वर्ल्ड पिरामिड
हे
गऊ
मैया री
हाथ जोड़
वंदन करता
मस्तक झुका के
नमन कर रहा ।।
माँ
जाता
हूँ स्कूल
लौट आऊँ
तब ले चलूँ
जंगल घुमाने
हरि घास खिलाने
है
दो
मुझे
आशीष
तेरी सेवा
नित्य मैं करुं
देना हमें वर
नाम रोशन करुं
माँ
कान
में कुछ
कहना है
चुपके सुनों
तुम्हे सैर करा
दुनियाँ दिखाऊँगा
डॉ अलका पाण्डेय
हे
प्रभु
करोना
वायरस
दूर करो न
मुक्ती दिलाओ न
जग है परेशान
हे
प्रभु
सुन लो
ये पुकार
मेरी कामना
पूरी कर देना
मैं तेरी पुजारन
माँ
मेरी
प्रार्थना
स्विकार लो
पूजा करु मैं
बेड़ा पार करो
माँ कष्ट निवारणी
अलका पाण्डेय
शुक्रवार -25/6/ 2021
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विषय - वर्ण पिरामिड विधा
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1)
ॐ
नमः
शिवाय
त्रिपुरारि
हे गंगाधर
शिव कृपा करो
भक्त के कष्ट हरो।
2)
हे
माता
मां वाणी
सरस्वती
हंसवाहिनी
मेरे कष्ट हरो
कंठ में वास करो।
3)
हे
देवि
प्रकृति
तेरी लीला
अपरंपार
ब्रह्मा विष्णु शिव
कोई न पाया पार।।
4)
हे
कृष्ण
कन्हैया
वंसीधर
देवकी सुत
जसुदा नंदन
तेरा है अभिनंदन।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
© कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
06 माता दुर्गा (धनुषाकार वर्ण पिरामिड)
माँ
दुर्गा
सृष्टि की
आद्य शक्ति
इन्हीं की शक्ति
हो सृष्टि उत्पत्ति,
ब्रह्मा, विष्णु व शम्भू
शक्ति से शक्तिमान
दुष्ट-संहारक।
उत्साह-ऊर्जा
का संचार
करती
माता
श्री
माँ
भक्ति
प्रभाव
से मिलती
सुख व शांति,
शक्ति और विद्या
जाग्रत देव होते
हनुमान, कालिका
हुई है उत्पत्ति
पापी विनाश
धर्म रक्षा
करती
काली
माँ
वैष्णो खत्री वेदिका
जबलपुर
अग्नि शिखा मंच
बिधा पिरामिड
२५/०६/२०२१
माँ
तुम
ममता
मई माता
सबका कष्ट
दूर करती हो
जग का कल्याणी हो
हे
माता
जगत
जननी हो
विश्व ब्यापनी
कष्ट नाशनी हो
दरश दिखाओ माँ
माँ
आओ
आओ ना
एक बार
फिर से आओ
मानव का कष्ट
मिटाओ माँआओ ना
बृजकिशोरी
त्रिपाठी
गोरखपुर
यू.पी
विधा वर्ण पिरामिड
1.)
यूँ
देखूँ
मुखड़ा
तेरा माता
तो दिन मेरा
झट बन जाता
छू चरणों तेरे माँ ।।
2.)
ये
मन
हो जाता
आनंदित
तो गम सभी
भुला अपने वो
तो बस मुस्काता है।।
3.)
तू
बस
यूँ ही मांँ
देनाँ साथ
फरियाद मैं
यही दोहराता
माँ करता विनती ।।
©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल☯️
वीना अचतानी,
अग्नि शिखा मंच को नमन,
विषय*** पिरामिड विधा ****
माँ
रूप
धरती
पिता हमें
लगे आकाश
जीवन भर में
दिया दिव्य प्रकाश ।।।।
तू
झूठी
शौकत
शान से हो
हमेशा दूर
निर्मल निश्छल
सादगी से भरपूर ।।।।
लो
फिर
खामोश
हरियाली
से बीती बातें
कह कह कर
मन प्रसन्न करें ।।।।
है
कियों
अखियाँ
भरी भरी
किया था वादा
तू नहीं रोएगी
फिर क्यों है उदास ।।।।
था
मन
उदास
मुरझाई
सी बैठी थी मैं
तभी पूछा मेरी
आत्मा ने ही मुझसे ।।।।
स्वरचित मौलिक,
वीना अचतानी
जोधपुर (राजस्थान) ।।।
🙏🌹अग्नि शिखा मंच🌹🙏
🙏🌹जय अम्बे🌹25/6/21🌹🙏
🙏🌹विधाःवर्ण पिरामिड🌹🙏
हे,🌷
गीरी, 🌹🌷
नन्दिनि 🌹🌷🌹
विनोदिनि, 🌹🌷🌹🌷
प्रियवासिनि🌹🌷🌹🌷🌹
कैटभ भन्जिनी, 🌹🌷🌹🌷🌹🌷
त्रिभुवन पोषिणी, 🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
श्री, 🌷
जय, 🌷🌹
जप्यते, 🌷🌹🌷
शैलसुते, 🌷🌹🌷🌹
गजाधिपते, 🌷🌹🌷🌹🌷
भ्रमराधिपते, 🌷🌹🌷🌹🌷🌹
शुण्ड मृगाधिपते🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
श्री, 🌹
तव,🌹🌷
चरणं,🌹🌷🌹
रंगभूवं, 🌹🌷🌹🌷
पदकमलं, 🌹🌷🌹🌷🌹
सुखानुभवं, 🌹🌷🌹🌷🌹🌷
श्री चरणारविन्द,🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
*जय जय हे महिषासुर मर्दिनी*
*रम्य कपर्दिनी शैलसुते*।।
🙏🌹पद्माक्षि शुक्ल🌹🙏
शुक्रवार***२५/६/२१
विधा**** कविता
विषय** #****पिरामिड****#
श्री
ओम
गणेश
भगवान
सुनो बिनती
मिटाओ क्रंदन
शिव गौरी नंदन
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
महाराष्ट्र
शुक्रवार***२५/६/२१
विधा *****वर्ण पिरामिड
विषय****स्वतंत्र (कविता)
हे
मैया
मां दुर्गा
आशीष दो
कर दे दूर
पीड़ा मेरी सारी
कोरोना महामारी
भर दे शेरोवाली
खाली मेरी झोली
करूं मैं भक्ति
दे मां शक्ति
करना
रक्षा
तू
प्रा रविशंकर कोलते
नागपुर
महाराष्ट्र
मैं
तुम्हें
प्रणाम
करती हूं
तुमने मुझे
वरदान दिया
मुझे पर कृपा हो
मैं पूजा करती हूं
नत मस्तक हूं
विश्वास मुझे
तुम पर
भरोसा
करो
ऊं
शोभा रानी तिवारी
अग्नि शिखा मंच ।
25-06-2021
ये
मन
भागता
चहुँ ओर
बस में नहीं
यूं चंद्र चकोर
दिल मांगे ये मोर।।
स्वरचित,
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ।
अग्नि शिखा
नमन मंच
दिनांक --: 25/6/2021
विधा--: वर्ण पिरामिड
है
खड़ी
महिला
सुंदर सी
मुस्कान लिए
समुद्र तट पे
पापी पेट खातिर
आत्मनिर्भर बन
बेचती हूं माला
प्रभु स्मरण
कर ले तू
फेर के
माला
ये !
न
चाहूं
प्रभु मैं
महलों का
सुख भोगना
कृष्ण की नगरी
समुद्र में समायी
कलयुग है आया
ले कृष्ण शरण
मनका बेच
पापी पेट
भरती
गोपी
है !
चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
नमस्ते मैं ऐश्वर्या जोशी
अग्निशिखा परिवार को मेरा नमन
प्रतियोगिता हेतु मैं मेरी वर्ण पिरामिड प्रस्तुत करती हूं।
विषय - वर्ण पिरामिड
है
नीले
आकाश
बरसते
हुए बादल
देख लू आखों से
तो बड़ा अच्छा लगे।
है
मेरे
कन्हैया
नंदलाल
सावला रूप
निहारते तेरा
हो गई मैं बावरी।
है
गुरु
परम
परमात्मा
अंधकार की
इस दुनिया में
तेरा ही सहारा है।
धन्यवाद
पुणे
मंच अग्निशिखा
---------------------
मंच को नमन-🙏🏻
---------------------दिनांक 25/6/21
✍️______________________✍️
लेखन विधा:- वर्ण पिरामिड
-------------------------------------------
नरेन्द्र कुमार शर्मा हिमाचल प्रदेश।
🧚♂️_________💥__________🧚♂️
है
तरुणी
तट पर
पड़ी नज़र
लगते सुन्दर
नयन है उसके
उसके नयना मुझे
है ताकते रहते
ताकते ताकते
दिल में बस
गई है वो
कहती
मुझे
वो
✍️---------👩⚖️🙏🏻👩⚖️---------✍️
जय मां शारदे
***********
अग्निशिखा मंच
दिन -शुक्रवार
दिनांक- 25/6/ 2021 प्रदत्त विधा -पिरामिड हेतु प्रस्तुत रचना--
मां
मेरी
महिमा
तेरी सदा
नजर आती
करो कृपा मैया
पार हो जाए नैया।
मैं
राधा
हूं तेरी
दिल तेरा
मुझे सताये
मोहन आ जाओ
धीरज दिला जाओ।
रागिनी मित्तल
कटनी, मध्य प्रदेश
शीर्षक-पिरामिड
1. रे
मन
बेचैन
मत होय
हौसला रख
जीवन अमूल्य
कर दे देव तुल्य .
2. ये
रब
तू ही है
अब मेरा ,
सहारा यहां
तेरे सिवाय मैं
अब जाऊं तो कहां .
3. तू
ही तो
बता दे
सच है क्या
तेरे से मेरा
रिश्ता यूं गहरा
इतना सुनहरा .
4. मां
तेरे
बिना ना
लागे जिया
क्या करूं बता
चैन नहीं पड़े
ढूंढे तुझे नैयना .
5.हे
देव
तेरी ही
दासी हूं मैं
गले लगा ले
दरस की प्यासी
जाऊं अब कहां मै .
स्वरचित पेरामिड
रजनीअग्रवाल जोधपुर
पिरामिड
मैं
जहाँ
भी रहूँ
मै कहीँभी ,
रहूँ याद है
कहने को साथ
अपने तन्हाई है।
ये,
तेरी
यादो कि
रुसवाई
है,जो साथ
मेरे चली आई,
तेरी याद खास है।
*जनार्दन शर्मा* (आशुकवि लेख़क व्यंग्य)
( मनपसंद कला साहित्य)
पिरामिड
का
कहूँ
तोसे मैं
अपनाया
क्यों नही मुझे
कमी क्या थी ऐसी
मुझमे ये तो बता
मैं
माफी
भी मांगु
कैसे पता
ही नही कहां
रहती हो अभी
मनाना चाहती हूँ
चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
चित्तौड़गढ़ राजस्थान
वर्ण पिरामिड --- ओमप्रकाश पाण्डेय
हे
मेरे
मालिक
मेरे दाता
भक्त मै तेरा
द्वार तेरे आया
ऐ मेरे सीताराम
मैं
तेरे
चरणों
में अपने
दोनों हाथों से
आरती उतारुं
स्वीकार करो प्रभु
तूं
मेरा
मै तेरा
भगवन
प्रणाम करुं
तेरे चरणों में
नित शीश नवाऊं
ऐ
मेरे
आंखों से
जो आंसुऐं
बरस रही
मेरे तरफ से
प्रेम का पैगाम है
( यह मेरी मौलिक रचना है ----- ओमप्रकाश पाण्डेय)
अग्निशिखा मंच
विषय---पिरामिड
दिनांक---25-6-2021
1)
ए
दिल
ज़रा-सा
संभल के
रहना तुम
यह दुनिया है
इक भूल भूलैया
खोकर इसमें तु
कहीं भूल न जाए
ईश्वर ने भेजा
याद रखना
नाम सदा
रब का
दिल
में ।
2)
न
जाना
तु कभी
ऐसी राह
जिसमें सुख
मिले न मन को
रब से नाता जोड़
हर हाल में खुश
रहना आ जाए
तेरा दामन
न खाली हो
कभी भी
प्रेम
से ।
पिरामिड
१)
ऐ
मेरे
वतन
मेरी ज़मीं
है हसीन तू
चरण धूल हूंँ
जन्नत है तुझ में
२)
मां
तेरी
टिकुली
खिलती है
मुखड़े पर
सूरज के जैसी
उजाला हो जाता है
३)
ना
करो
घमंड
क्यों कि माना
घमंड का है
घर खाली होता
रावण मारा गया
नीरजा ठाकुर नीर
पलावा डोम्बिवली
महाराष्ट्र
राधा पर वर्ण पिरामिड
अ. भा. अग्निशिखा मंच
विषय_राधा
विधा_वर्ण पिरामिड
हे
राधे,
किशोरी,
श्यामा प्यारी,
रूप _ सुंदरी,
छवि दिव्य है री,
वृषभानु दुलारी।१।
ए
राधे,
उर्वशी,
दिलकशी,
तेरे चरण,
मैं तेरी शरण,
यहीं आए मरण।२।
हे
राधे,
नयन,
कजरारे,
हैं बड़े प्यारे,
हम मन हारे,
नित सांझ_सकारे।३।
ओ
राधा!
कहां हो?
ढूंढें तुम्हें,
बावरे नैन,
नहीं कहीं चैन,
आ, मन है बेचैन।४।
इ
राधा,
हमरा,
जी चुराए,
मुसकुराए ,
बहु तरसाए,
ये मन को भाए है।५।
ओ
राधे!
सुन ले,
तेरे बिन,
हम हैं आधे,
करीब आकर,
हमें पूरन कर।६।
बिछड़ेंगे मर के,
कभी भी मुझसे,
ना बिछड़ना,
है तुझसे,
जीवन ,
मेरा,
ये।७।
स्वरचित मौलिक रचना वर्ण
पिरामिड।रानी अग्रवाल द्वारा
मुंबई_२५_६_२०२१.
शुक्रवार***२५/६/२१
विधा *"पिरामिड
विषय ****श्री गणेश
श्री🕉️
ओम 🕉️
गणेश🕉️
भगवान🕉️
सुनो बिनती 🕉️
मिटाओ क्रंदन🕉️
शिव गौरी नंदन🕉️
हे🕉️
मोरे🕉️
श्री साईं🕉️
कृपा करो🕉️
सदा तुम्हारा🕉️
गाऊ में भजन🕉️
प्रसन्न हो जीवन🕉️
*सुरेंद्र हरड़े*
नागपुर महाराष्ट्र
मंच को नमन 🙏
25/6/21
विधा -वर्ण पिरामिड
1-
मैं
फूल
प्यारी सी
खिली हूं मैं
धरा के गर्भ
से हुई उत्पन्न
अनोखी प्रकृति की
2-
हे
देव
दीनों के
तुम स्वामी
कर दो कृपा
स्नेह भर मात्र
मैं तेरा कृपा पात्र
3-
हे
राम
अज्ञान
मिटाकर
सद्भावना
भर दो मन में
जीवन हो सफल
डॉ मीना कुमारी परिहार
हे
प्रभु
गणेश
सिद्दि -बुद्धि
दे मुझे दाता
पाप विमोचक
संकष्ट दूर करो।
माँ
दुर्गा
पार्वति
रक्षा करो
सदा भक्तों की
आदिशक्ति गौरी
पुकारते प्रेम से ।
डाॅ.सरोजा मेटी लोडा़य।
अग्निशिखा मंच को नमन🙏
विधा:हायकू
हे
माता
शारदे
विद्यादायी
कृपा हो तेरी
अक्षर ज्ञान से
हो जीवन सुगम ।
ओ
प्रिय
तड़पे
विरह में
आस मिलन
निस दिन सोचुं
फिका लगे जीवन।
डॉ गायत्री खंडाटे
हुबली कर्नाटक।
🙏🌹अग्नि शिखा मंच 🌹🙏
🌿विधा:* वर्ण पिरामिड *🌿
🌴दिनांक: 25-6-2021🌴
रचनाकार --डॉ पुष्पा गुप्ता, मुजफ्फरपुर बिहार---
🌹
माँ
दुर्गा
दुर्गति
विनाशिनी
अवतारिणी
मम दुःख हरो
संकट निवारिणी
🌹
हे
राधा
माधव
गिरिधारी
कुंजबिहारी
नंदक- नंदन
पीड़ा हरो हमारी
🌹
हे
प्रभु
दयालु
हनुमान
दयानिधान
केशरी नंदन
हे संकटमोचन
🌹
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ स्वरचित एवं मौलिक रचना
रचनाकार --डॉ पुष्पा गुप्ता मुजफ्फरपुर बिहार-
माँ (पिरामिड)
माँ
तुम
कहाँ हो
ढूंढ रहा
मैं तुझे यहाँ
पर नजर में
क्यों नहीं आती हो।
ये
कैसा
है पल
बिन तेरे
अंधेरा मुझे
लगता है यहाँ
जाने क्यों आज कल।
तू
होती
जब भी
पास मेरे
मैं होता खुश
तेरी गोद और
तेरे साया पाकर।
ये
मन
जीवन
तेरे बिना
शून्य लगता
कण्टक सी राहे
सूना-सूना सा घर।
न
कोई
फिक्र थी
न ही गम
बस तू ही थी
रक्षक दीवार
ढाल सब के आगे।
ओ
माई
बलि मैं
जाऊँ सब
तेरी ममता
त्याग समर्पण
और आँचल पर।
बुद्धि प्रकाश महावर 'मन'
दौसा राजस्थान
ई पिरामिड
मां
गौरी
लतिका
मां भवानी
विश्व रक्षिणी
संतान सुख दे
समृद्धि वृद्धि होवे
हे
मैया
भवानी
नवरात्रि
ब्रह्मचारिणी
सुहागन पर्व
सौभाग्य वरदान
मां
गौरी
कल्याणी
नवरात्रि
विपदा हर
कष्ट दूर कर
करोना हाहाकार
हे
कृपा
जननी
दुर्गा रानी
दुख हारिणी
जगत तारिणी
आशीर्वाद दायिनी
डा अँजुल कँसल"कनुप्रिया"
15-4-21
Pyramid
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