अग्निशिखा मंच
२४/६/२०२१
तीन सहेली
तीन सहेली आपमे हिलमिल रहती ।
धूम मचाती खेलती कूदती रहती ।।
हरदम मुस्कराती रहती ये तीन सहेलिया ।
बाबुल की आँख का तारा है ये लड़कियाँ ।।
घर आँगन की महकाती है क्यारियाँ ।
माँ के आँचल की है राज दुलारीयां ।।
माँ देती है दुआयें लेती है बलियां ।
खुश रहना तुम प्यारी लड़कियाँ ।।
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
अग्निशिखा मंच
२४/६/२०२१
तीन सहेली
तीन सहेली आपमे हिलमिल रहती ।
धूम मचाती खेलती कूदती रहती ।।
हरदम मुस्कराती रहती ये तीन सहेलिया ।
बाबुल की आँख का तारा है ये लड़कियाँ ।।
घर आँगन की महकाती है क्यारियाँ ।
माँ के आँचल की है राज दुलारीयां ।।
माँ देती है दुआयें लेती है बलियां ।
खुश रहना तुम प्यारी लड़कियाँ ।।
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
नन्ही सी प्यारी बेटियां
********************
मां की दुलारी ये बेटियां
घर की शान हैं बेटियां
मां की ममता की मूरत हैं बेटियां
फूलों सी कोमल हैं बेटियां
अंधेरों से घर को रौशन करती बेटियां
संस्कारों की धरोहर हैं बेटियां
बेटों से कम नहीं ये बेटियां
घर की हर बाधा को हुनर से
सुलझाती बेटियां
रिश्तों की पगडंडियों पर मुस्कुराती हैं बेटियां
घर हर खर्च के ब्योरे मां को समझाती हैं बेटियां
अपनी शिक्षा से कर दिए रौशन चिराग ये बेटियां
बाबुल के कंधों पर गर्व का परचम लहराती बेटियां
दो-दो कुलों की मर्यादा बखूबी निभाती बेटियां
मां के हर कामों में हाथ बंटाती बेटियां
ये कोई गैर नहीं ,बचालो बेटियां
ऐसी मां के आंखों की नूर हैं बेटियां
डॉ मीना कुमारी परिहार
मंच को नमन 🙏
चित्र आधारित रचना
24/6/21
प्रतिमा
अ.भा.अग्निशिखा मंच
विषय_चित्र पर कविता
[Image 407.jpg]
किसी ने देखी मुझमें बिटिया,
किसी ने देखी बहना,किसी ने मां,
क्यों नहीं देख पाए वे?
हम हैं केवल निर्जीव प्रतिमा!!
हम में ना भाव हैं, ना है जान,
एक स्टैंड पर टंगे हैं बेजान।
कैसे न देख पाए वे इसे?
क्या कर लीं आंखें बंद?
कैसे रच डाली रचना?
बुद्धिशाली हुए क्या बुद्धि मंद?
कितने ही काम हमसे करवा लिए
घर_आंगन महकवा लिए,
सभी त्योहार मनवा लिए,
तितली से अरमां उड़वा लिए।
क्या सोचा कभी?
हम हिल भी नहीं सकते,
जहां रख दिया,वही पड़े हैं,
हम चल भी नहीं सकते?
घर _आंगन की रौनक बना दिया,
हमारी रौनक पर क्या गौर किया? किसी के शौक का केवल प्रतीक,
निश्चल,एक ही जगह पर पे ठीक।
हम न किसी से कुछ कहते,
सारी चोटें ,चुपचाप सहते,
वो तो रो लेते हैं,हम कभी,
आंखों से आंसू भी न बहाते।
आपकी नजरों ने हम में
क्या_क्या देख लिया,
आपने कितने भाव भर दिए,
प्यार का जादू_चमत्कार किया।
क्यों भावनाएं,प्यार भरा तुमने?
हमरा जरा भी ना सोचा तुमने।
हमारा दिल भी भर आया
तो कहां जायेगा?
जीवित तो हैं ही नहीं,
मरे हुओं को मार जायेगा।
तुम्हारी ग़ज़ल,कविता की तरह,
हम जीवंत नहीं हैं,
हम भावना शून्य हैं,
हमारी पीड़ा का अंत नहीं है।
चाहते हम भी यही कि
काश!कोई हम में फूंक दे जान,
कसम है भगवान की,
पूरे करें आपके सभी अरमान।।
स्वरचित मौलिक रचना__
रानी अग्रवाल,मुंबई,२४_६_२१.
$$ चित्र आधारित $$
$$ मैं और मेरी बेटियाँ $$
घर की रौनक होती है बेटियाँ
यही तो अब तक मैंने जाना
बेटियों ने मेरी भर दिया
खुशियों से हमारा घर
कहते थे सभी होना ही चाहिए
घर मे एक बेटा सभी के
मैने कहा बेटियाँ भी हमारी
नहीं है कम किसी से
वंश चलता है बेटियों से कहता कोई
अपने दादाजी के दादाजी के
दादाजी का नाम बतादे कोई
हो जाते सब चुप सुनकर बात मेरी
बेटा जा सकता है कभी राह पर गलत
बेटी अक्सर रखती परिवार की लाज
खुश हूँ पाकर मैं दो बेटियाँ
मायके ही नहीं ससुराल मे भी
मान मायके का बढ़ाती बेटियाँ
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
चित्तौड़गढ़ राजस्थान
*त्रीनयनी*
हम साथ में जन्मीं हैं,
हम सदा साथ रहतीं हैं,
बुलाते हैं हमें त्रीनयनी ,
हम हैं घर की सुनयनी,
न हैं हम किसी का बोझ,
खुब पढाई करतीं हैं रोज़,
कामायबी हासिल करते हैं,
इक दिन हम कर दिखाते हैं,
त्रीनयनी हैं हम दोषी दिखता है,
उसे सही रास्ता दिखातीं हैं।
हम हैं त्रीनयनी सदा संघर्ष करतीं ,
घर की लाज़ है हम करतीं देश की उन्नती ।
डाॅ. सरोजा मेटी लोडा़य।
चित्र पर आधारित कविता
थीं तीन सहेलियां प्यारी प्यारी
वह थी बिल्कुल सबसे न्यारी
बगिया में तितली सम उड़ती
फूलों की खुशबू सी महकती
वे लक्ष्मी सरस्वती और काली
उनसे थी धरती की हरियाली
थीं वो परिवार की खुशहाली
उनसे खिलती हर एक डाली
साथ- साथ चलना सीखा
परस्पर आगे बढ़ना सीखा
प्रेम सहयोग और त्याग से
दूसरों को सुख देना सीखा
हर कार्य में वह आगे रहती
हर विधा में मिलकर चलती
कर्म क्षेत्र हो फिर धर्म क्षेत्र
कदम - कदम साथ चलती
ये देश की वीरांगनाएँ बनी
अहिल्या बन उद्धार किया
लक्ष्मीबाई ने देश प्रेम किया
दुर्गावती बन बलिदान.दिया
तीनों सखियों के करें नमन
ऐसी बेटियों को करें वंदन
जो बनी देश की शान-मान
ऐसी बेटियों पर है अभिमान
आशा जाकड़़
अग्निशिखा मंच को नमन 🙏
विधा:चित्र पर आधारित
कविता
शीर्षक :तीन सहेलियां
हम हैं तीन सहेलियां
करती हर दिन मस्तियां।
साथ में बैठते जब स्कूल जाते
एक दूसरे का डिब्बा खाते।
खेलते, नाचते ,उधम ,मचाते
ना चिंता रहती जीवन की।
सुख-दुख हार जीत से न था नाता
हमें सब लगते समानता।
स्थिति परिस्थिति कितनी भी बदलें
मगर हम तीनों कभी ना बदले।
एक दूसरे का हौसला बढ़ाते
समस्या से न डरते।
हम है तीन सहेलियां
करती हरदम मस्तियां।
डॉ गायत्री खंडाटे
हुबली कर्नाटक।
🌹🙏अग्नि शिखा मंच 🙏🌹
🌴विषय: चित्र आधारित 🌴
🌳 विधा: काव्य 🌳
🌿दिनांक:24-6-2021🌿
रचनाकार-डॉ पुष्पा गुप्ता मुजफ्फरपुर बिहार --
🌹
हम तीनों हैं सगी बहने,
आपस में इतने हिले-मिले--
नहीं किसी को गिला-शिकवा
तीनो का साथ अनोखा है।
एक साथ हम तीनों रहते,
नाजो नखड़े कभी न करते,
अम्मा की हम प्यारी हैं--
और,पापा की राजदुलारी हैं ।
हम तीनों हैं ,गंगा- यमुना
सरस्वती भी न्यारी है ।
हम तीनो को देख-देखकर,
खुश होती दुनिया सारी है ।
🌹
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स्वरचित एवं मौलिक रचना
रचनाकार -डॉ पुष्पा गुप्ता , मुजफ्फरपुर बिहार--
जिस घर में जिम्मेदारी,
मां के ऊपर होती है।
उस घर मे बेटी और बेटे,
जिम्मेदार बहुत होते है।।
जिस....................... 1
ईश्वर की यह लीला है,
यहां सबकी पूर्ति होती है।
कमजोर घर की कड़ी को,
वह संम्बल प्रदान करती है।।
जिस.......................2
उक्त यह मूर्ति मत सोचो,
यह मूक कुछ बयां करती है।
मां ममता की अनोखी मूर्ति,
यह यहां सब बयान करती है।।
जिस......................... 3
घर बाहर सब फैले उजियारा,
घर में प्रेम की धारा बहती है।
यह मूर्ति ममता है बरसाती,
सदा दिल के पास रहती है।।
जिस..........................4
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
24-06-2021
Photo from Rameshwar Prasad Gupta
चीन में तीन बच्चों
के होने पे लगाई थी कड़ाई
वायरस सृजन कर खुद के
पैरों पे ही मारी कुल्हाड़ी
हेकड़ी निकली आज।।
खुद के देश के साथ-साथ
विश्व की जनसंख्या को भी
खतरे में इतना डाला मर
रही थी जनता आज।।
एक तिहाई जनता मर गई
बस कह रहा मेरे देश की आज
जनसंख्या दर गिर रही गिरावट
समझ रही खूब उसे आज
नियम में कर कुछ फेर बदल कहा
जो करें तीन बच्चे पैदा उसके सर
पे हिस्से अब सजा नहीं सर पे होगा ताज।।
देश में अपने बना नया कानून
उसी पे प्रेक्षित चित्र है आज।।२।।
वीना आडवानी"तन्वी"
नागपुर, महाराष्ट्र
******************
😜😜😜😜🙏🏻
नहीं हैं सिर्फ बेटियाँ हम हैं तीन देवियाँ
लक्ष्मी सरस्वती दुर्गा संस्कृति की पुत्रियाँ।।
हम नहीं सिर्फ मूर्तियां हम भविष्य रमणियाँ
हैं अंतरिक्ष से पाताल तक हमारी परछाईंयाँ।।
नहीं हैं सिर्फ औरतें हम हैं युग नारियाँ
हम जो गर ठान लें ना रहें दुश्वारियांँ।।
हम हैं सृष्टि, प्रकृति और धरा की प्रतिकृतियाँ
हम में हैं ब्रम्हांड की सारी अविकारी शक्तियाँ।।
हम पहाड़ों पर बसीं हैं तीन पावन पींडिंयाँ
वैष्णवी जय वैष्णों माता जय वैष्णव महा मायाँ
हेमलता मिश्र मानवी नागपुर महाराष्ट्र
बढ़िया
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