30/09, 11:41 am] Alka Pandey 1: चित्र पर
३०/९/२०२१
तुम्हे बाहो में भर कर तेरी ख़ुशबू ले लेता हूँ ।
रूप सुधा का स्वाद तुम्हारा मूंद पलक चख लेता हूँ ।।
तेरी धड़कन का सरगम आँख बंद कर सुन लेता हूँ ।
अहसासों की छुअन तुम्हारी जेहन के कोने रख लेता हूँ ।।
भर लेता हूँ तुम्हें सांस भर अपने जी के कोशों में ।
तेरी कोमल स्पर्श से सुख का अनुभव कर लेता हूँ ।।
रात दिन बस तेरा ही ख़्वाब सजाया करता हूँ ।
रहते हो तुम मुझमें बेखुद सा मैं रह लेता हूँ ।।
तेरी सुदंर मूरत आँखों में बसाया करता हूँ ।
छितराई सी छवि तुम्हारी छाई है मन के अम्बर में ।।
हम दोनों दो किनारे मिलने को आतुर रहते हैं ।
मिलती है जैसे एक नदी तुम्हारी मेरे एक समंदर में ।।
हर धड़कन में तेरा नाम गुनगुनाता रहता हूँ ।
धड़क रहा है मेरे सीने में शायद साज तुम्हारा है ।।
धड़कन बन तुम मुझमें रहती हो तेरा यह अन्दाज भी प्यारा है.
तेरी हर अदा पर मैं बलिहारी हो जाता हूँ ।।
अलका पाण्डेय
[30/09, 12:18 pm] Anita 👅झा: चित्र आधारित रचना
ये जीवन नव बसंत बहार लिये है ,
खिलें है ऐसे ऐसे फूल जिसकी
ख़ुशबुओं से चमक उठा जीवन संसार है ।
एक तुम हों तो मौसम में भी बहार आ जाती हैं ।
बिजली की चमक बन छा जाती हैं
ख़ामोश ज़िन्दगी में रोशनी छा जाती हैं।
जागती अजंता एल्लोरा की तस्वीर बन जाती हैं ।
एक तुम हो तो मौसम बहारों का हैं
हो रहा हैं ,वसंतऋतु का आगमन
खिल रहे है ,टेशुओ के फूल
आ गया है ,निखार बसंत बहार का हैं
एक तुम हो तो मौसमी सपने
बहारो का पैग़ाम दे जाती हैं
खिलती कलियों फूल बन
ख़ुशबुओं से मुस्कान छा जाती हैं
बस ,एक तुम हो शबाब बन
रंगीन ख़्वाबों को सज़ा
ख़्वाईसों का नशा चढ़ा जाते हो
उम्मीदों का जहाँ बसा जाते हों
एक तुम हों अन्तिम पड़ाव में भी
आँखों की चमक बन कर
शृगार साज के साथ तुम्हारा हों
कभी साज टूटे ना कभी आस छूटे ना
और कभी ये साथ कभी छूटे ना
अनितशरद झा रायपुर छतीसगड़
[30/09, 12:23 pm] विजेन्द्र मोहन बोकारो: मंच को नमन
विषय;-- *चित्र पर आधारित कविता*
बड़ी ही हसीन शाम थी वो तुम्हारे साथ की।
आप तक खुशबू हाथ से नहीं गई तेरी कलाई का।।
तुम्हारी जुदाई अब बर्दाश्त नहीं होती
सोचता हूं जाते-जाते कहीं भी मुलाकात हो जाए मेरे नजरों ने बार-बार तलाश करती है।।
दिल की बात तुमसे कह नहीं सकते
बिन कहे भी जी नहीं सकते।
ऐ प्रभु!! ऐसा हो जाए हम से आकर कहे कि तुम्हारे बिना जी नहीं सकते।।
विजयेन्द्र मोहन।
[30/09, 12:24 pm] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: वीना अचतानी
****चित्र पर आधारित कविता ******
जली स्नेह की भीगी बाती ,
शुभ्र प्रकाश बढ़ा प्रति पल,
गलबही दे दे मुखरे स्वर,
नित मूक गीत गाया करते,
मेरी वीणा के मूक तार,
आओ तुम्हें करूँ जीभर प्यार,
पलक में छिपा लूं,
ह्रदय में बसा लूँ,
अगर प्राण तुम स्वप्न ,
में भी मिलो तो,
गले का हार बना दूँ ।।
चरण भी थके आयू ,
की सीढ़ियों पर,
कहाँ तक डगर को बुहारू,
तपन से बचालूँ,
अगर प्राण तुम स्वप्न ,
में भी मिलो तो,
गले का हार बना दूँ ।।
रूँधा है कंठ, आँसूओं,
की झड़ी है बुलाऊँ,
तुम्हे स्वरों में क्या बताऊँ,
अगर प्राण तुम स्वप्न,
में भी मिलो तो ,
गले का हार बना दूँ, ।।
बैठ निराशा के तट पर,
आशा के दीप जलाऊँ,
आँसू की स्याही से लिख लिख,
कितने गीत सुनाऊँ,
गीले शब्दों में ,प्यासे छन्दों में,
तुम्हें पुकारूँ,
अगर प्राण तुम स्वप्न ,
में भी मिलो तो,
गले का हार बना दूँ ।।।।।
मौलिक,,
वीना अचतानी,
जोधपुर (राजस्थान),,,
[30/09, 12:30 pm] वैष्णवी Khatri वेदिका: 1st 61 ए हमनशीं
1 ए हमनशीं तुझे मालूम नहीं,
हम हैं परवाने तेरे नाम के।
कम हम भी नहीं कर ले यकीं,
वादानशीं हम हैं दीवाने तेरे नाम के।
2 हम जैसों की आजमाइश
होती रही है इस दयार में।
शुबा न कर तुम पर फ़िदा,
फना हो गई तेरे प्यार में।
3 इस ज़माने में हम सा दीवाना
कभी न ढूंढ पाओगे।
यदि ठुकराया तो इस जन्म में
तो सच्चा प्यार न पाओगे
4 प्यार खुदाई है सब धर्मों से
ऊपर हुआ करता है
इसे कम न समझना ये रब सा
पाकीज़ा हुआ करता है।
5 सिर्फ पाने का नाम ही
इश्क या प्यार नहीं हुआ करता ।
सब कुछ खोने में भी प्यार का
इज़हार हुआ करता है।
वैष्णो खत्री वेदिका
जबलपुर
[30/09, 12:33 pm] Nirja 🌺🌺Takur: 
अग्निशिखा मंच
तिथि-२८-९-२०२१
विषय - चित्र पर कविता
तुम पास आये कार्तिक
मन मेरा हर्षित हो गया।
तुम बिन कहीं भी
लगता नहीं था मन मेरा।
पहली बार जो देखा तुमको
मेरा मन तुममे़ ही खो गया।
वादा करो तुम, कभी भी
मुझे छोड़ कर ना जाना।
वादा करता हूंँ नायरा
हाथ तुम्हारा कभी ना छोड़ूंगा
तुम्हारी जिंदगी को यूं ही
महकाये रखूंगा।
पर एक वादा तुम भी करना
जिंदगी के इस खेल में
शतक हम बनायेंगे।
जवानी के साथ-साथ
बुढ़ापे को भी महकायेंगे।
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोंबिवली
महाराष्ट्र
[30/09, 12:34 pm] शेभारानी✔️ तिवारी इंदौर: चित्र पर आधारित कविता
मैं तुम्हें अपने बाहों में भर लेता हूं ,
श्वासों की खुशबू महसूस करता हूं,
तुम कुछ भी नहीं कहती हो फिर भी,
मैं तुम्हारे मनोभाव में समझ लेता हूं ।
तुम्हारे कोमल स्पर्श से रोमांचित हो जाता हूं ,
घुंघराले बालों की घनी छांव में,सुख पाता हूं,
तुम्हारे झील सी आंखों में डूब जाना हूं मै ,
तुम्हें अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं।
श्रीमती शोभा रानी तिवारी अक्षत अपार्टमेंट खातीवाला टैंक इंदौर
[30/09, 12:34 pm] वीना अडवानी 👩: प्रेम रस में भीग तेरे
खो गई मैं सांवरे।।
तुझ बिन लगे मैं अधूरी हूं
सुन मेरे ओ बांवरे।।
लग सीने से तेरे मैं खो
जाती ख्वाबों में।।
छोड़ना ना तुम साथ मेरा
वरना हो जाऊंगी बांवरी।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
*****************
[30/09, 1:37 pm] रजनी अग्रवाल जोधपुर: चित्र आधारित कविता
1.रूप देखकर लगे हैं, कामदेव रति साक्षात, बलियारी स्वरूप की , नयना है जिनके विशाल ।
2. इक चंदा इक चांदनी ,
चारों ओर है प्रकाश,
ज्योति से जगमग करे, कैसे लिखूं वृतांत ,
सखी री,,,,,
3 कनक छवि सी कामिनी,
दमके रूप प्रकाश ,
दो नैना ऐसे लगे , सूरज चंदा साथ ।
सखी री,,,,,
4. मोहक रूप बनाए के ,
दोनों साधे मौन ,
दो जिस्म एक जान से, जीवन रहे दिखाएं ,
सखी री,,,,,
5. ऐसी है मन मोहिनी, कुमुदिनी हर्षे जल माय ,
ऐसी छवि सुहावनी, चित् को दे भरमाए ,
सखी री,,,,,,,
स्वरचित कविता
रजनी अग्रवाल
जोधपुर
[30/09, 1:40 pm] 👑सुषमा शुक्ला: कविता विधा शीर्षक
*प्रेम ऋतु*
,,
तेरे संग संग रैन बीती
आए दिल को करार, मनभावन मधुर रितु ने
, मन में उमंग जगाए।
जीवन में हर पल बसंती,,
छटा हृदय पर छाई,, जब से तुम जीवन में आए, मन मेरा गीत गाए।
राह तकते नैन कोरे भीग गई,,
पल पल क्षण क्षण,,
तकते तुझे मन
मनभावन आया उपवन।
अब विरह का हो गया अंत,,
आया देखो फिर से वसंत,,
तनिक ज़रा सुख की सांस भर लूं,,
खुशी के अश्रु अर्पित कर दू।।।
प्रथम दिवस आई थी,,
सोलह सिंगार करके तेरे आंगन में।,,
वही दिवस राते दी तुमने,,,
हर पल तेरे आंगन में🙏🙏🙏🙏
स्वरचित रचना
सुषमा शुक्ला इंदौर🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
[30/09, 1:43 pm] डा. बैजेन्द्र नारायण द्िवेदी शैलेश🌲🌲 - वाराणसी - साझा: आदरणीय मंच को नमन
एक रचना:चित्र पर आधारित
----------+
जीवन के एकांत क्षणों मे,
होते हो जब मेरे पास।
प्रेम तुम्हारा ह्रदय पटल पर , लिखता एक नवल इतिहास।।
धड़कन बढ़ जाती है हिय की सांसो में फिरता आ जाती भुज बंधुओं के बीच सिमटता आकर वह व्यापक आकाश ।।
बंद नयन देखते चतुर्दिक हरित प्रकृति की रम्म छटा
उन्हें संजौ लू मध्य पलक के होता अपना यही प्रयास ।।
सुरभि सनी पावन मादकता
भर देती है तन को मन को सहज समर्पण प्रीति पुंज का निर्मित करता शुचि विश्वास।।
[30/09, 2:05 pm] निहारिका 🍇झा: नमन अग्निशिखा मंच
विषय ;-चित्राभिव्यक्ति
दिनाँक;-30/9/2021
बाहों में तेरी रहें हम सदा
चाहत बढ़े सदा इस तरहा।
बना साथ हरदम तब तक रहे
जैसे चंदा और सूरज जब तक रहें।
तेरा साथ हमको प्यारा लगे
सिमट के जब भी बाहों में आये
जाएं भूल हम सारा जहाँ।
जीवन के हर पल में सँग सँग रहना।
खुशियाँ हों या ग़म सदा साथ सहना।
तेरा साथ जब तक हमें है मिले
दोनों जहाँ हमको इक़ सँग मिले।
बिछड़ना नहीं करना वादा सदा
बाहों में तेरी रहें हम सदा।।
निहारिका झा🙏🙏
।
[30/09, 2:08 pm] रामेश्वर गुप्ता के के: ।प्यार ।
तेरे प्यार के इस पास में,
जाने कहाँ खो गया हूं।
मन पंख नहीं पकड़ में,
तुम्हारा यारा हो गया हूं।।
तेरे........................ 1
यह जीवन मेरा सफल है,
तुम्हारा एक साथ मिला,
जीवन का मिला निचोड़,
तुम्हारे आगोश आ गया हूं।।
तेरे........................ 2
जिन्दगी में क्या रखा है,
किसी का साथ न मिला।
किसी से कह दो चुपके से,
मै आगोश में खो गया हूँ।।
तेरे......................... 3
यह समय कटता नहीं है,
तुमसे जो बात नहीं होती।
तुम कहीं यूं जया न करो,
तुम्हारा मै पूरा हो गया हूँ।।
तेरे...............…..........4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
[30/09, 2:08 pm] ♦️तारा प्रजापति - जोधपुर: अग्निशिखा मंच
30/9/2021 गुरुवार
विषय-चित्राधारित रचना
जीना क्या है,बिना तुम्हारे,
जीवन सूना,बिना तुम्हारे।
पंख मेरे,परवाज़ है तेरी
गीत मेरे,आवाज़ है तेरी,
संगीत सूना, बिना तुम्हारे
जीवन सूना-------------
बाहों के घेरे में तुम्हारे
जागे हैं अरमान हमारे
दिल से हुए हम तो तुम्हारे
जीवन सूना-----------
तुम मेरे नैनों की ज्योति
सीप में जैसे होता मोती,
कुछ भी नहीं मैं,बिना तुम्हारे
जीवन सूना ---------------
फूल- फूल में सुवास तेरी
तुमसे रौशन,दुनियाँ मेरी,
सब है अधूरा बिना तुम्हारे
जीवन सूना--------------
दिल मेरा तू इसकी धड़कन
जाने न तू दिल की तड़पन,
स्वांस न चलती,बिना तुम्हारे
जीवन सूना--------------
नींद हमारी, स्वप्न्न तुम्हारे
हम तो तुम पर जीवन हारे,
न जी पायेंगे, बिना तुम्हारे
जीवन सूना ----------------
तारा "प्रीत"
जोधपुर (राज०)
[30/09, 2:20 pm] चंदा 👏डांगी: $$ चित्र आधारित रचना $$
लम्हे ये प्यार के ,कभी खत्म न हो
तुम मुझमे,मै तुम मे खो जाऊं
कोई दूसरी बात न हो
परिवार से हम है बने
परिवार हमारा है
कभी मैं रूठ जाऊं , मुझको मना लेना
तुमको कभी रूठने दुंगी नही
प्यार की खुशबू, फिजाओं मे है
हम जब एक दूसरे की बाहों मे है
जीत लेंगे हर जंग जिन्दगी की
जब तक एक हमारी सांसे है
तुम बिन कुछ भाता नही
कोई ओर मुझे सुहाता नही
ये लम्हा ही गवाह है
प्यार के हमारे
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
रामटेकरी मंदसौर मध्यप्रदेश
[30/09, 2:43 pm] रवि शंकर कोलते क: गुरुवार दिनांक ***३०/९/२२ विधा**** काव्य
विषय***
#****चित्राधारित रचना*****#
^^^^^^^^^^^
तुम्हारी बाहों में मुझे रहने दो ।
इश्कका दरिया यूं सदा बहने दो।।
अब ये साथ ना छूटेगा हमारा ।
जग को जो कहना है कहने दो ।।१
हम एक हैं हरदम एक ही रहेंगे ।
इस जालिम दुनियाके ताने सहेंगे।।
जीने मरने की खाई है कसमें ।
हम रस्मेउल्फत हर हाल निभाएंगे ।।२
हम तुम मिले हैं ये खुदाकी मर्जी है ।
रब ने कुबूल की हमारी अर्जी है ।।
तुमसा साथी पाना बात है नसीब की ।
प्यार उन्हें नमिले जो होते खुदगर्जी हैं ।।३
तुम्हारे बिना ये दुनिया वीरान है ।
जैसे चांद बिना सूना आसमान है ।।
सफर कटता नहीं एक दूजे बिना ।
धड़कते दिल बिना भी अरमान नहीं ।।४
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
[30/09, 3:35 pm] आशा 🌺नायडू बोरीबली: चित्र पर आधारित 🌹******************🌹🌹🌹🌹🌹🌹
खो गई मैं अतीत में देखती रह गई चित्र मैं।
प्रगाढ़ता तुम्हारी बाहोंकी उभरती हुई सांसों की।
कसती रही मैं, लिपटती रही मैं ।
स्वप्नलोक में नहीं यथार्थ की गोद में ।
तुम इतने करीब थे धड़कने बढ़ती रहीं ।
तेज होती सांसों ने बांध लिया बाहों में ।
मैं भी निढाल हो गई कस के पकड़ लिया तुम्हें
कहीं छूटन जाओ बाहोंसे
कभी सोच न पाई थी यह करीबी पाऊंगी ।
आनंदानुभूति में यौं डूब कर रह जाऊंगी।
अहा! काश, ठहर जाता ये वक्त बंधे रहते ,हम तुम सदा यूं ही बाहों में।
*******************
स्वरचित रचना
डाॅ . आशालता नायडू .
मुंबई . महाराष्ट्र .
*******************
[30/09, 3:54 pm] ओम 👅प्रकाश पाण्डेय -: 
अब जिन्दगी तुम्हारे हाथ में ( चित्र पर आधारित कविता) ----- ओमप्रकाश पाण्डेय
अचानक जब तुम मिल गई
उस दिन एक सफर के बीच में
देखता रह गया तुम्हें
बस देखता ही रह गया मैं
बस तबसे तुम ही दिखती हो
मन में मेरे हमेशा ------1
दे दिया दिल मैंने अपना
बस यही सोच कर
शायद यह दिल तुम्हारा ही था
अब यह फिर से तुम्हारा हो गया
अब तो यह तेरी ही मर्जी है
रक्खो इसे या तोड़ दो -------2
न तो कुछ चाहा था तुमसे
न तो अब भी कोई चाहत है
बस दिल में केवल तुम ही रहो
हर वक़्त आंखें देखें तुम्हें
दिल तो मेरा आईना है
देखो इसे या तोड़ दो....... 3
शायद ऐसा कोई लम्हा गुजरा हो
जब तुम न रहती हो ख्यालों में
नींद में हूँ या जग रहा मैं
बस तुम ही दिखती हो मुझे
खत यह भेज रहा हूँ मैं
पढ़ो इसे या फिर फाड़ दो.......... 4
( यह मेरी मौलिक रचना है --- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[30/09, 5:21 pm] अंजली👏 तिवारी - जगदलपुर: तुम मेरे हो मैं तुम्हारी हूं
आ जाओ मेरे करीब
एक दूसरे को जाने
एक दूसरे को समझें
रहे न कोई शिकवा शिकायत
आपस में कोई बेर न हो
एक दूजे को समझने में लग जाय
आओ हम प्यार में खो जाये
ना ही किसी की चिंता
ना ही किसी का डर
जब प्यार किया है तो काहे का डर
रचनाकार
अंजली तिवारी मिश्रा जगदलपुर
[30/09, 5:48 pm] Mamta SR🍇: ओ मेरे ख्वाबो के शाहजहाँ
तुम ही तो मेरे जाने जहाँ
ठंडी हवाएं ,महकती फिजायें
तुमको बुलाती हैं मेरी निग़ाहें
तुम्हारी नजर से मैं देखूं जहाँ
जहां ले चलोगे चलूंगी वहाँ
तुम्ही तो मेरे मुकम्मल जहाँ
तुमने न पूँछा न हमने कहा
तुमसे जुदा मेरा कुछ न रहा
तुम्हारे भरोसे पे दोनों जहाँ
ममता सिंह राठौर
[30/09, 6:09 pm] +91 98822 39135: मंच को सादर नमन
चित्र पर आधारित रचना
देखू मैं हर पल तुम्हारे ही सपने
आलिंगन में बांध लो तुम मुझे अपने
खो जाऊं मैं तुम्हारे प्यार में इस तरह
कृष्ण की दीवानी हुई थी मीरा जिस तरह
पास जब तुम मेरे आते हो
जीवन को मेरे महकाते हो
इक पल की दूरी बर्दाश्त नहीं होती तुम्हारी
तुम राजा हो मेरे मैं रानी तुम्हारी
तुम्हारी आहट से ही मैं बावरी हो जाती हूं
सीने से तुम्हारे लग कर सारे गम भूल जाती हूँ
अपने हाथों में मेरा हाथ लिया था जब तुमने
जीवन बदल गया था मेरा जब प्यार से छुआ था तुमने
सब और तुम ही तुम मुझे नजर आते हो
फिर प्यार की उम्मीदों का दिया जला कर क्यों बुझाते हो
इस तरह चाहो तो मुझे सुद्ध बुद्ध में खो जाऊं
तुम्हारे प्यार में मैं इस दुनिया को भूल जाऊं
नीरज कुमार
हिमाचल प्रदेश
[30/09, 6:11 pm] रागनि मित्तल: जय मां शारदे
***********
अग्निशिखा मंच
दिन -गुरुवार
दिनांक- 30/9/2021
चित्र आधारित रचना
एक दूजे में खोए दोनों टूट के करते प्यार ।
हाथ में पकड़े हाथ हैं, भूल गए संसार।
प्रीतम की बाहों में होते सपने सब साकार।
एक दूजे के आलिंगन में प्यार की है भरमार।
मेरा मन करता,ये क्षण यही रुक जाये।
हम दोनो एक दूजे में पूरी तरह समाये।
नहीं छोड़ेंगे हाथ तेरा, कमर में जो है डाला।
मैं बन किशन कन्हैया ,तू बन जा गोपी बाला।
रागिनी मित्तल
कटनी, मध्य प्रदेश
[30/09, 6:13 pm] सुरेन्द्र हरडे: अग्निशिखा मंच को नमन
🌺🌺🌺🌺🌺
विषय *चित्रपर आधारित रचना*🌺🌹🌺🌷🌸
तुम्हारा साथ कितना प्यारा है
तुम्हारा प्यार जीने का सहारा है
हम दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं
मै कश्ती हूं तू मेरा किनारा है।।१।
कभी तूम मुझे दगा नहीं देना
जीवनसाथी मुझे अपना बना लेना
दूर कभी मुझ से ना तूम जाना
तुम्हारी जुदाई एक पल भी सहेना
मै सदा ऐसे ही तेरी बाहों में रहूं
मेरे साथी तेरा हर दर्द मै सहूं
मैं कह नहीं सकूं तुम क्या हो मेरे
तुम देवता हो इतना ही मैं कहूं।।
सुरेंद्र हरडे
नागपुर
दिनांक 30/09/2021
[30/09, 6:48 pm] डा. अंजूल कंसल इन्दौर: अग्निशिखा मंच
चित्र देखकर रचना
मैं गीत तुम प्रगीत हो
मैं सरगम तुम स्वर हो
अब न कोई हार जीत है
सब ओर तुम्हारी जीत है।
मैं शब्द तुम अक्षर हो
मैं काव्य तुम कविता हो
मैं छंद तुम अलंकार हो
मैं रस तुम रस भरी गागर हो
ऐ प्रिये तुम वीणा की झंकार हो
मेरे दिल के तार तार झंकृत करो
तुम मेरे ख्याल- खयालों में रहो
मेरे ख्वाबों में बस यूँ ही बसी रहो।
डॉक्टर अंजुल कंसल "कनुप्रिया"
30-9-21
[30/09, 6:54 pm] रानी अग्रवाल: ३०_९_२०२१, गुरुवार।
विषय_चित्र पर कविता।
[Image 530.jpg]
शीर्षक_तुम राजा मैं रानी___
ये तस्वीर बयां करती,
तेरी_मेरी कहानी।
तुम एक राजा हो,
मैं हूं एक रानी।
बचपन बीता,आई जवानी,
ख्वाबों में आ गई रवानी,
कैसे_कैसे ख्वाब देखती?
हो गई शर्म से पानी पानी।
तुम कान्हा से संग रहते,
मैं बन गई राधे रानी,
अब क्या कहना_क्या सुनना?
बस एक दूजे में डूबे रहना।
मैं करती अपना सर्व अर्पण,
स्वीकार करो मेरा समर्पण,
तुम मर मिटे मुझ पर,
मैं बनी तुम्हारी दीवानी।
और क्या कहूं प्रियतम?
हर जन्म तुम्हारे साथ,
बिताने की ठानी,
ओढ़ लाल चुनरिया,
पहन हाथों में चूड़ियां धानी।
इस पूरे संसार में साजन,
नहीं कोई तुम्हारा सानी,
तुम एक राजा हो,
मैं हूं एक" रानी"।
स्वरचित मौलिक रचना____
रानी अग्रवाल,मुंबई,३०_९_२१.
[30/09, 6:56 pm] Nilam 👏Pandey👏 Gorkhpur: अग्निशिखा मंच नमन मंच
चित्र आधारित कविता
जब भी तुम मेरे पास होते हो
मैं पुष्प सी खिल जाती हूं
प्रेम बंधन में तेरे
मैं स्वतः ही बंध जाती हूं
भाती है मुझे तेरी
यह नादान शैतानियां
मेरे पास आने की तेरी
ये मासूम चालाकियां
तेरे स्वांस की तपिश से
मन मेरा कुंदन सा दमकता है
तुझसे ही मेरा श्रृंगार है
तेरे प्रेम का गहना मुझ पर चमकता है
तू तरु मैं बेल हूं
सदा तुझ से लिपटी रहूं
तेरे बांहों के आलिंगन में
मैं सदा सिमटी रहूं
स्वरचित कविता
नीलम पाण्डेय गोरखपुर उत्तर प्रदेश
[30/09, 7:01 pm] Chandrika Vyash Kavi: नमन मंच
दिनांक 30/9/2021
विषय -: चित्राधारित
तेरे साये में रहकर जीना है
तेरे साये में ही खो जाना है
जीवन का यह अमृत रस
तेरे साये से ही पाना है !
तेरा सर मेरे कांधे पर रखना
तेरे प्यार का इशारा है
प्यार मेरा मुझको मिल जाये
यही चाहना तो है मेरी !
है प्यार मेरा सागर से गहरा
तू नदी की धार
साथ हमारा जीवन भर का
सो मिलन तो होगा!
चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
[30/09, 7:19 pm] पुष्पा गुप्ता / मुजफ्फरपुर: 🌹🙏अग्नि शिखा मंच 🙏🌹
विषय : चित्र आधारित रचना
दिनांक:30/9/21
***************************
🌹
झुकी झुकी टहनियों
सी, झुकी झुकी बांहे
थाम- थाम चलना है,
ये जीवन की राहें !
गदराए मन की हैं
नाजुक सी बातें ,
कटे नहीं कटती हैं-
ये दर्द भरी रातें !!
फूलों से मिलना तो
काँटो पे चलना है,
झील सी आँखों में-
समन्दर सी तमन्ना है !!!
🌹
********************************
स्वरचित एवं मौलिक रचना
रचनाकार -डॉ पुष्पा गुप्ता
मुजफ्फरपुर
बिहार
🌹🙏
[30/09, 7:35 pm] साधना तोमर: तुम ही मेरे गीत हो,
तुम ही मेरी प्रीत हो।
तुम ही श्वासों में मेरी,
तुम मेरा संगीत हो।
जन्मों का बंधन है ये,
अर्पित तन मन है ये।
मैं तुम्हारी अर्धांगिनी,
बलिहारी जीवन है ये।
सदा ही रहे साथ है ये,
हाथों में रहे हाथ है ये।
कभी नहीं बिछुड़े हम,
कृपा करें नाथ है ये।
रहमतों की सौगात है,
मेरी क्या औकात है।
समझना सदा ही तुम,
मेरे मन के जज्बात है।
डॉ साधना तोमर
बड़ौत (बागपत)
उत्तर प्रदेश