर डाल दो झूला
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[03/01, 6:44 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: विषय- झूला
झूला पड़ गया अम्बुवा डार
राधा झूलें, पेंग लें, बार-बार
कान्हा आए रहें मुस्कात
सावन में झूला झुलावें
राधा कान्हा को निहारत
लजावत,सकुचात बार-बार
झूला पड़ गए अमुआ डाल ----
राधा झूलें, पेंग लें, बार-बार----
मोर मुकुट पहने कान्हा
बांसुरी अधर पर सजत है
मंद- मंद बजावत बांसुरिया
कदम की डार हिलत बार-बार
झूला पड़ गया अंबुवा डार----
राधा झूलें, पेंग लें, बार-बार----
ग्वाल-बाल सखा हंसत
सखियां ओढ़त चुनरिया
राधा के सोहे मांग पर बेंदा
नथनिया घुंघरुं बाजत बार-बार
झूला पड़ गया अंबुआ डार ------
राधा झूला झूलें,पेंग लें बार-बार----
डॉक्टर अंजुल कंसल "कनुप्रिया"
3-1-22
[03/01, 6:54 pm] पुष्पा गुप्ता / मुजफ्फरपुर: 🙏🥦अग्नि शिखा मंच 🥦🙏
💥विषय: झूला 💥
🌈बालगीत🌈
🥦दिनांक:03/01/22🥦
*********************************
चलो रे लीली झूला झूलें,
झूला झूलें नभ को छूलें।
बागों में पड़ गये हैं झूले,
चुन्नु- कुन्नू भी , संग झूले।
बाग में है एक नीम का पेड़
इसपर रहते हैं पक्षी ढेर ।
ऊपर ये सब कलरव करते,
नीचे हम सब झूला झूलते।
झूले में आती है मस्ती ,
हम बच्चों की लगती बस्ती।
*********************************
स्वरचित एवं मौलिक रचना
रचनाकार-डॉ पुष्पा गुप्ता
मुजफ्फरपुर
बिहार
🙏🙏🌈
[03/01, 6:55 pm] Chandrika Vyash Kavi: नमन मंच
विषय -: झूला
दिनांक -: 3/1/2022
झूला
*****
लकड़ी के पाट का वह झूला
आज तक मैं नहीं भूला
जब भी मैं झूले पर होता
मां की लोरी सुनकर ही सोता!
आसमान से बातें करता
बनता था वह मेरा उड़न खटोला
मेरे हर सपनों को रंग देता साधारण लकड़ी का वह झूला !
यादें हैं कुछ भूली बिसरी
कुछ कड़वी कुछ खट्टी
बात बात में कर लेते थे
इक दूजे से कट्टी !
याद करुं हूँ उन लम्हों को
जो अब भी झूले पर है पसरी
झूले की भूली बिसरी यादें अबभी
मुझको तो लगती है मीठी मिसरी!
चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
[03/01, 7:04 pm] आशा 🏆🏆जाकड इन्दौर: सावन के झूले
सावन के झूले पड़ने लगे,
गीत प्यार के कहने लगे ।
भाई बहिन को बुलाने लगे,
खुशियों के झरने बहने लगे ।
पेड़ पे कोयल गाने लगी,
गली मैके की बुलाने लगी ।
कब जायेंगे बाबुल के घर?
मैके की याद सताने लगी।
बालाएँ हँसके झूलन लगी,
परस्पर पैग बढ़ाने लगी ।
बरसो न बदरवा मेरे घर ,
मधुर संगीत सब गाने लगी।
जब नभ काली घटाएँ घिरे
बदरा चम-चम बिजुरी चमके
घटा देख मोर नाचने लगे
पिऊ- पिऊ पपीहा कूकने लगे।
राखी पर बहिना आयेगी ,
भैया को राखी बाँधेगी ।
भैया से बहिन भेंट लेगी ।
बहन भाई को आशीष देंगी।
आशा जाकड़
9754969496
[03/01, 7:33 pm] चंदा 👏डांगी: *!! सावन का झूला !!*
मम्मी मुझे झूलना है झूला
वही गाँव वाला
जो बंधा था आम के पेड़ पर
मोटी रस्सियों से
कितना अच्छा था
जब गये थे हम राखी पर
नानी के घर
कितने सारे बच्चे थे
बहुत ऊंचा जाता था झूला
कोयल , मोर भी होते वहाँ
ठंडी ठंडी हवा चलती
पार्क मे झूले तो बहुत
पर वैसा मजा यहाँ नही
मम्मी चलो वहीं चलते है
नमन,चीकू ,मीकू,आर्या रिया, टिंकू रिंकू
सबके साथ झूलेंगे
खूब मजा आयेगा
सावन के महीने मे
बरसते पानी मे
आम पर बंधे झूले को
मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी
मम्मी चलते है नानी के घर
💦🌳💦🌳💦🌳💦
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर मंदसौर मध्यप्रदेश
[03/01, 8:21 pm] निहारिका 🍇झा: नमन मंच
दिनाँक ;-3/1/2022
विषय आयोजन-झूला
झूमें खुशी में मुन्नू मीना
जाएं घूमने वो तो मेला
मम्मी पापा सँग हो तैयार
चले देखने फिर वो मेला
भीड़ भड़क्का रेला पेला
घूमेंगे हम ले के थैला
भर भर के हम खेल खिलौना
अब मन करता झूलें झूला
पींग बढ़ा दो मुन्नू भाई
झुलूँ आज बहुत ऊंचाई।
झूला झूलना बहुत है भाया।।
झूला सँग मेला भी भाया।।
निहारिका झा।।🙏🙏🌹🌹