मोर - अलका
रंग बिरंगे सुंदर पंखों वाला
काला ,निला ,हरे रंगो वाला
बादल देख नाचता है मोर
सबके मन को लुभाने वाला
वन उपवन की शान बढ़ाता
बच्चो के मन को है हर्षाता
सिर पर सुदंर कंलगी धारण
राष्ट्र पक्षी का है गौरव पाता
बच्चे बुढे सभी को नृ्त्य दिखाता
झूम झूम कर पंखों को फैलाता
भीड़ भाड से दूर ही रहता ,पंक्षी का राजा कहलाता
कान्हा के मुकुट की शोभा बढ़ाता
बच्चो तुम चुप ही रहना
शोर कर इसे न डराना
शोर गुल से भाग जायेगा
जंगल में जा छुप जायेगा
जिस घर में मोर पंख है रहता
लक्ष्मी ,सरस्वती , का वास रहता
कन्हा भी करते वहाँ निवास है
सुख ,समृरद्धी ,ऐश्वर्य रहता
अलका पाण्डेय - अग्निशिख
🔵🔴🟢🟠🟠⚫🟢🔴🔵🔴🟢⚫🟠
[06/12, 11:48 am] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर: मोर
पक्षियों का राजा कहलाता ,
नाना रंग है दिखाता मोर ,
बच्चों बड़ों के मन को भाता,
राष्ट्रीय पक्षी कहलाता मोर।
गर्दन लम्बी,रंग है नीला ,
मेघ देख शोर मचाता मोर ,
इन्द्रधनुष रंगों से सुसज्जित,
सावन में खुश होता है मोर।
पंख फैलाकर है इठलाता,
मनमोहक नृत्य दिखाता मोर ,
वन -वन में शोभित है होता,
हृदय प्रफुल्लित करता मोर।
कई रंगों में सुसज्जित होता,
भारत का गौरव है यह मोर ,
पंख कृष्ण के मुकुट में सजते,
कलगी ले बादशाह बन जाता मोर ।
हम सबको नाज है इस पर ,
वन -उपवन को कभी न काटें,
इनके रहने की जगह बनाएं ,
बहुत ही सुंदर पक्षी है मोर ।
श्रीमती शोभा रानी तिवारी 619 अक्षत अपार्टमेंट खातीवाला टैंक मोबाइल 89894 09210
[06/12, 11:59 am] 👑सुषमा शुक्ला: मंच को नमन🙏 मां शारदे को कोटि-कोटि वंदन🙏🌹
🦚मोर🦚,,,
🦚बारिश में खुश होता मोर,,,,
हरियाली छाई चहूं और,,,,
पंख फैलाए नृत्य दिखाएं,,,,, देखो मोर पर मस्ती छाए
🦚पक्षियों में बड़ा पक्षी मोर,,, इसके पंख हुए कृष्ण सिरमौर,,,,
मुख और गल का रंग बैंगनी,,,,
पैरों को देख रोए मोरनी
🦚मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी,,,, इसके हैं हम सब साक्षी,
सौंदर्यता से आकर्षित करता,,,,, मनमोहक मुदित लगता🦚
🦚मोर पंख फैलाकर नाचे,, अर्धचंद्राकार सा साजे,,,,
आपदा में आवाज हे करता,,,,
संकेतों से भाव जताता।
🦚सभी पक्षियों का है यह राजा,,,
श्री कृष्ण के माथे पै साजा,,,, कृष्ण ने कलगी लगाई,,
ग्रंथों में शुचिता है पाई ,,
🦚🦚🦚🦚
स्वरचित रचना सुषमा शुक्ला इंदौर
[06/12, 12:10 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: लावणी मोर बालगीत
इंद्रधनुष रंगों से शोभित,
वर्षा सज्जित करता है।
भारत का गौरव कहलाता,
मन खुशियों से भरता है।।
नभचर का राजा कहलाता,
मेह बहुत ही भाता है।
काले काले मेघ देखकर,
गीत खुशी के गाता है।।
सिर पर मेरे ताज बिराजे,
रंग बिरंगी काया है।
नृत्य खुशी से मैं तो करता,
जब भी पावस आया है।।
शांत जगह पर रह ना पाऊँ,
झुंड बहुत ही भाता है।
मन को खींचे है छवि मेरी,
दिल चोरी कर लाता हूँ।।
मयूर मोर नाम है मेरा,
नीलकंठ कहलाता हूँ।
विद्यादाता भी कहते हैं,
कान्हा मुकुट सुहाता हूँ।।
वैष्णो खत्री वेदिका
[06/12, 12:16 pm] सरोज दुगड गोहाटी: * अग्नि शिखा काव्य मंच *
* आज का विषय मोर *
राजस्थान की पीली सुनहरी रेत ,
पंख फैला नाचता पचरंगा मोर !
हवेलियों झरोखों पर जा बैठता ,
किसी कलाकृति सा मोर लगता !
मरूस्थली गौरव कहलाता मोर ,
राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा पाता मोर !
जन मानस से गहरा नाता जुड़ता ,
गहनों कपड़ों पर खूब मोर सजता !
जब उमड़ाती दिखणांँदी बादली ,
पंख फैला छतरी तान नाचता मोर !
जब - जब जीवन में खुशियां आती ,
धूम-झूम नाच उठता मन का मोर !
मौलिक स्वरचित
सरोज दुगड़
खारुपेटिया
असम
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
[06/12, 12:37 pm] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
विधा:-- पाल-कविता
शीर्षक:-- *मोर*
नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए।
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए।।
खाके, पीके, मोटे होकर चोर बैठे रेल में।
चोर वाला डब्बा कट कर, पहुंचा सीधा जेल में।।
*नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए*
ऊन चोरों की खूब खबर ली मोटे थानेदार ने।
मोरो को खूब नचाया, जंगल की सरकार ने।।
*नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए*
अच्छी नानी, प्यारी नानी रूसा रूसी छोड़ दे।
जल्दी से एक पैसा दे दे, तू कंजूसी छोड़ दे।।
*नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए*
विजयेन्द्र मोहन।
[06/12, 12:56 pm] Nirja 🌺🌺Takur: अग्निशिखा मंच
तिथि - ६-१२-२०२१
विषय- मोर
पक्षी राज मोर की शान तो देखो
कैसे पंख फैलाकर नाचता देखो
बादल देख खुश हो जाता
पंख में जैसे रूपिया लगा है देखो
राष्ट्रीय पक्षी कहलाता है मोर
ऊंचा उड़ नहीं पाता मोर
शरीर पूरा सुंदर बना
पैर देख कर रोता मोर
नीले पंखों पर निशान बने हैं गोल
घूमघूम पंख फैला कर नाचता मोर
कृष्ण जब लगाये मोर पंख मुकुट में
देख उन्हें खुश होता मोर
जीवन में मेरे खुशियॉं झूम के आई
छोटे छोटे दीप जला लाई
खुशियों के बादल छाए चहुं ओर
नाच उठा मेरे मन का मोर
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[06/12, 1:24 pm] सरोज दुगड गोहाटी: * अग्नि शिखा काव्य मंच *
* आज का विषय मोर *
राजस्थान की पीली सुनहरी रेत ,
पंख फैला नाचता पचरंगा मोर !
हवेलियों झरोखों पर जा बैठता ,
किसी कलाकृति सा मोर लगता !
मरूस्थली गौरव कहलाता मोर ,
राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा पाता मोर !
जन मानस से गहरा नाता जुड़ता ,
गहनों कपड़ों पर खूब मोर सजता !
जब उमड़ाती दिखणांँदी बादली ,
पंख फैला छतरी तान नाचता मोर !
जब - जब जीवन में खुशियां आती ,
धूम-झूम नाच उठता मन का मोर !
मौलिक स्वरचित
सरोज दुगड़
खारुपेटिया
असम
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
[06/12, 1:47 pm] रवि शंकर कोलते क: सोमवार दिनांक ०६/१२/२१
विधा****काव्य
विषय***#°°°°°°मोर°°°°°#
^^^^^^^^^
कितना मनमोहक पक्षी है ये मोर
देख कर मेघों को मचाता है शोर
अपने मनभावन नृत्योंसे सबको
कर लेता आकर्षित ये अपनी और ।।१
मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी कहलाए
अपनी नाचसे सबका मन बहलाए
मोर पंख मुकुट में सजाए कृष्ण
नर्तन से बन मनमे खुशी छा जाए।।२
ये नभ में ज्यादा उंचा उड़ ना पाए
देख अपने पैरों को ये आंसू बहाए
ये भी इंसा सा दर्द छुपाने के लिए
मस्ती में खुशी के गीत गुनगुनाए।।३
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[06/12, 1:59 pm] चंदा 👏डांगी: !! मोर !!
मोरनी से ज्यादा सुंदर मोर
देख मोरनी का मन ललचाए
इतने सुंदर पंख कहां से लाऊं
वन में नाच मोर का देखूं
बलिहारी मैं तुझ पर जाऊं
राष्ट्रीय पक्षी का तमगा पाए
राजा तुम हो मेरे सरताज
नीला रंग भरा तुममें
देख बादलों को नाच दिखाते
रिमझिम रिमझिम मेघ बरसते
मानव को देख फुर हो जाते
पंख तुम्हारे कितने सुंदर
कान्हा के मुकुट पर सजते
तन है सुंदर,मन है सुंदर
पर पैर तुम्हारे है बदसूरत
बच्चों को तुम खूब लुभाते
चन्दा डांगी रेकी ग्रेंड मास्टर
रामटेकरी मंदसौर मध्यप्रदेश
[06/12, 2:05 pm] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: वीना अचतानी
अग्नि शिखा मंच को नमन
विषय*बाल कविता ***मोर****
बरखा का संदेश लाये
सबके मन को हर्षाये
काले बादल देख
पंख फैला कर
झूम झूम नाचे मोर
रंग बिरंगे पंखो वाले
सिर पर सुन्दर ताज सजाये
पक्षियों का राजा कहलाता मोर
पंख होते इनके
अतिशय शुभ
विद्या दायिनी कहलाये
पूजा में भी रखे जाते
अति शान्ति प्रिय है मोर
झुण्डों में रहना पसन्द करते
नीलकंठ के नाम से पुकारे जाते
कृष्ण प्रिय कहलाते मोर
भारत के राष्ट्रीय पक्षी
कहलाते हैं मोर
वीना अचतानी
जोधपुर ।।।
[06/12, 2:18 pm] वीना अडवानी 👩: मोर
***
रंग बिरंगे पंख तुम्हारे
कितने मन को भाते हैं
हरे नीले पंखों में तेरे हम
गोल-गोल पैसा भी पाते हैं।।
बारीश में तुम झूम-झूमकर
कितने नाच दिखाते हो।।
पावन इस भारत धरती के
राष्ट्रीय पक्षी कहलाते हो।।
मन मोर मयूर सा नाचे
मुहावरों में भी आते हो
मेरे प्यारे मोर तुम देखो
कितने बड़े पंख भी पाते हो।।
उड़े जो तुम जब आकाश में
कितने लंबे दिख पाते हो।।
पैर तुम्हारे तुम्हें ना भाते
पर हमको तुम हर्षाते हो।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
******************
[06/12, 2:24 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: बाल गीत
*********
🌷 मोर 🌷
***************
पक्षियों के राजा हो तुम। सुंदरता तुम्हारे अंग अंग में समाई है।
देखकर तुमको आनंदित हो उठता है ,ये मन है, तुम्हारी चाल, शोख अदा से भरी ।
पंख तुम्हारे समेटे हैं सृष्टि की सुंदरता ।
बारिश की ऋतु बहुत भाती है तुम्हें। मेघों का आच्छादन आनंदित कर देता है तुम्हें । पंखो को फैलाकर, जब नाच उठते हो तुम , थम जाती है धरती, प्रफुल्लित हो उठता है समा।
राष्ट्रीय पक्षी हो तुम,
देश की शान हो तुम
श्री कृष्ण के मुकुट का
मान हो तुम।
तुम्हारे अंग अंग का रंग कुदरत का करिश्मा है। मोरपंखी किसे पसंद नहीं सारी दुनिया दीवानी है
तुम्हारे मोरपंखी की ।
अपनी किताब में तुम्हारी मोरपंखी रख,
हम भी बहुत खुश होतेहैं।
हमें गर्व है तुम पर , तुम भारत की शान हो ,
विश्व का अभिमान हो, ईश्वर का वरदान हो।
********************
डॉ . आशा लता नायडू.
मुंबई . महाराष्ट्र .
********************
[06/12, 2:30 pm] निहारिका 🍇झा: नमन मंच
आयोजन विषय ;-मोर
दिनाँक;-6/12/2021
सुंदर सुंदर पंखों वाला
मनमोहक है बड़ा निराला
कहलाता है यह चितचोर
नाम हुआ जिसका है मोर।।
पक्षी का यह राजा होता
कान्हा को भी यह है प्यारा
सजी उनके जूड़े में दिखती
सुंदर प्यारी मोर की पंखी।।
बारिश का जब हो अंदेशा
घिर आते जब काले मेघ
खुशियों से यह झूम है उठता
पँख फैला कर नाच है उठता।।
वन की शोभा इससे होती
सुंदर और सलोना पक्षी जिसने
राष्ट्र पक्षी का दर्जा पाया।
सुंदर मोर सभी मन भाया।।
निहारिका झा🙏🙏🌹🌹
[06/12, 2:45 pm] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: 6 दिसंबर 2021
बाल कविता
*मोर
कितना अच्छा लगता मोर।
पंख उठाकर नचता मोर।
जब जब बादल गर्जन करते।
कुहू कुहू चिल्लाता मोर।
रंग बिरंगे पंखों वाला,
कितना सुंदर सजता मोर।
बाग बगीचों में रहता है,
खेतों ऊपर उड़ता मोर।
अपने सिर पर धारण करता,
जो है प्यारा माखन चोर।
कितना अनुपम कितना सुंदर राष्ट्रीय पक्षी है मोर।
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता*
[06/12, 2:53 pm] हेमा जैन 👩: 🪶विषय :-मोर 🪶
मन मेरा मयूर हो गया
देख मोर को मचल गया,
सतरंगी मोर पँखों से जैसे
सपनों की उड़ान भर चली जैसे
निर्मल इसके पँख प्यारे
कान्हा को प्रिय लगते न्यारे
नृत्य करे बारिश में ऐसे
खुशियों की झड़ी लगी जैसे
मुनि की पिछि में भी सुहाते
मोर के पँख चार चाँद लगाते
सभी हम भारतवासी कहते
राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा इसे देते
हेमा जैन (स्वरचित )
[06/12, 2:57 pm] कुम कुम वेद सेन: विषय मोर
चलो बच्चों चिड़ियाघर की सैर कराएं
देखो देखो यह मोर है
इसे राष्ट्रीय पक्षी कहते हैं
इसके पंख बहुत सुंदर होते हैं
मोर मोरनी एक साथ रहते हैं
पता है बच्चों मोर क्या खाता है
मोर सिर्फ फल सब्जी खाता है
जब मैं एक बादल आता है
मोर मोरनी नाच दिखाता है
जंगल में मोर नाचा किसने देखा
मैंने देखा मैंने देखा
जानते हो बच्चों पहले राजा के घरों में
मोर रहा करते थे
पक्षियों का राजा है ना मोर
इसलिए राजा को शौक था मोर पालने का
कुमकुम वेद सेन
[06/12, 2:59 pm] 💃💃sunitaअग्रवाल: शीर्षक _ राष्ट्रीय पक्षी मोर
इंद्रधनुषीय रंगो से सजा मोर
मेघो को देख देख मचाता शोर
इठला इठलाकर, पंखों को फैला कर,
बच्चों बूड़ो को लुभाता मोर ,
इंद्रधनुषीयरंगों से सजा मोर,
नटखट कान्हा के मुकुट पर सजता मोर,
जब बासुंरी बजाए कन्हैया नाचता मोर,
मोर थिरके, मेघ गरजे, बादल छाए मोरनी को रिझाए
कृषक का दिल भी हर्षाए।
इंद्रधुनुषीय रंगो से सजा मोर
मंदिरों की कारीगरी में भी अदभुत छटा बिखेरता
मयूर नृत्य जन जन का मन मोहता
घर में पूजा जाता,
शान्त, समर्पण भाव उत्कृष्ट राष्ट्रीय पक्षी मोर कहलाता
कीट पंतग सांप केंचुए इसका भोजन
किसानों के लिए खुशी का साधन
भगवान कार्तिकेय का वाहन
सारी खूबियों कारण पक्षीराज मोर कहलाता। नीलकंठ नाम से भी जाना जाता।
सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश स्वरचित धन्यवाद 🙏🙏
[06/12, 3:05 pm] अंजली👏 तिवारी - जगदलपुर: मोर-बालगीत सोमवार
पंख फैलाए मोर देखो
सबसे सुंदर पशु मोर देखो
नाचता है घुम घूमकर
अपनी सुन्दरता दिखलाता ओ
कृष्ण भगवान के माथे पे सत्ता
कृष्ण भगवान के माथे का मुकुट बनता
अम्मा मुझे भी मुकुट पहना दो
कृष्ण भगवान मुझे बना दो
कृष्ण भगवान जैसा लगूंगा
सबसे प्यारा मैं दिखूंगा
अंजली तिवारी मिश्रा जगदलपुर छत्तीसगढ़
[06/12, 3:34 pm] 👑पदमाकाक्षी शुक्ला: 🙏🌹 *नमन मंच* 🌹🙏
🙏🌹 *जय अम्बे* 🌹 *६/१२/२१* 🌹🙏
🙏🌹 *बाल कविताः मोर* 🌹🙏
आज *मोर* मुन्ना ने देखा ।
बारिश में वह नाच रहा था ।।
गर्दन लंबी इठलाता था ।
उनको मेह बहुत भाता था।।
*मां* देखो रंग रंगीन तन ।
प्रसन्न हो गया देख कर मन ।।
मिल जाए एसी पंख मुझे।
नाच उठेगा मेरा तन मन ।।
छोड़ पढ़ाई ख़ुशी मनाने।
गोल पंख अपनी फैलाता ।।
झुंड बनाकर वन उपवन में ।
भारत का गौरव कहलाता।।
पंख लगे कान्हा के मस्तक ।
कुहु कुहु का गीत सुनाऊं ।।
कार्तिकेय का वाहन बनकर।
में फिर नीलकंठ बन जाऊं।।
🙏🌹 *स्वरचित रचना* 🌹🙏
🙏🌹 *पद्माक्षि शुकाल* 🌹🙏
[06/12, 3:56 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: मोर --- ओमप्रकाश पाण्डेय
खूबसूरती की बात हो करनी
मोर हमेशा याद आता सबको
नृत्य अगर करना हो सुन्दर
तुलना मोर नृत्य से ही होती
सबसे सुन्दर सबसे शांत पक्षी है ऐ........ 1
सावन की काली घटा जब छायी हो
घनघोर हो रही हो वर्षा चहुंओर
आनन्द मगन फिर मैदानों में
सुन्दर नृत्य करता है मोर
सबसे सुन्दर सबसे शांत पक्षी है ऐ......... 2
विद्यार्थियों के किताबों के पन्नों में
छिपा कर वे सब अन्दर रखते हैं
सुन्दर मोर पंख इस विश्वास से
ज्ञान हमारा बढेगा मोरपंख रखने से
सबसे सुन्दर सबसे शांत पक्षी है ऐ.... ..... 3
हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी है मोर
राजस्थान का सिरमौर है मोर
मुंडेरों छतों व पेड़ों पर उड़ते ऐ
फैलाये अपने ये बहुरंगी पंख
सबसे सुन्दर सबसे शांत पक्षी है ऐ.......... 4
( यह मेरी मौलिक रचना है ----- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[06/12, 5:26 pm] +91 70708 00416: राष्ट्रीय पक्षी मोर
****************
मैं हूं राष्ट्रीय पक्षी मोर
मुझे देख करते सब शोर
जब बादल घुमड़ -घुमड़ आता
पंख फैला मैं खुश हो नाचता
वाह ये कैसा रूप हमने पाया
सबके मन को है हर्षाया
सुन्दर -सुन्दर पंख है मेरे
लम्बी गर्दन ,नीला रंग
नाना रंग दिखाता हूं
नाच -नाच कर रिझाता हूं
बच्चों को भी खूब बहलाता हूं
मेरे पंख से लिखा जाता गाथा
सबसे सुन्दर पक्षी मैं कहलाता
बाग-बगीचों में अक्सर जाता
शोर सुनकर उड़ जाता
मेरा सुन्दर नाच सभी को भाता
गर जो पास कोई मेरे आता
मैं जल्दी से भाग खड़ा हो जाता
हां मैं राष्ट्रीय पक्षी मोर हूं
डॉ मीना कुमारी परिहार
[06/12, 5:35 pm] Nirja 🌺🌺Takur: अग्निशिखा मंच
तिथि - ६-१२-२०२१
विषय- मोर
पक्षी राज मोर की शान तो देखो
कैसे पंख फैलाकर नाचता देखो
बादल देख खुश हो जाता
पंख में जैसे रूपिया लगा है देखो
राष्ट्रीय पक्षी कहलाता है मोर
ऊंचा उड़ नहीं पाता मोर
शरीर पूरा सुंदर बना
पैर देख कर रोता मोर
नीले पंखों पर निशान बने हैं गोल
घूमघूम पंख फैला कर नाचता मोर
कृष्ण जब लगाये मोर पंख मुकुट में
देख उन्हें खुश होता मोर
जीवन में मेरे खुशियॉं झूम के आई
छोटे छोटे दीप जला लाई
खुशियों के बादल छाए चहुं ओर
नाच उठा मेरे मन का मोर
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[06/12, 5:50 pm] आशा 🏆🏆जाकड इन्दौर: राष्ट्रीय पक्षी मयूर
नभ में घिरते जब जब बदरा
उमड़ते घुमड़ते हैं कारे बदरा।
तब मन- मयूर नाचने लगता है
वन- उद्यान मोर नृत्य करता है।
मयूर बदरा देख प्रसन्न होते है
पंख फैला, झूमकर नाचते हैं।
मोर- नृत्य से बच्चे खुश होते हैं
ताली बजा स्वयं नृत्य करते हैंः।
मोर कहलाता है राष्ट्रीय पक्षी
मोर पंख होते सुन्दर सतरंगी।
वह नृत्य कर खूब खुश होता है
पर अपने पैरों को देख रोता है।
मोर सौन्दर्य का प्रतीक होते हैं
कृष्ण मुकुट में शोभित होते हैं।
मयूर पंख बहुत काम आते हैं
मयूर पंखों से पंखे सजते हैं।
वह झाड़- फूंक के काम आते हैं
घर और ,पूजा गृह को सजाते हैं।
वह खुशी सबके साथ बाँटता है
अपना दर्द अकेले में दिखाता है।
हम भी मयूर- जीवन से सीखे,
जीवन की गहराई को समझें।
आशा जाकड़
[06/12, 5:55 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन
विधा : बालगीत
विषय:- *मोर*
@@@ सुंदर मोर@@@
सुंदर सा मनमोहक है मयूर
मेघों को देखकर नृत्य करता
सुंदर सा मनमोहक है तू
सब को मन को भाता।।१।।
भारत का राष्ट्रीय पक्षी कहलाता
पावस में तु पंख फैलाकर
नृत्य करता लेकिन सब बोलते
वन में मोर नाचा किसने देखा।२।
क्या रंग है प्यारा निशान हैं
गोल गोल कृष्ण के मुकुट
लगते मोर पंख माथे में
लगता सुंदर कृष्ण भगवान।।३।।
कीड़े मकोड़े साप केंचुए
खाता तु कृषक पाते निजात
कार्तिकेय का वाहन है तू
बालक पंख रखते किताबों में।४।
आसमान में नहीं उड पाता
पैर है तेरे मजबूत कुदरत या
ईश्वर ने फुरसत से बनाया तूझे
इस कारण है मनमोहक।।५।।
सुरेंद्र हरडे
नागपुर
दिनांक ०६/११/२०२१
[06/12, 6:05 pm] Anita 👅झा: बाल गीत -
मोर संग नाचें मेरो मदन गोपाल
छोटी छोटी गईया छोटो मेरो ग्वाल
नाचे मन मोर संग गोकुल धाम
गौंउँन संग नाचे मेरो मदन गोपाल
मोर संग नाचें मेरो मदन गोपाल
मधुबन में गीत सुनायें मदन गोपाल
छोटी छोटी गैया छोटो मेरो ग्वाल मोर संग नाचें मेरो मदन गोपाल
नाचें मेरो ग्वाल संग मदन गोपाल
गईया मेरी कामधेनु सेवा मेरा काम
मैया की सेवा में है चारों मेरो धाम
छोटी छोटी गईया गोकुल मेरोधाम
छोटी छोटी गईया छोटो मेरो ग्वाल मोर संग नाचें मेरो मदन गोपाल
अनिता शरद झा रायपुर
[06/12, 6:58 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: अग्निशिखा
विषय- मोर
शीर्षक -मोर नाच उठा
बादल आए घन- घन घन-घन
बरखा बरसे रिमझिम-रिमझिम
मोर पखारे अपने सुंदर पंखों को
नाच दिखाएं छम- छम छम-छम।
मोरपंखी रंग भरते जाएं
मेहा - मेहा बोल सुनाएँ
मोर के सिर कलंगी देख
मोरनी भी इतराती जाए ।
मोर पंख मुकुट में सोहे
कृष्ण के मनवा को मोहे
रंग भरे पंख हैं अनमोल
राष्ट्रीय पक्षी है प्यारा मोर।
डॉक्टर अंजुल कंसल "कनुप्रिया"
6-12-21