पेड़ पौधे
बाल कविता
17/1/2022
पेड़ पौधे हमारी धरोहर हैं
धरा का श्रृंगार है ।।
क्यों काट रहे पेड़ पौधों को
यह देते हैं शुद्ध वायु।।
यह हमारा जीवन आधार हैं
क्यों काट रहे हो पेड़ पौधों को कौन बचाएगा धरा को वीरान होने से।।
मानव तू शैतान मत बन संभल जा धरा को श्मशान मत बना ।।
पेड़ पौधों से ही पृथ्वी की शान है धरा पर बहारें आती हैं।।
और मानव तू ईश्वर की अनुपम उपहारों का विनाश क्यों कर रहा है ।।
यह धरती पर उजाड़ बियाबान नजर आने लगेगी
धीरे-धीरे यह धरा नष्ट हो जाएगी।।
क्यों धरती पर कहर बरपा रहा है सब का जीवन क्यों नष्ट कर रहा है ।।
पेड़ पौधे काटने से पर्यावरण का तापमान बढ़ जाएगा
जंगल मकान सब उजार होते चले जाएंगे ।।
गर्म हो रही है धरती तप रही है सब की अकाल मृत्यु हो जाएगी।। खाने को अनाज नहीं मिलेगा कहीं सूखे की मार होगी।।
तो कहीं दूषित हवाओं से लोग बीमार पड़ जायेंगे।।
नदियों का जल सूख जाएगा बारिश को तरस जाएंगे।।
इंसान पैसों के लालच में झूठी शान मत दिखा
इतना अंधा मत हो ।।
प्रकृति से खिलवाड़ मतकर
मत काटो इन पेड़ों को ।।
यह हमारी धरोहर हैं
इनसे ही तो ऋतु में बाहर आती है।।
धरती पर इनसे ही तो सौंदर्य बढ़ता है
यह हमारी संपदा है ।।
उनका संरक्षण करो
ऑक्सीजन और पानी इनसे हमें मिलता है ।।
धरा का कण-कण खुशहाल होता है
पेड़ पौधे हमें सुंदर छांव देते हैं।। फिर क्यों इनको हम घाव देते हैं क्यों नहीं सोचते हैं कि
यह पेड़-पौधे है इनमें भी जान होती है।।
इनमें भी भाव होते हैं
तुम्हारी कुल्हाड़ी के वार से इनके आंसू निकलते हैं ।।
फिर भी यह निस्वार्थ हमारी सेवा करते हैं
हमारे शुभचिंतक हमारी धरा की शान हैं ।।
इनसे ही धरती पर रौनक रहती है रोक लो पेड़ों को काटने से ।।
जरा सी दया हो बाकी
इन पेड़ों को कटने से बचा लो बचा लो बचा लो।।
अलका पाण्डेय मुम्बई
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[17/01, 10:25 am] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: आज की विधा: बालगीत/ कविता
विषय : पेड़ पौधे
चलो पेड़ पौधे विकसाएं
सुंदर पर्यावरण बनाएं
उर्वी आओ, पूर्वी आओ
शिवम शुभम तुम भी आ जाओ।
जगह मिले तो जगह देख लो
या फिर कुछ गमले ले आओ।
फूल फलों के पौधे चुन लो
खाद और मिट्टी भी चुन लो।
मिट्टी में तुम गड्ढे खोदो
गमलों में तुम मिट्टी डालो।
फूलों के पौधे गमलों में
और फलों के सब गड्ढों में
सब में थोड़ा पानी डालो
रोज रोज फिर देखो–भालो।
घर आंगन सब महक उठेंगे
पूजा करने फूल मिलेंगे।
पेड़ फलों के बढ़ते बढ़ते
कई वर्ष तक हैं ले लेते।
लेकिन जब फलने लगते हैं
तब अच्छे लगने लगते हैं।
खाने को जब फल मिलते हैं
सबके मन तब खिल उठते हैं।
वातावरण महक उठता है
मन भी चहक चहक उठता है।
रोज बैठती उन पर चिड़ियां
खिल खिल करतीं हैं पंखुड़ियां।
चिड़ियों का संगीत मधुर सुन
भंवरे भी गाते हैं गुन गुन।
गंध और संगीत बिखरता
खुशियां मिलती स्वास्थ्य निखरता।
शिवम शुभम और उर्वी पूर्वी
समझ गए होगे तुम सब भी।
क्या महत्व पेड़ों पौधों का
क्या महत्व है फूल फलों का।
बच्चो घर भी एक बगीचा
यहां न कोई ऊंचा नीचा।
फूलों से तुम सदा महकना
तुम भी खूब फूलना फलना।
तुम महकाना जग का आंगन
वातावरण बनाना पावन।
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
[17/01, 12:04 pm] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर: पेड़ -पौधे
--------------–------
आओ हरियाली से
धरती का सम्मान करें
पौधों को लगाएं और
फूलों से प्यार करें।
यह धरती भारत माँ बनकर
सबको आश्रय देती है
अन्नपूर्णा बनकर हम सबका
लालन पालन करती है
फल फूलों से लदी डालियाँ
झुकना हमें सिखाती हैं,
पथ प्रदर्शक बनकर
प्रगति की राह दिखाती हैं
संकल्पों के वृक्ष लगाकर
कर्तव्यों का निर्वाह करें
आओ हरियाली से
धरती का सम्मान करें।
सावन की रिमझिम बूंदे
घुंघरू की तान सुनाती है
फूलों से महकती क्यारियां
हर दिशाओं को महकाती हैं
इन्द्रधनुष सप्तरंगी चूनर
धरती का सौंदर्य बढ़ाती है
केशरिया रंगों में रंगकर
दुल्हन सी शरमाती है,
स्वर्ण मंज़रियों में लिपटी
वसुन्धरा का गुणगान करें
आओ हरियाली से
धरती का सम्मान करें।
श्रीमती शोभारानी तिवारी
619 अक्षत अपार्टमेंट
खातीवाला टैंक इन्दौर म. प्र.
मोबाइल 8989409210
[17/01, 12:22 pm] वीना अडवानी 👩: बालगीत
पतंग
****
मेरी पतंग सबसे प्यारी
रंग बिरंगी इतनी प्यारी
चिन्नी , कागज़ से बनी
हैं पतंग मेरी सारी।।
मांजा कच्चे सूत का बांधा
दो चरखी में है आधा-आधा
आधा लाल तो आधा हरा है।।
संग मेरे सबसे बड़ा भाई खड़ा है।।
मुझे पतंग आज उड़ाना सिखाया
मुझे उड़ाके दी फिर पेंचा लगाया।।
मेरी पतंग का धागा कट पतंग दूर गिराया
मुझे देखो खूब रोना भी आया।।
मेरा भाई मुझे खूब समझाया
अरे छोटे पतंग संग पैंचे में ही मज़ा है आया
चलो दूजी पतंग संग उसे मज़ा चखाएंगे
उसकी पतंग अब कि बार हम काट गिराएंगे।।
मेरा मन फिर मुस्काया झटपट-झटपट
दूजी पतंग ले आया।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
*******************
[17/01, 12:24 pm] रामेश्वर गुप्ता के के: ।पेड़ पौधे।
पेड पौधे जहां रहते है,
बच्चे वहां खूब खेलते है।
उनकी देखभाल के लिए,
सुबह सबेरे पानी देते है।।
पेड़......................... 1
सुन्दर वातावरण रहता है,
खिले फूल अच्छे लगते है।
सुख देने वाली हवा के झोके,
मन प्रसन्न तन मन होते है।।
पेड़..........................2
पेड पौधों से जीवन होता,
ठंडी शीतल हवा बहती है।
प्यार जो बच्चों में रहता है,
वह संसार के सुख होते है।।
पेड़......................... 3
पेड़ पौधों में जान होती है,
यह हमारे वैज्ञानिक कहते है।
पेड़ पौधों जहां लगाये जाते,
सबका मन प्रसन्न करते है।।
पेड़...........................4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[17/01, 12:40 pm] स्मिता धारसारीया Mosi: पेड़ पौधे
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें
पेड़ ,पौधे इस जहान के ,
हरयाली चहुं ओर छायी ,
ये खेत खलिहान है हिंदुस्तान के |
प्रदुषण से इन्हें बचायें ,
हर और इन्हें लगायें ,
ये श्रृंगार है हमारे जहान के ,
कई रंगो में ये खिलते ,
महक चहुं ओर बिखेरते ,
यही हमारे जीवन दाता ,
बिन इनके हमारा जीवन नहीं चलता ,|
ये हमारे रक्षक दाता ,
सासें हमारी चलती इनसे ,
आओ सब मिल हाथ बढ़ायें ,
घर घर में इसे लगायें ,
हर जीव का यही है अन्नदाता |
इनको देख सब मुस्काये ,
तितली ,भवरें गुनगुनायें ,
चिड़याँ चहके मोर नाचे ,
गुड्डू बबलू ,कागज की नाव चलाये
बर्षा रानी रिमझिम बरसे ,
पौधे बिना जग है सूना ,
तन मन में स्फूर्ति लाये ,
आओ सब मिल इसे बचायें |
स्मिता धिरासरिया ,बरपेटा रोड
[17/01, 12:51 pm] निहारिका 🍇झा: नमन अग्निशिखा मंच
विषय;-बाल गीत
दिनाँक;-17/ 1/2022
🌴पेड़ पौधे🌴
लगा लिया इक़ पौधा हमने
बने जो कल को नीड़
बने जो कल को नीड़
बदले दुनिया की तस्वीर
बदले जो तस्वीर
सँग में मानव की तकदीर।
लगा लिया......।।।
हरित हरित हो छाया जिसकी
मिलेगी वायु शुद्ध
पाएं इससे औषधि
बालक युवा व वृद्ध
आस धरी हमने मन मे
बने हरा परिवेश
एक नीड़ में इतनी शक्ति
बच जाए हर जीव।निहारिका झा।🙏🙏
[17/01, 1:34 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: सोमवार /17/1/2022
समय - सुबह ८ से शाम ७ बजे तक
आज का विषय_ पेड़ पौधे
बाल गीत
चुन्नू मुन्नू रानू आओ।
तुम सब आकर पेड़ लगाओ।
तरु बड़े ही काम के होते।
जीवन में खुशियाँ हैं बोते।।
फलम फूल हवा काष्ट देते।
हम भरपूर छाँह हैं लेते।
जीवन टिका इन पे हमारा।
यही हमारे पालनहारा।।
बदले में कुछ भी न चाहते।
कुछ कर जाओ इनके वास्ते।
आश्रय हेतु निमंत्रण देते।
झूला बाँधो यह खुश होते।।
पेड़ सबके सहायक बनते।
पौधों को न सताया करते।
रात को आगोश में भरते।
इसी की छाँव में पशु चरते।।
धरा कटाव को रोक देते।
वायुशोधन वृक्ष कर लेते।
वृक्ष लगा के पुण्य कमा लो।
फल देंगें यदि तुम पत्थर दो।।
वैष्णो खत्री वेदिका
[17/01, 1:48 pm] Anshu Tiwari Patna: पेड़ पौधे (बाल गीत)
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बगीचे मैं पिंकू बबलू झूला झूले
जब आ गए मित्र 10 और
खेलें मिलकर सब लुका छुपी
कभी इस पेड़ों के पीछे
कभी उस घनेरी झाड़ियों के पीछे।
तभी रोती हुई पिंकी आई
बच्चे हो गए सब परेशान
क्यों रो कर हुई हलकान
पूछा- तो बताया उसने,
शहरों में नहीं है इस तरह
ढेरों पेड़ पौधे झाड़ियां सब
इमारते हैं ऊंची ऊंची
सड़कें भी हैं पक्की सब,
तभी पापा भी दिखे वहां
बोली पिंकी ,क्यों नहीं है
शहरों में भी पेड़ पौधे
मैं रहूंगी यही पापा
खूब मजा आ रहा यहां
खेले भी फल भी खाया
पापा ने सबको समझाया
पेड़ पौधे का महत्व बतलाया
बच्चों ने शपथ ली मिल कर
सब मिल पेड़ लगाएंगे
वातावरण रहे स्वच्छ हमारा
हम बच्चे भी उनकी गोद में
खेलते रहे हरियाली भी छाई रहे।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
[17/01, 2:01 pm] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
विधा:-- *बाल गीत*
शीर्षक:-- *पेड़- पौधे*
यही है सच्चे मितवा रे।
वन उपवन के चांद सितारे
किंतु आपने बिना विचारे,
इन पेड़ों को पत्थर मारे।
ये देते हैं मीठे मीठे फल
शुद्ध पवन देते पल प्रति पल।।
खड़े-खड़े कभी न हारे,
गर्मी में छाया देते हैं।
मन के पीड़ा हर लेते हैं।
मिलती शीतल मंद हवा रे,
इनके नीचे खड़े रहो बस।
चरण शरण में पड़े रहो बस।।
ए तो खुद है मुफ्त दवा रे,
जीव जंतु भी करे बसेरा
मिले पंछियों का भी डेरा,
यही है सच्चे मितवा रे।।
विजयेन्द्र मोहन।
[17/01, 2:12 pm] 👑सुषमा शुक्ला: कविता विधा
*प्राकृतिक सौंदर्यता*
प्रकृति की हरीतिमा ,
आंखों को ठंडक दे गई,
भू की हरी-भरी चुनरिया ,,,
वसुंधरा को पहना गई।
ललाम मंजुल कलित सुहावना,,
चहूं और प्रकृति मनभावना।
तरंगिणी निर्झरनि बहे,,,, झूम-झूम कर,,,, वायु पवन समीर चले,,, चूम-चूम करl
सलिल वारी वर्षा आ गई,,,
और हरियाली छा गई,,
मन मोर झूमे नृत्य करें,,
मन को ,,
आनंद से भरे।।।
रमणीक, कमनीय,,,,
बंद चक्षु हो गए नमनिय l
प्रकृति सौंदर्यताकी पराकाष्ठा ।
प्रभु के प्रति बढ़ जाए आस्था l
मतंग कुंजर मदमस्त चले ,,,,, नीरद मेघ घन पावन करें,
घटा घोप चहु और बरसे,,,
दरखत झूम-झूम हर सेl🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦
स्वरचित
रचना
सुषमा शुक्ल इंदौर
[17/01, 2:40 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: (बाल गीत)
************
🌿 पेड़ पौधे 🌿
********************
पेड़ पौधों की रौनक से, हरीतिमा का दुशाला ओढ़े है प्रकृति। ये हरीतिमा ही , धरती का आभूषण है।
और हम इंसानों का है जीवन।
इनसे मिलता है हमें ऑक्सीजन , और ये लेते हैं कार्बन डाइऑक्साइड,
अर्थात दूषित वायु ।
पृथ्वी का संतुलन बनता है इनसे , प्राणप्रद वायु देना , दूषित वायु लेना , यही क्रम पेड़-पौधों का, जीवित रखे है, हमारे जीवन को।
जहां जितनी अधिक हरियाली होगी, वहां उतना अधिक, जीवन संपन्न होगा ,
अगर जीवन को बचाना है, तो पेड़ पौधे लगाना होगा।
प्रति व्यक्ति एक पेड़ लगाने की, गर , जागरूकता आ जाए,तो , एक करोड़ तैंतीस लाख पेड़ अपने आप हरीतिमा फैला दें ,अपने देश में।
प्रत्येक व्यक्ति को ,अपना जीवन बचाना है ,तो अनिवार्यतः पौधे लगाना होगा , उसकी रक्षा का उत्तरदायित्व उठाना होगा।
उसे सुरक्षा देकर जीवित रखना होगा , उसे बडा करना होगा , व उसमें बहार लाना होगा ।
तो निश्चित ही हम सबका जीवन खुशहाली से लहराएगा , आनंद एवं सुख शांति और सुकून पाएगा।
********************
स्वरचित रचना.
डॉ . आशालता नायडू .
मुंबई . महाराष्ट्र .
********************
[17/01, 2:44 pm] रवि शंकर कोलते क: ।सोमवार दिनांक १७/१/२२
विधा *****बाल गीत
विषय***#**** पेड़ पौधे*****#
आ छगन मगन आज हम पेड़ लगाएं ।
रोज उन्हें पानीखाद डालकर जगाए ।।
ये रोज हमें देंगे फल फूलऔर दवा ।
और जीवनदायिनी ताजी शुद्ध हवाएं ।।१
हम सब पेड़ काटने वालों को रोकेंगे ।
स्वार्थी ना बनिए उनको समझाएंगे ।।
पेड़ पौधे नहीं रहें तो हम भी न रहेंगे ।
प्राणदाता है पेड़ मूर्खों को समझाएंगे ।।२
ये हरे-भरे पेड़ जीवन का आधार है ।
ये मांता वसुंधरा का सुंदर श्रृंगार है ।।
नदी झरने ताल इनसेही भरकर बहते ।
ये हमारी जिंदगी में लाते बहार है ।।३
हम भी पेडों सा लोगों के काम आए ।
निस्वार्थ भावना से सेवाएं देते जाए ।।
आओ बच्चों इन पेडों से कुछ सीखे ।
निजी स्वार्थ त्यागकर मानव धर्म निभाएं ।।४
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[17/01, 3:34 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: पेड़ पौधा ( बाल गीत) --- ओमप्रकाश पाण्डेय
माँ देखो वो आम का पेड़
जामुन ईमली बेर अमरुद
पपीता संतरा कटहल केला
नारियल व शहतूत भी है
मैं तो चढ़ूंगा इन पेड़ों पर
तोड़ तोड़ फल खाऊंगा........ 1
घर में मेरे तुलसी का पौधा
जल चढ़ाती माँ रोज नहा कर
रोज शाम जब हो जाता है
जब सूरज अपने घर को जाता
माँ हांथों में एक लेकर दीपक
तुलसी के चौरे पर रखती रोज ....... 2
सुन्दर सी फूलों की फुलवारी
मेरे घर से सटे हुए भी है
बेला गुलाब गेंदा चमेली
जूही गुड़हल चम्पा भी है
भौंरे आते खूब शोर मचाते
भिन भिन वे करते रहते......... 3
हरे हरे पेड़ पौधे जब होते
जब बगिया खिली खिली होती
जब फूलों से खिली होती फुलवारी
जब भौरों चहुंओर मचाते शोर
जब तुलसी के चौरे पर जलता दीपक
फिर धरती ही स्वर्ग मुझे लगता........ 4
( यह मेरी मौलिक रचना है --- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[17/01, 3:39 pm] 💃rani: अग्निशिखा मंच
विषय---पेड़-पौधे
विधा--- कविता
दिनांक---17-1-2022
पर्यावरण दिवस पर ---
बच्चों को शिक्षक समझा रहे पेड़-पौधों का महत्व
कि इनसे ही मिलता सबको जीवन जीने का तत्व ।
खूबसूरती तो बढ़ती ही है हर आँगन उपवन की
मिले आक्सीजन जब इन से तो चले साँस जीवन की ।
गर्मी में शीतलता देते और देते हमें घनी छाया
पक्षियों ने भी तो इन पर अपना घर सजाया ।
फल-फूल औषधियों का भी भंडार मिले इनसे
जिनके कारण हमने अपना शरीर स्वस्थ बनाया ।
घर आँगन सजाने ख़ातिर मानव इन पर आरी चलवाए
और धरती की सुँदरता को भी ख़त्म करता जाए ।
कहे शिक्षक बच्चों से
पेड़ों से ही जीवन है इन पेड़ों से प्यार निभाना तुम इनका सदा रखना ध्यान इनसे अपना जीवन महकाना तुम ।
जो ना समझे तो फिर प्रकृति कहर बरसाएगी
कभी भूचाल, बाढ़ कभी महामारी बन जीना दूभर जाएगी ।
प्रकृतिसे ही संतुलन बनता 'रानी'
मानव को प्रकृति आपदा से बचाना तुम ।
[17/01, 3:53 pm] मीना कुमारी परिहारmeenakumari6102: पेड़ -पौधों का दर्द
**********************
मैं पेड़-पौधा हूं
मैं हूं मित्र तुम्हारा
मुझे मत काटो
दर्द मुझे भी बहुत होता है
मेरा भी मन रोता है
मैं अपना फल नहीं खाता हूं
सब आप सभी को खिला देता हूं
जरा सोचो तो....?
किसी ने कितने। प्यार से
बरसों पहले मुझे सोया था
हवाओं ने लोरी गाकर सुलाया था
दूषित हवा पीकर मैं
स्वच्छ हवा देता हूं
सुन लो तुम सब ध्यान से मेरी बात
कभी ना करना मुझे पर प्रहार
करना तुम सब मेरा सम्मान
मैं ही हूं प्राणवायु जीवन का आधार
आज संकल्प लो देशवासियों
वक्ष लगाओ , वृक्ष लगाओ
चहुंओर धरती पर हरियाली लाओ
मुझसे ही नदी बचेगी , जल बचेगा
वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ
संसार को हरा -भरा बनाओ
डॉ मीना कुमारी परिहार
[17/01, 4:10 pm] Anita 👅झा: बाल गीत -
विषय -पेड़ पौधें
* काव्य रचना -तोता -मैना *
बोल मेरी मैना बोल मेरी मैना
मीठी तेरी वाणी है ,
तोते संग ये उड़ती है
चार सँखिया मैना है
तोते संग ये उड़ती है
करती ये चुंन चुंन है
बोल मेरी मैना बोल मेरी मैना
मीठी तेरी वाणी है
देख सखी ये मैना है
जाग सखी ये मैना है
तोते संग ये बैठी है
मंद मंद मुसकाती है
बोल मेरी मैना मेरी बोल
मीठी तेरी वाणी है
तोते संग तूँ उड़ती है
चुन चुन कर तूँ लाती है
सुखी घास है हरी दूब है
पेड़ों संग नये घोंसले बनाती है
बोल मेरी मैना मेरी बोल
मीठी तेरी वाणी है
चूँजो संग तूँ रहती है
उड़ना उन्हें सिखाती है
पेड़ पौधों पर बैठी हों
गुटूरुंगु करती मिलकर हों
बोल मेरी मैना मेरी बोल
मीठी तेरी वाणी है
नही किसी से डरती हो
नेक सुर सरताज सजाती
तोते की तुम मीठी वाणी हों
अपने रंग में रंगती हों
हरी भरी तुम रखती हो
सिया राम रटवाती हों
स्वरचित
अनिता शरद झा
रायपुर छत्तीसगढ़
[17/01, 4:19 pm] सरोज दुगड गोहाटी: * अग्नि शिखा काव्य मंच *
* बाल गीत *
* पेड़ पौधे *
दादी माँ से मिला अनमोल उपहार ,
सीख गया करना पेड़ पौधों से प्यार !
बागीचे के सब पौधों का नाम रक्खा ,
उनसे हो गया मेरा याराना पक्का !
सुबह उनको पानी पिलाने जाता हूँ ,
कुछ देर उनसे थोड़ी बातें करता हूँ !
टहनियाँ हिला हिला ज़बाब देते ,
खुशबु के झोंको से मुझे प्यार करते !
शाम को घर में बोर हो जाता हूँ ,
बगीचे में जाकर आराम करता हूँ !
शाम को चिडीयों की चहचहाहट ,
भँवरे करते मीठा मीठा गूंजारव !
रंग-बिरंगी तितलियों की फैशन परेड ,
कभी - कभी मुझको लगती अपडेट !
करोना में बाहर कैसे खेलने जाऊंगा ?
बगीचे के पेड़ पौधो से मन बहलाऊंगा !
मौलिक स्वरचित
सरोज दुगड़
खारूपेटिया
असम
🙏🙏🙏
[17/01, 4:27 pm] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: वीना अचतानी,
विषय *****पेड़ पौधे ***
काँप रही हर दिशा
प्रकृति का तन मन मुरझाया
हे मानव तुमने कैसा
आंतक मचाया
हरे भरे वृक्षों को काट गिराया
आज झरे जो कल थे हरे
पेड़ों को तुमने कैसे ज़ख्म दिये
नाभि में इनके अमृत था
आँधी आऐ तूफाँ आए
पेड़ वहीँ डटे रहे
तपती धूप में ठन्डी छाँव देते
रखते हमें स्वस्थ और दीर्घायु
कुदरत से मिली है सौगात हमें
यह ईश्वर का वरदान हमें
बड़ा अनमोल उपहार है
औषधि देते आक्सीजन देते
हे मानव तुमने कैसा ज़ख्म दिया
धरती को ऊसर करने को
क्यो मचल रहा
पहले जैसे नहीं रहे
हरे भरे जंगल
पक्षियों के रैन बसेरा
वृक्ष है धरती का गहना
कटते हैं जब जंगल
होता है अमंगल ।।।।।
स्वरचित मौलिक,
वीना अचतानी
जोधपुर, ।। ।।
[17/01, 4:31 pm] Nirja 🌺🌺Takur: अग्निशिखा मंच
तिथि - 17,,1,,2022
विषय- पेड़ पौधे
पापा फलों के बीज ला दो
मैं फलों के पेड़ लगाऊॅंगा
प्रतिदिन उसमें जल दे कर
उसको बड़ा बनाऊॅंगा।
साथ- साथ में बना के क्यारी
गेंदा गुलाब चंपा चमेली
गुड़हल ,रात की रानी
फूलों के पौधे लगाउॅंगा
गेंदा गुलाब से रंगीन हुई
चंपा चमेली से बगिया महक रही
गुड़हल सुंदर का फूल
अम्मा देवी को चढ़ा रही
और तुलसी जी में जल देकर
सांझ को दीप जला रही
आंगन के एक कोने में लगे हैं
अमरुद और जामुन के पेड़
मीठे-मीठे अमरुद और आम
दोस्तों को खिलाउॅंगा।
ये सारे पेड़ दे कर ऑक्सीज़न
हमको है जीवन देते
ये हमको इतना फल हैं देते
पर कभी अपना फल नहीं चखते।
हमें हमेशा परोपकार का संदेश देते।
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[17/01, 4:43 pm] कुम कुम वेद सेन: विषय पेड़ पौधे
पेड़-पौधों की हरियाली
जीवन में देती खुशियाली
सेवन करना है ऑक्सीजन
घर के आस-पास लगाओ पेड़ पौधा
कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर
वातावरण कर देती है सुरक्षित
सुंदरता की चाहत है तो
फूल पौधों की बगिया से बनाओ घर सुंदर
औषधि का सेवन करना है तो
पौधों का करें सेवा मिलेगा दवा
पेट में डालनी है रोटी दाल
खेतों में फसलों को करें उगान
चौखट दरवाजे की चाहत है
तो शीशम सागवान पेड़ लगाओ
पेड़ पौधे हर परिवार का एक वंश है
वंश बचाओ तभी तो पाओगे वंशज
बड़ी ही संवेदनशील होते हैं
करना ना तिरस्कार इन्हें नहीं तो मुरझा जाएंगे
सिर्फ भाषा की कमी है इनके पास
यह भी तो है एक जीवित प्राणी
कुमकुम वेद सेन
[17/01, 5:09 pm] रानी अग्रवाल: पेड़_ पौधे,हमारे मित्र।
१७_१_२०२२.सोमवार।
विधा_ बालगीत।
विषय_ पेड़ _ पौधे।🌳🍀
शीर्षक_ पेड़ पौधे ,हमारे मित्र।
आओ मित्रों एक बात बताऊं,
सच्चा_ सच्चा हाल सुनाऊं,
पेड़ पौधे उगाए, वो मित्र हमारा,
पेड़ पौधे कटवाए वो शत्रु हमारा
पेड़_ पौधे लाते हरियाली,
इनको देख मिले खुशहाली,
आंखों को शीतल करे,
इनका हरा रंग,
इनके उपकार जानोगे,
तो हो जाओगे दंग।
ये पीकर कार्बन ऑक्साइड,
करें शुद्ध वातावरण,
ये छोड़कर ऑक्सीजन,
दूर करें प्रदूषण।
देते हमको फल_ फूल,
जड़ी_ बूटियां, कंद मूल,
थके हरे बटेहू जो आएं,
पाकर इसकी छाया हर्षायें।
हवा चले जब ठंडी _ ठंडी,
बहे बयार जब मंदी_ मंदी,
पत्तियां मधुर संगीत सुनाएं,
चहुं दिशा सुगंध बिखराएं।
सदियों से हमको ईंधन दिया,
हमारे घर का चूल्हा जलाया,
इनसे मिलती वन संपदा,
दूर रहती प्राकृतिक आपदा।
इनके हम पर उपकार घनेरे,
इनकी रक्षा फर्ज़,तेरे_ मेरे,
खूब पेड़ पौधे उगाओ,
अपना जीवन आप बचाओ,
जो पेड़ पौधे उगाए,
वो मित्र हमारा,
जो इन पर आरी चलवाए,
वो शत्रु हमारा।
ओ पेड़पोधों,तुम देते हमें जीवन
तुमको हमारा शत_ शत नमन।
स्वरचित मौलिक रचना______
रानी अग्रवाल,मुंबई।
१७_१_२०२२.
[17/01, 5:29 pm] चंदा 👏डांगी: *!! पेड़ -पौधे !!*
आओ बच्चो चलो चले हम
पहले पौधे अनेक लगाए हम
फिर अपना जन्मदिन मनाए हम
आज हम प्रतिज्ञा लेंगे
पौधे हर जन्मदिन पर लगाएंगे
धरती माँ को सजाएंगे
फिर अपना जन्मदिन मनाएंगे
जब धरती पर पेड़ पौधे होंगे
वातावरण मनमोहक होगा
आक्सीजन की कमी ना होगी
सुंदर हमारी ये धरा होगी
पर्यावरण की छटा निखरेगी
हरियाली चारों ओर होगी
फल,फूल, सब्जी भरपूर होगी
नीम,पीपल,बड़ अशोक, चांदनी,शीशम,बांस, सरजना
सब तरह के पौधे लगाए
पौधे लगेंगे, पानी बरसेगा
कभी अकाल नहीं पड़ेगा
धरती को हरा भरा बनाए
पूर्वी ने सबको लिया साथ मे
मिलकर सबने पौधे लगाए
🌳🌷🌴🌸🎋💦🪴🦚
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर मंदसौर मध्यप्रदेश
[17/01, 5:39 pm] वीना अडवानी 👩: हरा भरा सा पेड़ हू़ मैं
कितनी विशाल हूं देखो
राहगीर को छाया देता
दो पल मुझको देखो।।
कितने तरह के फल भी देता
बदले में मैं कुछ ना हूं लेता
खाओ ताजे मीठे फल मेरे तुम
कुछ संदेश मैं भी हूं देता।।
सब्र मुझमें है कितना सारा
एकाग्र खड़ा मैं सदा बेचारा
किसी ने कुल्हाड़ी से भी मारा
पर मैं अपनी जड़ों संग अड़ा बेचारा।।
पुन: मैं पेड़ धीरे-धीरे बढ़ता
ऋतुओं संग मैं भी हूं लड़ता
मुझमें समाई धीरज कि जड़ता
फल दे, छाया दे हरे पत्तों संग सजता।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
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[17/01, 5:40 pm] रागनि मित्तल: जय मां शारदे
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अग्निशिखा मंच
दिन -सोमवार
दिनांक- 17/12022 बाल गीत
प्रदत्त विषय - *पेड़ पौधे*
पेड़-पौधे सबसे जरूरी, इनसे ही हमारा जीवन। जब ये होते हैं तभी मिल पाती है ऑक्सीजन।
पेड़ पौधों से प्रदूषण कम होता है।
इनसे ही जमीन में बीज नम होता है।
पेड़-पौधे ही आसमान से बादल अपनी ओर खींचते हैं।
तभी पानी बरसता और हम खेत सीचते हैं।
जब हम खेत सीचते हैं,तभी होता है अन्न।
वो अन्न बेचकर हम बन पाते हैं संपन्न।
इसके साथ- साथ ही पेड़ पौधे देते हैं दवाई।
जिनके उपचार से कई बीमारियां ठीक हो पाई।
पेड़ पौधे काटकर ही हम फर्नीचर बनाते हैं।
इनकी लकड़ी से ही कई चूल्हे जल पाते हैं।
अतःतात्पर्य यह कि हर क्षेत्र में पेड़ पौधों का
बहुत बड़ा योगदान है।
इसलिए पेड़-पौधों को जीवित रखना,हमारा पहला प्रावधान है।
बच्चों को यही बात सिखाई जाए।
पेड़ पौधों की महत्ता बताई जाए।
रागिनी मित्तल
कटनी ,मध्य प्रदेश
[17/01, 5:45 pm] डा. महताब अहमद आज़ाद /उत्तर प्रदेश: पौधे पौधे
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प्रदूषण तो अब आम बात हो गयी।
यह तो जीवन के लिए ज़हर हो गरी।।
घुटता है दम तो टूटती कहीं सांस है।
जिंदगी तो अब जीनी दूभर हो गयी।।
अब तो धरती भी हरी भरी नहीं रही।
पेड़ उखाड़ना जब से इंसा का चलन हो गया।।
आज का इंसा ही प्रदूषण का जन्म दाता है।
वह खुद ही पर्यावरण का दुश्मन हो गया।।
धरती पर हरियाली की चादर बिछाकर।
इंसा को प्रदूषण से बचना होगा।।
*आज़ाद*जीवन अगर सुरक्षित रखना है तो।
वनों का विनाश होने से बचाना होगा।।
*डा.महताब अहमद आज़ाद*
उत्तर प्रदेश
[17/01, 6:24 pm] पुष्पा गुप्ता / मुजफ्फरपुर: 🙏🌹अग्नि शिखा मंच 🌹🙏
🌿 विषय:" पेड़- पौधे"🌿
🌳"बाल- कविता "🌳
🌴दिनांक:17/01/22🌴
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पेड़- पौधे की अजीब है दुनिया
इनकी सोचो , कहती मुनिया ।
एक जगह पर रहते हैं - खड़े ,
पर ,काम करते ये बड़े- बड़े ।
प्राणियों को हैं -ऑक्सीजन देते ,
उनका कार्बनडाई खुद ले लेते।
फल- फूल, छाँव दूसरों को देते
बदले में हैं , क्या कुछ लेते ?
इन्हें हमेशा प्यार चाहिए ,**
जीवन का सत्कार चाहिए ।
पौधे भी हँसते - रोते हैं ,
ऐसा कहा जगदीश चंद्र बसु ने।
इनकी सेवा करना सुखकर है ,
पर्यावरण को सुरक्षित रखकर ।
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स्वरचित एवं मौलिक रचना
रचनाकार-डॉ पुष्पा गुप्ता
मुजफ्फरपुर
बिहार
🌹🙏🌹
[17/01, 6:34 pm] हेमा जैन 👩: विषय -पेड़ पौधे
मैं नन्हा सा बच्चा हूँ
नन्हा सा मेरा पौधा है
नन्हें से मेरे सपने है
नन्ही सी मेरी कोशिशे
पहले नन्हा सा बीज डाला मैंने
फिर पानी व खाद डाला मैंने
रोज उसकी देख भाल करता
रोज उसे बड़ा होते देखता
फिर आया वो समय जिसमें
ज़ब फूले खिले नन्हें से पौधे में
मन खुश हुआ देख कर
मेरी मेहनत सफल देख कर
क्योंकि माँ हमेशा मुझसे कहती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
हेमा जैन (स्वरचित )
[17/01, 6:34 pm] 💃💃sunitaअग्रवाल: बेचैन धरा के
पेड़ पौधे
धरती मां के अश्क बहे, कर रही हाहाकार,🌹
बचाओ अस्तित्व मेरा,। सब मिल करे विचार🌹
स्वार्थ में तू भूल गया प्रदूषण का किया प्रहार🌹
दोहन कर तूने दुःख- दर्द दिया, हर और अत्याचार बड़ा🌹
सूखती नदियां, घटते जंगलों, कटते पहाड़, बिखरते हिमखंड,हो रही प्रदूषित धरा🌹
मां हूं तेरी, तेरा भला ही चाहूंगी
तुझे देती हूं, क्या लेती में तुझसे?
मेरी ममता को जान मुझ पर कर एक अहसान
*मुझसे करे प्यार तो वृक्षारोपण कर हजार*🌹
*मुझ धरती मां को फिर से हरा भरा कर दे*🌹
में तेरा दामन हीरे मोती करू गुलज़ार 🌹🌹🌹🌹
तेरी झोली भर दे दू प्यार🌹
सुनीता अग्रवाल इंदौर स्वरचित
[17/01, 6:39 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन🙏
आज की विधा :- बालगीत
विषय *पेड पौधे*
चिंटू मिंटू पिंटू घुमने गए बाग
देखा बाग में सुंदर सुंदर गुलाब
माली बाबा दे रहे पानी खाद
पेड हमे देते फल एव फूल।।१।।
चिंटू ने कहा, कितने लगे रसिले
आम, माली बाबा ने कहा पेड़
पौधे में होती है जान यह जगदीश
बोस ने कहा प्रकृति के फुल है शान
प्रकृति ने सबकुछ दिया है मानव
को फल फूल अनाज देते हैं
धरती पर पेड पौधे लगाए के
पर्यावरण की रक्षा करते।।३।।
माली बाबा ने कहा पेड़ पौधे
नहीं होगे नहीं मिलेगा प्राणवायु
चिंटू मिंटू ने बाजार से ले आये
बीज, और पौधे लगाए आंगन मे।
आप भी पेड पौधे लगाओ
तोड़ने वालो मत तोडो
पेड को हर साल पर्यावरण दिन वृक्ष लगाके मनाओ कसम खाओ आज।।५।।
हरे भरे पेड़ है जिंदगी का आधार
धरती पर लगता है यही है श्रृंगार
शासन हर साल लाखों पेड़ लगाते
आप भी लगाओ पेड मानव धर्म
निभाओ यही संदेश देता हूं मैं।६।
सुरेंद्र हरड़े
नागपुर
दिनांक १७/०१/२०२२
[17/01, 6:39 pm] Chandrika Vyash Kavi: नमन मंच
विषय -: पेड़-पौधे
दिनांक -: 17/1/2022
मीनू देखो वो आम का पौधा
पापा ने था इसे लगाया!
ये पपीता वो जामुन का पौधा है
जब भी मैं कोई फल खाती
बीज उसके मैं गमले में रखती
कुछ हफ्तों में पौधा खिल आता
देख मेरा मन खिल खिल जाता !
टीचर पर्यावरण का पाठ पढा़ती
पौधों का महत्व मैं समझ जाती
जीवन देते हैं हमको यह पेड़ पौधे
ये प्रकृति को समतल है बनाते!
जीवन में मुस्कान बिखेरती
सांस बन जाती है हमारी
प्रकृति को हरित बना
धरा का है सौंदर्य बढा़ती !
जल की आपूर्ति भी ये करते
कृषि के जीवन में हर्ष भर देते
जीवन का आधार हैं पेड़ पौधे
मेरे बगीये की शान है पेड़ पौधे!
मीनू दृढ़ संकल्प करो
तुम भी पेड़ लगाओगी
अपने आमों की बगिया में
मुझको भी बुलाओगी !
चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
[17/01, 6:58 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: अग्निशिखा मंच
विषय- पेड़ पौधे (बाल गीत)
पेड़ पौधे हैं निराले
हरे- हरियाली फैलाते
एक जगह पर लगे- लगे
टुकुर टुकुर देखते मुस्कुराते
गमले में भी मिर्ची लग जाती है
तीखी-तीखी सुंदर लाल दिखती
मुनिया झुनिया हंस-हंसकर
गमले- क्यारी में पानी देतीं
मां भी प्यार से सहेजती हैं
तुलसी चौरा का फेरा लगातीं
पौधे हमें ऑक्सीजन देते
शुद्ध श्वांस हम पाते रहते।
डॉक्टर अंजुल कंसल "कनुप्रिया"
17-1-22
[17/01, 7:24 pm] श्रीवल्लभ अम्बर: 🙏 नमन मंच🙏
प्रकृति सौंदर्य
सुंदर सुंदर,पेड़ सजीले
मोहक रंग रंगीले,,
प्रीकृति का करे गुण गान।
मंद मंद पवन में छेड़े तान।
जीवन को ये महकाते है।
जीवन के राग सुनाते है।
इनका अपना जीवन है।
ये मत समझो ये निर्जीवन है।
वरना केसे ये हरे भरे रहते,
कैसे हमे ये ,मीठे मीठे फल देते।
जब इनकी जड़ों में चोट लगे तो,
मुरझा जाते है।
जब भी इनको पानी मिलता ,
ये हरे भरे लहराते है।
खुशबू इनके फूलो में,
मधुरम रस भरा है फलों में
आयुर्वेद की औषध इनमे,
रोग भगाने की ताकत इनमे,
हरी भरी सब्जी ये देते,
भोजन को ये स्वाद से भरते।
फिर भी बोलो ये कटने पर,
जरा किसी से शिकायत न करते।
बीज, खाद, और जल है लेते,
बदले में कितना कुछ देते,
कभी कोई ये मांग न करते,
पैसा,कोड़ी धरम ,ये कुछ ना लेते।
फिर बतलाओ मानव ,
इनको क्यों दुख है देते,
जबकि पीड़ा ये सब हर लेते।
प्रूकृति का ये आनंद, हैं देते,,
मत काटो इन्हे ये जीवन देते।
🙏 श्रीवल्लभ अम्बर🙏
[17/01, 7:46 pm] उमा पाण्डेय - झांरखड: अग्निशिखा मंच
मंच के सभी सुधिजनों को नमन🙏
आज का विषय: पेड़ पौधे
विधा: कविता (17/01/2022)
कड़क शीत ऋतु के चरम पर आ जाने से ,
शीतल बर्फीली हवाओं को छूकर प्रकृति भी हो गई है अब तो मौन,
न शाखों पर शोख़ फूलों के झुरमुट
न नए कोपल पत्तियों का आगमन
जहां देखो नजारा ठंड में ठिठुर गईं डालियां पेड़ों की ,
देख पेड़ पौधों की शिथिलता, प्रकृति भी अब तो है मौन ,
बर्फ़ का दुशाला ओढ़े पेड़ पौधे साधे हैं चुप्पी यूँ जैसे
सूरज की एक झलक पाने को है बेचैन बौराई प्रकृति भी अब तो /
है प्रतीक्षा बेसब्री से शीत से विदा होने का ,
और वसंत के आगमन का/
और बसंत के आगमन का//
स्वरचित : *उमा पांडेय*
जमशेदपुर
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