ये साल भी बीत गया
साल गया बीत
मगर हालात नहीं सुधरी
टूट कर बिखर गये थे
उनकी हालत नहीं सुधरी
नौकरियाँ चली गई
घर की हालत बिगड़ी
मगर जज़्बात वही हैं,
किसको दोष दे हम
सब की हालत वही हैं
कौन अपना कौन पराया
चेहरे पहचाने नहीं जाते
ये साल भी बीत गया !
किसी की माता चली गई
किसी के सर बाप का साया गया
कोई विरहा गीत गा रहा हैं ।
ये साल बीत गया ।।
जिसको चाहा वो मिला नहीं,
मन का दर्द भी बढ़ता रहा
ये मन का फूल भी खिला नहीं,
न ख़ुशी की कोई खबर मिली
बस ग़म का पहाड़ टूटता रहा
एक पत्ता ख़ुशी का हिला नहीं,
मुझे छोड मेरा मनमीत गया,
ये साल भी ग़मों में बीत गया
न मेरा कोई काम हुआ,
न जग में कोई नाम हुआ,
न पैसा मिला ,न मौज की
जीवन यूँ ही संघर्षो से घिर रहा
अपनो की ख़ैरियत की दुआ करता रहा
ये साल धीरे धीरे बीत गया
ईश्वर हम लोगों पर दया करो,
इस साल को आखिर कामयाब करो
चंद दिनों का जीवन है मुश्किलें कुछ आसान करो ।
कुछ हम सब के जीवन में
ख़ुशियों का रंग नया भरो,
जीवन में आये रौनक़ें नई
हर मानव का चेहरा खिला रहे
घर घर आये ख़ुशियों की बारात
दुखों के बादल छट जाये अब न अपनों से कोई जुदा हो
ये साल धीरे धीरे बीत गया
अलका पाण्डेय मुम्बई
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
[26/12, 4:15 pm] हेमा जैन 👩: नववर्ष
नया साल है आने वाला
कितना कुछ है बदलने वाला
ये जाने ना कोई दिलवाला
दिन गुजरे महीने गुजरे साल बिता
खौफनाक दर्द का मंजर बीता
पुरानी त्रासदी ने अपनों को छीना
सपनों के कई महल छीने
तारीख तिथि महीने चाहे गुजर जाये
बस आने वाले साल में कोई अपना ना बदल जाये
परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है
यही वास्तविक सृष्टि का सच है
लेकिन परिवर्तन हर बार अच्छा नहीं होता
और जो हालात के साथ बदल जाये तो अपना नी होता
बीते बरस की उम्मीदें राह देखें
नये साल से एक आशा की राह देखें
कुछ अधूरे सपनों की मंजिल का रास्ता देखें
तो कुछ मंजिल पर जाकर रास्ता भटके
हेमा जैन (स्वरचित )
[26/12, 4:25 pm] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: वीना अचतानी
अग्नि शिखा मंच को नमन
******बीत गया साल *****
श्रम के पुजारी
अथक परिश्रम
करने वाले
अभावों में जन्म लेते
अभावों में पलते
अभावों में चले जाते
समय की गति में
दिन सप्ताह महीने
यो हीं गुज़र जाते
और फिर कैसे
बीत जाता है साल
वो समझ नहीँ पाते
मेहनत की लय पर
जिन्दगी के गीत गाते
सुबह सवेरे कूड़े के
ढेर से कागज पन्नी
बीनते बच्चों को नहीँ
पता कैसे बीता साल
श्रम की साधना में
सच्चा सुख पाते
सृजन की डगर पर
पल पल पसीना बहाते
भूल जाते दिन महीने साल
वे समझ नहीं पाते
कैसे बीता ये साल।।।।
स्वरचित मौलिक
वीना अचतानी
जोधपुर ।।।।
[26/12, 4:27 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: नए साल का आगमन
नव वर्ष तुम झूमते गाते इतराते आना इस नए साल में।
अपने साथ नई उम्मीदें व् खुशियाँ हैं लाना इस नए साल में।
1. रहा है कई हादसों का गवाह यह समय विगत कई सालों से ।
कईयों ने खो दिया है अपना सब कुछ बीते पिछले सालों में ।
पुरानी गलतियों को तुम न दोहराना इस नए साल में
अपने साथ नई उम्मीदें-खुशियाँ हैं लाना इस नए साल में।
2 . धर्म जात और भाषा ने पैदा की हैं दूरियाँ पिछले कई सालों से ।
रिश्तों से ऊँची हो गई ख्वाइशें भाई-भाई लड़ते पिछले सालों में ।
जो हो गया उसे हादसा समझ कर भूल जाना इस नए साल में ।
अपने साथ नई उम्मीदें व खुशियाँ हैं लाना इस नए साल में।
3 . कितनी बड़ी विडम्बना है देश का पालनहार भूखे पेट सोता है।
सूखे. बाढ़ और कर्ज की चपेट में आकर बेबस मन ही मन रोता है।
फिर इन बेसहारे भूमिहरों को असीम दुःख से उबारना इस नए साल में
नव वर्ष तुम झूमते गाते इतराते आना इस नए साल में।
अपने साथ नई उम्मीदें व खुशियाँ हैं लाना इस नए साल में।
वैष्णोखत्रीवेदिका
[26/12, 4:32 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: बीत गया साल ( 2021) ----- ओमप्रकाश पाण्डेय
करोना महामारी फैली थी पूरी दुनिया में
पूरे देश में भय से कांप रहा था हर कोई
घर से बाहर मास्क पहनना पड़ता
घुसते ही घर में हाथ पांव धोना पड़ता
एक भय का माहौल फिजाओं में था....... 1
अस्पताल में भी जगह बची नहीं
आक्सीजन भी मिलना मुश्किल था
डाक्टर नर्स कम्पाउंडर परेशान सब
मरीज आखिर करे तो करे क्या
एक भय का माहौल फिजाओं में था......... 2
घर में बन्द बन्द था हर कोई
बन्द पड़ा था कालेज स्कूल
बच्चों का बन्द था खेलना कूदना
गलियां सड़कें चौराहे सब थे सूने
एक भय का माहौल फिजाओं में था......... 3
बाजार दूकानें सब बन्द पड़ी थी
आफिस भी कोई कहाँ खुला था
वर्क फ्राम होम तो आवश्यक हो गया
बेकार हो गये मजदूर कारीगर सब
एक भय का माहौल फिजाओं में था.......... 4
इसि बीच कुछ अच्छा भी हुआ देश में
हमारे वैज्ञानिकों ने कर दिया कमाल
करोना का वैक्सीन बनाया देश में ही
आशा का संचार हो गया जन जन में
एक भय का माहौल फिजाओं में था........... 5
( यह मेरी मौलिक रचना है ----- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[26/12, 4:37 pm] Nirja 🌺🌺Takur: अग्निशिखा मंच
बीत गया साल
बीत गया साल ये भी,
कुछ हंसाते कुछ रुलाते
कोरोना की मार से था अधमरा
थोड़ा सा ज़िदा ,थोड़ा सा मरा
2020 ने था क्या कम सताया
जो 2021 ने भी बदला निभाया
जब आया 2021 लगा जीत रहे हैं हम
धीरे-धीरे ही सही को भगा रहे हैं हमकोरोना
खुलने लगे ऑफिस और बाज़ार
बाहर निकलने लगे लोग
जो घर बैठे थे बेज़ार।
खुल गए मॉल ज़िंदगी हो रही गुलज़ार
लोग घूमने जाने लगे पहाड़ों पर
हर तरफ ,चारो ओर बढ़ा व्यापार
फिर नाम सुना ओमीक्रान का
वो भी भाई निकला कोरोना का
पर अब इससे नहीं डरेंगे हम
फिर से घर में नहीं बैठेंगे हम
ज़िंदगी जैसे चल रही है चलायेंगे
हॉं मास्क पहनने और दूरी रखने का वादा जरुर निभायेंगे।
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[26/12, 4:45 pm] 👑सुषमा शुक्ला: नवांकुर,
नवसृजन वक्त आएगा,
नवांकुर फूटेंगे, प्रकृति के रंग खिल जाएंगे ,
मानव मुस्कुराएगा🙏
नवभोर रवि सतरंगी, खिलते,पलते बहुरंगी,
आस्था ईश में आएगी,
उत्कर्ष से प्रेम जगाएगी🙏
उत्थान की ओर जाना है,
उदित सूर्य सा चमकाना है,,
अमृत की लालसा ना कर,
बस सत्कर्म करते जाना है l
सरिताए निर्मल जल होंगी,
त्रप्तता की बानगी होगी,
प्रत्यक्ष प्रकृति का सौंदर्य होगा,,
धरती माता सुखों से भरपूर होगी l
स्वरचित रचना
सुषमा शुक्ला
[26/12, 4:46 pm] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: नव वर्ष का स्वागत गीत
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा
विगत वर्ष ने बहुत सताया
अब तो तुम ही एक सहारा।
स्वागत …..
21 को जब जब भी उलटा
12 था पाया
बारह बाट कर दिया इसने
क्षण क्षण तड़पाया।
कोरोना बैरी ने छीने
कितने ही प्राणी
बचा खुचा मंहगाई मारी
रोना ही आया।
22 को उल्टेंगे तो
22 ही पाएंगे।
सभी धान 22 पसेरी
देंगे यह नारा।
स्वागत ….
आशा है 22 में सब कुछ
अच्छा ही होगा।
जिसने जो सपना देखा है
सच्चा ही होगा।
नहीं निराशा हाथ लगेगी
ऐसी आशा है
जीत हार का सारा चिट्ठा
कच्चा ही होगा।
महीना महीना भाग्य नगीना
चम चम चमकेगा।
हीरा ही बन जाय
वर्ष यह सारा का सारा।
स्वागत ….
खेत खेत में हरियाली
खुशहाली लाएगी।
होंगे सब धनवान,
न कंगाली रह पाएगी।
नदियां सिर्फ करेंगी कल कल
कलें करें कलरव
नींव नित नए कार्यक्रमों की
डाली जाएगी।
हार नहीं मानेगा कोई
सब ही जीतेंगे।
सब के सब ही बनकर उभरें
साथी और सहारा।
स्वागत …
चाहे जितना गहरा लम्बा
सागर हो जग में।
आता है हमको सागर को
भरना गागर में।
कितने भी ऊँचे पर्वत हों
कितने भी चौड़े
रख सकते हैं सबको अपने
आलय में घर में।
जीवन की कड़वाहट पीकर
हम मिठास लाते
सबको मीठा कर सकते, हो
कितना भी खारा।
स्वागत ………..
हम मेहमान नवाज
अतिथि का स्वागत हम करते।
शरण पड़े हर शरणागत की
रक्षा हम करते।
हम प्रकाश भर देते हैं घनघोर
अँधेरों में
मरझाए चेहरों पर हम
मुस्कानें ला सकते।
हमें हमारी धरती प्यारी
अंबर है प्यारा
तृण तृण प्यारा हमें
हमारा कण कण है प्यारा।
स्वागत …..
डॉ. कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
[26/12, 4:48 pm] रवि शंकर कोलते क: रविवार ****२६/१२/२१
विधा *****काव्य
विषय***
#**** बीत गया साल****#
^^^^^^^^^
दर्द पीड़ामें सिसकता हुआ बीत गया साल ।
मनहूस कोरोना से लोग हुए दुखी बेहाल ।।
ऐसी आंधी चली है महामारी की देश में ।
बाग उजड़े कलियां बिखरी फूल हुए बेडाल ।।१
बिस्तर नहीं मिल रहे थे वायु की किल्लत थी ।
हताश थे जिनकी करोड़ों की मिल्कियत थी ।।
लोग पास के दूर गए अपने भी बेगाने हुए ।
हर तरफ दूरियां बेबसी और जिल्लत थी ।।२
नया साल खुशिकी रोशनी लेकर आएगा ।।
सबके लिए हंसती गाती जिंदगी लाएगा ।
खुशहाल होंगा इस भारत का कण-कण ।
जहां में मेरा भारत उंचा मुकाम पाएगा ।।३
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[26/12, 4:48 pm] मीना कुमारी परिहारmeenakumari6102: बीत गया साल स्वागत करें नववर्ष का
**************************
आओ स्वागत करें हम नव वर्ष का
नव किरण संग नव उमंग जगाये
बढ़ायें सफलता की ओर कदम
स्वागत करें नववर्ष का हम
किसी का दिल हो अगर कभी दुखाया
उससे मांग माफी गलती हम मान लें
मन में सबके प्यार जगाकर
खुद भी प्यार संग जीना सीखें
हम सहें न किसी के ज़ुल्म
सत्य, न्याय का मार्ग अपनाएं
आओ स्वागत करें हम नव वर्ष का
कुछ ऐसे
सारे अवगुणों को त्यागें हमनई राहों पर चलेंगे हम
एकता और भाईचारे का पाठ
पढ़ाके खत्म करेंगे अपने वहम को
पाकर अपनों का साथ सदा
दिलों में बढ़ाएंगे खुशियां अपार
खुद को बनाएंगे सक्षम
आओ स्वागत करें हम नव वर्ष का ऐसे
आओ संकल्प करें हम कुछ मिलकर
कुरीतियां जो फैली समाज में
उसे मिटाना है
देश हित ही हो अपना उद्देश्य
विकास में हम सब करें मदद
आओ स्वागत करें हम नव वर्ष का
हमको है अभिमान देश का
डॉ मीना कुमारी परिहार
[26/12, 4:50 pm] पुष्पा गुप्ता / मुजफ्फरपुर: 🌹🙏अग्नि शिखा मंच 🙏🌹
🌿 विषय :बीत गया साल🌿
🦚दिनांक:26/12/21🦚
*********************************
पूछो ना हाल !!
न जाने कैसे-कैसे
बीत गया साल,,,,!!!
कभी मिली खुशियाँ ,
और कभी मिले दुख
जीवन की गाड़ी चले ,
कोई कैसे रहे बिमुख ।
पूछो न हाल !!
न जाने कैसे-कैसे
बीत गया साल ,,,,!!!
आधा साल बीता -
कोरोना की लहर में
कई लोग गाँव में, तो
कई रहे शहर में ।
पूछो ना हाल !!
ना जाने कैसे-कैसे
बीत गया साल,,,,!!!
रावत दल की दुःखद
मौत की घटना ,
कितना बड़ा हादसा
हुआ कैसा सदमा !!!
पूछो ना हाल!!
जानें कैसे-कैसे
बीत गया साल,,,,!!!
ईश से है प्रार्थना
आनें वाला साल लाए
खुशियाँ हजार
लेकर आए नया साल ,,,,!!!
पूछो ना हाल!!
ना जाने कैसे-कैसे
बीत गया साल,,,,!!!!
*********************************
डाॅ.पुष्पा गुप्ता ,मुजफ्फरपुर
बिहार
🌹🙏
[26/12, 4:52 pm] सुरेन्द्र हरडे: रविवार ****२६/१२/२१
विधा *****काव्य
विषय***
#**** बीत गया साल****#
^^^^^^^^^
दर्द पीड़ामें सिसकता हुआ बीत गया साल ।
मनहूस कोरोना से लोग हुए दुखी बेहाल ।।
ऐसी आंधी चली है महामारी की देश में ।
बाग उजड़े कलियां बिखरी फूल हुए बेडाल ।।१
बिस्तर नहीं मिल रहे थे वायु की किल्लत थी ।
हताश थे जिनकी करोड़ों की मिल्कियत थी ।।
लोग पास के दूर गए अपने भी बेगाने हुए ।
हर तरफ दूरियां बेबसी और जिल्लत थी ।।२
नया साल खुशिकी रोशनी लेकर आएगा ।।
सबके लिए हंसती गाती जिंदगी लाएगा ।
खुशहाल होंगा इस भारत का कण-कण ।
जहां में मेरा भारत उंचा मुकाम पाएगा ।।३
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[26/12, 4:53 pm] 😇ब्रीज किशोर: ❣️❣️२०२१/की बिदाई
❣️🌹आओ करे हम २०२२/अगुवाई करे।🌹❣️
😪अब २०२१/बीतर रहा है लेकिन इसने पूरे विश्व को कितना दुःख दिया है।😪 😥तुम २०२१में तीसरा लहर बन कर आया तुने बहुत
सताया है
😪 रह रह कर टीस रहा है दुःख के आँसु रिस रहा है।😪ओह बहुत दर्द दिया है।
😪कितनो ने अपने लाल को खोया बचा परिवार तड़़प तड़प कर रोया है😪
🤔अरे ओ निष्ठुर २०२१/तुने किसी को नहि को छोडा़ है🤔
😥सबका गर्दन मरोडा़ है अमेरिका के तुने दम्भ को तोडा़ है इटली को कही का नही छोडा़ है।
🤔वहां से तू भारत आगया भारत तुम्हें इतना भा गया।
तुने भारत वासी को बरगलाया उसने किसी की बात न मानी।
सुरक्षा का कोई एहातियात न अपनाया
धर्म स्थल पर भीड़ लगाया
और तुम्हे फैलाया।
तब आयुर्बेद सामने आया।
कोरोना का गर्दन दबाया ।तब तेरी दुष्टता पर भारत ने काबू पाया।
सारे आफिस बन्द हो गये घर से सब लोग को काम पर लगाया ।
२०२१/तूने कुछ काम अच्छा भी किया परिवार सब एक साथ घर मे रहे
मोदी जी का सफाई अभियान सब लोगों ने अपनाया
सब लोगों ने मोदी जी की
बात मान कर अपने जीवन
को बचाया।
भारत का दूर से अभिवादन नमस्ते विश्व ने अपनाया।
२०२१ तू तो समय ठहरा आखिर बित गया।
इतिहास मे सबसे बुरा दिन का उपमा पाया।
अब तो २०२२/प्यारा साल मेरे नजदीक आया।
गौरी गणेश मना कर नये साल का स्वगत करना और तुम्हें भुलाना ही पडे़गा।
२०२२/सब संसार के लिये शुभ और मंगलकारी हो अपने इष्ट से मनाना है।
❣️🌹 इति अब नया साल सबके लिए कल्याण
कारी शुभ मगंलकारी हो।❣️🌹नव वर्ष की सबको बधाई
❣️🌹स्वरचित बृकिशोरी त्रिपाठी🌹❣️
गोरखपुर।यू. पी
[26/12, 4:57 pm] रागनि मित्तल: जय मांँ शारदे
***********
अग्निशिखा मंच
**********
*बीता हुआ साल*
************
बड़ा बेचैन मन था,बड़ा बुरा हाल था।
सब वर्षो में खराब बीता हुआ साल था।
जनवरी निकली ठंड में, फरवरी में पढ़ाई का जोर,
मार्च में हो गया कोरोना का धमाल था।
सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था ।
अप्रैल-मई में लॉकडाउन लगा था, मरीजों से चिकित्सालय भरा था,
कैसे बचाए इनको सब का यही ख्याल था ।
सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था।
डॉक्टर, नर्स ने दिन-रात फर्ज निभाया ,
तब कई जानो में से कुछ को बचाया,
कोई गुलशन तो बिल्कुल उजाड़ था ।
सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था ।
मजदूरों में घर वापसी की होड़ लगी थी ,
जून-जुलाई में पथिको की लाइन लगी थी ,
सबके सामने बस रोटी का सवाल था ।
सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था।
शादी, पार्टी मिलना जुलना सब बंद था, अगस्त,सितंबर में इंसान नजर बंद था,
हर एक घर में उठ रहा भूचाल था।
सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था।
अक्टूबर ने मां सी राहत दी सिर सहलाने को,
नवंबर में दिवाली मनाई बस मन बहलाने को,
सुना दिसंबर में फिर होना बवाल था ।
सब वर्षो में खराब बीता हुआ साल था।
अब भी हम संभल जाए तो बच पाएंगे,
बेपरवाही से इसकी चपेट में आएंगे,
नहीं निकला अभी तूफान जो करता प्रहार था ।
सब वर्षो से खराब बीता हुआ साल था।
रागिनी मित्तल,कटनी मध्य प्रदेश
[26/12, 5:03 pm] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
विधा:-- *कविता*
शीर्षक:-- *कुछ तोहफ़े रखे हैं*
कुछ तोहफ़े क्रिसमस ट्री के आसपास छुपा कर रख दिए हैं।
यह तोहफ़े खुशियों से भरी हुई है।
ऐसे तोहफ़े, ईश्वर की कृपा से या माता पिता के आशीर्वाद से मिलते हैं।।
जिसे पाकर हमें पूरे जीवन मे सुख की अनुभूति होते हैं।।
मम्मी- पापा बहुत प्यार से दिए हैं यह तोहफा।
जब भी तन्हा मे होते हैं, हम महसूस करते हैं।।
मुश्किल है इस तोहफ़ा को भुला पाना।
कीमती तोहफा है,मेरे दोस्तों, इसमें मम्मी पापा का अरमान भरा है।
इस तोहफे की कीमत चुकाना नामुमकिन है।
विजयेन्द्र मोहन।
[26/12, 5:10 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: नव वर्ष अभिनंदन
नव वर्ष का करें,अभिनंदन
खुशहाली बसे जन-जन।
नव-उमंग,नव-उल्लास,नवल-प्रेम
नव-स्वप्न,नव- आशा, नव-भावना
नव- सृजन का,बुन लें ताना-बाना
नव- मंजिल छूने,की हो अभिलाषा
नव वर्ष का करें, अभिनंदन- वंदन।
हौसले- हिम्मत के पंख लग जाएं
अंबर को छूने की बनी रहे आकांक्षा
कोरोना की त्रासदी को भूलते जाएं
अपनों से बिछुड़ने का दर्द बिसराएं
नव वर्ष का करें, अभिनंदन- वंदन।
नव वर्ष आ रहा है, मुस्कुराते हुए
नव-स्वर साधना से,गीत गुनगुनाएं
प्रकृति कर रही,अनगिनत उपकार
देहरी पर नवप्रेरणा दीप जगमगाएं
नव वर्ष का करें, अभिनंदन- वंदन।
तीसरी लहर ओमीक्रोन द्वार खड़ी है
वैक्सीन को अवश्य लगवाएं,स्वस्थ रहें
क्षणभंगुर जीवन को,महामारी से बचाएं
कोरोना नियमों का, सदैव करें पालन
नव वर्ष का करें अभिनंदन- वंदन।
डॉक्टर अंजुल कंसल "कनुप्रिया"
24-12-21
[26/12, 5:18 pm] 💃वंदना: नव वर्ष
अबकी नव वर्ष का अंदाज निराला होगा।
अबकी नव वर्ष का अंदाज निराला होगा।
ना कहीं जश्न होगा ना कहीं रस्क होगा
अबकी नव वर्ष का अंदाज निराला होगा।
घर में मिलकर रहेंगे छोटे बड़े लोग सभी
ऑनलाइन कवि सम्मेलनों का दौर होगा।
ना होगा धूम धड़ाका ना ही कोई शोर होगा
अबकी नव वर्ष का अंदाज निराला होगा।
बधाई हो बधाई नववर्ष की सबको
मिलेगा आशीर्वाद ऑनलाइन सबको।
देखिए फोन पर मिठाई सजी थाली है
आपको नव वर्ष की हार्दिक बधाई है।
गुड़ी पड़वा की गजब बहार छाई है
न घर में गुड़ है ना चने की दाल आई है।
लेने जाए तो प्रसादी पुलिस देती है
गली चौराहे पे पुलिस ही पुलिस छाई है।
कहे बिंदु की पूरा वर्ष ही कैसा बीता
अबकी नव वर्ष का अंदाज निराला होगा
मुंह ढका मास्क से और हाथ सैनिटाइज होगा
दूरीयां आपस में दो गज की रखना होगा।
अबकी नव वर्ष का अंदाज निराला होगा
हम की नव वर्ष का अंदाज निराला होगा।
नव वर्ष आए पर ऐसा न आए
दोबारा आए तो खुशियों की सौगात लाए
वंदना शर्मा बिंदु देवास मध्य प्रदेश।
[26/12, 5:21 pm] रामेश्वर गुप्ता के के: ।समय की ये घड़ी।
समय की ये घड़ी,
चलती ही जाती है।
टिक टिक करती ये,
बस चलती जाती है।।
समय.................. 1
बिना रुके और थके,
काम यह करती है।
समय जो गुजर गया,
अतीत बना जाती है।।
समय................... 2
मंजिल सबकी अलग है,
समय पहचान बनाती है।
समय बहुत बलवान है,
कहावत सत्य होती है।।
समय.................... 3
जिन्दगी में हर घड़ी,
तय होकर मिलती है।
समय आने पर अपना,
असली रंग दिखाती है।।
समय....................4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[26/12, 5:21 pm] डा. महताब अहमद आज़ाद /उत्तर प्रदेश: *नया साल है आया*
*_________________*
खुशियां मनाओ कि नया साल है आया ।
ग़म सारे भूल जाओ कि नया साल है आया।।
नई तरंगे नई उमंगे भरा यह साल हो।
गुजरे साल जैसा न यह साल हो।। खुशियां मनाओ कि नया साल है आया ..........
अमन की रोशनी फैलाएं देश में ऐसी।
संसार में अपनी चमक हो चांद सितारों जैसी।।
शिकवा न शिकायत बस प्यार हो।।
हर दिल में चाहत हो इसार हो।।
खुशियां मनाओ कि नया साल है आया......
हर एक चेहरा मुस्कुराता हो।
हर कोई प्यार के गीत गुनगुनाता हो।।
देकर जाए नया साल नया जीवन।
कहता है यह मेरे दिल का दर्पण।।
खुशियां मनाओ कि नया साल है आया .....
नई सुबह की किरणें नया पैगाम लाए।
मेरे मौला हर हाथों में खुशियों का जाम लाए।।
नफरत मिट जाए सबके दिल से।
सदा आ रही है आजाद के दिल से।।
खुशियां मनाओ कि नया साल है आया......
*डा.महताब अहमद आज़ाद*
उत्तर प्रदेश
[26/12, 5:23 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन
कविता *बीत गया साल*
दुख दर्द से बीता साल
कई रिश्तो में पड़ी दरार
महामारी ने हर तरफ
किया हाहाकार ।।१।।
हर इंन्सानिएत हुए तार तार
चायना का यह जहर
दुनिया में फैला
मानव हुआ हैरान।।२।।
हर बशर एक दूसरे को शक
की नजर से देख रहा था
नहीं मिला रहा था हाथ
नहीं मिलता किसी का साथ।३।
दुख दर्द से बीता साल
शिक्षा में हुआ व्यवधान
बच्चे हुए घर में परेशान
शिक्षा के लिए ऑनलाइन का लिया सहारा।।४।।
शुक्र है मोबाइल का मिला साथ
जिसने खुब दिया साथ
बच्चों बुढे जवान हुये परेशान
मजदूरी के पेट पर आया सवाल
दुख दर्द से बीता साल।।५।।
सुरेंद्र हरडे कवि
नागपुर महाराष्ट्र
दिनांक २६/१२/२०२१
[26/12, 5:25 pm] सरोज दुगड गोहाटी: * अग्नि शिखा काव्य मंच *
* कवि सम्मेलन *
* बिषय :- बीत गया साल *
ज़िन्दगी की जद्दोजहद में "बीत गया साल " ,
खुशी - गम कितने मिले अब क्या करना सवाल !
नई उम्मीद ,सपनें ,जोश से आगत का स्वागत ,
आओ मिल कर करें नये वर्ष की आव - भगत !
सबको सब कुछ कभी नहीं मिलता ये प्रभु की माया ,
जीवन है काजल की कोठरी फिर भी मन भरमाया !
नई कोंपले खिलेंगी फिर पीले पत्ते झर जायेंगें ,
दिन महीने साल देखते - देखते यूँ ही गुजर जायेंगे !
उम्र से साल एक कम होगा अनुभव बढ़ जायेगा ,
यादों का कारवां सुहाने सपने सा गुजर जायेगा !
मन के सारे द्बेष मिटाकर प्रेम की सरगम गा दो ,
खुशियों से बाहें फैला नूतन बर्ष का स्वागत करलो !
सपनों की कंदीलों में आशाओं के दीप जलाएंगे ,
भेदभाव मिटाकर सारे एक दूजे को गले लगाएंगे !
मन में रख विश्वास सबल यह साल होगा सुखकारी ,
आशा की फुलवारी खिले महके खिले जीवन क्यारी ,।
नये- बर्ष का नव प्रभात सबके लिए हो मंगलकारी ,
जोर शोर स्वागत इसका देखो कर रही दुनिया सारी !
मौलिक स्वरचित
सरोज दुगड़
खारूटेटिया
असम
🙏🙏🙏
[26/12, 5:29 pm] निहारिका 🍇झा: नमन मंच
विषय;-बीता साल
दिनांक;-26/12/2021
बीता जाता साल आज ये
मन भरमाता है।
क्या खोया क्या पाया है
सोचता ही जाता है
लगे कल की बात जैसे
स्वागत किया हमने
पँख लगा उड़ गया ये
मन सोचता ही जाता है।।
अच्छी बुरी घटनाएं
याद हमें आतीं हैं
लेंगे संकल्प आजहम
सीख लेंगे बीते वर्ष से
दोहराएं न गलतियाँ
हुई हमसे गत वर्ष में
दिल से खुले स्वागत करें
आने वाले नव वर्ष का
बीता जाता......।।।।
निहारिका झा
खैरागढ राज.(36 गढ़)
[26/12, 5:34 pm] 💃💃sunitaअग्रवाल: शीर्षक _बीता हुआ साल
बीत गया साल , कितना कुछ बदल गया,
आने वाला साल तुम खुशियां लाना,
बीते साल की दुखों को हर लेना ,
मै तो कहती हूं जन जन आदत बदल डाले,
मुंह पर मास्क, दूरी, सेनिटाइज करते रहना,
कोरोना क्या उसका, भाई बहन भी कितना ही खतरनाक हों, या खौफनाक,
डर से पास न फटक पाएगा
हमारी सरकार और वैज्ञानिक अपने अथक परिश्रम से करेंगे वायरस की बदहाली ,
बीता हुए साल हों जाएगी कल की बात ,
आओहम सब मिलकर प्रण करे ,
बनाए नियमों का पालन करेंगे,
न करेंगे मनमानी ,
नववर्ष मैं टीकाकरण अभियान मैं भरपूर सहयोग देगे ,
रोगी की सहायता मिलकर करेंगे मनोबल बढ़ाने में मददगार बनेंगे,
स्वयं भी टीका लगवायेगे, ओरो को भी प्रेरित करेंगे
जयहिंद, जय भारत
धन्यवाद
सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश स्वरचित 🙏🙏
[26/12, 5:36 pm] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर:
नव वर्ष
नज़दीक है विदाई साल 2021 की,
अजीब सी कशमकश में बीता यह साल
आया कोरोना, बन के, सबके जी का जंजाल,
बहुत नुकसान सबका कर गया यह साल
जहाँ दुःख तकलीफों ने डाला था घेरा, वहीं,
कुछ अच्छा अच्छा भी समझा गया यह साल।
आने वाला साल आशाओं से भरा हो,
सबके चेहरे पर हो इक प्यारी मुस्कान
नई उमंगों नई तरंगों के साथ, सब,
अपने जज्बातों को दे इक नई उड़ान
सबके दिल में प्रीत की ज्योति जले,
इक दूजे के लिए हो दिल में सम्मान
रिश्तों की डोर जो नज़र आए टूटती,
थाम लें हाथ बढ़ाकर ना आने दे गठान
जिंदगी जो मिली है बड़ी अनमोल है,
प्रभु के चरणों में भी ध्यान है जोड़ना
भोजन जरूरी है, जिससे शरीरिक विकास हो,
आत्मा की खुराक़, प्रभु संग रिश्ता जोड़ना
प्रभु नाम सुखदायक फलदायक है,
थाम लेना कसकर उसका दामन ना छोड़ना
हर राह पर संग संग चलेगा,
देगा हरदम वह साथ,
किसी ना किसी ज़रिए अहसास अपना करायेगा
जो मन को इक आत्मिक सुख दे जायेगा,
प्रभु के गुणों को 'रानी' जो जीवन में अपनाएगा
सबके लिए खुशियों से भरा आए नववर्ष,
कोरोना को विदाई दे जाए यह वर्ष
आर्थिक, समाजिक जो परेशानियां हैं आई,
इन सब से सबको मुक्ति दिलाए यह वर्ष
हर चेहरे पर इक रौनक सी छा जाए,
खुशियाँ ही खुशियाँ सबके लिए लाए यह वर्ष ।
रानी नारंग
[26/12, 5:41 pm] +91 93990 45214 कुमारी चंद्रा सुवर्णकार 🧑🏿🦽: बीता वर्ष
बीते साल तुम्हें सलाम
नूतन वर्ष वर्ष तेरा अभिनंदन
ना किसी से बैर हो
ना किसी से हो द्वेष
हे प्रभु कुछ ऐसा कर दे
बन जाए समभाव
प्रदूषण से बचना है सब को बचाना है वैक्सीनेशन के महत्व से अवगत कराना है
मुंह में मास्क होदूरी
सब को यह समझाना है
हे प्रभु ऐसी कर दो सद्बुद्धि
सब में आ जाए समभाव
नूतन वर्ष का अभिनंदन टीकाकरण का करना वंदन 2 वैक्सीनेशन लेने के बाद लेने के बाद बुजुर्गों को कॉल लगाना है सब को यह समझाना है बीते साल की बात सब को समझाना है अब बच्चों को भी लगेंगे टीके निर्भय होकर जाएंगे स्कूल
यह सब को समझाना है
जो बीत गया सो बीत गया
आगे की सुध लेना है
नूतन वर्ष का अभिनंदन करना है|
कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार जबलपुर मध्य प्रदेश
[26/12, 5:41 pm] 👑पदमाकाक्षी शुक्ला: 🙏🌹 *नमन मंच* 🌹🙏
🙏🌹 *जय अम्बे* 🌹 *२६/१२/२१* 🌹🙏
🙏🏻🌹 *स्वागत है, २०२२,नया साल*🌹🙏🏻
२०२१,का साल बित गया,
भूल जाते हम,दर्द दास्तान,
स्वागत करते है,२०२२ साल,
विश्व में हो जाए मंगल प्रभाव,
कवी ने कल्पना से,जगाई कलम,
बहने लगी ज्ञान की गंगा, हर मंच,
खुशी से सभी का भर गया दामन,
२०२१,का तोहफ़ा कर लो कबूल,
परिवार से मिलजुल रहते थे लोक,
हर आंगन सजा रहे शांति के फूल,
पाठ सिखाया कॉरोना काल ने,
एकता, स्वच्छता और मानवता के,
शुद्ध हो गया, पर्यावरण,
बंध हुए ओज़ोन के छेद,
शुद्ध बन गई सारी सरिता,
हवा से गुंजित हुए संगीत,
हर आँगन बजेगी शहनाई,
पंछि ओ की चहचहाहट से,
रहते थे पहले, डरे हुए,
अब आसमान में उड़ने लगे,
हर किसी के नसीब हो, रोटी,
खुले व्यापार,मिल जाए नौकरी,
पड़े ना अब किस के भी पैर छाले,
२०२२,साल मंगलमय बन जाए,
🙏🏻🌹स्वरचित रचना🌹🙏🏻
🙏🏻🌹पद्माक्षी शुक्ल, 🌹🙏🏻
[26/12, 5:42 pm] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर: नववर्ष कविता
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बीते वर्ष की हम करें विदाई ,
नववर्ष तुम्हें तो आना होगा ,
कोरोना को दूर भगा कर ,
गीत खुशी के गाना होगा ।
संकल्पों के पंख लगाकर,
हम सब नई चेतना लाएंगे,
कर्म भक्ति का हो अनुगुंजन,
हम सब गीत खुशी के गाएंगे ,
स्वर्ण रश्मियों के संग हमको ,
नया इतिहास बनाना होगा,
नववर्ष तुम्हें तो आना होगा ।
हर चुनौतियों को लक्ष्य बनाएं,
हमारे कदमों पर विश्वास होगा,
धैर्य से मंजिल मिलेगी सबको,
अपनी धरती औरआकाश होगा,
प्रकाश हो सबके जीवन में ,
हमें ऐसा दीप जलाना होगा ,
नववर्ष तुम्हें तो आना होगा।
ऊंच-नीच का भेद मिटाकर ,
हम तो सबको गले लगाएंगे ,
वसुधैव कुटुंबकम अपनाकर,
विश्व को एक परिवार बनाएंगे,
नए -नए पृष्ठ जुड़ेंगे जीवन में,
रिश्तों को मजबूत बनाना होगा ,
नववर्ष तुम्हें तो आना होगा ,
गीत खुशी के गाना होगा।
स्वरचित एवं अप्रकाशित
श्रीमती शोभा रानी तिवारी,
619 अक्षत अपार्टमेंट खातीवाला टैंक इंदौर मध्य प्रदेश मोबाइल 89894 09210
[26/12, 5:52 pm] 👑डॉ ऊषा पाण्डेय: *बीत गया साल*
हर वर्ष की भाँति,बीत गया साल।
हमें यह सिखा गया, खुश रहना हर हाल।
बीते दिनों को,
याद करने बैठी जब।
चलचित्र की भाँति आँखों के आगे घूमने लगा सब।
1921 मे जो चले गये,उन्हें श्रद्धांजलि देती हूँ
ईश्वर की कृपा से हम बच गये
ईश्वर को धन्यवाद देती हूँ
वर्ष 2020 और वर्ष 2021
ने हमे बहुत कुछ सीखा दिया
कठिन स्थितियों का सामना
हम सबने मिलजुल कर किया
बीते वर्ष ने सिखलाया
स्वस्थ शरीर सबसे बड़ा धन
नशा नहीं करना है हमे
रखना होगा स्वस्थ तन अरु मन
दूसरों की सहायता करनी है
अपनी इम्यूनिटी बढ़ाना है
हर स्थिति का सामना
डट कर हमे करना है
घर मे रह कर हमने सीखा
समय का सदुपयोग करना
अपने अंदर के हुनर को
पहचानना और उनको निखारना
आशा करती हूँ अगला वर्ष
हम सबके जीवन मे खुशियां लाये
हम सबकी बगिया हरी रहे
और हम सदा मुस्काये
डाॅ0 उषा पाण्डेय
स्वरचित
26/12/21
[26/12, 5:56 pm] अंजली👏 तिवारी - जगदलपुर: नया साल आ रहाहै
पुराना धीरे-धीरे बीत रहा है
नये का स्वागत करें
भूली बिसरी याद करें
जो अच्छा है उसे स्वीकार के चले
जो बुरा है उसे फेंक के चले
जाने वाला साल जैसाभी रहा हो
पर आने वाला साल का स्वागत उमंग से करें
लोग तो बोलेंगे उनको रोक नहीं सकते
पर हम बिना रूके आगे बढ़ सकते हैं
यही जमाना है परिवार को खुश रखना है
दिन तो चाहे दुख से बिताओ या खुशी से,
दिन तो बितेगा ही
फिर क्यों ना खुशी से दिन बिताये
नये साल में हम सब खुशी मनाते है
अंजली तिवारी मिश्रा जगदलपुर छत्तीसगढ़।
[26/12, 6:20 pm] जनार्दन शर्मा:
*नव वर्ष-जनार्दन शर्मा*
*नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ*
है नूतन वर्ष है अभिनन्दन
हम करते हैं तेरा वंदन,।
बीते वर्षों कि टीस बहुत हुई,
अब ना हो कोई कृंदन,।
नई उमंगे नई आशाएं साथ,
लेकर तुम अपने आना।
हर्षोउल्लास से सभी के मन को
तुम खुशीयो से मोह जाना ।
बीते वर्षों मे महामारी से बेहाल,
संपूर्ण विश्व जो हुआ,
अब नवीन इरादों से फिर भर देना
सबके जीवन में रंग नया ।
उम्मीदों से भरा फिर खुशियाँ लिये
अब ये नववर्ष आये,
भूले हम सब पुरानी बातो के जख्म,
नये इरादों से आगे बढ़ते जाये।
मुबारक हो सबको ये नया साल,
ढेरों खुशी मिले यादे बेमिसाल।
हर खुशी आये अब आपके द्वार
उत्साह उमंग से हो जाये तैयार ।
*जनार्दन शर्मा* (आशुकवि लेख़क हास्य व्यंग्य)
अध्यक्ष मनपसंद कला साहित्य मंच इंदौर
[26/12, 6:30 pm] 💃💃sunitaअग्रवाल: शीर्षक _बीता हुआ साल
बीत गया साल , कितना कुछ बदल गया,
आने वाला साल तुम खुशियां लाना,
बीते साल की दुखों को हर लेना ,
मै तो कहती हूं जन जन आदत बदल डाले,
मुंह पर मास्क, दूरी, सेनिटाइज करते रहना,
कोरोना क्या उसका, भाई बहन भी कितना ही खतरनाक हों, या खौफनाक,
डर से पास न फटक पाएगा
हमारी सरकार और वैज्ञानिक अपने अथक परिश्रम से करेंगे वायरस की बदहाली ,
बीता हुए साल हों जाएगी कल की बात ,
आओहम सब मिलकर प्रण करे ,
बनाए नियमों का पालन करेंगे,
न करेंगे मनमानी ,
नववर्ष मैं टीकाकरण अभियान मैं भरपूर सहयोग देगे ,
रोगी की सहायता मिलकर करेंगे मनोबल बढ़ाने में मददगार बनेंगे,
स्वयं भी टीका लगवायेगे, ओरो को भी प्रेरित करेंगे
जयहिंद, जय भारत
धन्यवाद
सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश स्वरचित 🙏🙏
[27/12, 3:36 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: श्रद्धेय ,अग्नि शिखा मंच को नमन। उपस्थित मान्यगण को सादर अभिवादन। मैं डॉ . आशा लता नायडू. मुंबई .महाराष्ट्र. से कवि सम्मेलन हेतु अपनी रचना "बीता साल" प्रस्तुत कर रही हूं। धन्यवाद।
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🌷बीता साल🌷
नया साल आता है, खुशियां बटोर लाता है, नूतन वर्ष की सब देते हैं शुभकामनाएं ।
पर, गत वर्ष ने तो गजब ढा दिया। हमें रुला रुला दिया, कोरोना के प्रकोप ने अपनों से बिछड़ा दिया।
परिवार के संग रहे घरों में कैद, नाते रिश्तेदारों से, मित्रों से अंतर बढ़ता गया। जीवन सिमट कर रह गया।
कामकाज बंद , दुकानें बंद,। स्कूल कॉलेज बंद , विधवा की मांग की तरह सड़के सूनी हो गई । कोई हलचल नहीं कोई क्रियाकलाप नहीं ।
दुनिया सिमट कर मोबाइल में बस गई , बस एक उसी का सहारा था ,उसी में साथ दिया, आज भी उसी का साथ है हाथों में ।
ऑनलाइन सब काम चल रहा, ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन पढ़ाई, ऑनलाइन बन रही मित्रता, ऑनलाइन कविसम्मेलन, ऑनलाइन प्रतियोगिताएं, मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान वर्धन भी होता रहा । इंसान निठृ्ल्ला बन गया, खाना ,पीना ,सोना, आराम, टीवी देख कर समय बिताना ।
कर्मठता जाने कहां खो गई ,विलासिता ने घर बना लिया ,पर बिना काम के पैसे नहीं, पैसे नहीं तो जीवन नहीं ।
जीवन बन गया जंजाल अब सुधर रहा धीरे-धीरे देखिए 2022 का क्या होता हाल ।
नूतन वर्ष का हो अभिनंदन,। फूले फले ,सुख शांति बरसाए , सुकून सबके जीवन में आए। हर्षोल्लास से भरा हो,
जीवन सबका । धन्यवाद।