🦚।हरियाली। 🦚☘️🦋
सावन मे शोभे हरियाली बलम हाथ मेंहदी रचाई दा हो।🧍🏻
मेहंदी लगा द, महावर लगा द🌳🌴🌹☘️☘️🦚🌲
सावन में शोभ हरियाल
रिमझिम बरसे सावन में बदरिया।💦💦💦
धरती ओढे जइसे धानी चुनरिया।।
अंगे अंगे सगरो शोभे ना
बलम - - - -
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
झुलुआ झुलल जाई, सखियां सहेलियां।☔☔🧚🏽♂️🧚🏽♂️
मीठी मीठी गीतियां, सुनावे कोयलिया।।🦜🦜
झिरिर झिरिर पुरूवा बहे ना।
बलम- - - - -
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अलका दीदी के अपना, झुलुआ झुलाईब।
हरि हरि कजरी पिया, गितीया के गाइब ।।
🦚🦚🦜🐇🦩🌴🎋
तलवा तलैया शोभे ना
बलम - - - - -
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उपेन्द्र अजनबी
सेवराई गाजीपुर उ प्र
मो - 7985797683
विधा कविता
रचना नरेन्द्र कुमार शर्मा
भाषा अध्यापक
दूरभाष 9418002790
विषय सावन
सावन आया मन को भाया
बादल आए,रिमझिम बरसे
चारों दिशाओं में अंधेरा छाया।
प्रकृति संवरी हरित रंग में
मोर नाचे बादल संग में
प्रकृति का ये दृश्य मन को भाया।
गर्मी से आतुर धरती नहाई
झाग से बरसाती सुगंध भाई
हुई देह धरा की ऐसी कीचड़ छाया।
पृथ्वी का हर कोना भीगा
वन में खुलकर सियार चिंगा
वर्ष में एक बार ये मौसम आया।
(अप्रकाशित रचना)
मंच को नमन
विषय:-- *सावन पर हाइकु*
१) अज हूं ना आए बालमा
सावन बीता जाए हाय।
२) सावन आए या ना आए
जिया जब झूमे सावन है।
३) गरजत बरसत सावन आयो रे लायो ना अपने संग हमारे बिछड़े बलम को।
४) रिमझिम गिरे सावन,
सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में,
लगी कैसे ये अगन।
५) रिमझिम के तराने लेके आई बरसात
याद आए किसी से वो यह ली मुलाकात
विजयेन्द्र मोहन।