सायली छंद १/२/३/२/१/
बंजर
वसुंधरा हुई
बरखा रानी बरसों
भर दो
नमी
उपजाऊ
बहुत हूँ
बीज रोपों तो
अनाज हो
पैदा
किताब
पुरानी सी
कह रही नई
कहानी सी
कुछ
ख़ुशियाँ
घर आई
ठहरी नही वो
सब थे
बुलाते
सावन
हरियाली लाया
उपवन बाग़ बग़ीचे
फूलो से
महकतें
मिट्टी
जीवन देती
अनमोल बड़ी है
करना इसकी
इफाजत
अलका पाण्डेय -अग्निशिखाा💐💐💐💐
चूड़ियां
सज रही
दोनों हाथों में
साजन के
लिए
सावन
बरसे बदरिया
ओढ़े धानी चुनरिया
धरती बनी
दुल्हनिया
ठंडी
पवन चले
मंद मंद समीर
सावन की
याद
साजन
गया ससुराल
सावन मास में
सजनी करी
स्वागत।
नवरंगी
फूल खिले
बरसात से मोहित
महके सुमन
यहाँ।
विश्वास
तुम राखो
प्रिय रघुराम पर
होगा सब
अच्छा।
डाॅ. सरोजा मेटी लोडाय
सायली
सखी
सावन आया
चलो झूला झूलें
मन हर्षाया
आज
सावन
लाया खुशियाँ
बाबुल की गलियाँ
झूला पटरी
राखी
आशा जाकड़
💐💐💐💐
चूड़ियां
सज रही
दोनों हाथों में
साजन के
लिए
सावन
बरसे बदरिया
ओढ़े धानी चुनरिया
धरती बनी
दुल्हनिया
ठंडी
पवन चले
मंद मंद समीर
सावन की
याद
चंद्रिका स्वर्णकार
शीर्षक" सायली छंद"
1. तरसे ,
अखियां मेरी ,
मैं ना जानी ,
कृष्णा की ,
दीवानी.
2.आ,
अब तू,
दर्शन की प्यासी ,
मेरी अखियां ,
सांवरे.
3. तेरी ,
सूरत पे ,
जग है दीवाना ,
आ रे ,
मोहना .
4. याद ,
तेरी आई ,
आंख भर आई ,
दिल बेचैन ,
कन्हाई
5. प्यारे,
मेरे दिलदार
तेरा ही इंतजार ,
दरस दिखा ,
. कृष्णा
स्वरचित रचना
रजनी अग्रवाल
जोधपुर
३०_७_२०२१
अ. भा. अग्निशिखा मंच
विधा_सायली छंद विषय_कृष्णा
बांकेबिहारी,
प्रीत हमारी,
सरे आम हुई,
क्या करूं?
मैं।१।💓
मैं ,
समझती हूं,
मेरे साथ हो,
ठीक है,
न?।२।💓
अब,
तेरी चाहत,
बनी मेरी आफत,
कैसे निजात,
पाऊं?।३।💓
हे,
प्रिय प्रियतम,
देना ना दगा,
मर जायेंगे,
हम।४।💓
तेरे,
दरबार में,
तेरे प्यार में,
हाजिर हूं,
मैं।५।💓
कृष्णा,
मेरे प्रभू,
विश्वास बनाए रखना,
आस तोड़ना,
ना।६।💓
हे,
मुरलीधर,बंसीधर,
सुनाओ मीठी तान ,
हर लो,
प्रान।७।💓
मैं,
जैसी हूं,
स्वीकार कर लो,
चाकर बना,
राखो।८।💓
सम्मुख,
हमेशा तुम,
गुम हम तुम,
प्रीत में,
झूम।९।💓
तुम,
मिल गए,
कछु न चाहूं,
तुम्हारी रहूं,
हरदम।१०।💓
कृष्णा,
आरंभ मेरा,
यही हो जाए,
अंत मेरा,
कृष्णा।११।💓
स्वरचित मौलिक सायली छंद
रानी अग्रवाल मुंबई द्वारा ३०.७.२१.
अग्निशिखा मंच को नमन🙏
विषय:- सायली छंद
ओम्
गणपते नमः
आशीष दो मुझे !!१!!
है तुमसे
बिनती
हे
विठू माऊली
सुनो अरज करुंगा। !! २!!
तेरी पैदल
वारी
कैसा
खेल रचाया
कोरोना तुने मानवके !!३!!
जीवनका सपना
बिघाड़ा
हे
प्रभु रामचंद्र
रावणसे किया युध्द !! ४!!
सीताको छुड़ाया
लंकादहन
सचिन
क्रिकेटका बादशाह
लगाया रनोका अबांर !!५!!
करूं बखान
आपका
धोनी
क्रिकेटका कर्णधार
छक्को का बादशाह।।६।।
तारीफ करु
आपकी।
हे
राम
प्रजा के राजा
सत्यवचनी प्रजापालक।।७।।
न्यायप्रिय
दिलीपकुमार
सिनेजगत महानायक
राज किया छेदशक !! ८!!
सायराबानु का
साथ
सोच
साथ निभाना
जिंदगी भर का। !!९!!
पतीपत्नी बनकर
रहना
*सुरेंद्र हरड़े*
नागपुर महाराष्ट्र
दिनांक:-३०/०७/२०२१
अग्निशिखा मंच को नमन
विषय :- स्वतंत्र
विधा *सायली*
१) मानव
कितना भाग्यवान
पाया नर जनम
रख जिंदा
इंसानियत
२) मनुष्य
अपने लिए
जिया मत कर
दुसरेके लिऐ
जी
३) सावन
जब आये
याद मेरी पियाकी
मेरे मनको
सताऐ।
प्राध्यापक :*रविशंकर कोलते*
नागपुर
🌹🙏अग्नि शिखा मंच 🙏🌹
विषय: *बेटी *
विधा:* सायली *
दिनांक: 30-7-21
**************************
🌹
समाज
को बढ़ाना
है , तो बेटी
को पढाओ
खूब ।
🌹
बेटी
को बचाना
समाज को बचाना
है, जानो
इसे ।
🌹
कन्या
भ्रूण- हत्या
करना न कभी
बहुत बड़ा
पाप ।
🌹
दहेज़
लोलुप- लोग
समाज के अभिशाप
हैं - पूरी
तरह ।
🌹
समय
बड़ा- नादान
कर लो इसका
ससमय- पूरा
ध्यान ।
🌹
**************************************
स्वरचित एवं मौलिक रचना
रचनाकार-डॉ पुष्पा गुप्ता
मुजफ्फरपुर
बिहार
🙏
मंच को नमन, 🙏
विधा- सायली छंद
30/7/21
1- नारी
शक्ति की
चहुंओर प्रकाश
फैला रही
बेटियां
2- छोड़
के बाबुल
का आंगन साजन
घर हम
चलें
3- अपने
थे लोग
आज के दिन
पराए हो
चले
4- एक
नया गीत
गुनगुनाने मैं चली
एक राग
सिखाने
5- बेटे
चिराग हैं
बेटी वो रोशनी
भेदभाव मिटाने
चली
डॉ मीना कुमारी परिहार
अग्निशिखा मंच
विषय---सायली छंद
दिनांक---30-7-2021
1)
मन
उदास हुआ
इस भीगे मौसम
साजन नहीं
करीब ।
2)
बरखा
जब आती
हरियाली छा जाती
प्रकृति भी
मुसकाती ।
3)
मौसम
सावन का
आया हर बगिया
महके फूल
रंगीन ।
4)
पेड़ों
झूला डाले
झूलती हैं सखियाँ
मिल करती
अठखेलियाँ।
5)
साजन
दरस कराओ
देखो बरसते नैन
बादल संग
मेरे ।
रानी नारंग
सायली
कोला
को पीकर
पेट की बदहजमी
दूर करें
तुरंत
बरसा
का पानी
खेतों में फसल
अच्छी तरह
उगाए
मौन
एक भाषा
होती है महत्वपूर्ण
अपनाकर बनो
श्रेष्ठ
वाणी
की मधुरता
मन मोह लेता
अपना बनाता
सबको
प्राणायाम
रोज करो
तन मन सब
हो जाए
ऊर्जावान
कुमकुम वेद सेन
🌺शुक्रवार -30/ 7/ 2021
🌺विषय - सायली
शीर्षक: पावस में
बादल
बरस गए
भीग गई धरती
तरस गए
एकाकी
अंधियारी
छा गई
पावस में मावस
लगती है
सचमुच।
झूले
डाल दिए
झूल रही सखियां
गा गाकर
कजरी।
बोल
मल्हारों के
मीठे हैं लगते
मिसरी से
घुलते।
दादुर
उछल उछल
रात भर टर्राते
पढ़ते कोई
कथा।
नाचते
मयूर भी
लगते अति सुंदर
फैलाए पंख
गोलाकार।
तैराते
पानी पर
बना बना नौकाएं
चपल चंचल
बच्चे।
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
नमन मंच
सायली छंद
हर्फ़
निकले दिल
मचाई हलचल कानो
उतरे कागज
पर
चली
कोरे कागज
पर कलम धार
मचाया शोर
संसार
दिया
बदल परिवेश
साहित्य की ताकत
है बड़ी
जोर
स्मिता धिरासरिया ,बरपेटा रोड
सायली छंद
--------------
सावन
की बूंदे
धरती पर गिरी
नाच उठा
मन ।
हाथों
की मेहंदी
मेरी लाल चुनर
पुकारे तुझे
पिया।
सावन
के झूले
तुझ संग झूलूं
मेरे प्यारे
पिया।
शिवजी
संग गौरा
पूजन करूं मैं
नवाऊं नित
शीश।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
$$ सायली $$
पाॅलीथीन
क्यों नही
छोड़ पाते हम
समझ नही
आता
पर्यावरण
बचाना चाहते
पेड़ नहीं लगाते
कैसे बचेगा
पर्यावरण
हरियाली
भाती हमे
मेहनत थोड़ी करले
आओ पेड़
लगाए
जंगल
कर दिए
सारे के सारे
खतम हमने
देखो
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
रामटेकरी मंदसौर मध्यप्रदेश
नमन मंच
दिनांक -: 30 /7/ 2021
विषय -: सायली
जब
साथ तेरा
होता है तो
संभल जाता
हूं !
वरना
यादों को
सीने से लगाए
फिरता हूं
मैं !
तेरे
आने की
खुशबू पाकर ही
चले आये
हम !
अधूरी
तमन्ना थी
चाहत को लिए
चले आए
हम !
बेवफा
इस कदर
तड़पा के न
जाया करो
हमें !
फुर्सत
में कभी
अपने जलवे दिखा
जाया करो
हमें !
अपने
कूचे में
पनाह लेने की
इजाजत दो
हमें !
कसम
खुदा की
जिंदगी भर न
छोडे़ंगे हम
तुम्हें !
चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
नमस्कार मन्च् 🙏🌹
सायली
चूडियांँ
हरी हरी
मेरे हाथ में
सावन की
सौगात
सुन्दर
लाल सुनहरी
हथेली पर रची
शुभ सुहाग
मेहंदी
घूमर
करते पाँव
थम गए अचानक
देख सामने
साजन
सावन
है मनभावन्
हरितिमा से हरित
श्रंगारित हर्षित
पावन
👍👍💦🌹🌈👍👍💦🌹🌈
शुभा शुक्ला निशा रायपुर छत्तीसगढ़
नमन अग्निशिखा मंच
दिनाँक ;-30/7/2021
विधा;-सायली
माँ
मेरी सदा
देती रही सीख
बनना सबके
मनमीत।।1।।
🌹🌹🌹🌹
पिता
होते हैं
जीवनके आधार
संतान के
रक्षक।।2।।
निहारिका झा
संस्कार(सायली छंद)
*********************
नया
जमाना नई
पीढियों की क्या
मैं बात
बताऊँ।।
अब
कहां पहले
जैसे मैं इनमें
कोई संस्कार
पाऊं।।
अब
कहां वो
हया पर्दा प्रथा
इनमें हैं
समाया।।
हर
ओर तड़क
भड़क छोटे छोटे
कपडों की
माया।।
फटे
कपड़ो को
ये फैशन है
हमको ये
बताते।।
क्या
जिस्म प्रदर्शन
कर ये नया
जमाना हमें
दिखलाते।।
अब
कहां मर्यादा
पुरषोत्तम राम बच्चों
मे हैं
समाते।।
अब
कहां बच्चे
राम की तरह
अपना कर्तव्य
निभाते।।
बस
देखा देखी
कर हमको सिखलाते
नया जमाना
बतलाते।।
अफसोस
हम अब
बच्चों को नहीं
समझा कुछ
पाते।।
क्यों
की आज
की पीढी जवाब
दे दिल
दुखाते।।2।।
वीना आडवानी
नागपुर, महाराष्ट्र
**************
सावन ---- ओमप्रकाश पाण्डेय
विधा --- सायली
सावन
आयो रे
चलो सखी सब
झूला झूले
आज
पानिया
के बूंदवा
लागे जैसे अमृत
जियरा होवे
निहाल
अबकी
सवनवा में
मोरे पिया अईहें
घरवा होई
उजियार
सावन
के बूंदवा
जीवन दे सबको
हर्षे मनवा
सबके
धरती
ओढ़े आज
धानी रे चुनरियां
लहरें फसलिया
हमार
( यह मेरी मौलिक रचना है ----- ओमप्रकाश पाण्डेय)
[30/07, 1:29 pm] स्नेह लता पाण्डेय - स्नेह: नमन पटल
आज की विधा -सायली छन्द
शीर्षक-बाघ संरक्षण
बाघ
राष्ट्रीय पशु
हमारे देश का
होता बहुत
ताकतवर।
मत
पंगा लेना
तुम इससे कभी
जीव बहुत
खतरनाक।
होता
इसका वजन
तीन सौ किलो
पर बाघिन
दुर्बल।
लोग
लालच में
कुछ रुपयों के
मार देते
इसे।
बनाता
पारिस्थितिकी संतुलन
बाघों का अस्तित्व
मत मारो
इसे।
दहाड़
की संज्ञा
वीरता से विभूषित
होती है
सदा।
संरक्षण
करें हम
दुर्लभ बाघ का
है मानव
धर्म।
सर्वे
भवन्तु सुखिन
सर्वे संतु निरामया
अति उत्तम
भावना।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
[30/07, 1:44 pm] वीना अचतानी 🧑🏿🦽: सायली में पहली लाईन में एक शब्द आता है। दूसरी लाईन में दो शब्द आते हैं । तीसरी लाईन में तीन शब्द आते हैं ।चौथी लाईन मे फिर दो शब्द आते हैं ।पाँचवीं लाईन में एक शब्द आता है ।इस तरह पूरी सायली में पाँच लाईन और नौ शब्द होते हैं ।आदरणीया बृजकिशोरी त्रिपाठी जी । 🙏🙏🙏🙏🙏वीना अचतानी 💐🌷🌸🌹
साइली,
राधे
कृष्ण मुरारी
राधा मोहन प्यारे
दिल के
मतवाले
राम,
कृपा करो
राक्षस संहार करो
दीनदुखियों को
उबारो
सुषमा शुक्ला
अग्निशिखा मंच
तिथि- ३०-७-२०२१
विषय-सायली
सायली(१,२,३,२,१)
१, सावन
आया है
भोलेनाथ हैं आये
संग गौरा
के
२
बेलपत्र
जल दूध
अभिषेक पूजन करें
हुए शिव
प्रसन्न
३
झूले
पड़ गये
झूले सखियाँ संग
आया है
सावन
४
रिमझिम
पड़ी फुहार
भीगती है गोरी
साजन है
मुस्काय
५
झूला
राधा कृष्ण
झूल रहे हैं
झूलाय रहीं
सखियाँ
६
नीरजा
ठाकुर नीर
पलावा डोम्बिवली महाराष्ट्
लिख रही
सायली
अग्निशिखा मंच
30/7/2021 शुक्रवार
विषय-सायली विद्या में लेखन
सावन
आया सखी
साजन भये परदेश
लागे ना
जिया
काली
घटा छायी
मोर-पपीहा बोले
याद आये
पिया
झूले
पड़ गए
अम्बुवा की डाली
मतवाला आया
सावन
मोरे
अंगना पड़ती
सावन की रिमझीम
नन्ही-नन्ही
बुन्दे
तेज
चली हवा
उड़ गई छतरी
भीगी चुनर
गोरी
बादल
जब गरजते
बिजली जब चमकती
आती याद
तुम्हारी
बच्चे
बनाते घरौंदे
गीली मिट्टी के
घर-घर
खेलते
कागज़
की नाव
बारिश का पानी
झूमता-गाता
बचपन
बरसती
मूसलाधर बरसात
आ गयी बाढ़
बह गया
गाँव
सुहाना
मौसम आया
नाचे मन मयूर
आ गयी
बहार
तारा "प्रीत"
जोधपुर (राज०)
*#अग्निशिखा मंच*🌹🌹🙏🙏🌹🌹
दिन शुक्रवार
दिनांक 30 जुलाई 2021
विषय सायली
विधा गद्य
1 ) मनमोहन!
तेरी बांसुरी
मन बस जाती
मधुर तान
बनकर!
2 ) सावन!
बैठा गुमसुम
न हो सकेगा
बरखा रानी
इंतजार!
3 ) कजरी!
तुझ बिन
है सावन उदास
कब छेडोगी
तान!
4 ) शब्द
देते घाव
और शब्द ही
करते हैं
दवा!
5 ) कौंन
किसी को
अब देता समय
कौन बांधे
रिश्ते!
*मीना गोपाल त्रिपाठी*
फूल
देता खुशबू
शव पर चढ़ता
या मंदिर
में
सावन
मन भावन
बरखा फुहार से
नाचे मन
मयूरा
सावन
तृप्त करते
व्याकुल प्राणी को
मिलकर आनंद
मनाते।
ज़िन्दगी
अनमोल है
व्यर्थ न गवाएं
बने हम
परोपकारी।
शोभा रानी तिवारी
जय मां शारदे
***********
अग्नि शिखा मंच
दिन-शुक्रवार
दिनांक-30/7/2021
*सायली छंद*
1.राष्टपिता
महात्मा गाँधी
हिंसा के पुजारी
तोड़ी बेड़ियां
हमारी।
2.पंडित
नेहरु ने
सबको जीना सिखाया
बच्चों को
अपनाया।
3.साहसी
रानी लक्ष्मीबाई
ने शौर्य दिखाया
झांसी को
बचाया।
4.चंद्रशेखर
वीर सिपाही
अपनी जान गंवाई
गर्दन नहीं
झुकाई।
5. भगतसिंह
सीना ताने
फांसी पर झूले
वंदेमातरम् नहीं
भूले।
रागिनी मित्तल
कटनी, मध्य प्रदेश
* अग्नि शिखा काव्य मंच *
*शुक्रवार ३०/२/२०२१
*विधा - सयाली छंद *
🌹 गुरू 🌹
🌹करो कृपा 🌹
🌹 ज्ञान का दा 🌹
🌹 मुझे देकर 🌹
🌹 आर्शीवाद 🌹
🌹 सावन 🌹
🌹 मन भाव🌹
🌹घिरी आई घटाए 🌹
🌹 बरसा पानी 🌹
🌹 सुहाना 🌹
🌹आजादी 🌹
🌹 रहै अखंड 🌹
🌹शहिदों की शहादत🌹
🌹नहीं व्यर्थ🌹
🌹सावधान 🌹
🌹 तिरंगा 🌹
🌹 तीन रंग 🌹
🌹हमारी आजादी प्रतीक 🌹
🌹 अक्षुण्ण रहै 🌹
🌹 वतन 🌹
🌹 राष्ट्र 🌹
🌹गान गाते 🌹
🌹 जन गन मन 🌹
🌹जोश भरते 🌹
🌹स्वदेश 🌹
🇮🇪🇮🇪🇮🇪🇮🇪🇮🇪🇮🇪
सरोज दुगड़
खारुपेटिया
असम
,🌿🌹🌿🙏
🌷🙏🌷
अग्निशिखा मंच
30.7.21
⏳⏳⏳
सपने
रहते आते
जागते हुए भी
बंद होंठ
मुस्काते।
****
उनका
सुंदर चेहरा
सब पसंद करते
लगा हुआ
पहरा।
****
तिल
करता वार
पलकों में दिखते
जैसे काजल
तलवार।
****
कली
जबसे खिली
आने लगे भंवरे
इसीलिए लगे
पहरे।
****
उन्हें
बुरा लगता
देखे न कोई
चोरी से
रूप।
@श्रीराम राय( palolife.com )
अग्नि शिखा मंच
३०/०७/२०२१
सायली** राधा।
**********
राधा
राधा कृष्ण
की दिवानी थी
कृष्ण की
चाहत
*****
राधा थी
राधा पनघट गई
कृष्ण से
मिलने
*****
कृष्ण
कदम्ब पर
जाके छुप गये
राधा उदास
हो
*****
गई कृष्ण
ने मुरली बजाई
राधा का
श्वास
*****
आई
राधा कृष्ण
एक ही तत्व
के बने
है
****
कृष्ण
पुरुष राधा
प्रकृति दोनो ने
मिल कर
श्रीष्टी
*****
श्रीष्टी
का निर्माण
किया पूरे ब्राम्हडं
में राधाकृष्ण
ब्याप्तम
******
है
जय श्री
राधे कृष्णा राधे
कृष्ण राधे
कृष्ण
मुझे सायली लिखना नही आता है गल्ती को जरूर
बतावे।
बृजकिशोरी त्रिपाठी
🙏🌹अग्नि शिखा मंच🌹🙏
🙏🌹जय अम्बे🌹30/7/21🌹🙏
🙏🌹सायलीः *झूलना झूले*🌹🙏
झूलन,
झूले गिरिधारी,
झूलावत है व्रजनारी,
हिंडोला झूलावे,
वृषभानलली,
सावनमें,
मेघ बरसते,
बिजुरी चमकत नीलगगनसे,
शृंगार करके
गोपीयां,
श्यामसुंदरको,
झूले झूलाए,
मंद मंद मुस्काए,
मन हर्षाए,
राधारानी,
छबीलो,
गोपाल झूले,
राधे श्याम झूले,
बंसी बजाए,
नंदकिशोर,
🙏🌹पद्माक्षि शुक्ल🌹🙏
30 जुलाई 2021 आज की कविता सायली
संघटक🎈
सजीव, निर्जीव🎈
से होती है🎈
यह प्रकृति🎈
निर्मित।🎈
सजीव🎈
जन्तु पादप🎈
वायु, जल भूमि🎈
निर्जीव भाग🎈
प्रकृति।🎈
सबका🎈
महत्वपूर्ण रिश्ता🎈
जीवन-निर्वाह हेतु🎈
आपस में🎈
निर्भर।🎈
सबसे🎈
संवेदनशील प्राणी🎈
जीव जगत में🎈
है सचेतन🎈
मानव।🎈
तथापि🎈
सजीव-निर्जीव🎈
पर रहता आधारित🎈
पूर्ति करता🎈
मानव।🎈
परिवेश🎈
जीव, पादप🎈
वायु, जल, भूमि🎈
करते पर्यावरण🎈
संरचना।🎈
खड्डों🎈
का सीना🎈
छलनी करते🎈
दरकती सारी🎈
पहाड़ियाँ।🎈
खनन🎈
करके आज🎈
महल बना रहे🎈
हैं यहाँ🎈
इंसान।🎈
पर्यावरण🎈
न करे🎈
चिंता स्वार्थी हो🎈
गया है🎈
इंसान।🎈
पर्यावरण🎈
बचाने हेतु🎈
सभी को देना🎈
होगा यहाँ🎈
योगदान।🎈
वैष्णो खत्री वेदिका
जबलपुर
विजयेन्द्र मोहन
मंच को नमन
विधा:-- *सायली*
१) बड़ा
समर्पण है
इन बारिश की
वूदो में
टपकना।
२) आसमान
तक पहुंच
कौन गिरना चाहता
है धरा
पर।
३) शव
सुख लहे
तुमरी संरचना तुम
रक्षक काहू
डरना।
४) बुद्धि
दिन प्रति
बढेगी धर्म में
होगी लगन
तुममें।
५) कहते
हैं कि
फरिश्ते तो आसमान
मे रहते
हैं।
विजयेन्द्र मोहन
बोकारो (झारखंड)
सयाली -छंद
इंसान
मय दानव
को दूर भग़ाओ
साथ अपने
है
आओ
साथ साथ
मिलकर उत्साह जगाये
नव निर्माण
करे ।
राह
भली सत्संग
प्रेम श्रद्धा भक्ति
विश्वास संचार
जगाये
इंसान
कर्म निभाओ
चेतना जागृत कर
सत्कर्म करना
है ।
अनिता शरद झा
वीना अचतानी
अग्नि शिखा मंच को नमन,
विषय *****सायली******
1) आता
नहीँ डाकिया
अब हमारे द्वार
सन्देश नहीं
आते ।।।
2) खूशबू
हमने छोड़
पूजे कियों बबूल
रूठी बहार
अब ।।।।।
3) देहरी
दीप बोला
इस अमावस पीछे
होगा तिमिर
दरबदर ।।।।
4) दिल
करता उड़
कर पंछी तरहा
बैठ जाऊँ
टहनी ।।।।।
5) मदमाती
चाल तुम्हारी
चल रही मन्थर
गति निर्भिक
गजगामिनी ।।।।।
स्वरचित मौलिक,
वीना अचतानी
जोधपुर ।। ।
कुछ सायली छंद👇🏻
कभी
पास बैठो
तुमको बताऊं जरा
दर्द होता
क्या।।1।।
सुख
कांच जैसा
चूभ गया सबको
और रही
बेखबर।।2।।
आईना
पकड़ा गया
हंसता दिखाया मुझे
दर्द दिल
बसा।।3।।
समय
विश्वास इज्ज्त
तीन परिंदे ऐसे
उड़ गए
आयेना।।4।।
दुनिया
सबकी एक
पर रंग जुदा
लूट रंगीली
दुनिया।।5।।
मौलिक छंट
...लीला कृपलानी
जीना - सायली
अग्निशिखा मंच
तेरे
बिन जीना
नहीं कोई जीना
सच मेरे
सजना।। 1
प्यार
अपना कभी
कम नहीं होगा
कहता हूं
सुनयना।। 2
तुम
मेरे लिए
मै तेरे लिए
सुनो न
जाना।। 3
मेरे
घर आई
एक नन्ही परी
भोली भाली
कली।। 4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।