गर्मी -
गर्मी का मौसम आ गया , पानी की होगी क़िल्लत ,
पानी का संग्रह करना सबसे करती हूँ मिन्नत ।।
गाय भैंस पशु पछी कोई न सहे
प्यास की पीर
सम्भल सम्भल कर करो खर्च जल है हमारी नीड
ग्रीष्म काल में सूखते जाते , नदी .नाले ,तलाब
तपन धरा की बढ़ती खूब सताती पानी की तलब ।।
जगह जगह ठंडे पेय की , रहती खुब भरमार
आइसक्रीम, क़ुल्फ़ी , शरबत कंठ को करते गार ।।
बच कर रहना घाम से लग जायेगी लू
गर्म हवाऐ चलती है सुखते पेंड और भू ।।
डॉ अलका पाण्डे
🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴
[25/10, 8:29 am] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: 🌺सोमवार 25//10/ 2021
🌺समय - सुबह ८ से शाम ७ बजे तक
🌺 आज का विषय_ गर्मी
🌺 बाल गीत
निकल गया ऋतुओं का राजा, गई हवा की नर्मी।
बढ़ी धूप में गर्माहट, लो आई भीषण गर्मी।
टप टप लगा पसीना चूने, लू ने झंडे गाढ़े।
आंधी तूफानों के अक्सर बजने लगे नगाड़े।
लोगों ने छतरियां निकाली, लिया साथ में पानी।
बौराए आमों पर अमिया, शुरू हो गई आनी।
घर घर कूलर पंखे चलते, शीतलता लाने को।
लगे मचलने छोटे बच्चे, आइस क्रीम खाने को।
लगे तरसने पशु पक्षी भी, बिटप तले सुस्ताने।
छाया पैर तले आ जाती, खुद ही छाया पाने।
लगा सूखने नदियों का जल, ताल तलैया सूखे।
खुशी हुई चेहरों से गायब, सब ही रूखे रूखे।
लंबे होने लगे दिवस, और रातें लगी सिकुड़ने।
दोपहरी में नभ से भी, अंगारे लगे बरसाने।
बड़ी कष्ट दायक है गर्मी, लेकिन बहुत जरूरी।
वर्षा लाकर किसान की, आशा करती है पूरी।
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
[25/10, 10:33 am] Nirja 🌺🌺Takur: अग्निशिखा मंच
तिथि -२५-१०-२०२१
विषय- बालगीत (गर्मी)
अभी तो ठंड बहुत है भाई
गरम रजाई बहुत है भाती
स्नान करने मम्मी कहती
मुझ छोटे बच्चे को रुलाई है आती
मुझे तो डर लगता है भाई
कुछ माह के बाद आयेगी गर्मी
सुबह शाम नहाउंगा भाई
ठंड के बाद जब गर्मी आती
शाल स्वेटर से छुट्टी मिल जाती
सब तरफ खुशियां हैं छाती
कूलर एसी की हवा है भाती
आता है जब फलों का राजा
आम खाने में मज़ा है आता
पढ़ाई से भी छुट्टी मिलती
इसी लिए गर्मी हे भाती
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[25/10, 11:45 am] 😇ब्रीज किशोर: *अंग्नि शिखा मंच*
सोमवार २५/१०/२०२१
विधा कविता बाल गीत
बिषय गर्मी
बंसत ऋतु बीती ग्रिष्म ऋतु
आई।
पछुआ हवा चले रूक गई पुरुवाई।
बागो मे आम के पेड़ पर बौर
है गदराई।
बच्चो की हलचल बागो मे
देखो बढ़ भाई।
महुआ के पेड़ पर फूल पडे़ दिखाई।
अब महुआ चुनने को बच्चों ने दौड़ लगाई।
थोडी़ गर्मी बढी़ प्यास सतावे भाई।
शहरो मे तो पंखे कूलर चलते ठंडक लाने को।
फ्रीज मे भी तरह तरह के ठंडा रखां रहता पीने को।
लगी सिकुडऩे नदियां रानी
सुखे ताल तलैया।
धूप से चेहरा लगा झुलसने
छाया मे भागो भैया।
गर्मी से बचने को आम का
पन्ना पीयो।
दोपहरी मे कार्टून देखो
सिम लगा ल़ो जीयो।
बडी़ कष्टदायक गर्मी है लेकिन यह है बहुत जरुरी।
खरीब की फसल पकती है किसान की आशा होती पूरी।
षट ऋतुओं का देश है भारत
अब वर्षा आयेगा।
खुश होकर किसान खेतो में
हल चलायेगा।
वर्षा मे बच्चे खेलेंगे कागज
की नाव चलायेगें।
उसी नाव मे गुडि़याँ के संग
नानी के घर जायेगें।
स्वरचित
बृजकिशोरी त्रिपाठी
उर्फ भानुजा गोरखपुर यू.पी
[25/10, 11:49 am] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: वीना अचतानी,
विषय *** गर्मी *** बाल गीत *****
जून का आया महीना
टप टप बहे पसीना
गर्मी का मौसम आया
सबको इसने बहुत सताया
सुरज ने फैलाई माया
हाथ जोड़ बोले चुनू मुन्नू
ओ सूरज भगवान्
क्यों करते हो परेशान
आसमान से आग बरसे
ए,सी, कूलर,पंखे सब चलते
हो गई छुट्टियाँ स्कूल की
सब बच्चे गर्मी से परेशान
करते कुल्फी वाले का इन्तज़ार
बच्चे बूढ़े सब है खाते
खा कर शीतल हो जाते
गर्मी का मौसम आया
पंछी प्यासे भटक रहे
कहीं छाँव न मिले
नदी तालाब सब सूख रहे
सूरज ने फैलाई माया
गर्मी का मौसम आया
चुनू मुन्नू हाथ जोड़ बोले
हे सूरज भगवान्
कुछ तो रहम करो
क्यों करते हो परेशान
स्वरचित मौलिक
वीना अचतानी
जोधपुर ।।।
[25/10, 11:55 am] रागनि मित्तल: जय मां शारदे
*********
अग्निशिखा मंच
दिन -सोमवार
दिनांक- 25/10 /2021
बाल गीत
प्रदत्त विषय- *गर्मी* शीर्षक - *गर्मी की
छुट्टी*
**************
मजा नहीं आता होली में, मन ना भाएं दिवाली।
अब तो मन झूम रहा, क्योंकि छुट्टी आने वाली।
कभी सोचू शिमला जाऊंगी ।
नैनीताल भी घूम कर आऊंगी।
ढेर सारी चीजें लाऊंगी,
भर जाएगी झोली खाली।
अब तो मन झूम रहा, क्योंकि छुट्टी आने वाली।
मामा का फोन आया है।
छुट्टी में बुलवाया है।
दिन जाने के अब दूर नहीं,
तैयारी हम ने कर डाली है।
अब तो मन झूम रहा,
क्योंकि छुट्टी आने वाली है ।
पढ़-पढ़ कर मन ऊब रहा ।
बैगों के वजन से टूट रहा।
तन मन सब हल्का होगा।
घर में खूब तहलका होगा ।
खेलकूद की हमने सारी प्लानिंग कर डाली है। अब तो मन झूम रहा,
क्योंकि छुट्टी आने वाली है।
नानी शिकंजी हमे पिलाएंगीं।
लू हमको नही लग पाएंगी।
*गर्मी* से सबको राहत मिलने वाली है।
अब तो मन झूम रहा,
क्योकि छुट्टी आने वाली हैं।
रागिनी मित्तल
कटनी, मध्य प्रदेश
[25/10, 12:20 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: 25 Oct 2021बाल गीत गर्मी
गर्मी का है मौसम आया।
इसने हमको बड़ा सताया।
मार्च का है पूरा महीना।
सबको आता बड़ा पसीना।।
नदियाँ नाले सब हैं सूखे।
पशु हैं भटकें भूखे भूखे।
पक्षी वन में भटक रहे हैं।
प्राण सभी के अटक रहे हैं।
सभी पेड़ यहाँ कट रहे हैं।
छाँव खोज में भटक रहे हैं।
जब भी धूप शिखर पर आती।
सब गलियाँ सूनी पड़ जाती।।
अपना जीवन कठिन बड़ा है।
हर जीवन लाचार खड़ा है।
सर्व रात नींद नहीं आती।
गर्मी आकर बड़ा सताती।।
वैष्णो खत्री वेदिका
[25/10, 12:30 pm] Anshu Tiwari Patna: गर्मी( बालगीत)
------------
गर्मी का मौसम आया
आम जामुन और
रसीली लीची लेकर आया।
मुझे तो पसंद सारे
इसीलिए खुशियों भरा है
यह गर्मियों का मौसम,
छुट्टियां होती है तभी
नानी दादी के घर जाकर हम
चाचा बुआ मामा मौसी
और भाई बहन
सारे मिलकर खूब है
करते मस्ती,
आया गर्मियों का मौसम
यह मस्ती वाला।
पापा कहते हैं
अब होती है खूब गर्मी
पहले ऐसा होता नहीं था,
पेड़ पौधे जंगल
काट डाले हमने
पानी की भी होती किल्लत
बड़े सभी होते परेशान
पर अब ना करेंगे जल बर्बाद
बारिश के पानी को भी
पूर्णतः हम बचाएंगे,
अंकल ने कहा था,
वाटर हार्वेस्टिंग करेंगे हम
पेड़ पौधे भी लगाएंगे
पर्यावरण बचाएंगे
तभी तो हम बचे रहेंगे
गर्मियों में तभी सब
मिल खूब करेंगे धमाचौकड़ी।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
[25/10, 12:45 pm] वीना अडवानी 👩: गर्मी
***
गर्मी आई गर्मी आई
अब तो आइस्क्रीम चाही
ठंडी दही और ठंडी रसमलाई
यही तो मेरे मन को भाई।।
एसी शीतलता दिलवाई
कूलर ने भी हवा फिकवाई
आलस बदन में अब खूब छाई
गर्मी आई,गर्मी आई।।२।।
ठंडे फुव्वारे से नहा ताजगी आई
बर्फ शरबत में घुस स्वाद बड़ाई।।
कोल्ड ड्रिंक की दुकान भरी थी आई
ठंडक की खूब जैसे दावत उड़ाई।।
गर्मी आई, गर्मी आई।।२।।
नानी घर की बहुत याद आई
ट्रेन की सवारी आनंद बड़ाई
मटरगस्ती मन में खूब समाई
गर्मी आई, गर्मी आई।।२।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
*******************
[25/10, 1:14 pm] 👑सुषमा शुक्ला: बाल गीत
*गर्मी*
👩🦱👩🦱👩🦱👩🦱
देखो गर्मी आई गर्मी आई,, पसीने से बेहाल कर गई ,,
मीना शीना बाहर निकल गई,,, गन्ने के जूस की दुकान पर,
मीठा जूस दो गिलास पी गई।
धूप देख कर मां बोली,
घर में खेलो कैरम गोली
ठंडी ठंडी लस्सी पियो,
मस्ती में ऐसे ही जियो।
टीना मीना
ने आवाज़ लगाई👩🦱👩🦱
अंजू मंजू दौड़ी आईl👩🦱
खेल खिलौना खीर मिठाई सबने मिलकर खूब उड़ाई।
👩🦱👩🦱👩🦱👩🦱
स्वरचित रचना सुषमा शुक्ल इंदौर🍁
[25/10, 1:44 pm] रवि शंकर कोलते क: सोमवार दिनांक ***२६/१०/२१
विधा**** बाल गीत
विषय****#*** गर्मी ***"#
^^^^^^^^^
पापा मम्मी कहते चलो अंदर गर्मी है ।
सूरज आग उगले बन गया अधर्मी है ।।
पंखे कूलर एसी का ज़माना आ गया ।
गायब हुई हवासे शीत नमी नरमी है ।।१
बड़ी गर्मी लगे ठंडे जल से नहाएंगे ।
नहाते हुए हम दो-चार गीत गाएंगे ।।
होगी बाल्टी ढोलक जलधार सरगम ।
पिंकी ताने लेंगी और हम बजाएंगे ।।२
कुल्फी आइसक्रीम खूब हम खाएंगे ।
शिमला मनाली दार्जिलिंग भी जाएंगे ।।
पिएंगे नींबू संतरा आमका जूस पन्हा ।।
सूती कपड़े पहनेंगे ठंडी हवामें सोएंगे ।।३
दोस्तों अब हम शामको ही मिल पाएंगे ।
भीषण गर्मी से हम खुद को बचाएंगे ।।
ठंडा जल हम को सदा पीते रहना है ।
हम बालक तेज धूप सह नहीं पाएंगे ।।४
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[25/10, 1:53 pm] डा. बैजेन्द्र नारायण द्िवेदी शैलेश🌲🌲 - वाराणसी - साझा: मंच को नमन
विषय गर्मी 25.10 .21
*********
गर्मी का जब मौसम आता हवा गर्म हो जाती है और हमारे देश से सटकर गर्मी खूब पहुंचाती है।
तर तर तर तर बहे पसीना कपड़ा गीला हो जाता है
नहीं हवा जब मिलती हमको
जी बेहद घबराता है।।
सूरज आसमान से जी भर आग बरसाता है
हमारी सारी धरती को जैसे तवा जैसा तपाता है।
नंगे पैर चलने पर
पैर जलने लगते है।
और भी तेजी से हम
रास्ता चलने लगते हैं।।
जब कभी कहीं पर मिल जाती है
किसी पेड़ की छाया
पूरे शरीर को तब थोड़ा सा विश्राम है आता।।
जल्दी-जल्दी इच्छा होती कितना पानी पी ले
कहीं ठंडे स्थान पर जाकर छिपकर आराम कर ले।।
ऐसे में ही घड़े का पानी बहुत ही अच्छा लगता है
और छाया में किसी छाजन के नीचे
समय बिताने का मन करता है।।
+++++++++
डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी शैलेश वाराणसी🌲🌴🌻🌹🌷
[25/10, 1:57 pm] रामेश्वर गुप्ता के के: ।गर्मी।
गर्मी का आया महीना है,
टप टप चुये यह पसीना है।
आंगन या छत पर गये है,
चैन कहीं नहीं आना है।।
गर्मी........................ 1
हवा भी जैसे रूठ गई है,
चलना उसने नहीं जाना है।
गर्मी कारण नींद गायब है,
रात ने दुष्मनी को ठाना है।।
गर्मी..........................2
गर्मी में सुख यह आना है,
स्कूल दो महीने नहीं होना है।
नाना नानी हमें याद आते है,
दो महीने वहां हमें जाना है।।
गर्मी........................... 3
चार महीने की गर्मी कठिन है,
पंखा गर्म हवा चहुँ फेंकना है।
कूलर एसी का एक सहारा है,
उसी के बस जीवन चलना है।।
गर्मी.......................... 4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[25/10, 2:09 pm] अंजली👏 तिवारी - जगदलपुर: बालगीत
गर्मी
******
गर्मी मुझे ना भाती
गरम गरम हवा चलती
पसीने से शरीर भीग जाती
बार बार नहाने से अम्मा चिल्लाती
रात में नींद नहीं आती
पूरी रात मोबाइल और खेल में कट जाती
फिर देर से जागने से अम्मा है डांटती
गर्मी मुझे नहीं भाती
खेल खेल में सारा दिन गुजर जाती
पढ़ने बैठे तो आलस सताती
खाना भी गर्मी में अच्छी नहीं लगती
सिर्फ शरबत बार बार पीने को भाती
ठंडी सबसे अच्छी वहीं मुझे भाती
गर्मी मुझे तनिक भी नहीं भाती ।
रचनाकार
अंजली तिवारी मिश्रा जगदलपुर छत्तीसगढ़।
[25/10, 2:31 pm] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
विधा:-- *बाल गीत*
शीर्षक:-- *गर्मी*
कोरोना काल में
गर्मी का मौसम आया
भाई बहनों को बहुत भाया।।
सुबह-सुबह दादू उठकर
हम सबको बगीचा ले जाते
दादू के साथ योगा करते खूब खेलते।।
नौ बजे दादू घर ले आते
जल्दी से हम लोग स्नान कर
मां के पास आकर बैठ जाते
नाश्ते के साथ जूस देती
भाई बहनों को खूब भाता।
नाश्ते के बाद ऐसी रूम में बंद कर देती।।
बीच-बीच में कमरे में मां आती ठंडी दही ठंडी रसमलाई आइसक्रीम खिलाती।।
दादू पापा बात करते बहुत गर्मी पड़ रही है
पहले ऐसा नहीं होता था पेड़ पौधे जंगल काटे गए जिससे पानी की हो गई किल्लत
सभी हो रहे हैं परेशान। अब हम न करेंगे बर्बाद बारिश के पानी को भी पूर्णता हम बचाएंगे वाटर हार्वेस्टिंग करेंगे पेड़ पौधे भी लगाएंगे तभी तो हम बचे रहेंगे।।
फिर भी शाम को दादू आम जामुन रसली लीची लेने बाजार जाते हैं भाई बहन को जूस पिलाकर खूब मस्ती कराते।।
विजयेन्द्र मोहन।
[25/10, 2:39 pm] निहारिका 🍇झा: नमन मंच
विषय; धर्मी।।
विद्या**काव्य
होती है जब भी देखोठंडी की यह बिदाई।
पुरवाई में अब हल्की सी गर्मी आई।
गर्मी के आने की आहट ,हमको है अब तो आयी।।
पत्ते झरे हैं तरु से, नदियों का जल गिरा है।।
नल में भी अब देखो पानी की कमी आई।
सूरज की किरणों ने फिर आग है बरसाई।
सन सन चलेगी लू सबको है वो थकाई।
भाने लगी सबको जूस व
ठंडाई।
कूलर व ए सी के बिन होता नहीं गुजारा।
बाहर है घर से जाना हमको नहीं गवारा।
फिर भी लगे है हमकों गर्मी का मौसम प्यारा।।
निहारिका झा
खैरागढ़ राज(36गढ़ )
[25/10, 2:40 pm] निहारिका 🍇झा: नमन मंच
विषय; गर्मी।।
विद्या**काव्य
दिनाँक25/10/2021
होती है जब भी देखोठंडी की यह बिदाई।
पुरवाई में अब हल्की सी गर्मी आई।
गर्मी के आने की आहट ,हमको है अब तो आयी।।
पत्ते झरे हैं तरु से, नदियों का जल गिरा है।।
नल में भी अब देखो पानी की कमी आई।
सूरज की किरणों ने फिर आग है बरसाई।
सन सन चलेगी लू सबको है वो थकाई।
भाने लगी सबको जूस व
ठंडाई।
कूलर व ए सी के बिन होता नहीं गुजारा।
बाहर है घर से जाना हमको नहीं गवारा।
फिर भी लगे है हमकों गर्मी का मौसम प्यारा।।
निहारिका झा
खैरागढ़ राज(36गढ़ )
[25/10, 2:43 pm] रजनी अग्रवाल जोधपुर: शीर्षक -"गर्मी"
1. बसंत बीती गर्मी ऋतु आई ,
पश्चिमी बयार ने ली अंगड़ाई ,
शाम सवेरे बच्चों ने बागीचों में धूम मचाई ,
गर्मी आई गर्मी आई,,,
2. गर्मी आई छुट्टियां लाई ,
सबने अपने अपने मिजाज से,
धूमधाम से मौज मनाई,
गर्मी आई गर्मी आई,,,,
3. नानी ने क्या खूब बनाए ,
मठरी लड्डू सेव करारे ,
कैरी का है पना पिलाती ,
गर्मी आई गर्मी आई,,,,,
4. लीची आम अमरूद जामुन ,
खूब मजे से मिलकर खाएं ,
खेले कूदे मौज मनाएं , गर्मी आई,,,,,,
स्वरचित बाल कविता
रजनी अग्रवाल
जोधपुर
[25/10, 2:44 pm] रजनी अग्रवाल जोधपुर: शीर्षक -"गर्मी"
1. बसंत बीती गर्मी ऋतु आई ,
पश्चिमी बयार ने ली अंगड़ाई ,
शाम सवेरे बच्चों ने बागीचों में धूम मचाई ,
गर्मी आई गर्मी आई,,,
2. गर्मी आई छुट्टियां लाई ,
सबने अपने अपने मिजाज से,
धूमधाम से मौज मनाई,
गर्मी आई गर्मी आई,,,,
3. नानी ने क्या खूब बनाए ,
मठरी लड्डू सेव करारे ,
कैरी का है पना पिलाती ,
गर्मी आई गर्मी आई,,,,,
4. लीची आम अमरूद जामुन ,
खूब मजे से मिलकर खाएं ,
खेले कूदे मौज मनाएं , गर्मी आई,,,,,,
स्वरचित बाल कविता
रजनी अग्रवाल
जोधपुर
[25/10, 3:22 pm] रानी अग्रवाल: उफ्फ ये गर्मी।
२५_१०_२०२१,सोमवार।
विषय_गर्मी।विधा_बालगीत।
बड़ी ही हठधर्मी,
सताती,उफ्फ ये गर्मी।
प्यारी लग रही थी सर्दी,
पर उसने उतार फेंकी वर्दी।
दूर हो गई सब नरमी,
और आ गई,उफ्फ ये गर्मी।
सुहा रही थी जब हुई शुरू,
बढ़ते ही तंग कर दिया गुरु।
देखो, बाहर गर्म लू चल रही,
धूप रूप में तपन बरस रही।
सूखे ताल_तलैया सभी,
प्यासे फिर रहे पशु_पंछी।
मैंने आंगन में तासा रखा है,
उनके लिए पानी भर रखा है।
बिखेर दिए हैं खूब सारे दाने भी,
वोआते पानीपीने,भूख मिटाने भी
ए. सी.में बैठे सेठ,गर्मी से दूर,
धूप में पेट भरने चला मजदूर।
गांववाले पीपल_नीम नीचे,
लेटकर हवा खा रहे,
कुल्फीवाले से लेकर कुल्फी,
ठंडक का मज़ा ले रहे।
खेतों में फसल लहलहा रही,
होली के रंगों की खबर ला रही।
किसान डटा है खेतों में,
काम निबटाने को,
अपनी साल भर की ,
मेहनत का,फल पाने को।
बच्चे घरों में दुबके सारी दुपहरिया
"इंडोर गेम्स"खेल रहे भईया।
बाहर निकलेंगे जब होगी शाम,
खेलने के सिवा न दूजा काम।
मौसम लाया लीची_आम,
तरबूज_खरबूज और जाम। (जामुन)
ठंडे शरबतों का चल रहा जादू,
पिएं सब मम्मा,पापा,चाचा,दादू।
आजकल हम खुली छत पर सोते,
फलक के चांद_तारों को देखते।
कहानियां सुनाती दादी_ नानी,
छत पर ही रखा है घड़े में पानी।
भईया,ये गर्मी बड़ा सताती है,
इसलिए फूटी आंख न सुहाती है।
बस अब मिले इससे छुटकारा,
बादल दे दें बरखा का फब्बारा।
स्वरचित मौलिक बालगीत__ रानी अग्रवाल,मुंबई,२५_७_२१.
[25/10, 3:23 pm] स्मिता धारसारीया Mosi: गर्मी
गर्मी का मौसम आया ,
ठंडा पीने को मन भाया ,
बर्फ के गोले पर मन ललचाया ,
पंखे ,कूलर चलाने का
गर्मी का आया
हरे ,पीले ,लंगड़े ,दशहरी
मीठे आम का मौसम आया ,
बच्चे ,बूढे सबने मीठे आम
का लुफ्त उठाया
गर्मी का मौसम आया
पहाड़ों में घूमने का
शिमला ,नैनीताल जाने का मौसम आया ,
स्कूलें हुई बंद ,
छुट्टियों का मौसम आया
नानी के घर जाने का
,उछल कूद मचाने का ,
बच्ची के चहकने का मौसम आया |
स्मिता धिरासरिया ,बरपेटा रोड
[25/10, 3:40 pm] +91 70708 00416: मंच को नमन, 🙏
विधा-बाल कविता
25/10/21
गर्मी आई गर्मी आई
********************
गर्मी आई गर्मी आई
सभी की शामत है आई
गर्मी से झुलसते लोग
कहीं चैन में नहीं रहते लोग
आसमां से जैसे आग है बरसता
धूप पसीना लेकर आई
कूलर पंखे ए.सी चलते
टप-टप पसीने हैं बहते
खेतों में काटते गेहूं
हो पसीने से लथपथ किसान
गर्मी आई गर्मी आई
ताल -तलैया नदियां सूखी
पशु-पक्षी हैं प्यासे भटक रहे
कुल्फी वाला जब आता है
सारे बच्चे शोर मचाते हैं
खाते सभी बूढ़े बच्चे
दिल को ठंडक पहुंचाता है
गर्मी आई गर्मी आई
अब तो सबकी शामत है आई
तपता है सूरज चलती है लू
सभी की जलती है गर्मी से काया
गर्मी आई गर्मी आई
डॉ मीना कुमारी परिहार
[25/10, 4:12 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: गर्मी ( बाल गीत) --- ओमप्रकाश पाण्डेय
जाड़ा भागा गर्मी आयी
सूरज ने अब ली अंगड़ाई
छोटे छोटे टिकोरे आम के
पेड़ों पर अब परे दिखाई
फेको अब सब लोग रजाई........ 1
तेज हवा अब चलती खूब
आंधी लू भी चलती खूब
धूलों से भरा हुआ अम्बर
पसीने से सबका तन भीगा
प्यास बहुत अब लगती है.......... 2
बहुत पहन लिये स्वेटर कोट
मफलर टोपी भी पहने सब
अब चिंता नहीं कोई ठंडक की
सारे गर्म पकड़े अब फेकों
हल्के फुल्के कपड़े पहनों.......... 3
सुबह बहुत जल्दी है होता
अब सूरज जाता बहुत बाद में
दिन काफी लम्बा होता है
सुबह स्कूल जल्दी है खुलता
हम सब बच्चे अब खेलते खुल कर....... 4
लेकिन ध्यान रक्खो गर्मी का
लू से भी बचना होगा अब
हल्के लेकिन कपड़े पहनों पूरे
तेज धूप में बाहर मत खेलो
बार बार पानी भी पीओ.......... 5
(यह मेरी मौलिक रचना है ------- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[25/10, 4:14 pm] 👑पदमाकाक्षी शुक्ला: 🙏🌹नमन मंच 🌹🙏
🙏🌹जय अम्बे🌹२५/१०/२१🌹🙏
🙏🌹बाल कविताःगर्मी 🌹🙏
परेशान होते गर्मी में ।
आइस्क्रीम अच्छी लगती है।।
भोला ने बताया मां को।
ठंडी लस्सी मन भाती है।।
सुबह शाम खेल लगे अच्छा।
ठंडे पानी से स्नान करें।।
आराम से दोपहर घरसे।
पठाई ए सी में हम करें।।
ए सी में बैठकर पढ़ाई।
अच्छी बात नहीं है बेटा।।
ज्यादा आइस्क्रीम खाना।
शरदी हो जाएगी बेटा।।
सुनते कहां हम मां की बात?
छत पर सोना अच्छा लगता।।
तारों के संग बात करना।
यह मौसम तब अच्छा लगता।।
कच्चे आम तोड़ के खाते।
आम का रस मन को लुभाये।
छुट्टी के दिन स्नान नदी में।
बहार निकालना मन न भाये।।
🙏🌹पद्माक्षि शुक्ल 🌹🙏
[25/10, 4:51 pm] कुम कुम वेद सेन: विषय गर्मी
बच्चों ने शोर मचाया
गर्मी का मौसम आया
मजे की दिन आने वाले
स्कूल में छुट्टियां होने वाले
आइसक्रीम खाने का मौसम आया
आम के बागों में आम तोड़ने का मौसम आया
सुबह शाम खेलना जरूरी है
खेल से सेहत बनाना जरूरी है
गांव का तालाब है चलो बच्चों
आज तालाब की सैर करें
तालाब की मछलियां को पकड़ना है
साथ ही साथ तैराकी भी सीखना है
बच्चों हो जाओ तैयार
डांट मिलेगी हजारों बार
घबराना नहीं यार
फिर यह मौसम आएगा अगले साल
चलो छुट्टियां मनाने नानी घर
बुआ घर दादी घर जाट की दुनिया से दूर
गर्मी का मौसम आया
चलो खेले हम सब खेल
कुमकुम वेद सेन
[25/10, 4:56 pm] पूनम सिंह कवयित्र� � इशिता स� �डीला: नमन मंच
बाल कविता.. गर्मी
गर्मी गर्मी ओ गर्मी,
नहीं चलेगी तुम्हारी मर्जी,
कूलर हम चलाएंगे,
पंखे हम लगा लेगे,
खायेंगे बर्फ के गोले,
गर्मी दूर हम धकेले,
गल्ला मैं है पैसा
हमको अब्ब ड़र है कैसा
कोला पे लेगे, ठंडा हम लेलेंगे
चाय से तो हो गई कुट्टी
गर्मियों मैं अब्ब हो गई छुट्टी
जायेगे नानी के घर हम
जा कर धमाल मचाएंगे
गर्मी गर्मी नहीं दोस्ती तुमसे
हम तो कुल्फी खायेंगे.. @ishita singh.. teacher in sandila block
[25/10, 4:57 pm] 💃rani: अग्निशिखा मंच
विषय---गर्मी
विधा---कविता (बालगीत)
दिनांक 25-10-2021
आशू ने खेल कर आते से ही घर में शोर मचाया
और कहा माँ से, हाय माँ कितनी गर्मी है ।
कैसे भी भगाओ इसे, चाहे तो कूलर खरीदो
या फिर मंगवाओ एसी, माँ अब सहन नहीं होती गर्मी ।
माँ सोच में पड़ गई कैसे इसको बतलाऊं मैं
मुश्किल से तो घर चल पाता कूलर,एसी कहाँ से लाऊँ मैं। पँखा चालू कर माँ कहती, आशु चलो नहा आओ
और ठंडे -ठंडे पानी से तुम गर्मी दूर भगाओ ।
जब तक तुम्हारे लिए ठंडा पेय मैं बनाती हूँ
ठंडी-ठंडी छाछ से तुम्हारी गर्मी दूर भगाती हूँ ।
खुश हुआ आशु गया नहाने तो माँ ने चैन की साँस ली आशु भी तो 'रानी' घर की हालत से है वाक़िफ़ ।
आख़िरर उसने जिद न की और नहा कर ठंडक पाई
फिर मम्मी ने अपने हाथों से ठंडी-ठंडी छाछ पिलाई ।
रानी नारंग
[25/10, 5:03 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन
विधा:---बाल गीत
विषय *गर्मी*
मां बाबा कहते चलो अंदर गर्मी है
सूरज ने रूद्र रूप लिया है
नदिया , तालाब सूख गए हैं
पंखे कूलर एसी के लगाना है।१।
टिंकू चिंटू ने पापा से कहा,"
हुई छुट्टियां अब चलो पहाड़ों पर जाएंगे, झरनों की कल कल के संग गुनगुनाएं, ट्रेन में बैठेंगे।२।
टिंकू पिंटू ने कहा अभी तक ऑनलाइन पढ़ाई ने हमको मारा
सबक मोबाइल के संग दिन गुजरता था सारा ना खेलते थे।३।
न पल भर की फुर्सत कभी खेलने की बुरा हाल सचमुच था हमारा कोरोना का काल था घर बैठे-बैठे हो गए बोर चलो बाबा घूमने अब
न मां की किट पिट पापा का डर हो, अकेले हो हम और सुहाना सफर हो ना बंधन में बांधे हमें आज कोई खुला आसमा बस हो।
घनी ऊंचे पेड़ों की लंबी कतारें
फूलों की खुशबू मैं भीगी बहारे
बुलाती है फिर हमको फैलो के
बाॅहें चलो घूमने हम सारे।।६।।
कोरोना ने कर दिया हमारा बुरा हाल, हम घूमने जाएंगे मौज मस्ती करेंगे अब जहां चाहे घूमेंगे
किरण बनके हम झिलमिलांएं।७।
सुरेंद्र हरडे
नागपुर
दिनांक २५/१०/२०२१
[25/10, 5:06 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: 🌹बाल गीत🌹**************
( गर्मी )
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आती है गर्मी सताती है गर्मी बेचैन कर रूलाती है गर्मी ।
घबराते हैं हम परेशान होते हैं हम पसीने से भी तरबतर होते हैं हम ।
ठंडी चीजें देती है ठंडक शीतल जल भाता है मन को ।
आइसक्रीम ,कुल्फी लुभाती है हमको बर्फ का गोला खींचता है सबको ।
पंखे और कूलर होते नहीं बन्द ए .सी. की ठंडक भाती है हृदय को ।
कोलड्रिंक ,गन्ने का रस पना और लस्सी बर्फ डला शरबत जलजीरे का होता नहीं कोई सानी ।
दिन के बदले रात भाती है हमको खेलना, खाना ,सोना बस,यही आता है सबको।
गर्मी की हाय हाय सब करते हैं इसे बाय बाय ।
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स्वरचित मौलिक रचना
डाॅ . आशालता नायडू .
भिलाई . छत्तीसगढ़ .
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[25/10, 5:24 pm] पुष्पा गुप्ता / मुजफ्फरपुर: 🙏🌹अग्नि शिखा मंच 🌹🙏
🌳विषय: * गर्मी * 🌳
🌹विधा: काव्य 🌹
🌲दिनांक:25/10/21🌲
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गर्मी आई , गर्मी आई ,
चलो,हटा दें आज रजाई।
कंठ अचानक सूख रहे हैं ,
पेड- पौधे भी सूख रहे हैं ।
ठंडा पानी पी लो भाई ,
गले में खास तरावट आई ।
तन से बहुत पसीना बहता,
पवन नहीं जोडों से चलता ।
काले बादल ,आ रे बादल ,
गरमी दूर भगा रे बादल ।
बर्षा में खूब नहाएगे ,
मटक- मटक इठलाएँगे ।
नानी घर भी जाएँगे ,
मिलकर मौज मनाएँगे ।
🌹🙏
**************************,
स्वरचित एवं मौलिक रचना
डाॅ.पुष्पा गुप्ता
मुजफ्फरपुर
बिहार
🌹🙏
[25/10, 5:29 pm] 💃वंदना: गर्मी
पसीना पसीना हुआ है जमाना
देखो ये गर्मी का है नजारा।
रख दो रजाई कंबल छुपा के
ऐसी और पंखा कूलर चलाना
चौपाटी जाके घूमना घुमाना
गोला बर्फ का आइसक्रीम खाना
पसीना पसीना हुआ है जमाना
देखो ये गर्मी का है नजारा
हाय गर्मी हो गर्मी गर्मी का लगना
लू का चिपकना नकलोई चलना।
नींबू का शरबत केरी का पन्ना
या हो मुरब्बा सब ठंडा ठंडा।
पसीना पसीना हुआ है जमाना
देखो ये गर्मी का है नजारा।
हाय कैसी है गर्मी जिया घबराए
लाइट जाए तो जान ही जाए।
उफ ये अंधेरा हाथ में पंखा
ऊपर से बैरी मच्छर सताए।
चुन्नू मुन्नू सिंह दादा जी
इस गर्मी से सब घबराए।
पसीना पसीना हुआ है जमाना
देखो ये गर्मी का है नजारा।
वंदना शर्मा बिंदु देवास मध्य प्रदेश।
[25/10, 6:02 pm] ♦️तारा प्रजापति - जोधपुर: अग्निशिखा मंच
25/10/2021 सोमवार
विषय-गर्मी
पीछा छुटा रजाई से
स्वेटर तन से
उतर गए,
अब गर्म चाय भी
भाती नहीं
सुहाता नहीं अलाव भी
गर्म पानी से
नहाना बंद हुआ
सावर लेना सुहाता है
गर्मा-गर्म पकोड़े
अब खाते नहीं
आइस्कीम
मन को लुभाती है
शाम पड़े गलियों में
धूम मचाते
बच्चों की
टोली दिखती है
छुट्टियों में अक्सर
सभी सैर-सपाटे को जाते हैं
घर के भीतर
बहुत रह चुके
अब मस्ती का
आलम छाया है
सर्दी की ऋतु
अब बीत गयी
गर्मी का
मौसम आया है।
तारा "प्रीत"
जोधपुर (राज०)
[25/10, 6:02 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: अग्निशिखा मंच
विषय- गर्मी आई
अहा!गर्मी आई, गर्मी आई
याद आई प्यारी, मौसी नानी
ननिहाल चलो रे! रेल में बैठो
रेल की खिड़की से बाहर झांको।
कुल्फी ठांडाई और पियो ठंडी लस्सी
तरबतर कर जाए, छा गई मौज मस्ती
ठंडी चीजें खाकर मचायें धमा-चौकड़ी
गर्मी में खाते ठंडी, कुल्फी और मलाई।
आम लीची तरबूज की बहार आई
अम्बुवा की डाली पर कोयल बौराई
कुहू- कुहू मधुर- मधुरिम गीत है गाती
आम के झुरमुट में,कोयल खूब इतराती।
पर्यावरण बचाओ पेडो़ पौधों को लगाओ
नीम पीपल बरगद से आक्सीजन पाओ
पेडोँ को न कटने दो,हर रितु रोपते जाओ
कुछ वर्षों बाद मीठे-मीठे फलोँ को खाओ।
पेड़ की छाया में,आए नींद मीठी-मीठी
घने छाँवदार पेड़ देते छाया,खूब घनेरी
पेड़ों को बचाओ,दूर रखो कुल्हाड़ी,आरी
ग्रीष्म ऋतु आई,मौज मस्ती खूब मनाई रे।
डॉक्टर अनिल कंसल कनुप्रिया
25-10-21
[25/10, 6:14 pm] Nilam 👏Pandey👏 Gorkhpur: अग्निशिखा मंच
🙏नमन मंच 🙏
बाल गीत- गर्मी
बीत गए सर्दी के दिन
आई ठंडी आइसक्रीम
स्वेटर-मफलर नहीं सुहाते
सूती कपड़े हैं मन को भाते
हीटर गीजर बंद हो गए
कूलर , एसी चालू हो गए
कभी शिकंजी शरबत पीते
खाएं लीची, आम तरबूज पपीते
कभी कोल्ड ड्रिंक का देखे ड्रीम
आई ठंडी आइसक्रीम
मम्मी कहती लू चलती है, बाहर जाकर खेलो मत
घर में खेलो तो कहती है, ज्यादा शोर मचाओ मत
कोई तो समझे बच्चों की बात
खेल खेल में सीखें कितनी सारी अच्छी बात
मन करता है घूमे हम कहीं सैर पर जाएं हम
स्वरचित बाल कविता
नीलम पाण्डेय गोरखपुर उत्तर प्रदेश
[25/10, 6:43 pm] आशा 🏆🏆जाकड इन्दौर: विषय -गर्मी
बालगीत
गर्मी आती जब गर्मी आती
तब नानी का संदेशा लाती
नानी खूब कहानी सुनाती
गुड्डा गुड़िया खेल सिखाती
मिठाई,आइस्क्रीम खिलाती
छत पर खूब हुड़दंग मचाते
नानाजी हमको डाँट लगाते
गर्मी आती जब गर्मी आती।।
गर्मी आती जब गर्मी आती
पतंग की खूब याद दिलाती
दोस्त पतंग छत पर उड़ाते
फिर आपस में पतंग भिड़ाते
जब पतंग ऊपर कट जाती
पतंग लेने फिर दौड़ लगाते
पतंग मित्रों की याद दिलाती
गर्मी आती ,जब गर्मी आती।।
गर्मी आती ,जब गर्मी आती
लाइब्रेरी का जुनून भर लाती
दोस्तों के संग हम लूडो खेलते
खूब पराग, चंपक,नन्दन पढ़ते
अंताक्षरी खेलतेऔर गाने गाते
छोटे- छोटे नाटक भी हम करते
रासलीला,रामलीला याद आती
गर्मी आती जब भी गर्मी आती।।
आशा जाकड़
[25/10, 6:45 pm] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर: गर्मी का मौसम आया
शरद ऋतु खत्म हुई ,
गर्मी की ऋतु आई,
सूखेसब ताल तलैया,
जग में हाहाकार छाई।
पशु- पक्षी नर नारी व्याकुल,
तपन भरी दोपहरी आई,
ए .सी कूलर निकल गया,
ठंडे पानी ने प्यास बुझाई।
कुछ न करने का जी होता
अमिया खाने जी ललचाए,
ठंडी जगह घूमने जाएं,
ग्रीष्म ऋतु मुझे न सुहाए।
श्रीमती शोभा रानी तिवारी इंदौर
[25/10, 6:46 pm] चंदा 👏डांगी: $$ गर्मी $$
मुझे गर्मी लगी मम्मा मुझे गर्मी लगी
मम्मा ने पहनाई मुझे हाफ टी शर्ट
मेरा पसीना सुख गया
फिर मैने आइसक्रीम खाकर
गर्मी को दूर भगाया
हम सब बैठे नीम के नीचे
ठंडी हवा खूब मन भाई
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
रामटेकरी मंदसौर मध्यप्रदेश
[25/10, 7:02 pm] 💃💃sunitaअग्रवाल: बाल गीत
शीर्षक_ मजे की गर्मी
माँ, ये मजे की गर्मी ,
हां हां हां पूरे साल करता इंतजार, मई जून का महीने के उमस भरे दिन , कर देते , हर किसी को बैचेन,
आईस क्रीम , कुल्फी, बर्फ का गोला खाते ही मन को मिल जाता सुकून,
माँ, चलो ना नानी घर , बागों मैं आम की बहार है,
नाना संग टेकरी वाली माता के दर्शन करने को हम बच्चें तैयार है ,
मासी लेकर जाएगी , नई मूवी दिखाकर लाएगी,
माँ , छुक छुक ट्रेन में बैठेगे , देखेंगे बाहर का नजारा,
नानी माँ , के हाथ से पियेंगे लस्सी,
हम सब बच्चें मिल करेंगे मस्ती,
सुबह सुबह मामा संग खेत पर जायेंगे, खूब रसीले मीठे आम खायेंगे ,
माँ, मुँह मैं पानी आ रहा है,
नाना जी, लाते मोटू हलवाई की गरम गरम जलेबियां, और पोहे,
जो मेरे मन को मोहे,
अहा, माँ, बहुत मजा आएगा,
माँ करो nat जल्दी से जल्दी तैयारी, नानी घर जाना है,
बहुत मजे करना है ।
सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश स्वरचित 🙏🙏