सायली छंद - /अलका पांडे
Agnishikha manch
9/7/2021
1)
माता
कष्ट हरो
कोरोना से बचाओ
हमारा करो
कल्याण
2)
नवरात्री
आई है
पावनता लाई है
आराधना नित्य
करते ।
3)
जगत
सूना सूना
क़ैद घरों में
इंसान बेचारा
बेहाल ।
4)
कामवाली
आती नही
करते करते काम
कोरोना कोरोना
कोसती ।
5)
छुट्टियाँ
सब मनाते
औरतें फ़रमाइश पूरी
करने की
मशीन
कोरोना
महामारी आई
दुनियाँ पर आफ़त
मौत तांडव
करती !
डॉ अलका पाण्डेय
🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤
शुक्रवार -9/7/ 2021
विषय - सायली
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
कजरारे
बादल आए
चहुं दिस छाए
पपिहा बोले
पीयु।।
🎤
पवन
चले पुरवाई
घर स्वर्ग लगे
ऊंची अगर
अटारी।
🎤
पादप
झुक झूमे
वन वन फूले
झींगुर झनकारे
झी ..,।
🎤
खत
लिखती है
प्यार में विरहिन
घर आ
पिया।
🎤
चांद
छिप रहा
घन के पीछे
खेले आंखमिचौली
ज्यों।
🎤
कृषक
हुए खुश
हल जोतेंगे अब
बोएंगे फसलें
जमकर।
🎤
जमकर
जोता हल
उगाईं फसलें खूब
प्रश्न हुए
हल।
🎤
बंधु
लगाओ मास्क
रखो दूरी थोड़ी
जायेगा भाग
कोरोना।
🎤
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
वीना अचतानी
मंच को नमन
विषय *****सायली *****
राम ___________1
बल बुद्वि_________2
विद्या देहु मोहे_______3
कृपा निधान_______2
नाथ___________1
धरा________1
पर उतरी_______2
सितारों सहित बारात______3
पाकर तुम्हारा______2
साथ_______1
हारी________1
नहीं बावरी_____2
तकते हुए राह______3
तेरी मेरे________2
सांवरे________1
स्वरचित मौलिक
वीना अचतानी
जोधपुर ।।।।।
अग्नि शिखा मंच को नमन🙏
आज का विषय***
सायलो छंद
^^^^^^^^^
1:
जिंदगी
पंख कटी
चिड़िया जैसी घायल
रहती फड़फड़ाती
हरदम।
2:
महाभारत
आज तक
दोहराया जाता रहा
रूप अनेकों
धारकर।
3:
उजड़ा
आशियाना अपना
देख देखकर उसका
धीरज छूटा
आखिर।
4:
मंजिल
तक पहुंच
जिजीविषा बढ़ गई
पुलकित हुआ
मन।
स्वरचित***
लीला कृपलानी
**अग्नि शिखा मंच**
**9/7/2021**
**कोरोना से जंग*
**********************
दौड़ भाग भारी इस ज़िन्दगी पर लगा ये कैसा ब्रेक है।
आज पूरे जहां तक आ पहुंची विपदा एक है।
कोरोना है आज विश्व की सबसे बड़ी आफत।
कोरोना से बचने लिए अब सबको मिलकर दिखानी पड़ेगी ताकत।
खुद को अपने ही घर में छुपाने कि नौबत आन पड़ी है।
ये कैसी मुश्किल है जो बेबात हम सबके गले पड़ी है।
अब तो ना धन है ना दौलत ना दोस्ती है ना ही है रिश्तेदारी।
आज सबसे पहले खुद को बचाने की है बारी।
तू तो अपने घर से बाहर जाने की जिद पर ही अड़ा है।
जरा उस वीर का तो सोच जो तेरे लिए आज भी बॉर्डर पर खड़ा है।
वो तो हर पल बस इस दुनिया को बचाने की ही सोच में पड़ा है।
उन डॉक्टरों का सोच जो आज भी मरीजों के लिए यमराज से लड़ा है।
उनका परिवार तो आज भी उनका वक़्त पाने को तरस रहा है।
और तुझे वक़्त मिला है तो तू बादल बन अपनों पर ही गरज रहा है।
ऐ मूर्ख तुझे भी तो अपनी ज़िंदगी बचना है।
बस यही मौका है जिसमें तुझे खुशियों के कुछ पल बिताना है।
आज एक बार फिर हमें घर पर बैठ अपनी हिम्मत दिखाना है।
कोरोना से डर कर नहीं उससे लड़ कर हराना है।
आज नही तो कल आयेगा अपना भी जमाना।
स्वरचित
**बृजकिशोरी त्रिपाठी**
*गोरखपुर, यू.पी**
सायली,,,
प्रकृति______१
ओढ चुनरिया____२
हर पल रिझाती_____३
मनभावन मुस्काती______२
जाती___१
मैया
मेरी कबहू
खबर लीना तूने
राह निहारु
तेरी,
बिटिया,___१
राजकुमारी, राज दुलारी ___२
नैना पुतली हारी__३
राह तकू____२
तिहारी___१
🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित सुषमा शुक्ला
मंच को नमन
विधा-- *सायली*
शैली:-- गध
१)किसी....१
श्रमिक का...२
हथोड़ा सामने पड़ा...३
जैसे सोया.....२
थककर......१
२) किसी ....१
योद्धा का...२
तलवार भी थी....३
युद्ध में....२
जानेको ...१
३) सब। ...१
कुछ मुझसे....२
कांच के पीछे....३
लेकिन आंखों...२
सामने....१
४) मन.....१
किया बस ....२
इनमें बहुत सुंदर...३
बांसुरी उठाओ .....२
लो.....१
५) एक...१
बार बजाकर ...२
तो देखू तो .....३
मीठे सुर .....२
हैं.......१
विजयेन्द्र मोहन।
अग्निशिखा मंच
तिथि-९-७-२०२१
विषय- सायली छंद( १शब्द-२-३-२-१शब्द)
आये
कारे बदरा
रिमझिम फुहार हुई
मन बावरा
हुआ
बारिश
जो हुई
प्रकृति खुश हुई
हरियाली
छाई
तूफानी
बारिश में
टूट गई छतरी
भीग गई
मैं
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोम्बिवली
महाराष्ट्र
अग्नि शिखा मंच
बिषय **** सायली
प्रभू*****1
मुझ पर******2
कृपा करो दयासागर***3
मै हूं ***2
तेरी***3
दासी***1
जनम जनम****2
की दरशन दो*****3
हे अविनाशी****2
आई***1
हूं1
शरण तुम्हारी2
दया कऱो भोले3
भंडारी हे2
त्रीपूरारी1
बृजकिशोरी त्रिपाठी
गोरखपुर, यू.पी
नमन मंच
आज की विधा-सायली छंद
सादर समीक्षार्थ प्रस्तुत
सायली छंद
बैठी
मैं बावरी
सुध बुध खोकर
प्रेम विरहन
बनकर
पिया
आये नहीं
आज बरसे बदरवा
तरसाये मेरा
जिया
तुम
बिन सावन
काली घटाएं लगतीं
जैसे मेरी
दुश्मन
चली
तेज पवन
उड़ गई चुनरी
आये मोहे
शर्म
कोयल
कूक रही
अमवा की डाली
मोहे लागे
मतवाली
भौंरें
बड़े रसिया
फूलों पर मंडराए
ये बड़े
छलिया
साजन
भेजे पतिया
पढ़कर खत को
कट जाए
रतिया
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
सायली छंद
**********
विषय..मैं
**********
दिन
चाहता खामोश
रह कुछ दर्द
न बताऊं
मैं।।
पर
जज़्बात को
कैसे रोकूं दर्द
कैसे छुपाऊं
मैं।।
राज
रखना चाहती
पर कलम को
कैसे समझाऊं
मैं।।
ये
कलम कहती
हर राज लिख
सुनाऊं तो
मैं।।
कब
तक खुद
को रोक पाऊं
आंसू छुपाऊं
मैं।।
हर
राज लिख
दर्द पे मरहम
आज लगाऊं
मैं।।
वीना आडवानी
नागपुर, महाराष्ट्र
**************
शुक्रवार दिनांक **९/७/२१
व्वा**** सायली
विषय**** स्वेच्छिक
१) सुन
मेरे कन्हैया
तेरी राधिका तुझे
कबसे पुकार
रही
२) आज
कितनी मस्त
बरसात हो रही
भीगे दोनों
आओ
३) रंग
नए नए
भरे जीवन में
जीन के
लिए
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
आदरणीय मंच को नमन
शायली छंद के लिए कुछ प्रयास
--------
1-एक
बार मुझको
अपनी बाहों में
उठा लेते
श्याम ।
2--माता
तेरे चरणों
की धूल हूं
अपना प्यार
दो ।
3--मेरे
गांव पर
बड़ा सा मैदान
उगा जहां
हरसिंगार ।
4--
जीवन
चार दिन
का ही है
सभी को
नमन ।
++++++डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेद्वी शैलेश वाराणसी
अग्नि शिखा काव्य मंच को प्रणांम
विघा - सयाली छंद
प्रेम
प्याला भर
छक कर पी
खो होश
बेसुध
सावन
छाई घटा
नाच रहा मोर
पीहू पीहू
शोर
आकाश
दिखा इन्द्रघनुष
रंग खिले सतरंगी
छाई उमंग
उत्सव
कर्म
सदा कर
मत कर आस
फले विश्वास
सदा
भाग्य
सदा साथ
देता पुरूषार्थि का
कर्म कर
फल
मन
में सदा
रख सेवा भाव
आयेगा आनंद
परमानन्द
सरोज दुगड़
सादर समीक्षार्थ
🙏🙏🙏
जय मां शारदे
अग्नि शिखा मंच
दिन-शुक्रवार
दिनांक-9/7/2021
*सायली छंद*
1) मैया
तेरे भवन
आये हैं हम
दया करो
मां
2)आशिक
तू मेरा
सदियों पुराना है
तुझसे मेरा
नाता।
3) जीवन
सार्थक बनाओ
परहित मे सदा
आगे बढ़कर
आओ ।
4) मोहन
राधा तेरी
पनघट में बुलाये
राह तेरी
निहारे ।
5) पिता
पालक मेरे
मां जननी है
दोनों को
प्रणाम ।
रागिनी मित्तल
कटनी, मध्य प्रदेश
🙏🌹अग्नि शिखा मंच🌹🙏
🙏🌹जय अम्बे🌹/9/7/21🌹🙏
🙏🌹सायली छंदः 🌹 *सुत पुत्र*🌹🙏
आज।
अनादर पाता।।
शूद्र पुकारा जाता।।।
अपमान सहता।।
जलता।
कर्ण।
पय।
मां का।।
मेंने न पिया।।।
त्याग दिया ।।
कुंताने ।
यशस्वीनी ।
बनी रही।।
कुंता कन्या कहलाई।।।
पतित पुत्र।।
कर्ण।
में।
सुत वंशमें ।।
पलता रहा था।
सूत पुत्र।।
कहलाया।
🙏🌹स्वरचित 🌹🙏
🙏🌹पद्माक्षि शुक्ल🌹🙏
फूल
खुशबू देता
हवा के साथ
सभी होते
खुश
हमारे
माता-पिता
ध्यान रखते हैं
पूरे परिवार
का
जीवन
में काम
ऐसा करें हम
बनें हमारी
पहचान
कविता - सायली
1
अपने
और पराये
समझने के लिए
सिर्फ चाहिए
प्रेम
2.
अपने
अपने होकर
पराये हो जाते
पराये लगते
अपने
3.
समुद्र
दिखता नीला
नीले आसमान कारण
विज्ञान कहता
यही
4.
अपने
और पराये
समझने के लिए
सिर्फ चाहिए
प्रेम
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।सायली
परिवार
के सुखद
माहौल मे जीवन
बन गया
स्वर्ग
सूर्य
की किरणों
से मिलती रहती
है अद्भुत
ऊर्जा
पूर्णमासी
का चांद
और उसकी चंदनिया
अनुपम छटा
बिखेरती
गुलाब
की बगिया
मे जाने पर
खुशबू मन
मोहती
निस्वार्थ
सेवा देती
मन को आनंद
शांति दुआ
आशीर्वाद
फुहार
बरसने लगी
तन भीगने लगा
मन चहकने
लगा
कुमकुम वेद सेन
सायली
कभी
रुलाते हैं
कभी हसांते है
अतीत के
पन्ने
सरसराते
पन्ने डायरी
ले जाते है
यादों में
बीती
अतीत
के पन्नो
में लेती जन्म
एक नई
कहानी
स्मिता धिरासरिया
शीर्षक-सायली छंद
1. 1. मेरा
2.क्या है
3. सब है तेरा
4.तेरा तुझको
5.अर्पण !
2. मां
जीवन तेरा
रहा है मेरा
सोना जागना
जीना.
3. आ
आ भी
कभी नहीं जा
तू ही
मैं !
4. तेरा
मुझमें है
जो भी अंश
ईश्वर जाने
क्या ?
स्वरचित कविता
रजनी अग्रवाल जोधपुर
नमन मंच
विषय--: सायली छंद
दिनांक--: 9/7/2021
मां
***
मां
पवित्र गंगा
नारी रुप ले
माता बनी
मेरी !
माता
जनम जनम
तेरी कोख हो
जन्म-स्थल
मेरा !
जन्म
दिया मुझको
मां उपकार तेरा
बनी कृतज्ञ
मैं !
माता
तेरा दुग्ध
अमृत का प्याला
तेरे बच्चे
पीते !
चलना
सिखलाती है
अंगुली पकड़ मेरी
गिरने देती
नहीं !
बचपन
बीता मेरा
ममता तले तेरे
याद करुं
तुझको !
आशीर्वाद
का हाथ
सदा बना रहे
सिर पर
मेरे !
चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
विधा -सायली
*मै
प्रेम रस
में डूब गई
सांवरिया अब
तेरे
तुम
बिन अधुरी
मेरी दुनियां है
कब से
कान्हा
आकर
थाम ले
मुझको मुरली मनोहर
जगत मुरारी
कन्हैया
तेरा
आसरा है
अब तो कृष्णा
जिंदगी में
मेरी
हेमा जैन (स्वरचित (
अ. भा. अग्निशिखा मंच
शुक्रवार -9/7/ 2021
🌺विषय - सायली
मैं🌹
कौन हूँ🌹
सवाल खुद से🌹
क्यों हूँ🌹
यहाँ।🌹
मैंने🌹
स्वयं को🌹
सदा लाचार पाया🌹
क्या यही🌹
सरमाया।🌹
मैं🌹
लाचार नहीं🌹
जलती चिंगारी हूँ🌹
फिर क्यों🌹
बेबस।🌹
मैं🌹
दुर्गा कालका🌹
उत्पत्ति बीज हूँ🌹
फिर भी🌹
बेबस।🌹
मैं🌹
कुटुंब का 🌹
मान सम्मान हूँ🌹
फिर क्यों🌹
बेबस।🌹
मैं🌹
पिता की🌹
शान अभिमान हूँ🌹
फिर क्यों🌹
बेबस।🌹
मैं🌹
प्यार बाँध🌹
रिश्ते बचाने वाली🌹
डोर क्यों🌹
बेबस।🌹
मेरा🌹
समापन करे🌹
भरे बेटे के🌹
जीवन में🌹
प्रकाश।🌹
वैष्णो खत्री वेदिका
जबलपुर
अग्नि शिखा मंच
विषय----सायली छंद
दिनांक---9-6-2021
1)
हे
प्रभु तुम
चरणों में अपने
प्रणाम करो
स्वीकार ।
2)
नासमझ
हम मानव
भूल जाते हैं
हम तेरा
उपकार ।
3)
दे
ज्ञान सबको
मानव है तो
मानवता ना
भूले ।
4)
तेरा
अंश प्रभु
हम सब में
तुझमें ही
समाना
5)
राह
दिखा कोई
हमको प्रभु तुझसे
मिलना हो
आसान ।
रानी नारंग
अग्निशिखा मंच को नमन🙏
विषय:- सायली छंद
ओम्
गणपते नमः
आशीष दो मुझे !!१!!
है तुमसे
बिनती
हे
विठू माऊली
सुनो अरज करुंगा। !! २!!
तेरी पैदल
वारी
कैसा
खेल रचाया
कोरोना तुने मानवके !!३!!
जीवनका सपना
बिघाड़ा
हे
प्रभु रामचंद्र
रावणसे किया युध्द !! ४!!
सीताको छुड़ाया
लंकादहन
सचिन
क्रिकेटका बादशाह
लगाया रनोका अबांर !!५!!
करूं बखान
आपका
दिलीपकुमार
सिनेजगत महानायक
राज किया छेदशक !! ६!!
सायराबानु का
साथ
सोच
साथ निभाना
जिंदगी भर का। !!७!!
पतीपत्नी बनकर
रहना
सुरेंद्र हरड़े कवि
नागपुर महाराष्ट्र
दिनांक:-०९/०७/२०२१
नमन मंच
दिनाँक;-9/7/2021
विधा;- सायली
है
मेरी
जननी
अनमोल
ममतामयी
रखे सदा
खयाल
मेरा
जो
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
माँ
मेरी
प्रेरणा
जिसने दी
अमूल्य सीख
अपनाया
जीवन
सुखी
है
🌹🌹🙏🙏 निहारिका झा।।
मंच को नमन 🙏
विधा- सायली
9/7/21
1- प्रभु
जब तुम
मेरे द्वार आओगे
तुम्हारे लिए
मैंने
2- आओ
हम सब
मिलकर अपना देश
सुन्दर बनायें
आओ
3- चलो
गांव चलें
तन पावन मन
सावन करने
हम
4- गीत
गाती कोयलिया
इस ओर से
उस ओर चली
देखो
5- ये
चीख पुकार
पीड़ा का बाजार
दर्द बेसुमार
क्यों
डॉ मीना कुमारी परिहार
अग्निशिखा मंच को नमन
विधा सयाली
स्थिति
परिस्थिति चाहे
कितने बदलें मगर
मित्रता नहीं
बदलती।
मीत
बिना जीवन
कांटो की बगिया
आत्मविश्वास बढ़ाता
सदा।
मित्रता
का आधार
प्रेम विश्वास करना
कृष्ण सुदामा
जैसे।
डॉ गायत्री खंडाटे
हुबली कर्नाटक।
अग्निशिखा मंच
9/7/2021 बुधवार
विषय-सायली विद्या में रचना
कजरारे
नैना तेरे
दिल ले गए
चैन नहीं
मुझे
आओ
तुम्हें ले चलूं
चाँद पर
दिल चाहे
मेरा
कैसे
भूल जाऊं
मैं तुम को
तूही बता
जरा
मन
मेरा महका
तेरे आने से
फूलों की
तरह
याद
रहता नहीं
कुछ मुझे तेरे
आने के
बाद
साहिबा
कब आओगे
बरसे रिमझिम मेह
आया सावन
हरियाला
याद
में तेरी
बरसे ये अँखिया
जैसे बरसे
सावन
तेरी
जुल्फों को
सुलझाऊँ ये आरजू
रखता हूँ
मैं
मैं
आज भी
खड़ा हूँ वहीं
बुत की
तरह
तेरी
यादों में
खोया खोया सा
रहता हूँ
हरदम
बेवफ़ा
तुमने मेरे
दिल तोड़ दिया
क्या मिला
तुम्हें
बता
तुझे
तेरी ख़ता की
क्या दूँ
सजा
तारा "प्रीत"
जोधपुर (राज०)
सायली
1.
मैं
तो तेरा
ही दास प्रभु
कृपा करो
भगवान
2.
ये
जो दुनिया
जैसी दिखती है
वैसी है
नहीं
3.
प्रेम
एक मात्र
शब्द नहीं है
यह है
जीवन
4.
पूजा
मन से
अगर करो तो
ईश्वर जरूर
मिलेगा
( यह मेरी मौलिक रचना है --- ओमप्रकाश पाण्डेय)
९_७_२०२१.
अ. भा. अग्निशिखा मंच
विषय_सायली छंद
१) कृष्णा संबंधित
नैनों
में बसा,
कान्हा प्यारा_प्यारा,
यशोदा का
दुलारा।१।
मोरमुकुट,
सजाए हो,
मन भाए हो,
जिगर मेरा,
लुभाए।२।
तिरछे,
बसे हृदय,
हमारे, निकसत भी ,
नाही सकत,
अब।३।
२)नैनों से संबंधित
(साथियों ये सायली छंद मैंने फिल्मों के गानों के शब्दों को लेकर बनाए हैं,तुकांत भी रखा है ,बताइएगा,कैसे लगे।इन्हे पढ़कर आपको कौन_कौन से गीत याद आते हैं देखिए।)
नैन,
तुम्हारे मज़ेदार,
जनाब_ए_आली,
हम हैं
तलबदार।१।
नैनों
में सपना,
सपनों में साजन,
हो गया
अपना।२।
नैना
बरसे रिमझिम
पिया न आए
मिलन की
रात।१।
नैन
लड़ जहिहैं
मनवा कसक होहिहैं,
प्रेम पटाका,
फूटिहैं।२।
कजरारे,
तेरे नैना,
काले_काले नैना,
ले गए,
चैना।३।
आंखों,
आंखों में ,
हमतुम हो गए,
दीवाने,बने,
अफसाने।४।
स्वरचित और मौलिक सायली छंद_रानी अग्रवाल,मुंबई द्वारा।
कविता - सायली
1
अपने
और पराये
समझने के लिए
सिर्फ चाहिए
प्रेम
2.
अपने
अपने होकर
पराये हो जाते
पराये लगते
अपने
3.
समुद्र
दिखता नीला
नीले आसमान कारण
विज्ञान कहता
यही
4.
भारत
भूमि प्यारी
लगती हम सबको
जहां से
न्यारी।
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
नमन मंच
विषय -सायली
आज
क्या बात
नज़रे मिलातें हुये
शर्मा गईं
तुम
आओं
मिल कर
करते बेबसी बेक़रारी
आलम दुर
हम
तुम
साथ रहते
वादा किया तुमने
रुठे अपने
सब
देखो
मिलते मंज़िल
आये सभी मिलकर
मनाये ख़ुशियाँ
साथ
अनिता शरद झा
९_७_२०२१.
अ. भा. अग्निशिखा मंच
विषय_सायली छंद(हास्य)
मानो,
मेरी बात,
न लाओ ख्यालात,
बाहर खाने ,
के।१।
खाना,
बाहर का,
ना हजम हुआ,
पेट दर्द,
हुआ।२।
पेट,
दर्द उठे,
रह_रह कर,
मरोड़ ढाए,
कहर।३।
दवा,
की पुड़िया,
खाकर आराम करो,
बस चुप,
रहो।४।
२)कोरोना संबंधित
बालक,
बूढ़े_जवान,
सभी हुए शिकार,
बचा कोई,
दमदार।१।
अब,
करवा लो,
वैक्सीनेशन तुम अपना,
नहीं खतरा
लो।२।
एक,
बीती लहर,
दूसरी चली जायेगी,
तीसरी लहर,
आएगी।३।
हे,
प्रभू आओ,
कोरोना को हटाओ,
खुशियां वापस,
लौटाओ।४।
स्वरचित मौलिक सायली छंद
रानी अग्रवाल,मुंबई द्वारा।
🌹🙏अग्नि शिखा मंच 🙏🌹
विधा: सायली
शैली: गद्य
9/7/21
******************
🌹
परंपरा
का निर्वाह
करना है जरूरी
मनुष्य के
लिए
🌹
जीवन
में सद्भावना
बहुत ही सुखद
लगता है,
सचमुच
🌹
शिक्षा
हम सबको
देती है ,संस्कार
होता विकास
निश्चित
🌹
*********************************
रचनाकार-डॉ पुष्पा गुप्ता,
मुजफ्फरपुर ,
बिहार--
नमस्ते मैं ऐश्वर्या जोशी अग्निशिखा परिवार को मेरा नमन प्रतियोगिता हेतु मैं मेरी रचना प्रस्तुत करती हूं।
विषय - सायली
आखें
हमेशा प्यारे
सपने देखता है
मन हमेशा
बिखराता।
नींद
हमेशा सुकून
भरी आहट दिलवाती
और चैन
सुधबुध।
अग्नि
हमेशा लेए
जलता रहता है
और पाणी
बहता।
धन्यवाद
पुणे
सायली छंद
शीर्षक -सावन आया रे
निर्जल
हरतालिका तीज
श्रृद्धा से करें
सौभाग्य रहे
अमर
रंगीली
चूनर सतरंगी
सुहागन सखि री
प्रिय मन
बसी
हाथ
रचाओ मेहंदी
प्रीत का रंग
सदा छाया
रहे
आया
सुहाग व्रत
चूडी बिंदी कंगना
पांव महावर
सजता
केश
फूल गजरा
महक रहा है
प्रियतम को
भाया
रहो
सदा सुहागिन
प्रिय के मन
बस जाओ
सखि
सोलह
श्रृंगार करो
मेरी प्यारी सखि
सिंदूर मांग
सजाओ
डां अंजुल कंसल"कनुप्रिया"
4-9-19
🙏🏻अग्निशिखा मंच को नमन🙏🏻
*****************************
✍️✍️✍️दैनिक सृजन✍️✍️✍️
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रचना✍️✍️✍️*नरेन्द्र कुमार शर्मा*
जिला शिमला 🍐🍎 हि0प्र0
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विषय *सायली* छन्द
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चाह
तुम्हारे इश्क़
की पागल बना
बना दिया
मुझे
पाकर
तुम्हारे हुस्न
को खुश रखूं
जीवन भर
तुझे।
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पहला प्रयास ✍️🙏🏻🙏🏻🙏🏻
हम
तुम बिन
कुछ नहीं साजन
तुमसे यह
संसार
वंदना शर्मा बिंदु देवास
$$ सायली $$
1) विधाता
ये कैसी
तेरी लीला
कर दिया
अकेला
2) मुझे
नही मालूम
तुम कहाँ
चले गए
हो
3) आखिर
ऐसा क्या
हुआ होगा
हुआ होगा
तुम्हे
4) अब
लोट आओ
नहीं रहा
जाता अब
अकेला
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
चित्तौड़गढ़ राजस्थान
विधा : सायली
शैली : गद्य
विधान : पाँच पंक्तियों में इसे लिखा जाता है, जिसमे क्रमशः
1-प्रथम
2 द्वितीय
3 तृतीय
2 चतुर्थ
1 पंचम
शब्द लिखे जाते है ।
*कविता भावयुक्त हो*
एक नयी काव्य विधा “सायली” के बारे में. ..
सायली एक पाँच पंक्तियों और नौ शब्दों वाली कविता है | मराठी कवि विशाल इंगळे ने इस विधा को विकसित किया हैं | बहुत ही कम वक्त में यह विधा मराठी काव्यजगत में लोकप्रिय होकर कई अन्य कवियों ने भी इस तरह कि रचनायें रची है |
नियम आसान हैं. ..
◆ पहली पंक्ती में एक शब्द
◆ दुसरी पंक्ती में दो शब्द
◆ तिसरी पंक्ती में तीन शब्द
◆ चौथी पंक्ती में दो शब्द
◆ पाँचवी पंक्ती में एक शब्द
और
◆ कविता आशययुक्त हो |
इस तरह से सिर्फ नौ शब्दों में रचित पूर्ण कविता को सायली कहा जाता हैं |
यह शब्द आधारित होने के कारण अपनी तरह कि एकमेव और अनोखी विधा है |
हिंदी में इस तरह कि रचनायें प्रथम शिरीष देशमुख इनकी कविताओं में नजर आती हैं |
उदाहरण:-
इश्क
मिटा गया
बनी बनायी हस्ती
बिखर गया
आशियाँ..
तुझे
याद नहीं
मै वहीं बिखरा
छोडा जहां
तुने..
सायली छंद विधा नयी
ReplyDeleteसाहित्यक विधा सिखने का मौका मिला
V.nice collection. Thanks Admin panel
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