,8/11/2021
शीर्षक- गोवर्धन पूजा
दिवाली के बाद करते हैं गोवर्धन की पूजा ।
कर्म का सिद्धांत बतलाये गोवर्धन की पूजा ।।
हे कृष्ण कन्हैया तूने तोड़ा इंद्र का अभिमान ।
गोकुल नगर निवासी करते पूजा प्रभू मान ।।
कन्हा किया उपकार , घंमड इंद्र का तोड़ा ।
रचाई कान्हा ने लीला इंद्र का अंहकार मोड़ा ।।
गोवर्धन पूजा का महत्व समझाया गया ।
अपनी नदीयाँ अपने पहाणो का सार बताया गया ।।
गोवर्धन की पूजा हो घर घर ख़ुशियाँ आयें ।
गोवर्धन पूजा की कन्हा ने करवाई तैयारी आयें ।।
क्रोध से काँपने लगे इंद्र ने बादलो को ललकारा , घनघोर हुई बारिस
तूफ़ानी बारिस देख घबराये गोकुल वासी । ।
कान्हा ने तब अपना चमत्कार दिखाया
छोटी उँगली से गोवर्धन गिरी उठाया ।
सब को पुकारा , सारे नगर वासी गोवर्धन के नीचे शरण पाया ।।
हुआ तब इंद्र का अभिमान चूर
शरण कृष्ण की आये शीश झूका माफी माँगे ।
कान्हा ने किया माफ , शुरु हुई गोवर्धन पूजा इंद्र ने भी पूजा की
अंहकार छोड़ा ।
गोवर्धन पूजा फिर घर घर होने लगी परम्परा में जोड़ा ।।
, दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा जो करता कृष्ण कृपा मिलती ।।
गोवर्धन की पूजा करो , कर्म का महत्व सिखाओ ।
हिंदुओं की परम्परा का गौरव बढ़ाओ ।।
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
[08/11, 10:00 am] 👑सुषमा शुक्ला: गोवर्धन पूजा,,
गोवर्धन में गायों की पूजा,,
यह है कृष्ण का प्रेम दूजा,,,, गायों के प्रति श्रद्धा प्रगट करते
गौ माता की पूजा करते।
गोवर्धन पर्वत बचाया,,,
सब का मन लुभाया,,,
देव इंद्र जो था गरवाया,,, उसका अहंकार मिटाया।
श्री कृष्ण ने गिरी की पूजा की टीची,उंगली पर उसको उठाया,,, लोगों को आश्रय दिया,,,
इंद्र ने गलती स्वीकार किया
माधव ने सात दिन बाद,,,
पर्वत को पृथ्वी पर रखा,,,
सहारा देने वाला पहाड़ बच गया,,,
अन्नकूट के रूप में,,,,
इसको पूजागया।।
स्वरचित रचना सुषमा शुक्ल
[08/11, 10:38 am] Nirja 🌺🌺Takur: अग्निशिखा मंच
तिथि - ७-११-२०२१
विषय- गोवर्धन पूजा
दीवाली के बाद करते गोवर्धन पूजा।
इंद्र कहे मानो मुझे,मुझसा ना दूजा
छोड़ गोवर्धन मेरी करो तुम पूजा।
बात ना माने कोई इंद्र हैं गुस्साए
इंद्र हैं जल के देवता,खूब जल बरसाये
डूबने लगा जब गोकुल,कृष्ण आगे आए
छोटी उंगली पर तब पर्वत गोवर्धन उठाए
गोवर्धन के नीचे ला सबकी जान बचाए
कृष्ण तो हैं ही ऐसे सहायता सब की करने,नंगे पैर दौड़े जाए।
इस दिन हम गोधन की भी पूजा करते
गाय और बैल ही हैं हमारे असली धन
इनकी रक्षा करो,कृष्ण का संदेश सुनते
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[08/11, 12:07 pm] वीना अडवानी 👩: गोवर्धन पूजा-अर्चना का विधि-विधान
यह करता पर्वत यदुवंश का बखान
कृष्ण लीलाओं का स्वर्णिम उपहार
गोवर्धन पर्वत भी है एक प्रमाण।।
एक उंगली पर उठा पर्वत
सबकी कान्हा जान बचाए
क्या गाएं, क्या इंसान सभी
कृष्ण संग पर्वत नीचे आए।।
बखान आज भी गोवर्धन पर्वत
गाथाओं में खूब पढ़े सुनाएं
कृष्ण यदुवंशी द्वारकाधीश
एक गौरवशाली इतिहास रचाए।।
आज भी बहुत परिक्रमा कर
गोवर्धन की पुण्य कमाए
महसूस करें उस नंदलला को
रुह से वो आपके समक्ष नजर आए।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
********************
[08/11, 12:42 pm] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: 🌺सोमवार 8//11/ 2021
🌺समय - सुबह ८ से शाम ७ बजे तक
🌺 आज का विषय : गोवर्धन पूजा
🌺विधा : बाल गीत
अम्मा से मुन्ना ने पूछा – गोवर्धन पूजा होती क्यों?
अम्मा बोली सुन मेरे बेटे इसकी कथा कहानी कुछ यों।
त्रेता युग में श्री कृष्ण ने पूजन इंद्र बंद करवाया।
कहा करो गोवर्धन पूजा, उसको उपयोगी बतलाया।
क्रोधित होकर इंद्र देव ने, धार मूसला जल बरसाया।
लगा डूबने जब ब्रज मंडल, सब ने हा हा कार मचाया।
गए दौड़कर मुरलीधर पर, शीघ्र उपाय करो कुछ भैया।
डूब रहा सारा ब्रजमंडल, ग्वाल बाल, बछड़ा और गैया।
बोले कान्हा चिंता छोड़ो मेरे पीछे पीछे आओ।
बाल वृद्ध नर नारी सारे, अपने बछड़ा गैया लाओ।
पैर जमाकर खड़े हो गए उठा लिया गोवर्धन पर्वत।
आ जाओ सब इसके नीचे दूर भगाओ सारी आफत।
पर्वत ऊपर चक्र सुदर्शन रखा बज्र से टक्कर लेने।
शेषनाग से घेरा डाला, जल की लहरों से टकराने।
हार गए जब इंद्र देव, तब ब्रह्मा जी के द्वार पुकारे।
ब्रह्मा बोले कृष्ण ब्रह्म हैं शीघ्र शरण में उनकी जा रे।
हुआ इंद्र का सिर नीचा तब, वर्षा थमी कृष्ण स्वर गूंजा।
युगों युगों तक हुआ करेगी, अब से गोवर्धन की पूजा।
अब मुन्ना की समझ में आई गोवर्धन की सारी घटना।
अम्मा बोली पूजो मन से अब कोई संकोच न करना।।
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
[08/11, 12:54 pm] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: वीना अचतानी
विषय*** गोवर्धन पूजा ****
नहीं है अन्त भगवान् कृष्ण
की लीलाओं का
बताया महत्व गोपों को
गोवर्धन पूजा का
एसा महान् त्यौहार
जिसने बढ़ाया
प्रकृति का मान
लोगों की रक्षा करने
एक उँगली पर पहाड़ उठाया
उसी कान्हा की याद दिलाने
गोवर्धन पूजा का दिन है आया
घंमड तोड़ इन्द्र का
प्रकृति का महत्व समझाया
गोवर्धन पूजा का दिन
हम श्रद्धा से मनाते
पूजन हो गिरीराज का
इन्द्र ने नहीं माना
अंहकारी इन्द्र ने ब्रज पर
वर्षा का कहर बरपाया
सुदर्शन चक्र चला कर
उँगली पे पर्वत को उठाया
कृष्ण अराधना में
तल्लीन हो जाओ
बंसी की धुन पर
सबके दुख हरता
सब की रक्षा करता।।।।
वीना अचतानी
जोधपुर ।।
[08/11, 1:14 pm] निहारिका 🍇झा: नमन अग्निशिखा मंच
आयोजन विषय;-गोवर्धन पूजा।।
दिनाँक;-8/11/2021
दीप पर्व का चतुर्थ दिवस
कहलाता गोवर्धन पर्व।
इसकी महिमा बड़ी निराली
दिखलाते थे नँद के लाला ।।
जनता की रक्षा की खातिर
तर्जनी पर गिरि को उठा लिया।
इंद्र देव के कोप से इस जग को बचा लिया
हुई बंद यह अतिवृष्टि
गोकुल वासी ऋणी हुए।
थाल सजाया छप्पन भोग से
गिरिधर को अर्पण किया।
होकर प्रसन्न नारायण ने
जग को यह वरदान दिया
गौ धन व अनाज धन की
विधि विधान से
जो जन पूजन यहाँ करें
उनके घर मे सदा ही
धन धान्य भरा रहे।
करते सब पूजन अर्चन
छोटी दीवाली के नाम से।।
और पा जाते कृपा सदा
बलदाऊ सँग कन्हैया की।
निहारिका झा🙏🙏
[08/11, 1:57 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: 8 Nov 2021 विषय-गोवर्धन पूजा
दिवाली बाद गोवर्धन पूजा।
सृष्टि प्रेम और नहीं दूजा।
मूसलाधार घन है आया।
अमरेश ने अमर्ष जताया।
जल ने हाहाकार मचाया।
बड़ा भयंकर संकट आया।
कष्ट कृष्ण ने जाना भारी।
तब हैं चक्र चलाते मुरारी।
उँगली पर गोवर्धन धारा।
अभेद्य हुआ बृजवास सारा।
सातवें दिन गिर रखते मुरारी।
सभी मन में खुशी थी भारी।
सारे गोधन पूजे जाते।
अन्नकूट का भोग लगाते।
घर घर में है द्वार सजाते।
गाय गोबर से गिर बनाते।
फसल खड़ी खड़ी लहराती।
क़ुदरत सुंदर रूप सजाती।
सुख वैभव है घर में आता।
आरोग्य सभी को मिल जाता।।
गौ को लक्ष्मी माना जाता।
सुख समृद्धि धन धान्य प्रदाता।
गौ माता है दूध की दाता।
बछड़ा भी अन्न उगाता।
जन की पूजनीय गौमाता।
शास्त्रों में गुण गाया जाता।
प्रतिपदा को करें सब पूजा।
गाय मात का विकल्प न दूजा।
इंद्र का गर्व नष्ट किया था।
तभी कृष्ण को जान गया था।
लेटा हुआ मानव बनाते।
पूजा करके भोग लगाते।
वैष्णो खत्री वेदिका
[08/11, 2:58 pm] रवि शंकर कोलते क: सोमवार 8:00 1121
विधा*****बाल गीत
विषय ****गोवर्धन पूजा
बाल कृष्ण ने गोवर्धन उठाया ।
इंद्रके कोपसे सब को बचाया ।।
गाये तो हमारी मां कहलाए ।
महावृष्टि का प्रलय हो न पाया ।।१
सब बृजवासी शांति से रहने लगे ।
भजन अर्चन कृष्णका करने लगे ।।
कृष्ण से टक्कर लेने वाले इंद्र ।
स्वयं कृष्ण के आगे झुकने लगे ।।२
श्री कृष्ण तो विष्णु के अवतार है ।
वे स्वयंही सृष्टि के रचनाकार हे ।।
बाल गोपाल के संग लीलाएं रची ।
कृष्ण रुप ही सारा ये चराचर है ।।३
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[08/11, 3:11 pm] कुम कुम वेद सेन: विषय गोवर्धन पूजा
बाल गीत
बच्चों सुनो तुझे
बताने आई हूं
गोवर्धन पूजा
इंद्रदेव का यह भ्रम था
मेरे जैसा नहीं कोई बलशाली
इंद्रदेव ने पानी बरसाना
शुरू किया और जग को
पानी पानी कर दिया
तब भगवान श्री कृष्ण
अपनी कानी उंगली पर
गोवर्धन पर्वत को उठाकर
बरसात के पानी को रोक दिया
इंद्रदेव का अहंकार टूट गया
जग को इंद्र के कोप से बचाया
गो का अर्थ होता है गाय
गाय श्री कृष्ण का प्रिय
गौ माता की पूजा कर
भगवान श्री कृष्ण की आराधना करते
गोवर्धन पूजा हम सब मनाते
कुमकुम वेद सेन
[08/11, 3:15 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: गोवर्धन पूजा (बालगीत) --- ओमप्रकाश पाण्डेय
हर साल आज के दिन ही
गोकुल के लोग अनादि काल से
पूजा करते भगवान इन्द्र की
उनके द्वारा किये वर्षा से
जल मिलता हर प्राणीं को......... 1
पर इस बार कान्हा ने बोला
हम सब इन्द्र की जगह अब
पूजा करेंगे गोवर्धन पर्वत की
यह हमारी गायें व पशुओं के लिए
हरे हरे घास और देता है चारा..... .... 2
जैसे ही पता चला इन्द्र को
क्रोधित हो गया वह गोकुल पर
करने लगा भीषण वर्षा
त्राहि त्राहि मच गया गोकुल में
कान्हा बचाओ, गोकुल सारा बोल उठा....... 3
कान्हा बोले मत घबड़ाओ
सब अपनी एक एक ऊंगली
गोवर्धन पर्वत के नीचे लगाओ
कान्हा ने भी ऊंगली लगा दी
उठा दिया गोवर्धन पर्वत को ऊंगली पर.... .... 4
इन्द्र का सारा क्रोध हुआ व्यर्थ
पूरा गोकुल आ गया गोवर्धन के नीचे
संगठन में शक्ति है सिखाया कान्हा ने
इन्द्र का चूर हो गया अहंकार
तब से शुरू हुआ गोवर्धन पूजा........... 5
( यह मेरी मौलिक रचना है ---- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[08/11, 3:32 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन
विधा___* *बाल गीत*
विषय_ *गोवर्धन पूजा*
श्री कृष्ण ने उंगली पर उठाया गोवर्धन ।
बाल गोपाल बृजवासी करने पूजन ।।
इंद्र के कोप् से बचाया सब नर नारी को ।
आनंद से झूमने लगा सारा वृंदावन ।।१
बाल गोपाल संग खेले खूब कन्हैया ।
खेल खेल में खूब लीलाई दिखाई भैया ।।
माताओं की रक्षा की गाय के रूप में ।
खुद भगवान थे हमारी तो कृष्ण कन्हैया ।२
सुरेंद्र हरडे
नागपुर
दिनांक :- ०८/११/२०२१
[08/11, 3:49 pm] Anita 👅झा: बाल -गीत
विषय -गोवर्धन पूजा
*गोवर्धन पूजा*
बाल सखा गोपियों संग
आओ मिल दीवाली मनायें
घर से घर तक दीप सजाये
चार दिनों दीप दिवारी सजायें
रंगोली से अपनी पहचान बताये
बिजली की लड़ियों अनार दानो
खुद को नव रंग रूपों में दिखाये
गोवर्धन गौवन संग खेला दिखायें
छप्पन भोग किशु -बल्लु संग थाल सजायें ,
राऊत नाचा सुआ गीत संग सोहाई बधाई है
जीवन अंतरंगता की अमुल्य घड़ियाँ है
जुड़ जाय वो कड़ियाँ वो अमुल्य घड़ियाँ है
अनिता शरद झा रायपुर
[08/11, 3:59 pm] 👑पदमाकाक्षी शुक्ला: 🙏🌹 *नमन मंच* 🌹🙏
🙏🌹 *जय अम्बे*🌹 *८/११/२१* 🌹🙏
🙏🌹 *बाल कविताः* *गोवर्धन पूजा* 🌹🙏
गोवर्धन पूजा क्यों करते।
सोचने लगा मुन्ना मन में ।।
जाकर मां से पूछा उसने ।
बैठो आज बताती हूं में।।
मनमें रहता इन्द्र को गर्व।
मेरी पूजा करनी होगी ।।
नहीं किया पूजन मेरा तो।
धरती पर वर्षा ना होगी।।
इन्द्र का अहंकार बढ़ा तब।
बंध किया उसकी पूजा को।।
नारायण स्वरूप से हुआ।।
करते गोवर्धन पूजा को।।
होने लगा जब इन्द्र क्रोधित।
व्रज मंडल डूबा जल बरसा।।
कहा कृष्ण ने चिंता छोडो।
गोवर्धन पर करें भरोसा।।
चलो गोवर्धन को उठाए ।
गोवर्धन से रक्षा मांगे।।
उँगली पर रखा गोवर्धन।
कृष्ण के साथ बढ़ते आगे।।
व्रजमंडल ग्वाल बाल बछड़ा।
सात दिन रात खड़े रहे है।।
गर्व उतर गया इन्द्र का जब।
कृपा कृष्ण की यह चाहे है।।
भोग लगाया अन्नकूट का ।
गोवर्धन की पूजा करते।।
तबसे उत्सव मनाते रहे ।
आओ मिलकर पूजा करते।।
अभिमान से दूर रहना है।
मुन्ना समझ गया है मनसे।।
मात पिता का मान बढ़ाना।
एकता बढ़ाये हम सबसे।।
🙏🌹पद्माक्षि शुक्ल 🌹🙏
[08/11, 4:04 pm] स्नेह लता पाण्डेय - स्नेह: नमन पटल 🙏🙏
आज की विधा- बालगीत
विषय/ गोवर्धन पूजा
बच्चों सुनो लगाकर ध्यान
कृष्ण लीला का गुणगान।
इंद्र देव बरसाते थे पानी,
पूजा करते गोकुल वासी,
गर्व इंद्र को इसका अति,
समझे जल को निज थाती।
कान्हा के कहने पर लोगों ने
शुरू किया गोवर्धन पूजा।
इंद्रदेव अति कुपित हो गए,
करने लगे घनघोर जलवर्षा।
गोकुलवासी अति घबराए,
अति कातर हो श्याम पुकारें।
कान्हा ने गोवर्धनपर्वत उठाया,
उसके नीचे शरण दिलाया।
छप्पन दिन पर्वत उठा रहे खड़े।
लीला देख सुर ,नर,हाथ जोड़े ।
इस नन्हें से बालक ने
कौतुक क्या दिखाया था।
एक उँगली से गोवर्धन उठाया था।
इंद्र का गर्व चूर हुआ
कान्हा के आगे झुकने को मजबूर हुए।
तब से होती गोवर्धन पूजा
विधि विधान से अन्न कूट से।
मिलजुल कर सब साथ रहो।
हार सको न तुम कभी फूट से।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
[08/11, 4:34 pm] रानी अग्रवाल: गोवर्धन पूजा।
८_११_२०२१,सोमवार।
शीर्षक_गोवर्धन महाराज।
दिवाली मनाई,आया दिन दूजा,
नववर्ष के दिन होती गोवर्धन पूजा
घरों में पूजे जाते,गोवर्धन महाराज
जाके माथे मुकुट सोहे, व ताज
अस्सी कोस की चक्र महिमा,
लगे दिन _ रात परिक्रमा।
वस्त्र_सिंदूर चढ़ा,कर कीर्तन,
पाते आशीर्वाद,कर पूजन।
कर परिक्रमा, पाते वरदान,
मथुरा वृंदावन की शान।
यही है वो गोवर्धन,
जो गोकुल गाम बचाए,
कंगली उंगली धारण कियो,
बृजधाम लियो बचाए।
तोड़ा घमंड इंद्र का,
रक्षा करी गिरधारी,
घन_घन,घन गरजे,
बरसी जब मूसलधारी धारी। बृजमंडल आयो गोवर्धन शरण,
इंद्र भी पहुंचा, छूने कृष्ण के चरण
जान लिया सब जग ने,
कृष्ण के अवतार को,
नंदलाला के वेश छुपे,
यशोदा के अनोखे प्यार को।
बस जाग गई सबमें,
नवजीवन की आस ,
तबसे श्री चरणों में,
है मेरा अटूट विश्वास।
बढ़े सबका सौंदर्य, और धन,
जय_जय,जय गोवर्धन।
स्वरचित मौलिक रचना_____
रानी अग्रवाल,मुंबई,८_११_२१.
[08/11, 4:40 pm] पूनम सिंह कवयित्र� � इशिता स� �डीला: नमन मंच ,
बाल गीत
लड्डू
भोर भई माँ लड्डू ला,
हो गयी सुबह अब मुझे खिला,
लाल ला पीला ला,जितने हो उतने ला,
पेट में चूहे कूद रहे लड्डू लड्डू ढूढ रहे,
गोल ला,चौकोर ला ,चपटा ला ,कैसा भी,
मा लड्डू ला ,
छुप छुप के कहा लूंगी,देख न ले चमेली,
कल हिस्सा बाटलिया था ,न आये आज सहेली,
लड्डू मुझे बड़े ह प्यारे,
मेरे तो ह ये राज दुलारे,
इतना मज़ा कही न आता
इनका गजब स्वाद ह भाता,
मुन्नू,आओ चुन्नू आओ,
तेरी दीदी तुम्हे बुलाये
@इशिता सिंह ,लखनऊ, उप्र
[08/11, 4:41 pm] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
विधा:- बाल गीत
शीर्षक:-- *गोवर्धन पूजा*
घर घर में है गौशाला
गौ माता रहते हैं, उसे साफ करते
आज सुबह सुबह दूध लेकर उन्हें
मैदान में लाते हैं शुद्ध जल से स्नान कर
सिंघ में घी लगाकर गर्दन के घुंघरू नए बदलते है उनसे आशीर्वाद लेकर आगे अंकूट के छः पन प्रकार पकवान बनाते हैं। इंद्र देव महाराज बरसते हैं।
भगवान श्री कृष्ण कानी उंगली पर उठाकर गोवर्धन पर्वत को बरसात रोक दिया इंद्रदेव का अहंकार टूटा इसलिए
गोवर्धन पूजा करते हैं।
विजयेन्द्र मोहन।
[08/11, 4:51 pm] पूनम सिंह कवयित्र� � इशिता स� �डीला: गोवेर्धन पूजा
बाल गीत
गोवेर्धन पूजा अच्छी,
शक्ति मिलेगी सच्ची सच्ची
ध्यान लगाओ,कान्हा को बुलाओ,
भक्ति करोगे अच्छी अच्छी,
सीख मिलेगी पक्की पक्की,
ईश्वर लीला कोई न जाने,
हुम् तो बालक अनजाने,
हम में ज्ञान कहा भला ,
हम बालक अज्ञानी
बाल गोपाल को बुलालो
सुदामा सी मित्रता सिखा दो,
गोवेर्धन पर्वत से अडिग हमे बनादो,
और किसी मुसीबत को हल करना,कान्हा,
हमे सिखा दो,
@इशिता सिंह लखनऊ
[08/11, 5:15 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: 🌹 बालगीत 🌹
विषय
गोवर्धन पूजा
****************
गौ माता की पूजा कहलाती है, गोवर्धन पूजा।
इंद्रदेव के अहंकार को तोड़ने के लिए श्री कृष्ण ने उठाया बेड़ा ।
ब्रज वासियों की रक्षा करने उठाया गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी छेनी में ।
अतिवृष्टि की इंद्रदेव ने सारे ब्रजवासी समा गए गोवर्धन पर्वत के नीचे ।
टूटा इंद्र का अहंकार होने लगी गोवर्धन की पूजा , दूर हुआ हाहाकार ।
ग्वालों का है यह त्यौहार सुआ गीत गाते हैं रावत नाचा नाचते हैं
गौ माता को खूब
सजाते हैं।
करते हैं गौ की
श्रध्दा से पूजा।
गौ माता है हमारी माता मिलता है दूध हमें बलिष्ठ होता ये संसार।
आओ हम भी पूजे गौ माता को, जो करती है हम सबका ख्याल ।
पिलाकर दूध अपना
ताकतवर बनाती है ,
हम सबको ।
*******************
डॉ . आशालता नायडू .
भिलाई . छत्तीसगढ़ .
*******************
[08/11, 6:28 pm] ♦️तारा प्रजापति - जोधपुर: अग्निशिखा मंच
8/10/2021 सोमवार
विषय-गोवर्धन पर्वत की पूजा
कृष्ण कन्हैया
बंसी बजैया
लीलाधर गोपाल
जन्म लिया कारावास में
पले गोकुल धाम
पूतना का विष पिया
नाग कालिया दाह
इंद्रदेव के कोप से
बचाने को
जन जीवन
अंगुली से उठाया
गोवर्धन पर्वत
तब से आज तक
दीपावली के दूसरे दिन
बनाकर गोबर का
गोवर्धन पर्वत
जाता है पूजा।
तारा "प्रीत"
जोधपुर (राज०)
[08/11, 6:37 pm] आशा 🏆🏆जाकड इन्दौर: विषय - गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा का पर्व बड़ा ही पावन
गोवर्धन पर्वत की पूजा का है विधान
श्रीकृष्ण भोग लगाते छप्पन पकवान
इसीलिए कहलाता अन्नकूट पर्व महान।।
जब कुपित इंद्रदेव ने भीषण वर्षा की
तब श्री कृष्ण ने उठाया गोवर्धन पर्वत
गोकुल के लोगों जानमाल की रक्षा की
श्रीकृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत पूजा की ।।
गोवर्धन पर्वत ने उस दिन नाम कमाया
श्रीकृष्णजी ने भी गिरधर नाम है पाया
उसदिन से गोवर्धनजी घर-घर पूजेजाते
मंदिर में श्रीकृष्ण को छप्पनभोग लगाते।।
अन्नकूट पर्व को सभी उत्साह से मनाते
सभी सब्जियों की पचमेल सब्जी बनाते
कढ़ी -चावल ,खीर -पूरी का भोग लगाते
गोबर के गोवर्धन की पूजाकर ढोक लगाते।।
आजभी लोग 8 कोस की परिक्रमा करते
मन्दिर में गोवर्धन गिरि के दर्शन करते
श्रीगोवर्धन जी सबके मनोरथ पूरे करते
लोग तन मन धन से उनका अर्चन करते।।
आशा जाकड़
[08/11, 6:59 pm] डा. बैजेन्द्र नारायण द्िवेदी शैलेश🌲🌲 - वाराणसी - साझा: आदरणीय मंच को नमन
एक रचना जय गोवर्धन धारी
************
कृष्ण कृपा कब किसको कैसे मिल जाएगी
नहीं पता है
ग्वाल बाल
अति प्रेमी श्याम के
उनकी बात मान लेते थे
कृष्ण ही उनके अग्रज मार्गदर्शक हर एक क्षण पर अपने होते थे
दावानल से उन्हें बचाया
जमुना जल से कालिया भगाया महासर्प से उन्हें बचाया
सब के प्राण के रक्षक
इसीलिए वे सबके प्रिय थे नंदनी इंद्र की पूजा का ब्रज के लिए विधान बनाया किंतु कृष्ण ने कहा गोवर्धन ने ही हमको धन वैभव जीवन दिलवाया
क्यों न करें हम उसकी पूजा उस जैसा नहीं कोई दूजा
जल रुकता है
घास उगती है गैया चरती है
दूध देती है
गोवर्धन है अपना भगवान
उसी को माने हम प्रधान
करें नित्य उसकी पूजा
जीवन का आधार न दूजा
सबने जबकि गोवर्धन पूजा ।
इंद्र के मन में आया क्रोध बदला लेने के लिए ,
उसने भेज दिया सांबर्तक मेघ।।
एरावत ने हारी मानी, सूख गया मेमू का पानी। उंगली पर श्याम ने गोवर्धन धारे। गोप लाठियों का लिए सहारे। इंद्र का टूट गया अभिमान। आए कृष्ण के सामने स्वीकार किए भगवान अंत में उनसे मांगे क्षमा। दृश्य देखती ब्रह्मा रमा।। श्याम से सबसे शक्ति के नायक और सभी से उनके सेवक।। लोगों ने जयकारा किया गोवर्धन के छाया मेरा जीवन का उसको ही श्रेय दिया।।
बोलिए गोवर्धन धारी श्री कृष्ण की जय।। गोप गोपियों की जय। गौ माता की जय धरती मैया की जय। ब्रजभूमि की जय।।
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डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी शैलेश वाराणसी🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷
[08/11, 7:04 pm] रजनी अग्रवाल जोधपुर: शीर्षक गोवर्धन पूजा
यह दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है मान्यता है कि इंद्र के प्रकोप से मनाने बचाने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था और सारे ब्रज वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया और इंद्र के अभिमान का मर्दन किया। यह गोबर से बनाया जाता है और उसको भोग तरह-तरह के भोग लगाए जाते हैं यह हमारे हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है गाय माता को भी भोग लगाते हैं और तरह-तरह के पकवान बनाते हैं कृष्ण की महिमा गाते हैं
स्वरचित रचना
रजनी अग्रवाल जोधपुर