अग्निशिखा मंच
साँची-सुरभि*
*उत्तम मानव जन्म*
*सारवती छंद*
ईश्वर ने उपकार किया ।
कोमल कंचन देह दिया ।
उत्तम मानव जन्म मिला ।
आँगन में मन फूल खिला ।।
है तन ये अनमोल सुनो ।
सार्थक हो यह जन्म गुनो ।
जाकर वापस ये न मिले ।
उत्तम पुष्प पुनः न खिले ।।
मानव क्यों यह भूल गया ।
रोज धरे वह रूप नया ।
घातक कुत्सित कर्म करे ।
क्रूर डरावन रूप धरे ।।
दानव सा मनु सोच रहा ।
संतन को नित नोच रहा ।
कर्म भयानक वो करता ।
जीवन को दुख से भरता ।।
सार्थक सुंदर बोल कहो ।
सेवक साधक भाव गहो ।
सात्विक शुद्ध विचार रहे ।
जीवन में बस प्यार रहे ।।
*इन्द्राणी साहू"साँची"*
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
मंच को नमन
दिनांक : 17 /5/21
दिन : सोमवार
विषय : चूहा
विधा : बाल गीत
देखो चूहा आता है ,
उधम खूब मचाता है।
कुतल कुतर सब खाता है,
मम्मी को बड़ा सताता है ।
शांता जब घर पाता है,
इत उत दौड़ लगाता है।
आते देख किसी को वो,
झट कोने में छिप जाता है ।
दौड़े जब वह जोर से,
फिसल फिसल सा जाता है।
करके उल्टी-सीधी हरकत,
हम सबको बड़ा हंसाता है।
देखकर बिल्ली को आता,
सर पर पांव रख दौड़ जाता है।
देख कर उसकी हरकत ,
मुन्नी को बड़ा मजा आता है ।
देखो चूहा आता है ,
उधम खूब मचाता है।
कुतर कुतर के खाता है,
मम्मी को बड़ा सताता है ।।
©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल☯️
अ. भा. अग्निशिखा मंच
सोमवार 17 /5/2021
आज का विषय
🌺चूहा पर
🌺 बाल गीत
बिल्ली और चूहे की हो गई दोस्ती।
बिल्ली और चूहे की हो गई दोस्ती।
दोनों संग में रहते गहरी थी दोस्ती।
घूमना फिरना कभी पेड़ पर चढ़ते।
दोनों खेलते खूब मौज मस्ती करते।
एक दिन गिलास में दूध है दिखता।
भूख हुई चरम पे जब दूध दिखता।
दोनों पीते तभी निभ पाती दोस्ती।
दोनों चिन्ता में कैसे निभे दोस्ती।
बिल्ली ने गिलास पंजे से गिराया।
दूध नीचे गिरते दोनों लपके भाया।
छोटा पेट चूहा शीघ्र से तृप्त हुआ।
पेट भरा कोने में लेटा व सो गया।
बिल्ली के चिल्लाने आवाज़ आई।
मालिक के जाल में बिल्ली आई।
चूहे ने जाल दाँतों से काट दिया।
बिल्ली को लेकर चूहा भाग गया।
दोनों की दोस्ती और हुई पक्की।
बुरे वक़्त में काम आए वो दोस्ती।
वैष्णो खत्री वेदिका
जबलपुर मध्यप्रदेश