बाल गीत
नौका -अलका पाण्डेय
पानी पर बलखाती
इठलाती , डगमग करती
ये नाव प्यारी प्यारी
नाव चलती है साँझ सबेरे
लहरों पर बलखाती मस्ती में झूमती ,
सूर्य की तपन से तप तप कर निंखरती
मंज़िल पर सबको पहुँचाती
आँधी और तूफ़ानों में तटस्थ रहकर
सबको राह दिखाती , धैर्य रखना समझाती
इस छोर से उस छोर ले जाती
सपनों का संसार सजाती
तूफ़ानों से लड़ना सिखलाती
मन में ज़िंदादिली ताजगी भरती
सांझ सबेरे नाव चले मस्ती में है झूमें
जीवन के सुमन खिल रहे
जहां का चमन महक रहे
शाख़ों पर पंछी चहक रहे
लताओं पर फूल खिल रहे
नौका विहार हम कर रहे
धूप भी कहीं चाँदनी भी कही
ज़िंदगी हमारी मंज़िल हमारी
बीच बीच में धुँधलका छाता रहा
जीवन प पर नौका चलती रही
उम्र भर ठहरती नहीं बस चलती रही
सांझ सबेरे जीवन की नाव चलती रहे
अलका पाण्डेय मुंबई
बाल कविता,
दिन सोमवार,
दि,,21/6/21
विषय,
☔ नाव☔
गोलू ने एक नाव बनाई,
डबरे में उसको तेराई,
छप छप करके करी दुहाई,
मां ने आके चपत लगाई।⛱️
मां की नैनो का तारा गोला मोला गोलू हमारा,
हर पल बारिश में भीगे,
वह आगे मां पीछे भागे।🛬
चिंकी मिकी आई सुहानी,
गोलू के संग नव चलानी,
किसकी नाव आगे आई,
बारिश ने देखो धूम मचाईl ✈️
स्कूल नहीं जाना है आज,
ना कोई होम वर्क ना कोई काज।
मस्त छाने करते राज,
ऐसे उठाए बच्चो के नाज।🛴
संडे हे करते हे धमाल,
ना पढ़ाई ना कोई ख्याल,
हर हाल में जी,ले लाल,
ना रहे कोई तुझे मलाल🚙
स्वरचित बाल रचना सुषमा शुक्ला इंदौर
बाल कविता
🛶⛵🛶⛵🛶⛵🛶
विषय :नांव 🚣🏼♂️🚣🏼♀️
माँ काग़ज़ की एक नांव बना दो
सबको उसकी सैर करवाऊंगा
बाथ टब को तालाब बनाकर
गुड्डा - गुड़िया को सैलानी बनाऊँगा।
ढ़ेर सारे कमल बिछाकर
तालाब को सुन्दर बनाऊँगा
बत्तख, जलमुर्गी को सजाकर
तालाब को हरा भरा दिखाऊंगा
गुड्डा पतवार चलाएगा
गुड़िया बैठ मुस्काएगी
जब नांव सरपट दौड़ेगी
गुड़िया हर्षित हो चिल्लाएगी
बेटे की सुन कल्पना
मां मन ही मन मलकाती है
देख बेटे का मासूम चेहरा
काग़ज़ की सुन्दर नांव बनाती है।
स्व रचित
डॉ. सुशीला
मुंबई
नाव चली
नाव चली गोलू नाव चली।
हिचकोले खाए नाव चली।
पतवार करे छप छप यहाँ।
उड़ते हैं जल कण हैं यहाँ।
जल पूरा चाँदी-सा दीखे।
पतवार छोटी-सी है दीखे।
तरंगों की भरमार है यहाँ।
काँपती सी चले नाव यहाँ।
हसीना-सी है चाल चले।
यह तैरती है हौले-हौले।
डगमग करती हिले-डुले।
लहर लहर से मिले-जुले।
शरमाती-सी नाव चले।
गाना गाती है नाव चले।
रुकना नहीं है मेरा काम।
पार समंदर मेरा है धाम।
वैष्णो खत्री वेदिका
नमन मंच
आज की विधा-बालगीत
विषय -नाव
छुट्टी के दिन इंडिया गेट जाता।
जाकर मैं खूब खुश हो जाता।
मम्मी पापा भी साथ में जाते।
छोटी बहना को भी ले जाते।
वहाँ भेल पूरी भरपेट खाते।
मस्ती हम सब खूब करते ।
ढेर सारे खिलौने खरीदते।
बहना को गुब्बारे दिलवाते।
वहाँ पर है वोट क्लब भी।
होती रहती नाव की सवारी।
करते हम सब सवारी उसकी।
बहना माँ की गोद में बैठती।
जब नाव पानी में चलती।
कितनी प्यारी सी वो लगती।
प्रकृति का खूबसूरत नजारा।
आंखों को लगता कितना प्यारा।
मन करता इसमें से न निकलूँ।
बहुत दूर तक सैर करूँ।
नाविक भैया किनारे पर ले आता।
मन मेरा मायूस हो जाता।
दिल करता छुट्टी जल्दी आये।
फिर हम इंडिया गेट को जाएं।
वहाँ खेलें ,कूदें करें हम मस्ती।
संग में करें नाव की सवारी।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
नई दिल्ली
* अग्नि शिखा काव्य मंच *
* २१/६/२०२१ / सोमवार
* बाल गीत *
* बिषय - नाव *
बारिश बरसी रिमझिम - रिमझिम ,
बच्चों की टोली खिलखिलाई !
झू़ंड बनाकर गली में सब आऐं ,
कागज की फिर नाव तैराई !
ओ माँझी अब नाव सजा तूंँ,
हमको जाना अगले गाँव !
चून्नु- मून्नु सज -धज आये ,
कैसी हमनें बारात सजाई !
मेरे गुड्डे का ब्याह रचाया ,
पास के गाँव की गुडी से !
आज रात का लग्न लिखा ,
हम सब साथ चलेंगे नाव से !
हलवा पुरी ओर दही कचौरी ,
राजभोग ओर रसमलाई खायेंगे !
ढ़ोल ताशे खूब बजेंगे जी भर नांँचेंगे ,
मेरे गुड्डे की बारात सब याद रखेंगे !
इस साल करोना का भय छाया ,
धूमधाम कुछ नहीं कर पाये !
सोसल डिस्टेंस ,माँस्क पहन कर ?
गुड्डे गुड़ियांँ की शादी कर पाये !
श्यामू ,तानी दिल छोटा ना करो ?,
र्पयावरणं का संतुलन रख कर !
पानी बचायें पेड़ पोधे लगायेंगे ,
हम सब अच्छे दिन फिर पायेंगे !!
सरोज दुगड़
खारूपेटिया
असम
🙏🙏🙏
21 जून 2921, सोमवार
**********************
विधा: बाल गीत
***************
विषय : नाव
🚣🚣♀️🚣♂️🚣🚣♀️🚣♂️
आती नाव, जाती नाव।
नदी पार ले जाती नव।
🚣♂️
बनी काठ की बड़े ठाट की
बाल घाट की भाती नाव।
🚣♀️
माझी जब पतवार चलाता
सहज तैरती जाती नाव।
🚣
बालक वृद्ध पुरुष और स्त्री
सब को ही ले जाती नाव।
🚣♂️
नदियों के दोनों पाटों को
सादर नित्य मिलाती नाव।
🚣♀️
बाढ़ नदी में जब आ जाती
तब बेबस बह जाती नाव।
🚣
एक घाट से अन्य घाट पर
दिन भर आती जाती नाव।
🚣♂️
सूरज ढलता रजनी आती
तब तट पर रुक जाती नाव।
🚣♂️
बरसा में बच्चों की टोली।
पानी में तैराती नाव।
🚣♂️🚣♂️🚣♂️🚣♂️🚣♂️🚣♂️
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
*********************************
मंच को नमन
विषय :-- *नाव* (बाल कविता)
बादल चले गए काला- काला,
आसमान हो गए नीला- नीला।
अरे चंदा सुनो माला,
घर से निकलो चलो नाला।
बारिश की पानी थम गई है,
नाव हमारी बन गई है।
रंग बिरंगी खुब रंगीला,
हरी -पीलि, लाल -निला।
नाला पर फिर उसको छोड़ा,
लहरो ने फिर उनको मोड़ा।
रंग बिरंगी नाव चली,
कागज की मेरी नाव चली।
नाव चली रे नाव चली,
पानी में बहती नाव चली।
छप- छप करती नाव चली,
डगमग- डगमग नाव चली।
नाव चली रे नाव चली,
जाने किसके ससुराल चली।
इस पार चली उस पार चली,
बीच में मेरी नाव चली।
सबसे आगे मेरी नाव चली,
देखो रे बंटी मेरी नाव चली।
विजयेन्द्र मोहन।
नमन अग्निशिखा मंच
विषय:-बाल गीत (नाव)
" 🌹नाव🌹।""
नाव से जुड़ी एक कहानी
बात बहुत है बडी पुरानी।
जिसे सुनातीं सबकी नानी।
बने नहीं थे पुल नदियों पर
पार लगाना कठिन था भाई
तब जाने का एक सहारा
नाव ले जाये नदिया तीरे
नदी तालाब का गांव ये न्यारा ।।
लगे गांव नानी का प्यारा।
नानाजी हमको ले जाएं
नाव सवारी हम कर आये
सैर कराती हमें ये नाव।।
फिर देखो बारिश है आयी
रिमझिम रिमझिम गिरता पानी।
चारों ओर दिखे है पानी।
गड्ढे पोखर भरे हैं सारे
खेल दिखें पानी के न्यारे
आओ मिल करनाव बनाएं।।
उसको पानी मे तैराएँ
खेल बहुत मन को ये भाता।।
नाव से जुड़ा पुराना नाता।।
🙏🏼🙏🏼🌹🌹निहारिका झा।।
$$ नाव $$
उमड़ घुमड़ कर बादल आए
रिमझिम रिमझिम बरसा पानी
उसमे भीगी रिया रानी
आर्या की तो मोज हो गई
जब दीदी ने कागज की नाव बनाई
उछल उछलकर सब बच्चे खेले
नाच रहे थे ता ता थैया
रंग बिरंगी तरह तरह की
जाने कितनी नाव बनाई
नाव तैरती टकराती जाती
बच्चे सारे ताली बजाते
भीग भीगकर शौर मचाते
बरखा आई बरखा आई
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
चित्तौड़गढ़ राजस्थान
सोमवार दिनांक **२१/६/२१
विधा *** बाल गीत (कविता)
विषय **** #***नाव***#
^^^^^^^
ऐ रिंकू पिंटू चलो हम बनाएंगे नाव ।
सड़कपे बहते जलमें चलाएंगे नाव ।।
सामग्री लाते हैं कागज कैंची गोंद ।
रंग बिरंगों रंगों से सजाएंगे नाव ।।१
कितनी प्यारी है ये हमारी नैया ।
चलती तेजबहूत है ये बिन पहिया ।।
अपनी नावसे जाएंगे गांव मामाके ।
धीरेसे बैठना ओ मेरी बहना भैया।।२
बच्चे करने लगे हैं धमाल मस्ती ।
तेज बारिश है डूब ना जाए कश्ती ।।
बांध के रखेंगे किनारे पे नौकाएं ।
मदद हमको करेगी सारी बस्ती ।।३
बच्चे अपनी अपनी नाव चला रहें ।
बरसात में देखो खूब भीगे जा रहें ।।
माएं डांट रही हैं पर कोई ना सुने ।
जिसकीडूबी रोएं जिसकीचली गा रहे।४
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
महाराष्ट्र
🙏🌹अग्नि शिखा मंच🌹🙏
🙏🌹जय अम्बे🌹21/6/21🌹🙏
🙏🌹बाल गीत /नाव🌹🙏
रिमझिम रिमझिम बारिश आई,
बच्चों के मन मस्ती छाई,
तन भीगा नाचने लगा मन,
खेल रहे भाई-बहन संग,
पानी से तालाब भरा था,
तालाब में कमल खीला था,
दोनों मिलकर नाव बनाई,
नौका पानी में तैराई,
नौका आगे बढ़ती जाए,
दोनों मन ही मन मुस्काए,
एक हवाका झोका आया,
पानी में नाव को डुबोया,
दोनों जोर से लगे रोने,
आंसू बहाए नाव खोने,
पापा ने हौसला बढाया,
धीरे से आकर समझाया,
तूफानो से क्यों है डरना,
नाव दूसरी फिर से करना,
मजबूत कागज से बनाओ,
फिर से पानी में तैराओ,
जीवन पथ पर आगे बढ़ना,
तकलीफ से नहीं घबराना,
🙏🌹पद्माक्षि शुक्ल🌹🙏
अग्नि शिखा मंच नमन
बाल गीत -नाव
*छुटकू बड़कू की नाव*
भेड़ाघाट की सैर कराने है
छूटकु बड़कु की नाव चली है
अद्भुत छवि नाव की प्यारी है
साज सँवारे फूल पताके है
ढोल नगाड़े संग गीत सुनाते है
बाबु बब्बा संग नाव चलाते
पर्यटकों को खूब लुभाते है
राजकपूर संगम की बातें सुनाते है
दस रुपय में दस फ़ीट छलाँग लागते
कला कौशल का अनुपम रूप दिखाते
सहस्त्र धारायें संगमरमर चट्टानो
के बीच नाव छुटकु बड़कु की चलती है
रामकथा का सार छुटकु ,बड़कु
संग सुन पर्यटक रम जाते है
चक्कर लगाती छुटकु बड़कु की
नाव जीवन संसाधन है
अनिता शरद झा मुंबई
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
🌹बालगीत 🌹
🚣🏻♂️ शीर्षक : नाव🚣🏻♂️
रचनाकार-डॉ पुष्पा गुप्ता मुजफ्फरपुर बिहार ~~
वर्षा आई, वर्षा आई,
चुन्नु ने एक नाव बनाई
यह थी कागज की नाव
उस पार मुन्नु का गाँव ।
नाव हमारी छोटी- सी,
तिर-तिर करती चलती है
हौले- हौले हवा चले तब
आगे बढ़ती - चलती है ।
मौज- मस्ती की बेला आई
मुन्नू है -- मौसेरा भाई ।
बर्षा मे स्कूल बंद है --
पर,मेरी शरारत क्या कम है!
उसपार नाव जब जाएगी,
मुन्नू को संदेशा पहुँचाएगी
वह भी नाव बनाएगा-
उसे इसपार पहुँचाएगा ।
🌴🦚🦚⛈️🚣🏻♂️~~~~~🚣🏻♂️⛈️🦚🦚🌴
~~~~~~~~~~~~~~~~•~•~••~~~
बाल कविता
बारिश आई
********
बारिश आई बारिश आई
मैं पानी मे भीगने आई
गड्ढे मे पानी खूब पाई
कागज़ की फिर नाव बनाई
गड्ढे मे डाल खूब चलाई।।
कीचड़ मे कूदी
टिले पे भागी
कभी गिरी
कभी फिसली आधी
लुफ्त बड़ा मे उठाई
बारिश आई बारिश आई
मम्मी मुझे खूब चिल्लाई
पापा की हसी रुक ना पाई
मैं बस गर्दन थी झुकाई
मम्मी मेरी मुझे विक्स लगाई
झटपट डांट काड़ा भी पिलाई
वीना आडवानी"तन्वी"
नागपुर, महाराष्ट्र
******************
**नाव**
************
रिमझिम, रिमझिम बरखा आई ,
भर गए सारे ताल -तलैया ,
ठंडी -ठंडी चले पुरवाई ,
पानी में छप- छप करेंगे भैया ।
चुन्नू आओ, मुन्नू आओ,
बंदर ,भालू सब आ जाओ ,
रंग- बिरंगी कागज लाओ ,
कागज की सब नाव बनाओ।
उसको पानी में तैराएंगे,
नाव में गुड़िया को बैठाएंगे,
जिसकी नाव आगे चलेगी ,
उसके लिए ताली बजाएंगे।
पानी में ना उतरना तुम ,
दूर खड़े ही रहना तुम ,
यह पानी अमृत की धारा ,
मिलकर इसे बचाएंगे ।
श्रीमती शोभा रानी तिवारी इंदौर म.प्र.
मोबाइल 8989409210
नाव
मीना आओ पप्पू आओ गुड़िया आओ चन्नु आओ मन्नु आओ जुगल आओ
बारिश मे हम सब मिलकर घुल मिल ,
नाव बनाकर चलाओ सबहिल मिल ।
चुन्नु तुम दौड़ जाओ ले आना कागज
पप्पू तुम पीछे साथ लाओ।
राधा तुम सबकी अब लाइन से सब नाव सब लगाओ
सब मील अपनी नाव अपने नम्बर लगाओ।
टब मे देखो नाव झुम झुम इतरा रही है।
छत पर सब बालक खेल रहे हैं,
बारिश का भी आनन्द ले रहे हैं।
डॉक्टर रश्मि शुक्ला
प्रयागराज
नाव
बारिश का मौसम आया
नाव चलाने को मन भाया ,
सबने अपनी नाव बनाई ,
छोटी ,बड़ी ,रंग ,बिरंगी ,
पानी में सबने चलाई
किसकी आगे किसकी पीछे ,
नाव चली मेरी नाव चली
लेकर मुझे मेरे गांव चली
पुरवाई संग चली
हवा के झोके खाके चली
हिचकोले खाती ,डगमगाती चली ,
नाव चली मेरी नाव चली |
स्मिता धिरासरिया ,बरपेटा रोड
शीर्षक-"नाव"
1.नाव चली है पानी में,
हिचकोले खाती पानी में ,
लहरें लहर लहर लहराए ,
चप्पू चलाए पानी में, गहरा पानी बहती नदियां ,
उछले कूदे हैं पानी में नाव चली है पानी में .
2. पवन चले मंद मंद , शोर मचाए हैं पानी में.
घाट घाट पर रुकती जाए ,
सवारी उतारे और चढ़ाय ,
झम झम करती चलती जाए ,
पानी में इठलाती जाए, नाव चली है पानी में .
3. जब भी बारिश आती है ,
बच्चों को हर्षती है , उनकी कागज की नावों को ,
पानी में तैरती है ,
कूद कूद कर बच्चे नाचे ,
पानी में ही नाव तैराएं,
नाव चली है पानी में .
स्वरचित कविता
रजनीअग्रवाल जोधपुर।
"नाव"
द्रोपती साहू "सरसिज"महासमुन्द, छत्तीसगढ़
शीर्षक:"नाव"
विधा-बालगीत
***
नदी एक बहती जहाँ।
वहाँ हमारा प्यारा गाँव।।
रामू चाचा खूब चलाते।
पतवार से चलाते नाव।।
लकड़ी पटली से बनी।
ऊपर तंबू देता छाँव।।
बहता नदी का पानी।
बहने लगते मेरे पाँव।।
गाए गाना माझी भैया।
नाव चली हैया हैया।।
*****
पिन-493445
Email: dropdisahu75@gmail.com
नमन मंच
दिनांक - 21/06/2021
विषय - नाव
बाल गीत
-----------------------------------------
बारिश आयी थम गई।
काले-काले बादल चले गये। आसमान हो गया नीला-नीला।
नाव हमारी बन गयी। नाले पर फिर उनको छोड़ा।
लहरों ने फिर उनको मोड़ा।
नाव चली भई नाव चली। न जाने किस गांव चली।
लहराती मस्तानी हवा चली। पानी में बहती नाव चली।
छप-छप करती नाव चली।
डगमग-डगमग नाव
चली।
लहरों को चिरती नाव चली।
लहरों से आगे नाव चली।
सबसे आगे मेरी नाव चली। देखो रे मोनू मेरी नाव चली।
रजनी वर्मा🌷
भोपाल🌷
नाव
नाव पानी पर डगमग चलती
नाव हमारी इतराती इठलाती
नाव पार लगाए नदिया रानी से
मिल बैठ कर सैर करने को जाएं।
नाव लहरों पर चले मस्तानी से
माझी गीत औ रै हैया गाते चलें
पानी की लहरें अठखेलियां करें
तूफानों से लड़ मंजिल तक पहुंचाए।
पूनम का चांद झाँके बार-बार
बादल आकाश में करें बिहार
मेघालय की सुन लो पुकार
चांदनी रात करें नौका विहार।
अंधकार तूफानों में गिर गई नाव
हिम्मत हौसले से नाव पार लगाई
जिंदगी में नवीन रोशनी जगमगाई
मंजिल तक पहुंचा कर नाव मुस्काई ।
डा अंजुल कंसल"कनुप्रिया"
21-6-21
मंच को नमन🙏
विधा :बाल गीत
शब्द :नाव
गढ़ गढ़ करता बादल आया।
छम छम करता पानी बरसाया।।
आओ मुन्नू आओ चिंटू
आज नया खेल खेले हम।
रंग-बिरंगे कागज लाना
दीदी संग नाव बनाएंगे।।
दीदी ने नाव सिखाया।
हमने अपना नाव बनाया।।
लाल, हरा ,पीला, नीला
रंगो की नाव हमारी।
नाव पर लिखा नाम अपनी।।
चलो चले उस नाले के पास।
नाव चलाएं उसके पास।।
मेरी नाव तेरी नाव
नाव चली नाव चली
गाते नाचते बजाई ताली।।
डॉ गायत्री खंडाटे
हुबली,कर्नाटक।
अग्नि शिखा
नमन मंच
दिनांक --: 21/6/2021
विषय --: नाव ( बालगीत)
बारिश आई बारिश आई
संग अपने हरियाली लाई
मौसम बड़ा सुहाना है
बारिश का तो बहाना है !
सोनू मोनू बाहर आओ
मुक्ता और गीता को लेते आओ
रंग बिरंगे कागज भी लाओ
सब अपनी अपनी नाव बनाओ !
तभी जोरों की बारिश आई
मां ने जोर से आवाज लगाई
बारिश में भीगोगे तुम तो
सर्दी लग जाएगी तुम सबको !
छप छप करते बारिश में बच्चे
गड्ढों से भरे थे रस्ते
नाव बन गई है तो जल्दी भागें
जाकर नहर पर नाव चलाएं !
नहर पहुंचते ही सबने
अपनी अपनी नाव भगाई
नाव पर सबने होड़ लगाई !
मुक्ता बोली देखो गीता
नाव चलाना मुझको है आता
नाव मेरी है सबसे आगे
देख मुझे तुम सब पीछे भागे !
सोनू मोनू गुस्से में बोले
तू क्या जाने बहाव नहर का
पानी उड़ाता हाथों से कहता
मोनू देखो मेरी नाव है
अब सबसे आगे !
हाथों से पानी खसकाते
अपनी नाव को आगे करते
तू तू मैं मैं करते खेल खेल में
एक दूजे पर पानी उडे़लते
खूब हंसते और खूब खेलते!
मोनू बोला शाम हो गई
गीता भी जोरो से चिल्लाई
जल्दी भागो बारिश जोरों से आई
घर पर खूब डांट पड़ेगी भाई !
कल फिर नाव भगायेंगे
नाव दिल्ली तक ले जाएंगे
हंसते-हंसते सोनू बोला
नाव में मुक्ता और गीता को भी बैठायेंगे !
चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
अग्निशिखा मंच
तिथि,,,,२१,,६,२०२५
विषय। नाव
रिमझिम रिमझिम बारिश आई
मेंढक ने आवाज़ मचाई
नानी के पास जाना है
किसी ने है क्या नाव लगाई
कहा मछली ने मैं बन जाऊं तुम्हारी नाव
तुम्हें पहुंचाऊ नानी के गांव
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोम्बिवली
महाराष्ट्र
*कागज़ कि कश्ती*
याद आता है मुझे मेरा वो,बचपन का गांव,
वो लहलहाते खेत,और घने पीपल कि छांव,
मामा का घर,बचपन निडर,नानी की कहानी,
कागज़ कि कश्ती,वो,बहता बारिश का पानी,
बहते पानी के साथ हम बच्चे भी भीग जाते,
रंग-बिरंगी कश्तीयो के साथ दूर निकल जाते,
बड़ा ही प्यारासा भींगा सा,होता था वो बचपन अब जीवन की कश्ती,और उम्र हो गई पचपन,
आज भी जब बारिश होती, वो पल याद आते हैं
तन,मन भीगसा जाता है,हम यादोमें खो जाते हैं
*जनार्दन शर्मा*
(अध्यक्ष मनपसंद कला साहित्य)
अग्नि शिखा मंच
कवि सम्मेलन।
दिनांक: 21-06-2021
बाल गीत (नाव)
।शानू।
शानू की ये नाव चली,
कागज की नाव चली।
बारिश का मौसम में,
पानी के साथ बही।।
शानू....................1
हर तरफ पानी ही पानी,
न जाने बह कहां चली।
लगातार इस बारिश में,
नाव बिचारी सहम चली।।
शानू.......................2
घर आंगन पानी पानी है,
सब पानी में भीग गया है।
रेन कोट शानू ने पहनकर,
बाहर देखा बारिश भली।।
शानू........................3
शानू का मन करे खूब भीगे,
बहुत दिन में ये बारिश भली।
पानी में बुलबुला भी निकले,
खूब आयेगी यह निठल्ली।।
शानू...........................4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता।
अग्निशिखा काव्य मंच
दिन : सोमवार
दिनांक : 21/6/21
विषय : नाव (बाल गीत)
*नाव*
झम झम बारिश आई,
भरपूर नदियाँ भर गयी,
पहाड के बीचों बीच से,
उछल रही है झरी उमंग से,
देख .. सुंदर नजारा वहाँ
खेलने हम जाएंगे वहाँ,
नदियों में नाव हैं अनेक
हम भी बनाएंगे नाँव एक
हम सब मिलकर चलाएंगे,
बहुत सुंदर,बडा है हमारी नाँव,
घुमादुंगा सब को है एक रुपया भाव,
मैं ही नावक हूँ ,उल्लासित मेर मन,
हरदम खुश रहता मेरा तन।
डाॉ. सरोजा मेटी लोडाय।
नमन अग्निशिखा मंच
जय माँ शारदे
दिनाँक- 21/6 /2021
चली रे चली रे मेरी नाव चली रे,
दूर देश मेरे गाँव चली रे।
आओ री सखियों तुम भी आओ,
पकड़ हाथ चप्पू चलाओ।।
सुनो रे खेवईया भैया नाव चली रे।।
चली रे.....
कागज की मैंने एक नाव बनाई,
थोड़े से रंगों से की है पुताई।
बोट बना आज पानी में उतारी,
डगमग- डगमग नाव हमारी।
दिल धड़काए मेरा नाव चली रे।
चली रे......
झिलमिल सितारों की लेस लगाई,
रंग बिरंगी रोशनी सजाई।
मेरी गुड़िया के विवाह की तैयारी,
गुड्डा' गुड्डी करे इसमें सवारी।।
प्रियतम मिलन का हो नाव चली रे।
चली रे ......
सुबक सुबक रोए गुड़िया हमारी,
बाबुल की छूटे फुलवारी,
छूटे सखियाँ और घर की दुवारी,
ससुराल की दहलीज पुकारी।।
शुभ मंगल कामना लिए नाव चली।
चली रे चली मेरी नाव चली रे,
दूर देश मेरे गाँव चली रे।।
रेखा शर्मा 'स्नेहा' मुजफ्फरपुर बिहार
अग्निशिखा काव्य मंच
#दिन : सोमवार
#दिनांक : 21/6/21
#विषय : नाव (बाल गीत)
नाव चली भाई नाव चली ,
देखो देखो नाव चली ।
लहरों संग उठती गिरती सी,
देखो देखो नाव चली ।
राजू मुन्नू खुश हो जाते ,
नाव से जब भी सैर पर जाते।
चप्पू जब-जब चलता है ,
नाव भी आगे बढ़ता है।
संघर्षों से मिलती मंजिल ,
ये हमको तब कहता है।
जब भी हम दादा घर जाते ,
नाव की सैर जरूर कराते।
देख नदी में मछली उस पल,
हम बच्चे खूब शोर मचाते।
डाल नदी में हाथ फिर उस पल, लहरों से हैं हम टकराते ।
सोच सैर की सारी बातें ,
साल भर हम खुशी मनाते।
गर्मी छुट्टी आते ही फिर ,
गांँव की ओर हम लौट जाते।।
©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल ☯️
बाल गीत
नाव
बारिश हो गई कम
घर का आंगन
बन गया तालाब
चलो चलाएं नाव
कागज की नाव बनाएं
पप्पू ने कागज की नाव बनाई
चंदा ने भी अपनी एक नाव बनाई
पप्पू बोला
पप्पू की नाव चली
चंदा के ससुराल चली
चंदा बोली
पप्पू की नाव चली
डगमग डगमग करते ननिहाल चली
पानी गांव में भर चली
पप्पू की नाव दूर चली
चंदा जोर-जोर से हंस के बोली पप्पू के नाम डूब चली
कुमकुम वेद सेन
मंच को नमन 🙏
21/6/21
सोमवार
विधा -बाल गीत
विषय -,नाव
नाव चली रे
************
काले -काले बदरा छाए
पानी झमाझम बरसाए
अरे चिंटु आओ मिंटु आओ
जल्दी आओ ,देखो ! देखो!
आसमान हो गए साफ
वारिस का पानी थम गया
वाह वाह मजा आ गया
चलो जल्दी कागज की नाव बनायें
रंग -बिरंगी खूब रंगीला
हरा ,पीला, गुलाबी ,नीला
आंगन में है पानी जमा
पानी देख मन है झूमा
ये देखो नाव चली ये नाव चली
कभी आगे कभी पीछे नाव चली
मस्तानी बलखाती हवा चली
पानी में लहराती नाव चली
डगमग-डगमग करती नाव चली
नाव चली रे नाव चली लहरों पर उछलती नाव चली
तूफानों से टकराती नाव चली
सबसे आगे है मेरी नाव चली
देखो प्रिया!देखो लिया मेरी नाव चली
इस पार से उस पार चली
देखना डूबे न मेरी नाव ये
बोलो हैय्या रे हैय्या रे
देखो कैसी इसकी शान ये
कागज की सुन्दर नाव ये
झूमो-नाचो देकर ताल ये
पानी के ऊपर तैरे नाव रे
डॉ मीना कुमारी परिहार
**आंग्निशिखा मंच**
**२१/०६/२०२१**
**बाल कविता**
**बिषय नाव*
वारिष आई वारिष आई।
बच्चो ने देखो नाव चलाई
चुन्नू आओ मुन्नु आओ।
मुन्नी तुमअपनी गुडिया लाओ।
उसको पिहर जाना है।
उसे नाव से पहुजाना है।
गुड्डे राजा को भी ले आओ।
नाव मे लाकर उसे बिठाओ।
मेरी नाव बहुत अल बेली।
उसमे महके चम्पा चमेली।
गुडिया ने पहनी है माला।
कगंन पहनी हीरो वाला।
मुन्नी गुडिया पहुंच गई ।
उसकी माँ घर मे ले गई
चलो हम भी नाव घुमाए
खुशी खुशी घर को जाये।
**स्वरचित**
**बृजकिशोरी त्रिपाठी**
**गोरखपुर, यू.पी**
अग्निशिखा मंच
विषय---नाव (बाल गीत)
विधा ---कविता
दिनांक---21-6-2021
बारिश जब आती भर जाता पानी
हो जाती शुरू बच्चों की मनमानी ।
जिद करके अपनी मम्मी से नाव बनवाते
और फिर पानी में चलाकर खुश हो जाते ।
सब बच्चे एक दूजे से फिर शर्त लगाते
सबसे आगे नाव मेरी ही जाएगी ।
छोटी बड़ी नाव बच्चों की पानी में चलती
हिचकोले खाती देख देख बच्चे मुस्काते ।
फिर बारिश में मम्मी पापा संग घूमने जाते
और असली नाव में बैठकर आनंद उठाते ।
इधर-उधर डोले जब नाव थोड़ा सा डर जाते
पर फिर खुद ही मस्ती में आ जाते ।
पानी में हाथों से छप-छप करते जाते
कागज की नाव तो खूब चलाई
आज असली नाव में लहरों साथ इतराते ।
रानी नारंग
बाल कविता,
दिन सोमवार,
दि,,21/6/21
विषय,
☔ नाव☔
गोलू ने एक नाव बनाई,
डबरे में उसको तेराई,
छप छप करके करी दुहाई,
मां ने आके चपत लगाई।⛱️
मां की नैनो का तारा गोला मोला गोलू हमारा,
हर पल बारिश में भीगे,
वह आगे मां पीछे भागे।🛬
चिंकी मिकी आई सुहानी,
गोलू के संग नव चलानी,
किसकी नाव आगे आई,
बारिश ने देखो धूम मचाईl ✈️
स्कूल नहीं जाना है आज,
ना कोई होम वर्क ना कोई काज।
मस्त छाने करते राज,
ऐसे उठाए बच्चो के नाज।🛴
संडे हे करते हे धमाल,
ना पढ़ाई ना कोई ख्याल,
हर हाल में जी,ले लाल,
ना रहे कोई तुझे मलाल🚙
स्वरचित बाल रचना सुषमा शुक्ला इंदौर
नाव
नाव चली मेरी नाव चली
मैं अपनी नाव से स्कूल चली
बस्ता रख कर, पानी लेकर
मैं अपने घर से चली
बड़ी बड़ी नाव जब देखी मैं थोड़ा डर गई
इतने में आई प्यारी मछली
बोली डर मत मेरे प्यारे पप्पू
अभी लहरों को काट कर
राह मैं बनाती हूंं
नाव मे बैठ कर जब मैं चली
होने लगी बरसात
मैंने भी भरपूर कोशिश
करके श्री नाव चलाई
बीच मार्ग में आ गए
मेढक जी, बोले मुझे भीलेचलो उस पार
⛵खुशहोकर वह भी नाव कीयछ्
नाव पर बालगीत
⛵🚣♂️⛵🚣♂️⛵🚣♀️⛵
अ. भा.अग्निशिखा मंच
विषय_नाव,विधा_बालगीत
जोर_जोर की बारिश आई,⛈️
गोलू ने बाहर दौड़ लगाई।
खूब उछला,खूब कूदा,🌧️
झपाक_झपाक पानी में खेला।
दादाजी ने आवाज़ लगाई,
कागज़ की एक नाव थमाई।१।
उसने दोस्त बुलाए,मुन्नी बुलाई,
उनको प्यारी सी नाव दिखाई।
चलो,चलो इसे तैरायेंगे,⛵
तालाब पे मजे उड़ाएंगे।
गोलू बैठा तालाब किनारे,
संभाल के नाव पानी में डारे।
हवा के झोंके धक्का मारे,
ले चले नाव को उस पारे।⛵
नाव डोले ऊपर_नीचे,⛵
कभी आगे, कभी पीछे,
कभी लगा कि डूब जायेगी,😱
जाएगी उस पार, ना जायेगी?
सोच के गोलू होता उदास,😔
सब्र कर ,कहते खड़े दोस्त पास
अहाहा !नैया गई पार पहुंच,😄
देख गोलू हुआ बहुत खुश।😄
सबने मिलकर ताली बजाई,
नाव चलाकर मौज मनाई।🚣♂️
स्वरचित मौलिक रचना_
रानी अग्रवाल,मुंबई,२१_६_२०२१.
नमस्ते मैं ऐश्वर्या जोशी अग्निशिखा परिवार को मेरा नमन प्रतियोगिता हेतु मैं मेरा बालगीत प्रस्तुत करती हूं।
विषय- नाव
दिल चाहे मेरा
बहुत लम्बी सैर करू
नाव से गाव तक ।
बड़ी बड़ी नाव में
नन्हें नन्हें पैर रखकर
मैहसुस करू
जल की गुदगुदी।
नाव चली नाव चली
मेरे सपनों के गाव चली
लहराते डगमगाते
मुझे किनारे तक ले चली।
नाव में बैठी नाव चली
तन-मन में बरसा पानी
हर्षित होकर गाए
मेरा दिल बालगीत।
धन्यवाद
पुणे
वीना अचतानी
अग्नि शिखा मंच को नमन,
विषय ****नाव ****
ए सावन के बादल
जब तुम
बरसे थे इक साल
तो इतने कम बरसे
अबके बरसना झमाझम
काग़ज़ की रंगबिरंगी
नाव बनाऊँगा मै
पानी मे खूब
चलाऊँगा मै
चुन्नू मुन्नू को लेकर
नानी के घर जाऊँगा मै
इस मौसम का इन्तज़ार
रहता हरदम
तैरती नाव के संग संग
दौड़ लगाऊंगा मै
नहीं डूबने दूँगा अपनी नैया
सबको पार लगाऊंगा मै ।।।।
स्वरचित मौलिक
वीना अचतानी
जोधपुर ।।।
जय मां शारदे
************
अग्नि शिखा मंच
बालगीत-
शीर्षक- *चुन्नू की नाव*
चुन्नू ने नाव बनाई ।
रंग-बिरंगी झालर लगाई।
टब में भरकर पानी लाया।
फिर छोटी बहना को बुलाया।
दोनों नाव लगे चलाने।
जोर-जोर से ताली बजाने।
चलते-चलते नाव बहने लग गई।
गुड़िया रानी रोने लग गई।
गुड़िया को अब कैसे मनाएं।
चुन्नू भैया जुगत लगाएं।
रंग-बिरंगे कागज ले आया।
ढेर सारी नाव बनाया।
खुश हो गई गुड़िया रानी।
तभी बरस गई बरखा रानी।
चुन्नू, गुड़िया खूब नहाये।
झूम-झूम के नाचे गाये।
रागिनी मित्तल
कटनी, मध्य प्रदेश
अग्नि शिखा मंच
दिनांक 21.6.2021
बाल गीत नाव
बरखा रानी आई बरखा रानी आई,
बच्चों को दुगनी मस्ती
चड़ आई।
कागज की नाव चली कागज की नाव चली।
गली मोहल्ले सड़क पर ,
नाव चली नाव चली।
खुशी देखो बच्चों के चेहरे पर,
देखो नाव चली नाव चली।
कपड़ें गीले भले हो जाए,
ठण्डी फिर भी न लगी।
दोस्तो संग बारिश के रंग,
देखो नाव चली देखो नाव चली।
तेरी नाव मेरी नाव दोनो पानी मे चली,
पर तेरी नाव सेआगे देख
मेरी नाव चली।
नाव चली नाव चली
हम सब बच्चों की देखो नाव चली।
दिनेश शर्मा इदौर
9425350174
नाव --- ओमप्रकाश पाण्डेय
( बालगीत)
रिमझिम रिमझिम पानी बरसे
आज हमारे आंगन में
चलो कागज की नाव बनाते
इसे चलाते हैं पानी में
यह मेरी छोटी सी नाव......... 1
कागज की यह छोटी सी नाव
सबको पार लगाती
नदी के इस पार से उस पार
धीरे धीरे सबको ले जाती
यह मेरी छोटी सी नाव......... 2
इसमें न तो कोई ड्राइवर होता
न तो होता कोई गार्ड
न तो कोई डिब्बा होता
बस केवल एक नाविक होता
यह मेरी छोटी सी नाव......... 3
बड़े प्यार से यह चलती
तैरती हौले हौले यह पानी पर
मस्त मस्त हिचकोले लेती
बिल्कुल मछली जैसी लगती
यह मेरी छोटी सी नाव........ 4
चाहे कितना भी पानी हो
नदी की धारा भी हो चाहे तेज
लहरें उठती हों कितनी भी ऊंची
यह प्रेम से चलती रहती
यह मेरी छोटी सी नाव......... 5
नदी को अगर पार करना हो
बिना इसके कोई जा नहीं पाता
उसे नाविक कहो या मल्लाह कहो
वह ही नाव उस पार ले जाता
यह मेरी छोटी सी नाव.......... 6
नाविक अपने नाव को पूजते
नाविक नदियों की भी पूजा करते
नाव नदियों का रिश्ता है पावन
सदियों से कायम यह पावन रिश्ता
यह मेरी छोटी सी नाव.......... 7
( यह मेरी मौलिक रचना है ----- ओमप्रकाश पाण्डेय)
अग्निशिखा मंच को नमन🙏
आज का विषय बालगीत
*नाव*
आसमान में काले काले मेघ जमे
अब होगी जोर से बारिश
ओ बारिश सुनलो मेरी गुजारिश
बरसा दो बादल का पानी।।1।।
जोर शोर से बारिश हुई
बिजली चम चम चमकी
फिर पिंटु चिंटू सनी, मनी ने
ज़ोर ज़ोर तालियां बजाती।।2।।
सब घर से बाहर निकले
बारिश थमी सब बच्चे बाहर
आये, पुराने समाचार पत्रों से
बच्चों ने नाव बनायी।।3।।
कोरोना से है विघालय को है छुट्टी
आभासी से घर में रहकर योग दिवस बनाया योग से स्वस्थ रहते मस्त रहते।।4।।
पिंटु चिंटू,सनी मनी बारिश थमी
सब ने दोस्तो को आवाज लगायी
रास्ते, आंगण में पानी बह रहा था
जैसी हो छोटी नदियां, घुटनों घुटनों पानी था।।5।।
मां की नजर छुपाकर, चिंटू पिंटू
सनी मनी घर से बाहर निकले
हाथों में कागज की नाव थी ।
सब ने अपनी अपनी नाव पानी में डाली तालियां बजायी दुर दुर तक
नाव देखती देखती नाव चली
नदीयो से मिलने ।।6।।
मां आयी, बारिश हो रही थी
चिंटू पिंटू सनी, मनी देखा
मां आयी अब पड़ेगी डांट सबको ,नाव चलाने में मजा आयी।।7।।
सब बच्चे घर आये
मां ने बोला क्यु गये पानी में बाहर फिर से बिजली चमकी
बारिश हुयी नाव चलाने में मजा आयी।।8।।
मां हमें माफ करो पहली बारिश थी नाव चलाने मजा आयी।
मां हमने तुम्हारी सुनी आवाज
कर दो हमें माफ नाव चलाने में मजा आयी।। 9।।
सुरेंद्र हरड़े कवि
नागपुर
दिनांक--21/06/2021
Very nice
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