: शीर्षक- विजयादशमी
विजय दशमी दशहरा ।
सत्य की कहानी बतलाता ।।
झूठ का होता मूंह काला
जन -जन को बतलाता ।।
मर्यादा पुरुषोत्तम का गान ।
रावण के पापा का अवसान ।।
प्रभु राम की लीला अपरम्पार ।
दशहरा राम ,विजय की शान ।।
भारत है कई धर्मों का देश
संस्कार संस्कृतियों का देश
सर्व धर्म सम भाव का होता मान
पुनीत पर्व दशहरा परम्पराओं का गान ।।
आज नीलकंठ पक्षी के दर्शन सुख समृद्धि लाता
मनभावन मंगलकारी , सब विपदा हरता ।।
पावन पर्व दशहरा , ख़ुशियाँ ले कर आता ।
पापपीओ का विनाश सजा यह संदेश देता ।।
सब मिलकर करे प्रतिज्ञा
नहीं करेंगे अपनें बढो की अवेज्ञा
धर्म के अस्तित्व को मिटने न देंगे
घर घर में राम विराजे राम का जाप होगा ।।
दंशहरे पर करे प्रतिज्ञा
दशहरे का मान बढ़ायें ।।
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
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: दशानन क्यों नहीं मरता हैं ।
दशानन क्यों नहीं मरता है ।
बार बार विचारे आता है ।।
हर वर्ष जलाया जाता हैं
पर अंहकारी क्योनही मरता हैं ।।
दुष्ट पापी अधर्मी से सब कोई हारा था ।
राम ने रावण को अपने हाथों मारा था ।।
करके अंत बुराई की अच्छाई की विजय पाई थी ।
सच का बोलबाला हुआ जयकारा लगाया था ।।
मिलकर सबने खुशियां मनाई ।
घर घर में आनंद मनाया था ।।
पापी का वध हुआ था ।
दशानन कभी नहीं मरता हैं ।।
दुष्ट रावण को पापों की
सजा मिल गई थी ।
बडा ज्ञानी था और चतुर था ।।
उसने सोचा राम के हाथों मरूंगा तो मोक्ष पा जाऊंगा ।
और अमर भी हो जाऊंगा ।।
हर साल हम विजयादशमी मनाते हैं ।रावण को हर साल जलाते हैं बुराई का अंत इसी तरह मनाते हैं।।
रावण तो आज भी जगह जगह मिलते हैं ।
इसीलिए तो दशानन कभी नहीं मरता है ।।
जिसके अंदर पाप पनपता वही रावण होता है ।
जिसकी आत्मा दूषित होती वही रावण होता है ।।
अमानवीय जिसका व्यवहार होता वही रावण होता है
नारी की जो अवहेलना करता वही रावण होता है ।।
जो सब पर अपना रौब चलाता वही रावण कहलाता हैं
दशानन तभी तो कभी नहीं मरता है ।।
जो संतों का अपमान करता उसके अंदर रावण बसता हैं ।
राक्षसी जिस की प्रवृत्ति उसे रावण ही कहा जाता ।।
असुर जैसा रहता है
वह राक्षसों के जैसा खाता पीता उसको रावण कहते हैं ।।
जो अपना स्वार्थ सिद्धि के लिए पूजा करता है ।
वही तो रावण का वंशज होता है ।।
इसीलिए तो दशाननकभी नहीं मरता है दशहरा पर उसको सब याद करते हैं ।उसकी बुराई को आग में जलाया करते हैं ।।
लंकेश था वह लंकापति उसका भी अंत हुआ
10 मुख का वह दशानन कहलाया ।।
रावण को यदि मारना है ।
तो बुराई को खत्म करना होगा ।।
सत्य कर्मों को अपनाकर रावण को भगाना होगा ।
अपने अंदर बैठे रावण का हमें वध करना होगा ।।
तभी दशानन मारा जाएगा
नहीं तो रावण रोज जिंदा होगा ।।
और समाज में बुराई ही बुराई होगी
मन में पैदा करो अच्छाई दया धर्म परोपकार की भावना ।।
सभी रावण का वध होगा ।
रावण को मारना है हमें अपने आप को बदलना होगा ।।
हमें मर्यादा में रहना होगा ।
सत कर्मों को अपनाना होगा ।।
दीन दुखियों की सुनना होगा ।
तभी हम अपने अंदर के रावण को मारेंगे ।।
और उस दिन सच में दशानन मारा जाएगा ।
वरना दशानन कभी नहीं मरता है ।
वह तो हर मानव के अंदर जिंदा ही होता है ।।
अलका पाण्डेय मुम्बई
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[15/10, 8:55 am] 💃इंद्राणी साहू: *साँची-सुरभि*
*दशहरा*
*आल्हा छंद गीत*
पर्व दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का यह त्योहार ।
बैर भाव को दूर भगाएँ ,
खुशियाँ तब ही मिले अपार ।।
सुनो दशहरा पावन गाथा ,
सागर मंथन हुआ अपार ।
तभी गरल बाहर है आया ,
शिव ने कण्ठ लिया है धार ।
दंशहरन(विष का हरण)कर धरा बचाया ,
यही दशहरा का है सार ।
पर्व दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।।
अति बलशाली योद्धा रावण ,
अहंकार वश सुध बिसराय ।
सीता माता हरकर लाया ,
रावण कुल का नाश कराय ।
पतिव्रता को बंधक रखकर ,
देता अतुलित कष्ट अपार ।
पर्व दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।।
नवदिन देवी सेवा करके ,
पाए शक्ति अतुल श्री राम ।
माँ सीता को चले बचाने ,
हुआ भयंकर तब संग्राम ।
अहंकार का अंत हुआ फिर ,
जीता धर्म अधर्मी हार ।
पर्व दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।।
सीता माता मुक्त हो गई ,
खुशियाँ छाई धरा अपार ।
हम भी यह संकल्प उठाएँ ,
बुरे कर्म को देंगे मार ।
वही दशहरा सच्चा होगा ,
तभी मिटे धरती से भार ।
पर्व दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।।
*इन्द्राणी साहू "साँची"*
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
[15/10, 9:50 am] 👑सुषमा शुक्ला: *दशहरा यानी अपराध के विरुद्ध खड़े होने का पर्व*
🥦दर्शन और संस्कृति,,,
आज जारी है,,, श्री राम के रहते रावण पर भारी है ,,,,
संयम की विजय,,,
आत्म बल की विजय,,,,
यही तो जीवन,,,, जिसकी करें जय जय।
जिज्ञासा ,उन्मुक्त प्रतीक्षा ,,
तलाशती हर पल ,,,
राम नदिया बहे कलकल,,,
आज नैतिकता घटती जा रही,,,, रावण की दावेदारी,,,
देखो मुस्कुरा रही।।
लोकतंत्र में एक रावण नहीं,,, मन के रावण को मारना है,,
लक्ष्य भेदकर राम राज्य,,,, आदर्श गढ़ना है,,,,
शूचिता लक्षिता से हर पल बढ़ना है।
अपराध के दशानन को,,,
पनपने नहीं देना,,,
संयुक्त संकल्प से खाद ,,
उर्वरा नहीं देना,,,,
इस दंश से जुर्म से,,,
संयमित होकर लड़ना,,,
इस पर्व परंपरा को ,,,
नैतिक नया अर्थ देना।।।
तार्किक, जागरूक होकर,,,,
मूल्यों को स्थापित करना हैl
आधुनिकता अंधानुकरन पर लक्ष्य भेदना है,,,,
आज भी रावण जलकर,,,
बड़ा होता जा रहा है।
जुर्म अपराध में खड़ा ,,
बलशाली होता जा रहा है।
दशहरे को वैश्विक सोहदार्य बनाए,,,
मंगल कामनाओं के साथ आगे बढ़ाए।
मनरूपी रावण पहले कुचल डालें,,,
फिर राम की स्तुति गाते जाय
जय श्री राम, जय जय श्री राम
स्वरचित रचना सुषमा शुक्ला
[15/10, 10:01 am] डा. सुधा😡🥶 चौहान - इंदौर: *दशहरे की शुभकामनाएं*
🌹🌹🌹🌹🌹
दशहरे का पर्व हम सबको याद दिलाता है
आतंकवाद का अंत एक दिन होता ही है
रावण तो बीस भुजा और 10 सिर का मालिक था
उसकी नाभि में अमृत कुंड था
धरा से लेकर स्वर्ग तक उसका राज्य था
सब कुछ उसके हाथ में था ।
कब सोचा था रावण ने
इक दिन में मारा जाऊंगा
वह भी एक बनवासी के हाथों
जिसके पास बंदर भालू की सेना होगी
जो दिखने में एक साधारण मानव होगा
परंतु वह भूल गया था सत्य की ताकत
त्याग तपस्या की ताकत बहुत अधिक होती है।
जो व्यक्ति गलत कार्य करता है
वह भीतर ही भीतर खोखला हो जाता है
और फिर स्वता ही अपने विनाश को
आमंत्रित करता है
यह दशहरा पर्व हमें बार-बार यही शिक्षा देता है ।
सत्य सनातन और अजर अमर है
अच्छाई की ताकत बुराई से बहुत बड़ी होती है
एक दिन सच्चाई की अच्छाई की जीत होती है।
🌷🌷🌷🌷🌷
डॉ सुधा चौहान राज इंदौर
[15/10, 10:02 am] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: 🌺शुक्रवार -14//10/3021
🌺विषय -भक्ती गीत /विजयादशमी
जय विजया, जय बिजया
आज विजय दशमी की
सबको जय विजया।
महिषासुर उत्पात मचाया
स्वर्ग लोग पर धाक जमाया
सब देवों ने शक्ति सृजन कर
दुर्गा का नव रूप बनाया।
नौ दिन तक संग्राम चला था
तब असुरों को बहुत ख़ला था
नौवें दिन देवी दुर्गा ने
महिषासुर बध किया
जय विजया, जय बिजया
आज विजय दशमी की
सबको जय विजया।
त्रेता युग में रावण हुआ अहंकारी
शक्ति सृजन कर बना बहुत अत्याचारी
तब धरती पर विष्णु राम बनकर जन्मे
रावण बध कर उसकी सारी लंक उजारी
राम राज्य स्स्थापित करके
जन को सुखी किया।
जय विजया, जय बिजया
आज विजय दशमी की
सबको जय विजया।
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड
[15/10, 11:00 am] विजेन्द्र मोहन बोकारो: *मंच को नमन*
*विजयदशमी*
----------------------------
*वि*- विजयादशमी का पुनीत त्यौहार है।
*ज*-जय पायें इन्द्रियों पर अपनी जिनका अहम व्यौहार है।
*या*-याद दिलाता यह मानव को दसों इन्द्रियों को जीते।
*द*-दसों इन्द्रियां ही दस सिर हैं संयम से इनको जीते।।
*स*-सत्य,अहिंसा की रक्षा हित अस्त्र-शस्त्र कर मे धारें।
*मी*-मीत बने मानवता के सब मानवता को स्वीकारें ।।
विजयेन्द्र मोहन।
*सभी को विजयादशमी की आत्मीय शुभकामनाएं* 💐
*विजयेन्द्र मोहन*
[15/10, 12:01 pm] 😇ब्रीज किशोर: बिजय दशमी पर कविता
********************
नील कंठ पक्षी अति सुन्दर
कई रंग के पंख सुहाने शिव
स्वरूप मान के दर्शन करे
सयाने।
शिव भक्त है राम दुनिया भी
यह जाने ,समुन्द्र तट पर राम
ने शिव स्थापित करके पूजन
किया भक्ती से फिर राम जी
वर पाये शक्ति से।
रूद्राणी ही है शक्ति स्वरूपा
राम ने शिव और शिवा सेआशीश
पाया।
बिजय दशमी पर नील कंठ को
शिव स्वरूप ही माने।
जय श्रीराम जय हनुमान हर हर
महादेव। बृकिशोरीत्रिपाठी
🌹🌳🌷🌴🌹🌳🌷🌴🌹🌳
[15/10, 12:03 pm] निहारिका 🍇झा: नमन मंच
दिनाँक 15/10/2021
विषय;-दशानन/दशहरा
रावण /दशानन
वो कहता था मैं रावण हूँ।
मिला अभय महादेव से मुझको
मैं सबसे ऊपर हूँ।
है सोने की लंका मेरी
तीन लोक का विजेता हूँ।
टिका नहीं कोई मेरे आगे
गन्धर्व मुनि या देव कोई।
ना कोई इतना बलशाली
जो मुझको दे मात यहाँ।
कट जाऊं पर झुकूं नहीं
हाँ मैं ऐसा रावण हूँ।
बस यही तो अवगुण मेरा
दम्भ भरा मुझमे बहुतेरा
जिसकी ऐसी सजा मिली
सदियों से जला रहे हो मुझको
क्या इतनी बड़ी खता मेरी।
जोर शोर करें तैयारी
पुतले को ही जलाने की ।
इक पल भी ना सोचे कोई
क्या तुम सब मे राम रहा
जो मुझको तुम जला रहे।।
एक बार तो झांको अपने अंदर
क्या तुम सबमें ना मैं हूँ!!
निहारिका झा🙏🙏🌹🌹
[15/10, 1:19 pm] साधना तोमर: आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
विजयादशमी
विजयी रहें दैवीय शक्तियाँ,
आसुरी शक्ति का नाश हो।
रावण हटे सभी के मन से,
हिय में राम का वास हो।
धर्म की ही फहरे पताका,
अधर्म भाव सभी दूर रहे।
आत्मविश्वास सच्चाई का,
चेहरे पर सदा ही नूर रहे।
काम, क्रोध, मद, लोभ के,
व्यसनों को सभी छोड़ दें।
दुर्भावों की माला को अब,
आओ हम सब तोड़ दें।
राम के जीवन से हम सब,
सत्य और संयम अपनायें।
मर्यादित हो जीवन अपना,
खुशियों के ही दीप जलायें।
धर्म की विजय का सन्देश,
देता विजयादशमी पर्व है।
अपनी भारतीय संस्कृति,
पर हम सब को ही गर्व है।
डा. साधना तोमर
बड़ौत (बागपत)
उत्तर प्रदेश
[15/10, 1:45 pm] रवि शंकर कोलते क: शुक्रवार***१५/१०/२१
विधा****काव्य
विषय ***विजयादशमी पर्व
#**** भक्ति गीत****#
^^^^^^
आओ विजयादशमी पर्व मनाए हम ।
अभिमान को तजकर
प्रेम-भाव अपनाएं हम ।।धृ
श्री राम जीते रावण की पराजय हो गई ।
असत्यपर सत्य की देखो विजय हो गई ।।
राम राज का उदय हो गया भारत में ।
गर्व हारा प्रीतकी हर तरफ जय हो गई ।।
आओ साथी प्रेम से
सबको गले लगाए हम ।।१
मां से ले आशीष रघुवर ने की चढ़ाई ।।
लंकाधिश को रामने खूब धूल चटाई ।।
विजयोत्सव का पर्व मनाए लोग हर्षमें ।
नृत्य गायनमें बजे ढोल झांज शहनाई ।।
चारों दिशामें आज धूप
दीप जलाएं हम ।।२
विजयदशमी को रावण गर्व का जले ।।
सोनेकी लंका लूटी फूल से लोग खिले ।।
लोग घरघर जाके शमी पर्ण दे बड़ों को ।
निगर्वी होंके सब लोग एक दूजेसे मिले ।।
भारत मां खुश हुई
ध्वज रामराजका लहराए ।।३
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[15/10, 1:55 pm] वीना अडवानी 👩: विजयदशमी
***********
विजयदशमी मना रहे
देखो खुश सब आज
वो भी खुश है इंसा
जिसके मन पर रावण राज।।
जला रहा वो वहशी दरिंदा
रावण का पुतला आज
देख मन मे उसके कपट भरा
कब जलाएगा मन भीतर का पाप।।
अरे कल युग में रावण गलत बोलता
पहले खुद को देख हवस भरी है आज
ये ना देख कल युग का मानव हर
महिला में बसी एक सीता खास।।
विजयदशमी पर ले प्रतिज्ञा
ना होने देगा फिर किसी निर्भया
जैसा किसी बच्ची का हाल।।
विजयदशमी मना रहा कलयुग
का मानव सच आज।।
खुद के मन में बसा रखा रावण
जैसा एक साज।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
*******************
[15/10, 2:08 pm] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: वीना अचतानी,
विषय ***विजयादशमी ****
दशहरा का तात्पर्य
सदा सत्य की जीत
राम चिंरतन चेतना
राम सनातन सत्य
रावण वैर विकार है
रावण है दुष्कृत्य
अपनी ही करनी
से सोने की लंका
जलावाई है रावण
था दम्भी अभिमानी
उसने छल बल
दिखलाया बीस भुजा
दस शीश कटाये
अपनी ही करनी से
सोने की लंका जलवाई
रावण के जब बढ़ गए
अत्याचार लंका में
जाकर राम ने
उसे दिया मार
अच्छाई के सामने
बुराई गई हार
आ गया दशहरा
फिर सन्देश देने
संकटों का हो घनेरा
हो न व्याकुल मन तेरा
द्वेष हो कितना भी गहरा
हो न कलुषित मन तेरा ।।।।।
वीना अचतानी
जोधपुर ।।।
[15/10, 2:15 pm] 💃rani: विजय दशमी
उस रावण को तो जलाते हर साल
जिसने सीता हरण किया
पर इस रावण का क्या करें जो आज भी जिंदा है
उस रावण ने तो फिर भी मर्यादा निभाई
परस्त्री सीता जी को न हाथ लगाया उसने
पर आज मानव का मन रावण बन
रिश्तों को तार-तार कर रहा
अपने मन को वश में ना कर पाए
नन्हीं कलियों को ही रौंद रहा
माँ,बहन,बेटी किसी रिश्ते की अहमियत नहीं
बस अपनी हवस के आगे अपना संयम खो रहा
उस रावण की बात क्या करें वह वेदों का ज्ञाता था
अहंकारी था पर पश्चाताप का इरादा था
आज का मानव अहंकारी बन खुद को भगवान समझ रहा अपने कर्मों का फल खुद ही भोगना इतना भी ना ज्ञान रहा
वह रावण भी राजा था अहंकार का पर्दा था आंखों पर
न बच सका वे भी कर्मों से अपने
आखिर राज भी गया और राम द्वारा अंत भी हुआ
तो ए मानव तू--- कहाँ बच पाएगा
आज नहीं तो कल तेरा भी अंत होना है
उस रावण को तो हम हर साल जलाकर
विजयदशमी मनाते हैं
जिस दिन अपने मन के रावण को मारेंगे 'रानी'
असली विजयदशमी तो उस दिन कह लाएगी ।
रानी नारंग
[15/10, 2:53 pm] ♦️तारा प्रजापति - जोधपुर: अग्निशिखा मंच
15/10/2021 शुक्रवार
विषय-भक्ति गीत
विश्वास
बीत न जाये कहीं ये पल,
फूलों सा मुस्कराता चल।
नेक कर्म तू करता चल,
मिलेगा तुम्हें इसका फल।
पानी को न व्यर्थ बहाना,
जीवन का आधार है जल।
समय की है क़ीमत करना,
हाथ से ना ये जाये निकल।
मनुष्य जन्म अति दुर्लभ है,
प्रभु भक्ति से करले सफ़ल।
साहस से जो करे सामना,
बुरा वक़्त भी जाएगा टल।
मिलेगी उसी को मंज़िल,
प्रभु पर है विश्वास अटल।
करना है जो आज करले,
आयेगा ना कभी ये कल।
धीरज से तुम काम लेना
मिल जायेगा शीघ्र ही हल।
तारा "प्रीत"
जोधपुर (राज०)
[15/10, 2:57 pm] रजनी अग्रवाल जोधपुर: शीर्षक-भक्ति गीत
1. देवी मां हम तुझे मनाते ,
शीश नवाते आते- जाते ,
जय माता की जय माता की ,,,,,
2.आज जन जन को वर दो माता ,
प्यार स्नेह से भर दो माता ,
जय माता की जय माता की ,,,,
3.हम अज्ञानी बच्चे तेरे,
आओ सवारों भाव भी मेरे ,
जय माता की जय माता की ,,,,,
4.अर्चना पूजा कुछ ना जानू ,
मैं तो बस तुझे अपना मानू ,
जय माता की जय माता की ,,,,,,
5.देश पर अशांति दर्द भरी छाई ,
उससे मां सबको उबारो ,
जय माता की जय माता,,,,
स्वरचित भक्ति गीत रजनी अग्रवाल
जोधपुर
[15/10, 3:15 pm] 💃वंदना: ।।।।।।।।। मां।।।।।।।।
कभी तो यह मैया माझी बन जाती
कभी तो यह मैया साहिल बन जाती
उंगली पकड़ के मेरी रास्ता दिखाती है
उंगली पकड़ के मेरी रास्ता दिखाती है
तो बोलो ना मैया ओ मेरी मैया।
ठोकर लगी मुझको पत्थर नुकीला था
ठोकर लगी मुझको पत्थर नुकीला था
पर चोट ना आई मैया ने संभाला था
पर चोट ना आई मैया ने संभाला था
तो बोलो ना भैया ओ मेरी मैया।
जो दुखड़ा दिया हमको हम किसको बोलेंगे
जो दुखड़ा दिया हमको हम किसको बोलेंगे
दर तेरे खड़े होकर छुप छुप कर रो लेंगे
दर तेरे खड़े होकर छुप छुप कर रो लेंगे
तो बोलो ना मैया ओ मेरी मैया।
कोई सुख से सोता है कोई दुख में रोता है
कोई सुख से सोता है कोई भूख से रोता है
किसी का भी दोष नहीं सब कर्मों का लेखा है
किसी का भी दोष नहीं सब कर्मों का लेखा है
तो बोलो ना मैया ओ मेरी मैया।
मेरे इस जीवन की बस एक तमन्ना है
मेरे इस जीवन की बस एक तमन्ना है
तुम सामने हो मेरे और प्राण निकल जाए
तुम सामने हो मेरे और प्राण निकल जाए
तो बोलो ना मैया ओ मेरी मैया।
कभी तो यह मैया माझी बन जाती है
कभी तो यह मैया साहिल बन जाती है
उंगली पकड़ के मेरी रास्ता दिखाती है
उंगली पकड़ के मेरी रास्ता दिखाती है
तो बोलो ना मैया ओ मेरी मैया।
वंदना शर्मा बिंदु देवास मध्य प्रदेश।
[15/10, 3:50 pm] सुरेन्द्र हरडे: 🌹अग्निशिखा मंच को नमन🙏
आज की विधा:- भक्ती-गीत
विषय:- * *विजयादशमी*
दुष्ट रावण ने किया जानकी का हरण तब राम-लक्ष्मण पग जब पाला घंमींडी रावण हारा युद्ध में
हो गया उसका मुंह काला।१।।
विजयादशमी ये सत्य के विजय
का पावन पर्व अधर्म की हार है
अंहकार की हार हुईं
और वो खडा बनके लाचार है।२।
हम भी अपने गर्व को
आज हम मारे जीवन
अपना अच्छाई से संवारे।
दशानंद के बुरे कर्म को त्यागे।३।
आज खुशीकें मौके पर हम
भी बडो का आदर करें
गले लगाएं सत्य को अपनाकर विजयादशमी मनाएं।।४।।
सुरेंद्र हरड़े
नागपुर
दिनांक:- १५/१०/२०२१
[15/10, 3:52 pm] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर: राम का चरित्र
ओ राम जी ,हम तुम्हरे गुण गाते हैं ,
चारों दिशा में राम की ,जय कारे लगवाते हैं ।
राम -राम सुबह शाम में, केवट के विश्वास में, हनुमान के दिल में है ,धड़कन की हर श्वास में, जन्म और मृत्यु में राम ,दुख -सुख के एहसास में, सृष्टि के कण-कण में राम ,धरती और आकाश में, राम के नाम से पत्थर भी तिर जाते हैं ।
वो राम जी हम तुम्हारे गुण गाते हैं ।
राम है ईश्वर का स्वरूप, प्रगति का आधार है आदि अंत में राम -राम ,राम की महिमा अपरंपार है ,
शिला बनीअहिल्या का ,राम ने किया उद्धार है, राम की शक्ति से चलता, यह सारा संसार है,
राम के चरित्र में डूब हम ,राममय में हो जाते हैं,
वो राम जी हम तुम्हारे गुण गाते हैं ।
श्रीमती शोभा रानी तिवारी 619 अक्षत अपार्टमेंट खातीवाला टैंक इंदौर मध्य प्रदेश मोबाइल 89894 09210
[15/10, 3:53 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: जय जय हे मां दुर्गा भवानी --- ओमप्रकाश पाण्डेय
दुष्टों के तुम हो संहारक
सब देवों के तुम ही रक्षक
राक्षस चाहें हों बलशाली जितने
अस्त्र शस्त्र चाहें हो जितने
पर हो तुम मां सब पर भारी
जय जय हे मां दुर्गा भवानी ..........१
महिषासुर था बड़ा बलशाली
एक ही असुर था सब देवों पर भारी
देव व मानव का था संकट में जीवन
त्राहि त्राहि मची थी तीनो लोकों में
तब सब मिल तुम्हारी शरण में आए
जय जय हे मां दुर्गा भावानी .......२
हांथ जोड़ सब देव मनुज मिल
प्रार्थना की त्रिदेवों से सबने
रक्षा हमरी करो हे शंकर
हे ब्रह्मा बिष्णु हे भोले शंकर
त्रस्त हैं हम सेवक तुम्हारे
जय जय हे मां दुर्गा भवानी .......३
सब देवों ने बड़ा जतन लगाया
महिषासुर को कोई मार न पाया
महिषासुर था बड़ा बलशाली
त्रस्त थे उससे सब नर नारी
कोई राह नहीं दिखता था
जय जय हे मां दुर्गा भवानी ........४
सब देवों ने मिल की तप भारी
प्रार्थना की अपनी रक्षा की
फिर प्रसन्न हुईं मां भक्तो पर
प्रगट हुईं ले सब शक्ति को
भष्मासुर का संहार किया माता ने
जय जय हे मां दुर्गा भवानी .........५
तुम संहारक हो मां दुष्टों की
पर रक्षक हो तुम मां भक्तों की
हम सब तो तेरे ही बेटे हैं मां
निशदिन तुम्हारी आरती गांवें
हमरी रक्षा करो हे मां जगदम्बे
जय जय हे मां दुर्गा भवानी .........६
( यह मेरी मौलिक रचना है -- ओमप्रकाश पाण्डेय )
[15/10, 4:13 pm] डा. बैजेन्द्र नारायण द्िवेदी शैलेश🌲🌲 - वाराणसी - साझा: एक रचना
प्रतीक्षा में वर्ष बीता ।
विजय का यह पर्व आया ।।
तमस ने काया बढ़ाकर जब उजाले को हराया
सूर्य ने प्राची दिशा में स्वयं आ उसको बताया
हो सबल पर यह न समझो राज्य है केवल तुम्हारा
अंततः स्वीकार कर ,उसने पराजय ,सिर झुकाया।।
विजय का यह पर्व आया।।
सिंधु लहरों ने किया निश्चय गगन से होड लेंगे
फलक ऊंचा है बहुत नाता उसी से जोड़ लेंगे
किंतु यह संभव कहां था शीर्ष नभ का स्पर्श पाना
शान्त रह कर एक अविजीत ने उसे भी तो हराया।।
विजय का यह पर्व आया।।
राम का अभियान लंका विजय करना था नहीं
जानकी के मिस नवल संदेश देना था कहीं
रक्ष संस्कृति ने स्वयं को कहा था सबसे प्रबल
राज्य त्यागा, बन गए, अन्याय को पग में झुकाया।।
विजय का यह पर्व आया।।
धूमकेतु उदय हुआ था एक पाटलिपुत्र में
वह महा घनानंद डूबा रहता था नित इत्र में, मौर्यवंशी चंद्रगुप्त ने कर दिया संहार उसका ,
दुष्टों का उच्छेदन कर,
संवत नया नृप ने चलाया ।।
विजय का यह पर्व आया ।।
न्याय जब अन्याय के पथ पर चरण रखने लगे ,
महात्मा भी सत्य पथ से दूर जब हटने लगे ,
नवल चिंतन
डॉ हेडगेवार का तब स्वरित 🙏🙏🌻🌻जागा आज के दिन राष्ट्र ने
नव संगठन का मंत्र पाया।।
विजय का यह पर्व आया।।
डॉ बृजेंद्र बृजेंद्र शैलेश वाराणसी उत्तर प्रदेश।
[15/10, 4:58 pm] Anshu Tiwari Patna: मां की विदाई
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मन बड़ा व्यथित है आज
विदाई है तुम्हारी आज
कैसे विदा करूं मैं मां
पर यह तो विधान है
द्वारा ही बनाई विधि का।
वादा करो मां
जल्दी ही आना तुम
हम नादान बच्चे
कैसे रहेंगे तेरे बिन।
9 दिन
उत्सव था मा घर पर
सब सुना करके आप चली
आशीर्वाद देती जाना मां
सब मिलजुल कर
प्यार से रहे।
घर में बिटिया भी है तुम्हारा रूप
उसको भी खुश रखना मां
माता-पिता सास-ससुर हैं बुजुर्ग
उनका साथ बनाए रखना।
अपनी बेटियों की लाज बचाने
दुष्टों का संहार करो।
कोरोना से निजात दिलाओ।
इस बार बहुत सुनी नवरात्रि थी,
अगली बार धूमधाम से आओ मां।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
[15/10, 5:04 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: 🌹🌷🌹🌷🌹🌷
विजयादशमी की अनेक शुभकामनाएं समस्त अग्निशिखा मंच के परिवार के प्रत्येक सदस्य को सहृदय स्वीकार हो।
🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹👏👏👏👏👏
🌹 आइए मनाए दशहरा
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वर्ष में आता है एक बार , खुशियां समेट लाता है हर बार, होती है अधर्म पर धर्म की विजय । होती है असत्य पर सत्य की विजय । होती है बुराई पर अच्छाई की विजय। होती है पाप पर पुण्य की विजय । होती है अत्याचार पर सदाचार की विजय । होती है क्रोध पर दया की विजय , होती है क्षमा कीजय और होती है अज्ञान पर ज्ञान की विजय। विजयदशमी पर इन सब पर विजय जो हमें देती है सुख, समृद्धि ,शांतिमय, मंगलमय विजयी जीवन।
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स्वरचितवमौलिकरचना
डाॅ .आशालतानायडू .भिलाई . छत्तीसगढ़ .
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[15/10, 5:33 pm] रानी अग्रवाल: विजया दशमी
१५.१०.२०२१,शुक्रवार।
विधा _भक्तिगीत,
विषय_दशहरा।
राम रमाकर दुई जन्ना,
एक क्षत्रिय,एक ब्राह्मन्ना,
एक धर्म का प्रतीक,
एक अधर्म का सटीक।
एक पिता का आज्ञाकारी,
एक पुरुष दुष्ट दुराचारी,
राम अवतार लिन्हा,
परोपकार हेतू।
रावण जीवन जिया,
अत्याचार हेतू।
राम सदा सुख_शांति दीन्हा,
रावण दुख_अशांति दीन्हा,
राम चले सत्य की राह पर,
रावण मरा असत्य की राह पर।
राम ने फूंक डारी लंका,
रावण मरा, मिटी सब संका,
वनवास पूर्ण कर लौटे रघुराई,
अवधपुरी सब दिवाली मनाई।
जो रूप धरे राम का,
नाम बड़ा सबके काम का,
ज्यों रूप धरोगे रावण,
वाही गति पावोगे मरण।
नवदुर्गा पूजन पूर्ण हो,
आए खुशियों भरा दशहरा,
कोई घाव मिले न दिल को,
दिल हो जाय,दस,दस हरा।
हम कहते बोलो "जय श्री राम"
राम बनाए सबके सब काम,
सियावर रामचंद्र की जय,
अवधपति रामचंद्र की जय।
स्वरचित मौलिक भक्तिगीत___
रानी अग्रवाल,मुंबई,१५.१०.२१.
[15/10, 6:18 pm] रामेश्वर गुप्ता के के: ।विजय पर्व।
विजयपर्व संदेश यही है,
शक्ति का संदेश यही है।,
गलत कार्य कभी मत कीजै,
इसकी सजा बड़ी भारी है।।
विजय पर्व................... 1
राम जी ने आज रावण मारा,
उसका वंश नाश हुआ सारा,
चलो यह पर्व मनाये धूम से,
विश्व कल्याण कर्म हो नारा।।
विजय पर्व................... 2
यह जीवन मानव दुर्लभ है,
शुभ कर्म करो अपने बस है।
प्रीति की रीति निभाओ जग,
इसमे पुण्य छुपा बरबस है।।
विजय पर्व....................3
प्यार बिना जीवन धूमिल है,
इसकी धारा बहती नित है।
दशहरा पर्व खुशहाली मनाये,
भारत करता सबका हित है।।
विजय पर्व.................... 4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[15/10, 6:29 pm] कुम कुम वेद सेन: भक्ति गीत
विजयादशमी विजय पर्व
पावन त्यौहार का है सबको गर्व
असत्य पर सत्य का विजय
अधर्म पर धर्म का जय
दैत्य असुरों का हुआ नाश
शांति विजय का फैला उल्लास
काम क्रोध लोभ ईर्ष्या अहंकार
मानव मन का है या असुर वृत्ति
पाओ इन वृत्तियो पर विजय
मन में सुख शांति का होगा जय
आज दुर्गा मां की विदाई का बेला है
पंडाल में सिंदूर का है खेला
आशीर्वाद पाने की लगी है मेला
फिर भी मन में है एक दुख का बेला
कुमकुम वेद सेन