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Akhil Bhartiya agnishikha Manch k block Aaj dinank 27 9 2006 ko beti per Rachna padhe aur Anand len doctor Alka Pande Mumbai




बेटियाँ - डॉ अलका पाण्डेय 

बेटी दिवस पर मेरी बिटिया आरती आनंद को समर्पित मेरी एक रचना

बिटिया

ऊषा की लाली हैं बेटियाँ 
भोर की कोमल किरणें बेटियाँ 
नदि की कल कल सी चहकती बटियां  
मंदिर की पावन घंटियाँ है बेटियाँ 
मंत्रों का मधुर स्वर है बेटियाँ 
धर्म आस्था भजनों का गान बेटियाँ 
शक्ति का पुंज नवदुर्गा का तेज बेटियाँ 

सुबह का कोयल गान बेटियाँ 
माँ बाप का अभिमान है बेटियाँ 
गुलाब के फूलों सी महकती बेटियाँ । 
गेंदा .मोगरा , चमेली सी बेटियाँ 
सुख दुख की साथी है बेटियाँ 
माँ बाप की धड़कन है बटियां 
मंगल कार्यका मंगल गान बेटियाँ 
हर दर्द का मलहम है बेटियाँ 
रुन झुन रुन झुन पायल की खनक बेटियाँ । 
घनघोर अंधेरी रातो का उजाला है बेटियाँ ।
दुख , परेशानी , गमगीन जीवन में। ख़ुशियों की खनक है बेटियाँ 
बाप के थकन भरे चेहरे की मुस्कान है बेटियाँ । 
माँ -बाप के प्राण आधार है बेटियाँ 
चंचल चपल बातों से मन हरती बेटियाँ ।
नन्हें नन्हें कदमों से विश्वास के डग भरती बेटियाँ 
हर माँ बाप की शान है बेटियाँ ।
पिता का आत्म सम्मान है बेटियाँ 
गम को पीना मुस्करा कर जीना बेटियाँ 
जमाने का सारा ज़हर पी जाती बेटियाँ 
अपमान, तिरस्कार को सह जाती बेटियाँ 
जीवन की कठिन डगर हो हंस कर चलती बेटियाँ । 
कैसे भी झंझावत आये , नहीं टूटती नहीं टूटती बेटियाँ ।
जीवन को खुशहाल बनाती 
नगमें नयें सुनाती बेटियाँ 

डॉ अलका पाण्डेय

🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎🙎





[27/09, 12:40 pm] वीना अडवानी 👩: बेटियां
*****

घर की आन बेटियां
घर की शान बेटियां
मात पिता का मान बेटियां

करो सभी सम्मान।।2।।

सृष्टि का सृजनहार बेटियां
नवजीवन का संचार बेटियां
घर की सज्जा, मुस्कान बेटियां।।

करो सभी सम्मान।।2।।

ममता, वात्सल्य का भंडार बेटियां
दया, करुणा, संस्कार ये बेटियां
समाज में जीने की हकदार बेटियां

करो सभी सम्मान।।2।।

जो करे अत्याचार इन पर समाज में
उन पर दुत्कार देती हैं ये बेटियां
सच मां दुर्गा का अवतार हैं बेटियां।।

करो सभी सम्मान।।2।।

वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
******************
[27/09, 12:41 pm] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर: बेटियां

बाबुल के घर का प्यार हैं बेटियां,
 घर आंगन की बहार है बेटियां,
 उनसे ही तो घर की जन्नत है ,
व्यवहार और संस्कार हैं बेटियां।

 बाबुल के घर की राजदुलारी है,
फूलों की मीठी मुस्कान है ,
दुर्गा ,लक्ष्मी ,सीता है वह,
 बेटी ही तो भगवान हैं।

 बाबुल की याद आती है 
 तब आंखें भर आती हैं,
हर धड़कन माता-पिता से,
 हर पल याद सताती है।

 बेटी को पराई मत मानो,
 वह तो दिल की धड़कन है,
 सृष्टि की निर्माता है वह ,
  उनसे ही तो जीवन है ।
प्यार लुटाती है हरदम
मां बाप की परछाई है
जितनी खुशियां हैं घर में
बेटी के किस्मत से आई है।

श्रीमती शोभा रानी तिवारी ,
619 अक्षत अपार्टमेंट खातीवाला टैंक इंदौर मध्य प्रदेश मोबाइल 89894 09210
[27/09, 12:52 pm] Nirja 🌺🌺Takur: सभी को बेटी दिवस की बहुत बहुत बधाई
             
          बेटियाँ

बेटियाँ होती हैं खुशबू सी 
घर के हर कोने में बसी होती हैं। 
अपनी मुस्कुराहट से 
घर को जगमग कर देतीहैं।  
गोद में जब बेटी आती ,
मां अपना जीवन फिर से जी लेती है। 
उसकी तोतली बातों में
कितनी मिठास भरी होती है। 
वैसे वो बिन बोले अपनी
बात मनवा लेती है। 
लाड़ लडा़ती पापा मम्मी से
भैया के संग लड़ती है। 
गलती चाहे जिसकी भी हो
भाई के कान पकड़ती है। 
वो घर खुश नसीब होता है 
जहाँ बेटी होती है।
जैसे -जैसे बड़ी होती 
जिम्मेदारी समझती है। 
भाई से भले आगे ना हो पर
पीछे भी नहीं रहती हैं।  
ये जिम्मदारी से नहीं हटती है। 
सप्तपदी लेती हुई 
पति के पीछे चलती है। 
सूना कर जाती घर आंगन
दोनो कुल को रोशन करती हैं। 

नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[27/09, 12:53 pm] रवि शंकर कोलते क: सोमवार दिनांक २७/९/२१
विधा *****बाल गीत
विषय ****
         #*"""""बेटी""""""#
                *******

      
घर घर का आनंद है बेटी ।
फूलो का मकरंद है बेटी ।।
हरदम करें वर्षा प्यारकी ।
बिड़े का गुलकंद है बेटी ।।१

हर आंगन की बगिया है बेटी ।
प्यारकी बहती नदिया है बेटी ।।
मायके की है वो रोशनी अगर ।
ससुरालमें जलता दिया है बेटी।।२

कभी शबनम कभी आग है बेटी ।
कभी क्रोध कभी अनुराग है बेटी ।।
कुछ पल की वो तृष्णा आंसू है ।
जीवन की खुशीका पराग है बेटी।।३

प्रा रविशंकर कोलते
     नागपुर
[27/09, 1:09 pm] 💃💃sunitaअग्रवाल: मां की लोरी नन्ही सी बेटी के लिए


जब ईश्वर बहुत ज्यादा ख़ुश होता है, तब बेटियां जन्म लेती है, वो बहुत खुशकिस्मत होते हैं जिनके घर में बेटिया होती है-


        सुन सुन बेटी मां की धुन,
खो जा सुनहरे सपनों में गुम,
अा ले चलूं ऐसे देश जहां खिलते हैं खुशियों के फूल,🌹
तारो की नगरी से निदिया बुलाऊ
तुझे आंचल मेरा उड़ाऊ🌹
थपकी देकर तुझे सुलाऊ,
सुन सुन बेटी मां की धुन,
खोजा सुनहरे सपनों में गुम,🌹
नाज़ुक सी, सलोनी सी मेरी बिटिया हसती है घर महक जाते हैं🌹
चलती है इठलाकर तब उजाले भर जाते हैं, आखें टीम टीम करती है तब तारे जीलमिलाते है🌹
           सुन सुन बेटी मां की घुन
            में तेरे लिए आसमां से सतरंगी सपने चुन लाऊ🌹
     
रोए तब तू बाहों का जूला बना जुलाऊ,🌹     
अा ले चलूं ऐसे देश, जहां खिलते हैं खुशियों के फूल🌹
सुन सुन बेटी मां की धुन
खो जा सुनहरे सपनों में गुम-२


सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश स्वरचित धन्यवाद जी 🙏🙏
[27/09, 1:17 pm] चंदा 👏डांगी: $$ *बेटी* $$
किस्मत वालों के 
होती है बेटियां
दो घरों की शोभा
होती है बेटियां
घर में रौनक
लाती है बेटियां
कभी भी
 हार नहीं मानती है बेटियां
माता पिता का होंसला
बढ़ाती है बेटियां
बहुओं को भी अगर
बनालो बेटियां
वृद्धाश्रम की राह
नहीं दिखाएगी बेटियां
जैसे पोधे को रोपने पर
सहेजते हो प्यार से
ससुराल में थोड़ा सा
प्यार चाहती है बेटियां
बहुत खयाल रखेगी
दुसरे घर की बेटियां
💃💃💃💃💃
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर 
रामटेकरी मंदसौर मध्यप्रदेश
[27/09, 1:18 pm] कुंवर वीर सिंह मार्तंड कोलकाता: 👸👸👸👸👸👸👸👸
बेटों से भली बेटियां
होती कोमल कली बेटियां।
👸
उसको आदर हमेशा दिया
जिसकी गोदी पली बेटियां।।
👸
जितने संस्कार उनको मिले
उनमें पूरी ढली बेटियां।
👸
मन होता है इनका पवित्र
भले हों सांवली बेटियां।
👸
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती लगें
होती इतनी भली बेटियां। 
👸
जिनके मन में भरी क्षुद्रता
सिर्फ उनको खली बेटियां।
👸
मन में होती है कितनी उमंग
जब भी पढ़ने चली बेटियां। 
🤶
देती जाती हैं कितने अशीश
जाती प्रिय की गली बेटियां।
🤶
जो लिए थे सातों वचन
नहीं हरगिज टली बेटियां।
🤶🤶🤶🤶🤶🤶🤶🤶
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
[27/09, 1:23 pm] 👑पदमाकाक्षी शुक्ला: 🙏🌹अग्नि शिखा मंच🌹🙏
🙏🌹जय अम्बे🌹२७/९/२१🌹🙏
🙏🌹 *बाल कविता बेटी* 🌹🙏

तेरे चमन की कली हूं में ।
देखो मां यह पुष्प की कली ।।
कली कब पुष्प बन जाएगी । 
रहना है मुझे तेरी कली ।।

फूलों में रहती सुगंध है ।
मुझे कभी सुगंध देना है ।।
कांटो के संग बड़ी होती ।
कंटक की पीड़ा सहना है ।।

शादी है मेरी गुड़िया की ।
पहनाई हरी चूड़ियां भी ।।
बालों में पुष्प लगाना है ।  
कांटो को दूर हटाना है ।।

फूलों की क्यारी सी बेटी । 
तेरी शादी भी है करनी।। 
हरी चूडियाँ पुष्प लगाना। 
जिंदगी में खुशाली भरनी ।।

पुष्प बन घर छोड़ जाती । 
दोनों घरमें महक बिछाती।। 
सखी बनकर दिल में रहती। 
मां से दिलका द्वार खोलती ।।

🙏🌹स्वरचित रचना 🌹🙏
🙏🌹पद्माक्षि शुक्ल 🌹🙏
[27/09, 1:32 pm] ♦️तारा प्रजापति - जोधपुर: अग्निशिखा मंच
27/9/2021 सोमवार
विषय -बेटी

बेटी

दो कुल का
सम्मान है बेटी,
परिवार की
शान है बेटी।
मां-बाप की
आँख का तारा,
है उनकी तो
जान बेटी।
उँगली पकड़ कर
चलना सिखाया,
सपनों का
सोपान है बेटी।
होता है जब भी
उदास ये दिल,
होठों की 
मुस्कान है बेटी।
जीवन सदा
उसका सुखमय हो ,
घर-भर का
अरमान है बेटी।
पढ़-लिख कर
सुसंस्कृत हुई,
मात-पिता का
अभिमान है बेटी।
बाबुल का घर छोड़
चली पिया के संग,
बाबुल के घर
होती है मेहमन बेटी।
                 तारा "प्रीत"
           जोधपुर (राज०)
[27/09, 1:40 pm] वीना अचतानी 🧑🏿‍🦽: वीना अचतानी, 
कविता का शीर्षक "बेटी "
अपनी पहचान को 
अलग बनाना तुम
निराली हो निराली
ही रहना तुम
तुम में ही है
रूप की प्रतिमा बेटी
तुम बिना मुकुट की
मेरी रानी हो बेटी
चम्पे की कली 
शिष्ट शालीन हो तुम
शब्द चुनने का
जतन आता है
जो सही है जो गलत है
वो अच्छे से जानती है बेटी
बहना है भाई की
राखी है कलाई की
माँ की दुलारी
हर वो मुकाम व मन्ज़िल 
जिसे चाहती हो पाना तुम
मेरी बिटिया कभी सोचती हूँ 
तुम एक हो या 
तुम्हारे भीतर अनेक
तुम में समाहित हैं 
गहराई समुद्र की
कभी शीतल बयार 
बन कर मेरे जीवन
में बहती हो 
निराशा में आशा 
का संचार हो तुम 
प्यारी बिटिया 
शिष्ट शालीन 
राजसी गरिमा 
है तुममे तुम्हारे भीतर
बिटिया मै खुद को 
पाती हूँ ।।।।।।
स्वरचित मौलिक 
वीना अचतानी 
जोधपुर ।।।।
[27/09, 1:57 pm] 😇ब्रीज किशोर: अंग्नि शिखा मंच
२७/९/२१
बिषय बेटी पर* 
    **बाल गीत**।
माँ माँ मै पढ़ने जाऊँगी
पढ़लिखकर आगे बढ़,
जाऊँगी।
माँ मै तो डाक्टर बनूगी।
रोगी की सेवा करूगी।
डाक्टर बन कर फौज,
मे जाऊँगी।
फौजी भाई का तब प्रेम ,
से सेवा करूगी ।
जब दुःश्मन से घायल,
हो कर सैनिक भाई आयेगें।
  शत्रुओं का करके सफया,
  अपना तिरंगा लहरायेगें।
   तब मीठे बचनो से उनके
   घावो को सहलाऊँगीं
  सुन माँ इस तरह से मै,
 देश के काम भीआऊँगी।
 तब तेरा माथा माँ गर्व से
 मै ऊँचा ऊँठागी।
चरण छू कर कहती हूं माँ
तब तेरी बेटी कहलाऊँगी।
  माँ माँ मै बिद्यालय जाऊँगी

  **बृजकिशोरी त्रिपाठी**
  **गोरखपुर, यू.पी**
[27/09, 2:08 pm] 👑सुषमा शुक्ला: *मैं और मेरी बेटी*

मैं और मेरी बेटी बिल्कुल एक से है,,
दोनों ऐसे है,, जैसे दूध और पानी , 
दीया
और बाती,, माना कि मैं, मां हूं उसकी,, पर
कभी कभी वो बन जाती है मेरी मां,,
मैंने उसे सांसे दी पर वह सांस है मेरी।
मेरे अधरो की मुस्कान है वो मेरे आंखों
का नूर है,,
 मेरी बेटी वो मेरी पहचान है,
मेरी बेटी वो पंतग,
 मैं डोर,
 मेरा सम्मान
अभिमान, स्वाभिमान है मेरी बेटी।

*राजकुमारी राजदुलारी नैनो की पुतली हारि ऐसी बेटी पर वारी जाऊं जीवन अपना सारा, और पहली आंख खोलते देखा,, मां की ममता का उजियारा*।

स्वरचित
 सुषमा शुक्ल इंदौर
[27/09, 2:16 pm] Dropdi🍄🍄साहू: बालगीत-"बेटी"
द्रोपती साहू "सरसिज"महासमुन्द, छत्तीसगढ़
शीर्षक-"बेटी"
विधा-बालगीत
          ***
बड़ी चुलबुली मेरी मुनिया।
लगती मुझको सारी दुनिया।।

फूलों के जैसे इसके गाल।
लंबे काले रेशमी बाल।।

खिलखिलाती चहकती घर में।
रोकर रूलाती पल भर में।।

पापा की है "बेटी" प्यारी।
मम्मी के संग लगती न्यारी।।

इससे रौशन है घर परिवार।
जगमग कर देती है संसार।।
           *****
पिन-493445
Email-dropdisahu75@gmail.com
[27/09, 2:34 pm] 💃वंदना: बिटिया  

परी

तू है मेरा अंश 
तुझसा दुनिया में कोई नहीं।

देखूं तुझको लगता ऐसे
जैसे नील गगन से परी उतर कर आई हो

तू  तन नाजुक मन की कोमल
प्यारी सी मेरी गुड़िया।

सुंदर कपोल चंचल लोचन
काले लंबे केश तिहारे।

खिल उठे मेरे घर का आंगन
तेरे कदमों की आहट से।

तुझसे रोशन मेरा घर आंगन
गुलजार तुझी से ही बगिया।

हर कोई तुझसे प्यार करे 
तू सबकी प्यारी सी बिटिया।

पापा की प्यारी सी गुड़िया
मम्मी की धड़कन है बिटिया।

वंदना शर्मा बिंदु देवास
[27/09, 2:34 pm] रजनी अग्रवाल जोधपुर: शीर्षक- बेटी बाल गीत

बेटी बेटा में क्या अंतर?
  बेटी भी उतनी प्यारी है , 
जितना बेटा प्यारा है, 
 दोनों का पालन साथ हुआ ,
और सभी तरह से पालन पोषण समान हुआ , 
बेटा एक कुल की शान है ,
बेटी दो कुलों की लाज है, 
 बेटी मां बाप का ध्यान रखें ,
 मीठा बोले और संस्कारित है , 
बेटी घर की बगिया सी उसकी खुशबू से महके है घर , 
 हर आंगन की रौनक है , 
 घर का सहारा भी बनती है ,
हर एक का ध्यान रखती है , 
 वह घर की शोभा बढ़ाती है , 
 और स्नेह प्यार लुटाती है , 
वही देवियां होती हैं , कहीं लक्ष्मी सरस्वती दुर्गा सी , 
 घर में समाई रहती है , उमंग उत्साह से पढ़ती हैं , 
 और अच्छी राह पकड़ती हैं , 
ऊंची ऊंची उड़ान भरकर , 
वह हर क्षेत्र की पहचान बने , 
 सपनों की किरणें बिखेरे हैं , 
 हम सबका ही अभिमान है बेटी ,
जैसे मेरा प्रतिरूप हो 
           बेटी!

स्वरचित बालगीत बेटी
       रजनी अग्रवाल
         जोधपुर
[27/09, 2:35 pm] सरोज दुगड गोहाटी: * अग्निशिखा काव्य मंच*
* सोमवार - २७/९/२०२१ *
* बिषय - बेटियां 

गीता का अध्याय बेटी ,
रामायण की सीता बेटी !
सुबह की अज़ान बेटी ,
मरियम् सी पाक बेटी !

मेरे घर आई मेरी प्यारी नानी माँ ,
कभी दिखती मुझे मेर प्यारी माँ !

मेरी आँचल में समांई कुक्षी जाई ,
मुझको लगती मेरी अपनी परछाई !

घर भर मे सबकी आँखों का तारा ,
उसके पापा कहते मान जा अम्माँ ?

कितनें रूपों में वह ढ़लती खिलती ,
घर भर को वह सबसे प्यारी लगती !

फूलों सी हंँसती जूही की महकी कली ,
छोड़ एक दिन जायेगी बाबुल की गली ! 

जब-जब ख्याल मन को सताता ,
मेरा मन भावुक हो भर-भर जाता ?

बेटी का घर में होना खुदा की नियामत ,
बेटी से रोशन हो जाती सारी कायनात !

सरोज दुगड़
खारुपेटिया 
असम 
🙏🙏🙏
[27/09, 2:58 pm] कुम कुम वेद सेन: विषय बेटी

श्रृंगार और श्रीजन हार
होती है घर घर की बेटी
सौभाग्य से मां पापा को
मिलती है रुनकी झुनकी बेटी
घर की रौनक होती बिटिया
दो परिवार की लाज है बिटिया
फिर भी पराया और अमानत कहलाती है
यज्ञ में बिटिया ना आए
मानो ऐसा लगता है कि
घर की रौनक ही नहीं

समय पर बेटी मां बनती
सेवा भाव की गठरी बन जाती
आवाज के दर्द गम खुशी
क्षण भर में पहचान जाती
बड़ी मन्नत पर घर में बिटिया आती

समाजिक दस्तूर भी अलबेला
गुणवती रूपवती मधुमति
बिटिया पल भर में हो जाती पराई

भाई बहनों में अच्छे रिश्ते
बनानी है तो संपत्ति के हकदार बेटी बहन ना बने
पर यह भूल जाते एक ही मां बाप के सभी संतान होते

कुमकुम वेद सेन
[27/09, 3:05 pm] डा. बैजेन्द्र नारायण द्िवेदी शैलेश🌲🌲 - वाराणसी - साझा: आदरणीय मंच को नमन
बेटी
बिटिया घर की रानी है 
रानी बड़ी सयानी है ।।
।।घर में यहां वहां वह दौड़े करती खूब मनमानी है।।
 सुनने से मन भरे ना जिसके सुंदर एक कहानी है।।
 प्यास किसी को लगे दौड़ कर देसी ग्लास का पानी है।। किसी का चेहरा मलिन दिखा तो
बोलती मीठी बानी है।।
घर की हो या मेहमानों की 
हर फोटो पहचानी है।।
किसी को क्या देना क्या लेना
उससे नहीं अंजानी है।।
कभी-कभी कुछ ऐसा बोले
लगे कि घर की नानी है।।
++++++
डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेद्वी शैलेश वाराणसी 9450186712
[27/09, 3:08 pm] Anshu Tiwari Patna: बेटी
------
 धन्य हो गई मां
घर आंगन में बिटिया आई,
 लक्ष्मी घर आई मेरे 
 ममता इसपर लूटाऊंगी 
प्यार ढेरो बरसाउंगी।
किसी की नजर ना लगे,
शेरनी इसे बनाऊंगी।
 मेरी आंखों का तारा है यह
 मेरी परछाई है यह 
पूरे करूंगी सारे ख्वाब इसके
 जहां चाहे उड़े मेरी लाडली
 इसे अरमानों के पंख लगाऊंगी।
 बयां कैसे करूं मैं अपनी खुशी
 मेर घर खुशी आई है
  मेरी नन्हीं परी आई है।
 धन्यवाद
 अंशु तिवारी पटना
[27/09, 3:08 pm] निहारिका 🍇झा: नमन अग्निशिखा मंच 
विषय;-बेटी
दिनाँक;-27/9/2021
🌹1🌹
छू रहीं हैं आज आसमान बेटियाँ।
कर रहीं हैं हर जगह नाम बेटियाँ
तन से हैं नाजुक मन से मजबूत हैं।
दुष्कर हर कार्य को कर रही बेटियाँ।।1।।

         🌹2🌹

मात पिता की जान बेटियाँ
दो कुलों की शान बेटियाँ
नजर से दूर भले हो जाएं।
दिल मे घर करतीं हैं बेटीयाँ।।
निहारिका झा🙏🙏🌹🌹
[27/09, 3:16 pm] रामेश्वर गुप्ता के के: बेटी - बालगीत
छुन छुन पायल मधुर बजती, 
जब चलती मेरी छोटी बेटी।
मेरे आंगन को रौशन करती,
जब धीरे धीरे चलती ये बेटी।।
छुन छुन...................... 1 
बहुत प्यारी है मेरी सुन्दर बेटी, 
देवी का रूप की साक्षी ये बेटी,
सुर दुर्लभ को यह सुन्दर नाता
ईश्वर को यह सुख दुर्लभ बेटी।।
छुन छुन.........…...............2 
छोटी बेटी इस  जग मे है प्यारी, 
रंगरूप  में सबसे सुन्दर लगती। 
रोज शाम वह घूमने को जाती, 
मेरे जीवन की बड़ी मेरी पूजी।।
छुन छुन....................... 3
श्याम सुंदर से यही मेरी बिनती,
मेरै आंगन सबसे सुन्दर बेटी।
बेटी का सुख वही जग जाने, 
जिसके घर में जन्म लेती बेटी।। 
छुन छुन........................ 4
प्यार का सागर उसको कहते
सब मंगल करती मेरी ये बेटी। 
भाग्य प्रखर होता उस जगमें, 
जिसके घर होती प्यारी बेटी।। 
छुन छुन....................... 5
स्वरचित 
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[27/09, 3:18 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: बेटी ( बाल गीत) --- ओमप्रकाश पाण्डेय
एक प्यारी सी नन्हीं परी 
उड़ती रहती है मेरे घर में
मुस्कान बिखेरती रहती वह
जैसे खिला हो फूल सुबह का 
है वह मेरी प्यारी बेटी....... 1
बातें तो ऐसी करती वह
जैसे हो सबकी अम्मा
हुक्म चलाती हम सब पर
अपना पूरा अधिकार लिए
है वह मेरी प्यारी बेटी..... .... 2
दादा दादी की है वह गुड़िया
नकल खूब करती उनकी
बातें तो ऐसी करती है
जैसे खुद भी दादी ही हो
है वह मेरी प्यारी बेटी... .... 3
लड़ती रहती अपने भाई से
पर ज़ान से ज्यादा मानती भी
साथ साथ वे खेलते दोनों
किलकारियां गूंजती रहती
है वह मेरी प्यारी बेटी........ 4
( यह मेरी मौलिक रचना है ---- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[27/09, 3:25 pm] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
*बेटी पर बालगीत*
जब -जब जन्म लेती है बेटी,
खुशियां साथ लाती है बेटी।
ईश्वर की सौगात ही बेटी,
सुबह की पहली किरण है बेटी।
तारों की शीतल छाया है बेटी,
आंगन की चिड़िया है बेटी।
त्याग और समर्पण सिखाती है बेटी,
नए - नए रिश्ते बनाती है बेटी।
जिस घर जाएं, उजाला लाती है बेटी,
बार-बार याद आती है बेटी।
बेटी की कीमत उनसे पूछो,
जिनके पास नहीं है बेटी।

विजयेन्द्र मोहन।
[27/09, 3:26 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: अ. भा. अग्निशिखा मंच 
सोमवार 27/ 9/2021
बाल गीत बेटी


मैं हूँ हिन्द की बेटी, बनी रहूँगी, 
सारे विश्व की सरताज़।
भारत बना अनुपम, स्वर्ण-विहान 
का,अग्रदूत है आज।


अबला न समझो मुझको, 
असीम शक्ति की हूँ भण्डार। 
कमला बन कल्याण मैं करती, 
दुर्गा बन करती संहार। 
शांति-क्रांति, समृद्धि-वृद्धि, 
श्री सिद्धि भी हूँ मैं आज। 
मैं हूँ हिन्द की बेटी, बनी रहूँगी, 
सारे विश्व की सरताज़।

बेटी हूँ निज गौरव पहचान, 
मान-सम्मान मैं पाऊँगी।
पहले थी विश्व विख्यात, 
अब फिर से मैं हो जाऊँगी।
मैं स्वयं ही महाशक्ति, 
किसी की नहीं रहूँगी मोहताज़। 
हूँ मैं हिन्द की बेटी, बनी रहूँगी, 
सारे विश्व की सरताज़।

वैष्णो खत्री वेदिका
जबलपुर
[27/09, 3:55 pm] Anita 👅झा: विषय - बेटी -पर आधारित 
बाल -गीत 

“ बाबा की राजदुलारी “
बाबा की वो राजदुलारी थी 
मनु से मणिकर्णिका कहलाती थी 
ढाल क़्रिपाण तलवार बाज़ संग साथी थे 
बाबा की सीख चौखट छोड़ आई थी 
 प्रेम प्यार से बढ़ कर हाथों की हथकड़ियाँ थी
 प्रियतम प्यार की अद्भुत ज्वाला थी 
पति के कंगन टूट चुके थे 
ग़ुलामी की ज़ंजीरो तोड़ने की खाई क़समें थी 
 सब कुछ थाम लिया हाँथों ने 
 स्वाभिमान ने ललकारा था 
जीत जंग अभिमान लिये
 हरियाली रूप श्रिंग़ार किये
दामोदर को संग बाँध लिया था 
नहीं देंगे !अपनी झाँसी 
अंग्रेज़ो को ललकारा था 
तेज़ घुड़सँवारी करने बादल को ललकार था 
लड़ते लड़ते कटार तेज़ से संग स्वाधीनता 
मंत्र फूँक रही थी !
जीत एहसास जगा रही थी 
कायरता को दूर भगाओ ! 
जागो जागो ऐ भारत वासी हिंदुस्तान हमारा हैं 
बच्चों ने अब जान लिया है 
वह थी हमारी बहादुर झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई थी  
अनिता शरद झा रायपुर
[27/09, 3:58 pm] शुभा 👅शुक्ला - रायपुर: मेरी बेटी मेरा प्रतिरूप

फूलो सी मुस्काती है जो लता सी लहराती है  
गजब की शीतल सुंदर चितवन सबका मन हर्षाती है 

नन्हे नन्हे चरण पाद से पूरे घर को गुंजाती है 
कोमल मधुर आवाज से सभी का मन मोह जाती है 

कभी भाई से झगड़ती कभी उसपे ही प्रीत लुटाती है 
सखियों संग करती अटखेलियां चिड़िया सी चहचहाती है

पापा से मनवाती अपनी सारी बाते रोज अकड़कर 
कैसी भी परिस्थिति हो सामना करती हंसके डटकर

दादा दादी की प्यारी पोती नाना मामा की संगी साथिन
मयूथाई की सिल्वर मेडलिस्ट सुर संगीत में महारथ हासिल

विषम परिस्थितियों में भी मुस्काती रहती 
 जैसे मिलती सदा उसे एक अनोखी दिव्य शक्ति

छोटे भाई बहनों की दीदी प्यारी मेरी सुकोमल राजकुमारी
अपलक निहारती रहती हूं उसकी मनमोहक छवि न्यारी 

गर कभी मैं उदास हो जाऊं तो पूछे बोलो क्या हुआ मम्मा
बालपन से निकल अचानक बन जाती वो मेरी सासू अम्मा

मेरे लिए तो मेरी बेटी है लक्ष्मी सरस्वती का ही स्वरूप
जिसका इतना अद्भुत रूप मेरी बेटी रचना मेरा प्रतिरुप

शुभा शुक्ला निशा
रायपुर छत्तीसगढ़
[27/09, 4:05 pm] +91 98822 39135: 🙏मंच को नमन🙏
     🌻 बेटी🌻
बेटी है एक अनमोल फूल
इस बात को तुम मत भूल
बेटी है तो सब कुछ है
बिन बेटी सब जग सून
बेटी है तो महके घर आंगन
इस बात को तू मत भूल
बेटी को है जिसने अपनाया
उसने सबसे बड़ा धन है पाया
बेटी को है जिसने किया अपने से दूर
वह मानव नहीं राक्षस है इस बात को तु मत भूल
बेटी नहीं है धन पराया
बेटी तो है कुबेर खजाना
जिस ने बेटी को है अपनाया
उसने जीवन में है सब कुछ पाया
जिस घर के आंगन में बेटी खेले
उनके घर लगते हैं खुशियों के मेले
बेटी को जिसने किया अपने से दूर
उसने कर दी जग में सबसे बड़ी भूल
बेटी को है जिस ने ठुकराया
वह है सबसे ज्यादा पछताया
श्रद्धा ममता का भाव है बेटी
माता पिता का मान है बेटी
बेटी है तो सब रिश्ते हैं
बिन बेटी सब रिश्ता अधूरा

🌻नीरज कुमार हिमाचल प्रदेश🌻
[27/09, 4:31 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: 🌹 कविता🌹
     शीर्षक - बेटी
******************

बेटी बेचारी मां की कोख से बोल रही है । 

  मां कर दे मुझ पर एक उपकार । 

मत मार मुझे मां मुझे दे दे जीवन दान ।  

 मां मुझे दे दे जन्म मुझे भी देखने दे ये संसार । 

 मना लेना मां पापा को और मना लेना मां दादी को भी ।            

आने देना मां मुझे भी इस निष्ठुर संसार में । 

दादी भी तो नारी है और मां तुम भी तो हो नारी । 

 फिर क्यों मां मेरे ही जीवन पर चल रही आरी । 

 बेटी ही बनती है बहन बेटी ही बनती है दुल्हन तुम्हें बेटी से ही बनता है ये परिवार । फिर क्यों रहता है इतना परहेज बेटी से । 

घर की रौनक होती है बेटी बेटी ही करती है घर आबाद । 

जानो बेटी को उसके दर्द को उसके के महत्व को।   

और आने दो बेटी को को ,करने दो
[27/09, 4:42 pm] अंजली👏 तिवारी - जगदलपुर: बेटी
******
मेरे घर आई एक नन्ही परी
सुन्दर सलोनी खुबसूरत हंसी
दिखने में गुड़िया सी लगती
क़िस्मत से मुझे भगवान से मिलि
मेरे घर आई एक नन्ही परी
मेरे घर आई एक नन्ही परी
सबकी है प्यारी दुलारी
जब हंसती खिलखिलाकर हंसी
गुंजता है सारा घर में ध्वनि
चलती है जब बजती है पैरों की घुंघरू
सारा घर हो जाता है खुशी 
देख देखकर उसको 
उसके हर रूप को 
हर पल को खुशी से बिताए हम
हर लम्हा दिल है यादगार बनाये हम
सजाकर रखें उसकी हर यादों को
जायेगी जब ससुराल 
तब याद आयेगी उसकी हर पुरानी बात
मेरे घर आई है एक नन्ही परी
मेरे घर आई है एक नन्ही परी
🌹🌹🙏
अंजली तिवारी मिश्रा जगदलपुर छत्तीसगढ़
[27/09, 6:04 pm] रानी अग्रवाल: २७_९_२०२१,सोमवार।
अग्निशिखा मंच।
विषय_बेटी। विधा _बालगीत।
ओ मेरी प्यारी बेटी!
तुम खुशियों की पेटी।
हीरे_ सी तुम्हारी मुस्कान,
जवाहरात_ से तुम्हारे भाव महान,
सोने_ सी चमक तुम्हारी,
चांदी _सी दमक तुम्हारी,
तुम में सारी दौलत सिमटी,
ओ मेरी न्यारी बेटी।१।
जब तुम जीवन में गईं आ,
पुकारा तुमने जब कह "मां",
ममता उमड़ी,मातृत्व जगा,
बनी तुम जीवन और जां,
पाल_पोसकर बड़ा किया,
पैरों पर अपने खड़ा किया,
उड़ गई विदेश, बन पंछी,
ओ मेरी दुलारी बेटी।२।
ब्याही गई,हुई पराए घर की,
सेवा कर जिंदगी संवारी वर की,
बच्चों की सुंदर देखभाल करती,
लुटाए ममता उनकी विपदा हरती
हर कार्य में दक्ष,जिम्मेदारी सर ली
ससुराल पक्ष को भी,खुश कर ली,
ले_देकर प्रेम_प्यार की भेटी।
ओ मेरी विशाल हृदय बेटी।३।
कौन जानता था, जाओगी परदेस
छूटेंगे अपने,छूटेगा अपना देस,
जब बनतीं तुम मेरी सहेली,
छोड़ गईं तुम,मुझको अकेली,
सात समुंदर पार बसीं,
      इन्हें न पाट पाएंगे,
कब लौटोगी,कब आओगी?
       बस यूं ही बाट जोहेंगे,
ये आस न जाए मेटी,
ओ मेरी भाग्यवान बेटी४।।
स्वरचित मौलिक रचना___
रानी अग्रवाल,मुंबई,२७_९_२१.
[27/09, 6:13 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन
आज का विषय* *बेटियां*

ईश्वर का वरदान है बेटियां
दोनों कुलांको जोडती है बेटियां
उसके आगमन से कहते हैं 
रिश्तेदार पहली बेटी धन की बेटी।

उसके आगमन से जगाती 
तकदीर उसकी भोली सी मुस्कान
एक दिन होता है विवाह
मां पिता भयभीत भाई शंका
से हमारे फूलों से नाजुक बेटी पराए घर में कौन रखेगा ख्याल।२

आज के युग में प्रतिष्ठा पाते है बेटे
अपमानित होती है बेटियां
दहेज के खातिर चिता पर जलाई जाती है बेटियां।।३।।

भ्रुण परीक्षण करके गर्भ मे मारी 
मारी जाती है बेटियां कली निकलते ही आंख खोलते ही
मारी जाती है बेटियां।।४।।

स्वयमं काटों पर चलने को तैयार हे बेटियां ,स्वयंम कांटो पर 
चलते ही मुस्काराती है बेटियां।५।

सुरेंद्र हरड़े
नागपुर दिनांक २७/०९/२०१
[27/09, 6:14 pm] पुष्पा गुप्ता / मुजफ्फरपुर: 🌹🙏अग्नि शिखा मंच 🙏🌹
                विषय:* बेटी *
            बाल साहित्य रचना
             दिनांक 27/9/21
******************************
मेरी बिटिया रानी रे
तेरी मधुर कहानी है
जब से तू आई है
घर - खुशियाँ छाई है,,,,×2

सबके मन को तूने 
कितना तू रिझाई है,
दादा की प्यारी है-
पापा की दुलारी है,,,,×2
 
मेरी राज नंदनी तू,
तू परियों की रानी है
अब सबका मन मोहे
ये तेरी मधुर मुस्कान,,,,,×2
❤🙋🏻‍♀️❤
****************************
स्वरचित एवं मौलिक रचना 
रचनाकार- डॉ पुष्पा गुप्ता 
मुजफ्फरपुर 
बिहार
🌹🙏
[27/09, 6:14 pm] पुष्पा गुप्ता / मुजफ्फरपुर: 🌹🙏अग्नि शिखा मंच 🙏🌹
                विषय:* बेटी *
            बाल साहित्य रचना
             दिनांक 27/9/21
*******************************
तू है नन्ही मेरी जान
तेरी मधुर मुस्कान 
पंकज के है समान
सदा मन मोहे रे !!

मेरी बिटिया रानी रे
तेरी मधुर कहानी है
जब से तू आई है
घर - खुशियाँ छाई है !!

सबके मन को तूने 
कितना तू रिझाई है,
दादा की प्यारी है-
पापा की दुलारी है !!
 
मेरी राज नंदनी तू,
तू परियों की रानी है
अब सबका मन मोहे
तू मधुर चाँदनी है !!
❤🙋🏻‍♀️❤
****************************
स्वरचित एवं मौलिक रचना 
रचनाकार- डॉ पुष्पा गुप्ता 
मुजफ्फरपुर 
बिहार
🌹🙏
[27/09, 6:15 pm] Chandrika Vyash Kavi: नमन मंच
दिनांक:- 27/8/2021
विषय:- बेटी (बाल गीत) 

बेटी
****

 
  मैं मां-बाबा की परी हूंँ
    मैं बाबा की बेटी हूँ
 पिता की मैं लाडली हूँ तो
 मां का मैं सुनहरा सपना !

 मैं बेटी हूंँ ...

चिड़ियों की तरह चहकती हूंँ 
मुझसे घर भरा रहता है 
मैं घर की रौनक हूँ
मैं घर की शान हूंँ 
दो कुलों का सम्मान हूंँ !

मैं बेटी हूँ ...

मैं बहती नदियों की धार हूँ
     सृष्टि का आधार हूँ
जैसे खुशबु देता है लोबान
      बेटी बनती है सबके
       चेहरे की मुस्कान !

मैं बेटी हूँ... 

मैं आँगन का मंडप हूँ
मैं आँगन की वृंदा हूँ
    हाँ मैं कन्या हूँ
 कंजिका बन पूजी जाती हूँ
कन्यादान से बड़ा कोई ना दान
      इसीलिए तो ईश्वर भी
           बेटी को देते हैं
   सदा खुश रहने का अभयदान !

           चंद्रिका व्यास 
         खारघर नवी मुंबई
[27/09, 6:22 pm] स्मिता धारसारीया Mosi: नमन मंच 
बेटी 

बेटी तो वो बगिया का फूल है,
जो महकाये घर आंगन 
जिसकी क़दमों की आहट से,
 खिल उठता सूना मन ,
अम्मा की लाडो बाबा की गुड़िया,
 जो मिटा दिल का भारीपन 
जिसकी किलकारी से ,
गूंज उठता घर हरदम 

अम्मा की होती है परछाई और दर्पण जिसमे दिखता माँ को अपना बचपन 
नाज है बेटी ,साज है बेटी,
 होती है सबकी शान 
कभी सरस्वती ,कभी दुर्गा ,
कभी काली ,कभी सीता है बेटी ,
कुदरत का वो अंश है बेटी ,
जिससे बढ़ता वंश है ,
सृष्टि कर्ता , पालन कर्ता होती है बेटी ,
एक नहीं दो घर सॅवारती है बेटी ,
रहने दो ,जीने दो ,
कोख में उसे पलने दो ,
धरा पर जनम उसको लेने दो |
वो नहीं तो कुछ नहीं ,
रहेगा सूना ये संसार 

बेटियों का मान करो ,सम्मान करो , मत उनका अपमान करो ,

स्मिता धिरासरिया ,बरपेटा रोड
[27/09, 6:33 pm] 👑मीना त्रिपाठी: *बेटी*

मेरे पंख न कतरो मां
मुझे जीभर आज उड़ लेने दो न!
मैं नन्ही सी कली, तेरे ही बाग की
बगिया में अपने आज...
मुझको भी महक लेने दो न!
तेरे ही अंश का टुकड़ा मैं..
तेरी ही तो बिटिया हूं
जाने कल, कब , कहां ...
किस देश चली जाऊं..
मुझको भी तो आज जीभर
आंगन में चहक लेने दो न!
*मीना गोपाल त्रिपाठी*
*27 सितम्बर 2021*
[27/09, 6:48 pm] 💃💃sunitaअग्रवाल: शीर्षक_ कन्यामान 


आओ, हम एक कदम ऐसा बढ़ाए
कन्यादान कहने की बजाय, कन्यामान कहें,❤️

कन्यादान शब्द के मायने दान कर देना ,
क्या फिर वो ना सोचे माँ पिता का घर मेरा ,
प्राचीन , रीति रिवाज, आडम्बर हम सब मिलकर बदल डालें,  
कन्यादान नही, कन्यामान करें हम ,
आओ हम एक कदम ऐसा बढ़ाए,

आज समय बदल गया है, बदल रहा है,

पुरानी प्रथाओं को बदल डालें हम
जंजीरों को तोड़े हम कन्यादान नही , कन्याशान कहें हम ,
आओ , हम एक कदम ऐसा बढ़ाए___
दे सोच ऐसी बेटी को दोनों कुल की शान बन जाए,
सास ससुर मे ही मात पिता के दर्शन पाये,
सात फेरों का बन्धन नही, पूरे परिवारके साथ होता है गठबन्धन
न कहे कन्यादान,
कहे सब मिलकर कन्यामान, कन्याशान ,
आओ, हम एक कदम ऐसा बढ़ाए____

सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश स्वरचित 🙏🙏
[27/09, 6:55 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: अग्निशिखा मंच 
विषय- बेटी
शीर्षक -प्यारी बेटियां 

बेटियां चांद की चांदनी 
लगे निखरी और निराली 
घर- बगिया की फुलवारी 
गूंजे चहुँ-ओर किलकारी।

मां की ममता पिता की दुलारी 
बेटियां दो कुलों को सवाँरती
भैया- भाभी की बहन लाडली 
धरा की खूबसूरत निधि बिटिया रानी।

बेटियों को गर्भ में मत मारो
संसार में उनको जन्म लेने दो
बेटियों को संस्कारित करो
कन्यादान है सबसे शुभ-दान
इस दान से वंचित मत रहो।

 डॉक्टर अँजुल कंसल "कनुप्रिया"
27-9-21
[27/09, 6:56 pm] आशा 🏆🏆जाकड इन्दौर: बाल गीत 

प्यारी बिटिया हूँ

मैं एक नन्ही सी गुड़िया
मैं इक प्यारी सी बिटिया 
आंखों में मेरे ढेरों सपने 
अपनी दादी की मुनिया।

मैं मम्मा की प्यारी बेटी 
मैं हूंँ पापा की न्यारी बेटी 
मैं हूंँ सबकी राजदुलारी 
मैं दादा की लाड़ली बेटी।

खूब पढ़ूंगी खूब लिखूंगी 
जग में ऊंचा नाम करूंगी
भैया जैसा ऊँचा पढ़कर
सारे ही सपने पूरे करूँगी।

बिटिया ही घर की शान है 
 बिटिया मोहक मुस्कान है 
 बिटिया से घर की रौनक है
बिटिया घर का अभिमान है।

.मैं ही भैया के राखी बाधूँगी 
 माथे पर तिलक लगाऊंगी 
 जब भी दीपावली आएगी 
भैया संग फुलझड़ी चलाऊँगी।


मैं भारत की जागरूक बेटी,
मुझे पढ़ना और पढ़ाना है।
अब न किसी से डरूँगी में 
मुझे भी वीरांगना बनना है ।।

आशा जाकड़

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